प्रथम फिल्ड मार्शल के. एम. करिअप्पा( First Field Marshal K. M. Kariappa)
प्रथम फिल्ड मार्शल के. एम. करिअप्पा
( First Field Marshal K. M. Kariappa)
?जीवन परिचय? पूरा नाम फिल्ड मार्शल कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा है। भारतीय सेना के
"प्रथम कमाँडर इन चिप"थेआपका जन्म28 जनवरी 1829 को कर्नाटक
के कोडागु(कुर्ग) मेँ शनिसोथि नामक स्थान पर हूआ।कूर्ग उस समय
एक रियासत थी।आपके पिता कोडंडेरा माडिकेरी मे एक राजस्व
अधिकारी थे।आपके अलावा आपके तीन भाई ओर दो बंहने थी।आपके
सभी परिवार सदस्य आपको "चिम्मा"कहकर पूकारते थे।आप बच्चपन से
ही मेघावी थे आपके गणित ओर चित्रकला विषय सबसे प्रिय थे।
??शिक्षा?- आपकी प्रारम्भिक शिक्षा माडिकेरी के एक सेन्ट्रल हाई स्कूल मे हुई।आपकी स्कूली शिक्षा सन1917पुरी हूई।आपने आपके आगे की पढ़ाई के लिये उसी साल आपने कर्नाटक के प्रसीडेँन्सी काँलेज मे दाखिला लिया काँलेज के जीवन मे आपको कई विद्वान अध्यापक मिले जिनका आप पर गहरा प्रभाव पड़ा ओर उन्हीं के मार्गदर्शन मे आपका किताबो के प्रति लगाव बढ़ा। पढाई के साथ -साथ आप क्रिकेट हाँकी ओर टेनिस के अच्छे खिलाड़ी भी थे।काँलेज की शिक्षा पुरी करने के बाद आपका चयन सेना मे अधिकारी के तोर पर हो गया।
कैरियर(Army)- प्रथम विश्व युद्ध के बाद भारतीय राष्ट्रवादियो ने ब्रिटिश सरकार से भारतीयों को भी सेना मे कमिशन देने की माँग कि जिसे मान लिया गया।सख्त जाँच ओर प्रशिक्षण के बाद आपको उस प्रथम दल मे शामिल कर लिया गया।जिसे कमोड प्रि-प्रशिक्षण दिया जाना था सन1919 (KCIOS) king's commissined indin officersके पहले दल मे सम्मिलित किये गये जिन्है इन्दौर के डैली काँलेज मे प्रशिक्षण दिया गया। उसके पश्चात आपको कर्नाटक इन्फेँट्री मे टेम्पररी सेकेण्ड लेफ्टिनेंट कमिशन दिया गया और सन1922मे आपको स्थायी कमीशन दिया गया और आप सेकण्ड लेफ्टिनेंट बनाये गये तत्पश्चात 1923मे आपको लेफ्टिनेंट के पद पर पदोन्नत किया गया सन1927मे आपको कैप्टन कै पद पर पदोन्नत कर दिया गया परन्तु इस पदोन्नति को सन1931तक सरकारी तोर पर राजपत्रित नही किया गया आप 37 *(प्रिन्स आफ वेल्स) डोगरामे इराक रहे बाद मे 2क्विन विक्टोरिया ओन राजपूत लाइट इन्फेन्ट्ररी मे आपने सेवा दी।आपने सन 1933 मे क्वेट्रो के स्टाफ काँलेज मे प्रशिक्षण कोर्स करने वाले पहले भारतीय अधिकारी बने। सन1938मे आपको मेजल के पद पर पल पदोन्नत किया गया। आपको अगले साल ही स्टाफ कैप्टन बना दिया गया।आपको 1941-42 मे इराक सिरिया और ईरान मे तैनात किया गया और 1943-44 मे आपने बर्मा मे अपनी सेवा दी आप पहले भारतीय अफसर थे जो 1942 मे आपको बटालियन कमाँडर बनाया गया1944 मे आपको स्थायी लेफ्टिनेंट बना दिया गया 1946 मे आप पदोन्नत पाकर ब्रिगेडियर बने आप पहले भारतीय अफसर है जो युद्ध से सम्बन्धित कोर्स इम्पीरियल डिफेन्स काँलेज यू.