पूना समझौता 26 सितंबर 1932(Poona Pact September 26, 1932)
पूना समझौता 26 सितंबर 1932
(Poona Pact September 26, 1932)
पूना समझौते का समय-26 सितंबर 1932 पूना समझौता-महात्मा गांधी और भीमराव अंबेडकर के मध्य पूना समझौते का उद्देश्य- निम्न जाति को उच्च जाति के समान सम्मान देना प्रांतीय विधानमंडल में दलित वर्ग के लिए सीटें-71 से बढ़ाकर 147(148) अस्पष्टता विरोधी लीग की स्थापना-सितंबर 1932 हरिजन पत्रिका का प्रकाशन- जनवरी 1933
सांप्रदायिक निर्णय के समय गांधीजी पूना के यरवदा जेल में थे
गांधी जी ने इस घोषणा का प्रबल विरोध किया और अपनी मांगे मनवाने के लिए 20 सितंबर 1932 से जेल में आमरण अनशन पर बैठ गए,अनशन के कारण उनका स्वास्थ्य खराब होने लगा
मदन मोहन मालवीय, डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, पुरुषोत्तम दास और राजगोपालाचारी के प्रयासों से गांधी जी और अंबेडकर के मध्य 26 सितंबर 1932 को एक समझौता हुआ
जिसे पूना समझौता के नाम से जाना जाता है
पूना समझौते के अंतर्गत निम्न प्रावधान रखे गए थे दलित वर्गो के पृथक निर्वाचक मंडल समाप्त कर दिए गए लेकिन प्रांतीय विधान मंडलों में दलित वर्गों के लिए सुरक्षित सीटों की संख्या 71 से बढ़ाकर 147 कर दी गई केंद्रीय विधान मंडल में हरिजनों के लिए सुरक्षित सीटों की संख्या में 18 प्रतिशत की वृद्धि की गई हरिजनों की शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता की व्यवस्था की गई सरकारी नौकरी मे उनकी शैक्षणिक योग्यता के आधार पर उचित प्रतिनिधित्व की व्यवस्था की गई
बाद में यही पूना पैक्ट स्वतंत्र भारत के संविधान में दलित वर्ग के लिए आरक्षण पद्धति के लिए आधार बना था
गांधीजी और हरिजनोंत्थान अथवा हरिजन अभियान
पूना समझौते के बाद सितंबर 1932 में गांधी जी ने हरिजन कलयाण हेतु अखिल भारतीय समाज विरोधी लीग अथवा अस्पृश्यता विरोधी लीग की स्थापना की
जनवरी 1933 में हरिजन नामक साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन किया
अक्टूबर 1934 को गांधी जी ने अपने को सपने राजनीति से अलग कर हरिजनोंत्थान से जोड़ लिया था
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