प्रथम गोलमेज सम्मेलन (12 नवंबर 1930 से 19 जनवरी 1931)
First Round Table Conference (12 November 1930 to 19 January 1931)
स्थान-सेंट जेम्स पैलेस (लंदन) उद्घाटन- जॉर्ज पंचम अध्यक्षता- ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्जे मैकडोनाल्ड प्रतिनिधियों की संख्या- 89
लंदन में आयोजित हुआ प्रथम गोलमेज सम्मेलन अथार्थ यह पहली ऐसी वार्ता थी जिस में ब्रिटिश शासकों द्वारा भारतीयों को समानता का दर्जा दिया गया प्रथम गोलमेज सम्मेलन 12 नवंबर 1930 से 19 जनवरी 1931 तक आयोजित किया गया था
इस गोलमेज सम्मेलन में राजस्थान के दो शासक सम्मिलित हुए थे 1 महाराजा गंगा सिंह(बीकानेर) 2 महाराजा जयसिंह(अलवर)
27 मई 1930 को साइमन कमीशन की रिपोर्ट प्रस्तुत की हुई राजनीतिक संगठन की सिफारिशों को अस्वीकार कर दिया कांग्रेस के प्रमुख नेता जेल में थे ब्रिटिश सरकार में निराशा और असंतोष के वातावरण में नवंबर 1930 में प्रथम गोलमेज सम्मेलन बुलाया था ,इस सम्मेलन में कुल 89 प्रतिनिधियों ने भाग लिया
इसमें मुख्य रूप से निम्न प्रतिनिधि शामिल हुए थे है
हिंदू महासभा-जयकर और बी.एस.मुंजे उदारवादियों-सी. वाई. चिंतामणी और T.V.सप्रू मुस्लिम- आगा खाँ ,मोहम्मद शफी, मोहम्मद अली जिन्ना और फजलुल हक सिक्खो-सरदार संपूर्ण सिंह एग्लो इंडियन-के.टी.पाल दलित वर्ग-डॉक्टर भीमराव अंबेडकर देसी रियासतों-16 नरेशों
आदि प्रतिनिधियों ने प्रथम गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया था
इस सम्मेलन में कांग्रेस के एक भी व्यक्ति ने भाग नहीं लिया था
ब्रेल्सफोर्ड के अनुसार सेंट जेम्स पैलेस में भारतीय नरेश और दलित वर्ग ,हिंदू ,सिख, इसाई ,जमीदार, श्रमिक संघ और वाणिज्य संकाय संघों के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए थें,लेकिन भारत माता वहां उपस्थित नहीं थी
12 नवंबर 1930 को ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज पंचम ने सम्मेलन का उद्घाटन किया
ब्रिटिश प्रधानमंत्री मैकडोनाल्ड ने प्रथम गोलमेज सम्मेलन का सभापतित्व किया
सम्मेलन में भारतीय नरेशों ने अखिल भारतीय संघ की स्थापना के लिए ब्रिटिश भारत में सम्मिलित होने का प्रस्ताव कर सबको चकित कर दिया
मुस्लिम प्रतिनिधियों ने पृथक निर्वाचन मंडल की मांग रखी थी
इसी तरह अंबेडकर ने भी दलित वर्गों के लिए पृथक निर्वाचन मंडल की मांग की थी लेकिन उपस्थित प्रतिनिधियों में एकता का भारी अभाव था
इस सम्मेलन के निष्कर्ष बाद में प्रकाशित हुए जिसके द्वारा ब्रिटिश सरकार अखिल भारतीय संघ का निर्माण ,प्रदेशों में पूर्ण उत्तरदायी शासन और केंद्र में द्वैध शासन पर सहमत हुई
जनवरी 1931 में कांग्रेस कार्यकारिणी समिति ने कहा कि कांग्रेस गोलमेज सम्मेलन की कार्यवाही को मान्यता देने के लिए तैयार नहीं है ,क्योंकि इसमें भारतीय जनता का प्रतिनिधित्व नहीं है
लार्ड इरविन ने 26 जनवरी 1931 को गांधी जी को जेल से रिहा कर देश में सौहार्द का वातावरण उत्पन्न करना चाहा
तेज बहादुर सप्रू जयकर के प्रयत्नों से गांधीजी और लार्ड इरविन के मध्य 17 फरवरी से दिल्ली में वार्ता आरंभ हुई
5 मार्च 1931 को एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए जो गांधी इरविन समझौते के नाम से जाना जाता है
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