मानव एवं जीव - जगत के लिए जल उतना ही आवश्यक है जितना भोजन एवं वायु हैं ! राजस्थान के जल संसाधन की महत्ता इस बात से भी बढ़ जाती हैं कि इसका लगभग 61% भाग शुष्क प्रदेश हैं ! राजस्थान की धरती जल के स्त्रोत एवं नदियों के अभाव मे प्यासी रहती है राजस्थान की अधिकांश नदियाँ का प्रवाह क्षेत्र अरावली पर्वत के पूर्व मे है
बहाव की दृष्टि से नदियाँ को तीन भागो मे बांटा गया है- 1. बंगाल की खाड़ी ( Bay of Bengal) मे जल ले जाने वाली नदिया 2. अरब सागर ( Arabian Sea) मे जल ले जाने वाली नदियां 3. आन्तरिक प्रवाह की नदियाँ
बंगाल की खाड़ी में जल ले जाने वाली नदियां बंगाल की खाड़ी की ओर जल ले जाने वाली नदियों में राजस्थान की सबसे महत्वपूर्ण व सदा प्रवाहिनी नदी चंबल है ! चम्बल नदी प्राचीन नाम - चर्मण्वती नदी इसे नित्यवाहिनी व सदावाहिनी भी कहते हैं इसे राजस्थान की कामधेनु कहते हैं उद्गम - मध्यप्रदेश में इन्दौर के महू के नजदीक विंध्याचल पर्वत की जानापाव पहाड़ी बहाव क्षेत्र - मध्यप्रदेश में महू - उज्जैन- रतलाम- मंदसौर राजस्थान में चित्तौड़गढ़- कोटा - बूंदी- सवाई माधोपुर- करौली- धौलपुर उत्तर प्रदेश में 322 किलोमीटर चलकर यमुना में मिल जाती है
सहायक नदियां मध्यप्रदेश में मिलने वाली नदियां - सिवान , रेतम , शिप्रा राजस्थान में मिलने वाली नदियां - आलनिया, बनास, कालीसिंध, पार्वती, बामनी, कुराल, मेंज, छोटी कालीसिंध
उद्गम से यमुना में मिलने तक लम्बाई - 965 KM राजस्थान में लंबाई - 135 किलोमीटर यह नदी तीन राज्यो - मध्य प्रदेश, राजस्थान व उत्तर प्रदेश में बहती है इस नदी पर गांधी सागर, राणा प्रताप सागर, जवाहर सागर बांध, व कोटा बैराज बनें हुए है सर्वाधिक बीहड़ इसी नदी के क्षेत्र में है!
मानव एवं जीव जगत के लिए जल उतना ही आवश्यक है जितना भोजन एवं वायु ! राजस्थान के जल संसाधन की महता इस बात से भी बढ़ जाती है कि इसका लगभग 61% भाग शुष्क प्रदेश है ! राजस्थान के आर्थिक उत्थान, धार्मिक स्वरूप, भावनात्मक एकता आदि की दृष्टि से नदियों का विशेष स्थान है ! नदियां आदि काल से ही मानव के जीवन संस्कृति तथा सभ्यता की पोशक और मानव क्रियाओं का पालना (हिंडोला) रहीं हैं !
बंगाल की खाड़ी की ओर जल ले जाने वाली नदियों में राजस्थान की सबसे महत्वपूर्ण व सदा प्रवाहिनी नदी चंबल है ! यह मध्यप्रदेश से निकलकर राजस्थान के दक्षिणी पूर्वी भाग में होती हुई प्रवाहित होती है ! यह क्षेत्र राजस्थान में सबसे अधिक वर्षा प्राप्त करने वाला भाग है यहां वर्षा का औसत 800 मिमी. से भी अधिक है! यहां यह नदी पथरीले पेटे में होकर बहती है ! चंबल की सहायक नदियों में कालीसिंध, पार्वती, बनास आदि है! इस प्रकार यह भाग राजस्थान में सदा प्रवाहित होने वाली नदियों की ओर से महत्वपूर्ण है! इसकी सहायक नदियां वर्षा काल में प्रवाहित व इसके पश्चात काल में शुष्क हो जाती है !
यह नदी अपने उद्गम स्थल से लेकर यमुना में मिलने तक अनेक प्रकार की स्थलाकृतियों का निर्माण करती है! जिनमें प्रमुखत: "गार्ज, नदी कंगार, जलप्रपात, क्षिप्रिकाए, एवं निकपांइन्टस तथा बीहड़ भूमि" आदि प्रमुख है !
