?मार्च 1945 में नया मंत्रीमंडल बना था परंतु उत्तरदायी सरकार की स्थापना 30 मार्च 1949 को ही हो सकी थी
?5 अप्रैल 1931को जयपुर में मोतीलाल दिवसमनाया गया था
?1931 के जयपुर प्रजामंडल के प्रथम अधिवेशन के अवसर पर श्रीमती कस्तूरबा गांधी जयपुर आए और उन्होंने प्रजा मंडल के अधिवेशन के बाद नाथमल जी के कटले में स्त्रियों की एक विशेष सभाको संबोधित किया था
?हीरालाल शास्त्री ने प्रत्यक्ष जीवनशास्त्र कृती भी लिखी थी
?दौलतमंद भंडारी व ठाकुर कुशल सिंह (गीजगढ़) लोकप्रिय मंत्रीबने
?1946 में प्रजामंडल अखिल भारतीय लोग परिषद का अंग बन गया और यह जयपुर जिला कांग्रेस के नाम से अभिभूतहो गया
?राजस्थान में चरखा संघकी स्थापना 1925 में अजमेरमें हुई थी
?जिसे 1927 में जमनालाल बजाज ने जयपुर में स्थापित कर खादी के माध्यम से जनचेतना फैलाने का प्रयास किया
?जयपुर प्रजामंडल के अध्यक्ष हीरा लाल शास्त्री ने जयपुर प्रजामंडल को भारत छोड़ो आंदोलन से पूर्णतया अलग रखा था *
?1938-39 में राजस्थान के अन्य भागों की तरह जयपुर राज्य में भी अकाल पड़ा था
?प्रजा मंडल के अध्यक्ष श्री बजाज ने 1 नवंबर 1938 को एक विज्ञप्तिजारी कर प्रजा मंडल के कार्यकर्ताओंसे अपील की थी कि यह सब अपनी प्रवृतियां त्याग कर राज्य में अकाल राहत कार्यमें लग जाएं
?जमनालाल बजाज के राज्य में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने पर जमुनालाल बजाज जयपुर राज्य में प्रवेश करने के लिए 29 दिसंबर को सवाई माधोपुर स्टेशन पहुंचे थे
?जहां आईजी पुलिस एफ. एस .यंग की उपस्थिति में उन्हें बताया गया कि उनके राज्य प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है
?जब यह खबर जयपुर पहुंची तो प्रजा मंडल का एक प्रतिनिधिमंडल श्री हीरालाल शास्त्री के नेतृत्व में बारदोली गांधीजी से मिलने गए थे
?गांधी जी ने सलाह दी थी कि प्रजा मंडल को राज्य से बोलने ,लिखने और संगठन बनाने के मूलभूत नागरिक अधिकारोंकी मांग करनी चाहिए
?11 फरवरी 1939 को जयपुर राज्य में प्रवेश करते हुए जमनालाल बजाज को बैराट के निकट गिरफ्तारकर लिया गया
?फरवरी 1942 में जमनालाल बजाजका देहांत हो गया था
?जयपुर प्रजामंडल 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रुप से भाग नहींलेने वाला प्रजामंडल था
?राजकीय सेवा के प्रस्ताव को ठुकराते हुए स्वतंत्रता प्रेमी अर्जुन लाल सेठीने कहा ""?यदि अर्जुन लाल राज्य सेवा करेगा तो अंग्रेजो को देश से बाहर निकाल फेंकने का काम कौन करेगा**
?होनहार बिरवान के होत चिकने पात यह कहावत श्री अर्जुन लाल सेठी की राजनीतिक जीवनमें पूरी खरी उतरती है
?अर्जुन लाल सेठी का श्री रासबिहारी बोस उनके साथी सचिंद्र सान्याल और मास्टर अमीरचंद से गहरे सम्बंध थे
?इन क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए भारत भर में हिसंक-क्रांतिकी योजना बनाई थी
?राजस्थान में इस क्रांति के आयोजन का भार शाहपूरा के श्री केसरी सिंह बारहठ, खरवा ठाकुर गोपाल सिंह, ब्यावर के सेठ दामोदर दास राठी और जयपुर के सेठ जी पर छोड़ा गया था
?सेठ जी की जिम्मेदारी नवयुवकों को वर्धमान विद्यालय में समुचित प्रशिक्षण देकर भावी क्रांतिके लिए तैयार करना था
?श्री केसरी सिंह बारहठ के पुत्र प्रताप सिंह, शोलापुर के श्रीमाणकचंद और श्री मोतीचंद एवं मिर्जापुर के श्री विष्णु दत्तने अर्जुन लाल सेठी के वर्धमान विद्यालय में ही क्रांति का प्रशिक्षण प्राप्त किया था
?देश मैं सशस्त्र क्रांति के आयोजन के लिए धन की आवश्यकता थी
?क्रांतिकारियों ने इसके लिए देश के धनी लोगों पर डाका डालनाशुरू किया
?विष्णु दत्त के नेतृत्व में वर्धमान विद्यालय की 4 विद्यार्थियों ने बिहार के आरा जिलेमें नीमेज के एक जैन महंत पर डाका डाला महंत मारा गया लेकिन धन हाथ नहीं लगा
?इस कांड का जब भेद खुला तो इसमें अर्जुन लाल सेठी का नाम भी आया
?सबूतों के अभाव में इनका अदालत में चालान नहीं हो सका लेकिन इन्हें जयपुर में नजर बंद करदिया गया था
?वहां से यह मद्रास प्रेसिडेंसी के वेलूर जेल में चले गए थे
? यहा इनको 7 वर्ष तक कैदरखा और 1920में रिहा किया गया
?जेल से रिहा होकर लौटते हुए पुणे में स्वागतकिया गया
?इस अवसर पर बाल गंगाधर तिलक ने अर्जुन लाल सेठी के लिए कहा कि ""?आप जैसे त्यागी देशभक्त और महान तपस्वी का स्वागत करते हुए अपने को धन्य"" समझता हूं
?वैलूर जेल से मुक्त होने के बाद सेठ जी ने अजमेर को अपनी कर्मभूमि बनाया
?यहां यह 1921 के सविनय अवज्ञा आंदोलन में जेलगए थे इन्हें सागर जेल में रखा गया था
?अर्जुन लाल सेठी का अधिकतर जीवन हिंदू मुस्लिम एकता स्थापित करने में बीता था
?उन्होंने अजमेरमें हुए सांप्रदायिक दंगों में अल्पसंख्यकों की रक्षा हेतु कई बार जान की बाजीलगा दी थी
?23 दिसंबर 1945 को उनकी मृत्यु हो गई और उनकी इच्छा अनुसार उन्हें कब्र में दफनाया गया
?अर्जुन लाल सेठी धर्मनिरपेक्षता के सबसे बड़े उदाहरणहै
?अर्जून लाल सेठी द्वारा जयपुर की धरती पर जागृति की अलख जगाई गई थी
?पर अजमेर को अपना घर बनालेने से जयपुर में राजनीतिक गतिविधियां लगभग निष्क्रियहो गई थी
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