धार्मिक नीति (मोहम्मद बिन तुगलक और हिंदू धर्म)-Religious policy (Mohammed bin Tughluq and Hinduism)
धार्मिक नीति (मोहम्मद बिन तुगलक और हिंदू धर्म)
Religious policy (Mohammed bin Tughluq and Hinduism)
मुहम्मद बिन तुगलक ने अपनी बहु संख्यक हिंदू प्रजा के साथ सहिष्णुता का व्यवहार किया
वह दिल्ली सल्तनत का प्रथम सुल्तान था जिसने योग्यता के आधार पर पद देना आरंभ किया
उसने हिंदुओं को भी उच्च पद पर नियुक्त किया ,साईं राज उसका एक हिंदू मंत्री था ,दक्षिण का नायब वजीर धारा भी हिंदू था।
रतन नामक एक हिंदू को उसने सेहवान( सिंध) का राज्यपाल बनाकर उसे अजीम-उस- सिंध की उपाधि दी,वह हिंदुओं के धार्मिक समारोह और उत्सव में भी भाग लेता था
मुहम्मद बिन तुगलक होली के त्योहार में भाग लेने वाला दिल्ली का प्रथम शासक था
उस के समय में योगी स्वतंत्रतापूर्वक भ्रमण करते थे, साधु को ठहरने के लिए उसने धर्मशाला और गौशाला के निर्माण के लिए आदेश और अनुदान दिया
वह योगीयो से वाद-विवाद करता था,अपने गुजरात प्रवास के दौरान मुहम्मद बिन तुगलक ने अनेक जैन मंदिरों और जैन संतों को भी अनुदान दिया
जैन विद्वान जिनप्रभा सूरी से आधी रात तक बात की और उन्हें अन्य उपहारों के साथ 1000 गाएं दान में दी
इस प्रकार जैन विद्वान जंबू जी के साथ भी वाद विवाद के बाद उन्हें धन आदि भेंट स्वरूप दिया, एक अन्य जैन विद्वान राजशेखर को भी उसने संरक्षण प्रदान किया था
सुल्तान पालिताना (पालीथाना )स्थित शत्रुंजय मंदिर भी गया
मुहम्मद बिन तुगलक और सूफी संत
यद्यपि मुहम्मद बिन तुगलक सूफीवाद में विश्वास नहीं करता था,लेकिन सूफी संतों का बहुत आदर करता था
वह शेख अलाउद्दीन का शिष्य था
मुहम्मद बिन तुगलक दिल्ली सल्तनत का प्रथम शासक था जिसने अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह और बहराइच में सलार मसूद गाजी के मकबरे का दर्शन किया
सुल्तान ने बदायूं में मिरम मुलहीम, दिल्ली में शेख निजामुद्दीन औलिया ,मुल्तान में शेख रुकनुद्दीन ,अजोधन में शेख अलाउद्दीन आदि संतों की कब्र और मकबरे बनवाए
शेख नसीरुद्दीन चिराग ए दिल्ली सुल्तान के विरोधियों में से एक थे
सुल्तान के इस उदार धार्मिक नीति के कारण उलेमा वर्ग ने उसका विरोध किया
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