यह नदी मध्य प्रदेश में इंदौर जिले के मऊ के निकट विंध्याचल पर्वत की उतरी ढाल (616 मी.)में जानापाव की पहाड़ी से निकलती है ! इसको कामधेनु के साथ-साथ प्राचीन समय में चर्मण्वती नदी के नाम से भी जाना जाता था !यह नदी अपने उद्गम स्थल से 325 किलोमीटर की दूरी तक एक लंबे, संकरे और तीव्र गर्त में होकर बहती है!यह उद्गम स्थल से निकलकर उत्तर पूर्व की ओर बहकर मध्यप्रदेश के भिण्ड व मुरैना जिलों में बहती हुई चौरासीगढ के समीप आती है !
यहां यह 884 मीटर की ऊंचाई से 50 मीटर की ऊंचाई तक गिरती है!
यह नदी चौरासीगढ़ से कोटा तक 113 किलोमीटर लम्बी गार्ज में बहती हुई आती है!
यह राजस्थान के चित्तौड़गढ़, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर तक बहती है!
राजस्थान में प्रवेश करते समय इसका तल 300 मीटर चौड़ा हो जाता है !
कोटा संभाग में भैंसरोडगढ़ के समीप इसमें बामनी नदी आकर मिलती है !
यहां से 6 किलोमीटर की दूरी पर ही 18 मीटर की ऊंचाई से गिरने वाला चुलिया जलप्रपात अवस्थित है !
उत्तर पूर्व की ओर बहती हुई यह कोटा और बूंदी उसके पश्चात सवाईमाधोपुर, करौली और कोटा के बीच सीमा बनाती है!
इसके अलावा यह राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच भी सीमा-रेखा बनाती है!
इसकी सहायक नदियों में बनास नदी रामेश्वर धाम नामक स्थान पर कालीसिंध से नानेरा नामक स्थान पर आकर मिलती है, इसके अनेक छोटी व सहायक नदियां भी इसमें मिलती है !
कोटा से 65 किलोमीटर की दूरी पर पाली नामक स्थान पर पार्वती नदी इसमें आकर मिलती है!
इस नदी का प्रवाह राजस्थान में लगभग पठारी एवं मैदानी है ! इस क्षेत्र में चंबल की मिट्टी का जमाव है !इस जमाव से यहा भूमि उबड़-खाबड़ हो गई है !अनेक स्थानों पर गहरी घाटियां बन गई है !संपूर्ण भूमि बीहड़ क्षेत्र है !
चम्बल नदी उत्खात् स्थलाकृति का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है ! [Badland Topography] जो खेती के लिए सर्वथा अनुपयुक्त है ! अपने उद्गम स्थल से यमुना में मिलने तक यह नदी 965 किलोमीटर की दूरी तय करने के पश्चात मुरादगंज के समीप यमुना में मिल जाती है ! चंबल नदी राजस्थान में 135 किलोमीटर की दूरी में बहती है ! वह पालिया से पिनाहट तक व आगे तक यह राजस्थान व मध्यप्रदेश के मध्य 241 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा बनाती है ! यह नदी यमुना में मिलने से पूर्व उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश के मध्य सीमा रेखा बनाती है ! इसका राजस्थान राज्य में कुल अपवाह क्षेत्र 19500 वर्ग किलोमीटर है !
राजस्थान व मध्यप्रदेश के आर्थिक विकास में केंद्रीय स्थान रखने वाली चंबल नदी पर निर्मित गांधी सागर, जवाहर सागर, राणा प्रताप सागर बांध व कोटा बैराज बनाकर सिंचाई व जल विद्युत की सुविधा प्राप्त की जाती है!
विशेष राजस्थान के संदर्भ में केशवराय पाटन के पास इसका पाट (चौड़ाई का विस्तार) अधिकतम एवं गहराई भी अधिक होती है ! इस पर भैंसरोडगढ़ के निकट चुलिया प्रपात है ! भैंसरोडगढ़ के पास इसमें बामनी नदी मिलती है ! राजस्थान की चंबल घाटी में कंदराओं का क्षेत्रफल - Kota जिले में - 1,24,600 हैक्टेयर बूंदी जिले में - 8600 हैक्टेयर झालावाड़ जिले में - 6, 900 हेक्टेयर
कुल - 2,17,500 हैक्टेयर!
राजस्थान में सर्वाधिक अवनालिका अपरदन इसी के द्वारा किया जाता है ! यह राजस्थान की बारहमासी नदी है ! सर्वाधिक जल ग्रहण क्षेत्र इस नदी का है ! इसी नदी के क्षेत्र (सवाईमाधोपुर, करौली, धौलपुर) को डांग क्षेत्र भी कहा जाता है ! डांग क्षेत्र सर्वाधिक सवाईमाधोपुर में व प्रतिशतता के आधार पर सर्वाधिक धौलपुर में है ! डांग की रानी - करौली को कहा जाता है !
