दामोदर घाटी परियोजना:- दामोदर नदी में विकसित स्वतंत्र भारत की "प्रथम बहु-उद्देशीय नदी परियोजना" इस योजना को अमेरिका की "टिनेसी योजना" के माडल के आधार पर बनाया गया. दामोदर नदी को पहले बंगाल का शोक कहा जाता था. इस परियोजना के तहत " तिलैया बांध, कोनार बांध, मैथन बांध, पंचेत बांध और दुर्गापुर बैराज का निर्माण किया गया है. इसका उद्देश्य बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई एवं विद्युत् उत्पादन है. इसका मुख्या लाभ झारखण्ड और प.बंगाल राज्यों की मिलता है।
कोसी परियोजना:- बिहार का शोक मानी जाने वाली कोसी नदी पर भारत और नेपाल की संयुक्त परियोजना. कोसी नदी में निर्मल "हनुमान नगर बैराज" से नहर निकाली गई है. इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य बाढ़ नियंत्रण है और बिहार-नेपाल के लिए लाभदायी योजना है.
गंडक परियोजना :- यह भारत-नेपाल के बीच गंगा की सहायक गंडक नदी पर बनी है. इसका उद्देश्य सिचाई व विद्युत् उत्पादन है. इससे नेपाल, बिहार, और उत्तर प्रदेश को लाभ होता है.
हीराकुंड बांध परियोजना:- उड़ीसा और छत्तीसगढ़ की सीमा पर महानदी में बना भारत का यह सबसे लम्बा बाँध (4.8 कि.मी.) है.महानदी के डेल्टा क्षेत्रों में बाढ़ नियंत्रण के लिए इस योजना को प्रारंभ किया गया. सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण, और विद्युत् उत्पादन (Electricity generation) इसके मुख्य उद्देश्य है.
Tungabhadra dam:- तुंगभद्रा नदी पर स्थित कर्नाटक और आंध्र प्रदेश कि संयुक्त परियोजना, सिंचाई और विद्युत् उत्पादन इसके मुख्य उद्देश्य है.
Nagarjuna sagar dam:- आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी पर बनी इस परियोजना का नामकरण प्रसिध्द बौध्द संत नागार्जुन के नाम से किया गया. इसका मुख्य उद्देश्य सिंचाई एवं विद्युत् उत्पादन है. इससे लाभान्वित राज्य कर्नाटक और आंध्र प्रदेश है.
भाखड़ा-नांगल परियोजना:- इस बाँध के पीछे बनी झील का नाम गोविन्द सागर है जो की Ⓜसिखों के 10वे गुरु गोविन्द सिंह के नाम से है. इसकी सहायक इंदिरा गाँधी परियोजना के तहत राजस्थान तक इंदिरा नहर का विकास किया गया है. जो की भारत की सबसे बड़ी नहर प्रणाली है. इसका मुख्य उद्देश्य सिंचाई एवं विद्युत् उत्पादन है. पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा इससे लाभान्वित होने वाले राज्य है.
थीन बाँध परियोजना (जमनालाल बजाज सागर):- पंजाब में रावी नदी पर स्थित है यह परियोजना सिंचाई एवं विद्युत् उत्पादन इसका मुख्य उद्देश्य है।
चम्बल घाटी परियोजना :- चम्बल नदी में स्थित मध्य प्रदेश एवं राजस्थान की संयुक्त परियोजना, इस योजना के तहत मध्य प्रदेश में गाँधी सागर और राजस्थान में राणा प्रताप सागर , जवाहर सागरएवं कोटा बैराज बांधों का निर्माण किया गया है. इसका मुख्य उद्देश्य मृदा संरक्षण , सिंचाई एवं विद्युत् उत्पादन है. इससे लाभान्वित राज्य मध्य प्रदेश और राजस्थान है.
नर्मदा घाटी परियोजना :- इसके तहत 5 बड़े बांधों का निर्माण किया गया है.
1- रानी अवन्ती सागर (बरगी बाँध), 2- इंदिरा सागर, 3- सरदार सरोवर बाँध, 4- महेश्वर बाँध, 5- ओम्कारेश्वर बाँध. इसका मुख्य उद्देश्य सिंचाई, जल-विद्युत् उत्पादन और मृदा संरक्षण है. सरदार सरोवर बाँध मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र व राजस्थान की संयुक्त परियोजना है. मेघा पाटकर द्वारा "नर्मदा बचाओ आन्दोलन(Narmada bachao andolan) " उल्लेखनीय है. पंजाब में सतलुज नदी में स्थित भारत की सबसे बड़ी बहु-उद्देशीय परियोजना है. भूकंपीय क्षेत्र में स्थित यह विश्व का सबसे ऊँचा गुरुत्वीय बाँध है.
प्रमुख तापीय विद्युत गृह (Thermal Power station) तापीय गृह क्षमता बोकारो थर्मल पावर स्टेशन A , झारखंड - 1200 M.W. बोकारो थर्मल पावर स्टेशन B , झारखंड- 630 M.W. चंद्रपुरा थर्मल पावर, झारखंड - 890 M.W. दुर्गापुर थर्मल पावर, पश्चिम बंगाल - 350 M.W.
दुर्गापुर स्टील थर्मल पावर, पश्चिम बंगाल - 1000 M.W. मेज़िया थर्मल पावर, पश्चिम बंगाल - 2340 M.W. कोडरमा थर्मल पावर, झारखंड - 500+500 M.W. रघुनाथपुर थर्मल पावर, पश्चिम बंगाल - 1200 M.W.
प्रमुख जल विद्युत गृह (Hydel Power Station) तेलैया बाँध, झारखंड - 4 M.W. मैथन बाँध, झारखंड - 63.2 M.W. पंचेत बाँध, झारखंड - 80 M.W.
प्रमुख गैस आधारित विद्युत गृह (Gas Power Station) मैथन गॅस टर्बाइन स्टेशन (Maithan Gas Turbine Station), झारखंड - 82 M.W.
दुर्गापुर बैराज़ के दोनो किनारे से नहरें निकाली गयी हैं जिससे पश्चिम बंगाल व झारखंड के कई जिलों में सिंचाई होती है|
Specially thanks to Post and Quiz Creator ( With Regards )
0 Comments