विशेष सहायक नदियां ट्रिक - बाकु में बचा पाका ही आलनिया है ! बा - बामनी नदी कु - कुराल नदी मे - मेज नदी ब - बनास नदी चा - चाकण नदी पा - पार्वती नदी का - कालिसिंध नदी ही - silent आलनिया नदी
1. बनास नदी (Banas River) इसे वन की आशा कहते हैं ! उद्गम - खमनोर की पहाड़ियां [कुंभलगढ़, राजसमंद] प्रवाह क्षेत्र - राजसमंद, उदयपुर, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, अजमेर, टोंक, सवाई माधोपुर ! राजस्थान में बहने वाली सबसे लंबी नदी है ! लंबाई - 480 किलोमीटर यह बरसाती नदी है ! इसका जल ग्रहण क्षेत्र सर्वाधिक है ! इस पर बीसलपुर बांध टोंक जिले में अवस्थित है ! यह नदी Sawai madhopur के खंडार में बड़वास गांव के निकट रामेश्वर नामक स्थान पर चंबल में मिल जाती है !
2. पार्वती नदी (Parvati river) उद्गम - सेहोर [मध्यप्रदेश से] राजस्थान में प्रवेश करयाहट [बांरा] समापन - सवाई माधोपुर की पलिया नामक स्थान पर चंबल में मिल जाती है !
3. कालीसिंध नदी उद्गम - बागली की पहाड़ियों से [मध्य प्रदेश] राजस्थान में प्रवेश रायपुर [Jhalawar] समापन - नौनेरा (कोटा) नामक स्थान पर चंबल में मिल जाती है !
4. मेज नदी उद्गम - बिजोलिया ( Bhilwara) समापन - सीनपुर, बूंदी के समीप चंबल में मिल जाती है!
5. बामनी नदी उद्गम - हरिपुरा की पहाड़ियों से समापन - भैंसरोडगढ़ के समीप चंबल नदी में
6. कुराल नदी उद्गम - उपरमाल के पठार से समापन - बूंदी के समीप चंबल नदी में मिल जाती है!
7. आलनिया नदी उद्गम - मुकुंदवाड़ा की पहाड़ियों (कोटा) से समापन - नौटाना के समीप चंबल में
8. चाकण नदी उद्गम - बूंदी में छोटे नदी नालों से मिलकर बनती है! समापन - करणपुरा सवाई माधोपुर के समीप चंबल में!
चम्बल नदी पर स्थित बॉध
उत्तर से दक्षिण की ओर
कोटा बैराज बांध कोटा में स्थित, यह अवरोधक बांध हैं। कोटा बैराज बांध से सिंचाई के लिए नहरे निकली गई हैं। इसका निर्माण 1960 में पहले चरण में किया गया थाइस बांध के पास कोटा ताप विद्युत घर ( Thermal power plant ) स्थापित किया गया है इस बांध से दो नहरें निकाली गई हैजिसमें से दाई नहर राजस्थान( कोटा बारा) व मध्य प्रदेश दोनों ने सिंचाई करती है यह 124 किलोमीटर राजस्थान में तथा 248 किलोमीटर मध्य प्रदेश में हैइस परियोजना से पूर्वी जिलों को सर्वाधिक लाभ प्राप्त होता है दाई मुख्य नहर पर कुल 8 लिफ्ट नहरे बनी हुई है
चम्बल नदी विशेष बाई नहर राजस्थान में सिंचाई के काम आती है जिसकी लंबाई 178 किलोमीटर है कनाडा की International development agency के सहयोग से चंबल कमांड क्षेत्र में राजस्थान कृषि ड्रेनेज अनुसंधान परियोजना चलाई गई है इस परियोजना से कोटा बूंदी जिले में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हुई है
जवाहर सागर बांध इस बांध का निर्माण 1972 में तृतीय चरण में हुआ था यह बाधं Rana pratap sagar dam से 33 किलोमीटर दूर कोटा में बोरावासमें पिक अप बांध के रूप में स्थित है यह बांध 45 मीटर ऊंचा तथा 440 मीटर लंबा है इसकी विद्युत क्षमता 99 मेगावाट है यह चंबल नदी पर बना नया बांध है कोटा में स्थित, इससे जल-विद्युत उत्पादितहोता हैं। इससे सिंचाई नहीं होती हैं। इस परियोजना का राजस्थान भाग से चंबल नदी के विकास की क्षमता में तीसरा हिस्सा है इस के व्यय व लाभ में राजस्थान तथा Madhya Pradesh Electricity Board का समान रूप से हिस्सा है यह योजना योजना आयोग द्वारा 1962 में अनुमोदित कर दी गई थीतथा 60% फैक्टर की दर से 60.00की.वा. की सीमा तक कुल विद्युत उत्पादन करने का प्रावधान है
राणाप्रताप सागर बांध इस बांध का निर्माण चुलिया जलप्रपात के समीप चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित भैंसरोड़गढ़ के पास चौरासीगढ़ के उत्तर में रावतभाटा में किया गया है इस बांध का निर्माण 1970 में द्वितीय चरण में किया गया था यह चंबल नदी पर बना राज्य का सबसे बड़ा बांध है यह Gandhi sagar dam से 48 किलोमीटर दूर स्थित है राणा प्रताप सागर बांध पर ही परमाणु बिजली घर की स्थापना कनाडा के सहयोग से की गई है यह यह बांध 1100 मीटर लंबा वह 36 मीटर ऊंचा है इस बांध को फरवरी 1970 में राष्ट्र को समर्पितकिया गया इस बांध की विद्युत क्षमता 172 मेगा वाट है इस परियोजना का राजस्थान में चंबल नदी विकास की श्रंखला में दूसरा स्थान है
गांधी सागर बांध यह बांध राजस्थान से बाहर मध्यप्रदेश 84 गढ़ स्थानके पास (मंदसौर जिले) वर्तमान में (नीमच जिला) रामपुरा भानपुरा के पठारों के बीच 1959 में इस बांध का निर्माण किया गया यह बाधं 510 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा तथा 64 मीटर ऊंचा है इसकी विद्युत क्षमता 115 मेगा वाट है इसका निर्माण चंबल परियोजना के तहत प्रथम चरण में हुआ था यह बांध चंबल नदी पर बना सबसे बड़ा और सबसे पुराना बांध है गांधी सागर बांध पर 23 मेगा वाट का एक जनरेटर लगाया गया है जिससे पन विद्युत उत्पन्न की जाती है
उपर्युक्त सभी बांधों को चम्बल नदी घाटी परियोजना कहते हैं, जो राजस्थान की पहली परियोजना थी।
यह परियोजना राजस्थान व मध्यप्रदेश की संयुक्त परियोजना हैं। जिसमें 50-50 % की भागीदारी हैं। चम्बल व माही नदी दक्षिण से प्रवेश करती हैं। दूसरी पंचवर्षीय योजना में उत्पादन शुरू व पहली में स्थापना इस परियोजना से 4.5 लाखहेक्टेयर भूमि में सिंचाई की जाती है इससे राजस्थान के कोटा बूंदी व बॉरा जिलों व मध्यप्रदेश में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हुई है इस परियोजना की कुल विद्युत क्षमता 386 मेगा वाट है इस परियोजना से राज्य को 193 मेगा वाट विद्युत प्राप्त होती है
चम्बल नदी पर कुल 8 लिफ्ट नहर हैं जिसमें से 6 लिफ्ट नहर बांरा के लिए (बांरा – वराहनगरी), 2 कोटा के लिए। 1. जालूपुरा लिफ्ट स्कीम कोटा 2. दीगोद लिफ्ट स्कीम कोटा 3. अंता लिफ्ट स्कीम बॉरा 4. अंता लिफ्ट माइनर चक्षानाबाद बॉरा 5. पचेल लिफ्ट स्कीम बॉरा 6. गणेशगंज लिफ्ट स्कीम बॉरा 7. सोरखंड लिफ्ट स्कीम बॉरा 8. कचारी लिफ्ट स्कीम बॉरा
इंदिरा लिफ्ट नहर➖ सवांईमाधोपुर में स्थित, इससे करौली जिले को पेयजल व सिंचाई के लिए पानी मिलता हैं।
कुल विद्युत उत्पादन जवाहर सागर बांध➖99 मेगावाट राणाप्रताप सागर बांध➖115 मेगावाट गांधी सागर बांध➖172 मेगावाट कुल उत्पादन➖386 मेगावाट इसमें राजस्थान को 386 / 2 = 193 मेगावाट प्राप्त होता हैं।
दांयी ओर से चम्बल में मिलने वाली नदिया➖ कालीसिंध, पार्वती (प्रत्यक्ष रूप से), आहु परवान, निवाज (तीनों अप्रत्यक्ष रूप से)। कालीसिंध और आहु का संगम झालावाड़ में होता हैं, जहां गागरोन का किला स्थित हैं, जो जलदुर्ग हैं। भैसरोड़गढ़ विशुद्ध रूप से जलदुर्ग हैं, जो बामनी व चम्बल नदी के संगम पर स्थित हैं। कालीसिन्ध, पार्वती व निवाज का उद्गम स्थल मध्यप्रदेश हैं। परवन का उद्गम झालावाड़से होता हैं।
नदी जोड़ो परियोजना के अंतर्गत सर्वप्रथम कालीसिन्ध व बेतवा को जोड़ा जाएगा। चम्बल नदी में बांई ओर से मिलने वाली नदियां➖ बनास, बेड़च, कोठारी, खारी, मानसी, मोरेल, कुराल बामनी आदि हैं।
Specially thanks to Post and Quiz Creator ( With Regards )
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