के. मे करने गये इसके बाद आपको 1947 मे डिप्टी चीफ आफ जनरल स्टाफ के पद पर नियुक्त किया गया तथा रेँक मेजर जनरल का दिया गया।इसके बाद आप 1948 मेआप पदोन्नत पाकर लेफ्टिनेट जनरल पुर्वी कमान तथा पश्चिम कमान के रहे।15जनवरी 1949 को आपको प्रथम भारतीय कमाँडर इन चीफ आफ इन्डियन मिलेट्री के पद पर नियुक्त किया गया और आपने तत्कालीन अँग्रेज कमाण्ड र इन चीफ जनरल सर रायबचूर से चार्ज ग्रहण किया आपने।1953मे आप भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हो गये इसके बाद मे आप आस्ट्रलिया व न्यूजीलेण्ड मे 1956 तक हाई कमिश्नर रहे।
☘?सहयोग- ☘ सन1947भारत के विभाजन के समय आपको सेना के बंटवारे की जिम्मेदारी सोपी गयी थी जिसे आपने अपनी पुरी निष्ठा, न्यायोचित ओर सोहार्दपुर्ण से पुरी कि आप एक वरिष्ठ अनुभवी अधिकारी होने के नाते आपने कई देशों की सेनाओ के पुनर्गठन मे भी सहायता कि आपने चीन, जापान, अमेरिका, ग्रेट ब्रिटेन, कनाडा और कई युरोपिय देशों की यात्रा कि अमेरिका के राष्ट्रपति हेरी एस.टुमैन ने आपको "आर्डर आँफद चीफ कमाँडर आँफ द लिजन आँफ मेरिट"( Order of british Empire Legion of Merit)से सम्मानित किया गया। सेवानिवृत्त के बाद भी आपने1965 व1971 मे भारत पाकिस्तानी युद्ध के समय फ्रन्ट लाइन पर गये और वहाँ जाकर अपने जवानों का मनोबल बढ़ाया।
विचार- सन1965 की लडाई मे आपका बेटा जो वायुसेना मे पायलट था। उसके हवाई जहाज को गिराकर पाकिस्तान ने कैद करके पी.ओ.डब्ल्यू. कैम्प मे रखा था।जब इस बात का पता जनरल अयूब खाँ को चला तो उन्होंने जनरल करिअप्पा को सूचित किया कि हम आपके बेटे को पी.डब्ल्यू. कैम्प मेँ न रखकर अलग रख रहे हैँ क्योंकि जनरल अयूब खाँ और जनरल करिअप्पा ब्रिटिश भारत मेँ साथ-साथ अफसर रहे थे। लेकिन करिअप्पा ने विनम्रता पूर्वक यह प्रस्ताव ठुकरा दिया और कहा कि भारतीय फौज का प्रत्येक सिपाही हमारा बेटा है इसलिए हम अपने बेटे के लिए विशेष सुविधा नहीं चाहते है।
युद्ध- सन1947 मे भारत पाकिस्तान युद्ध के समय आपको पश्चिमी कमान का जी.ओ.सी.इन बनाया गया।आपके नेतृत्व मे जोजीला, द्रास, ओर कारगिल पर पुनः कब्जा किया गया।आपने कठिन परिस्थितियों मे भी स्फूर्ति से अपनी सेना का नेतृत्व किया आपने सेवा निवूत्ति के बाद 1965 व 1971 मे भारत पाकिस्तान यूद्ध के समय फ्रन्ट लाइन पर वहाँ जाकर अपने जवानों का मनोबल बढ़ाया। आपकी सराहनीय सेवाओं को देखते हुए भारत सरकार ने 14 जनवरी 1986को 87 की आयु मे आपको फिल्ड मार्शल बनाया गया।
जीवन का अन्तिम समय आप (के. एम.करिअप्पा) सेवानिवृत्त के बाद कर्नाटक के कोडागु जिले के मदिकेरी मे बस गये।आप प्रकूति प्रेमीथे ओर आप ने लोगों को पर्यावरण संरक्षण के बारे मे बताया आपका निर्धन15 मई1993 को कर्नाटक कि राजधानी बैगलोर मे हो गया मूत्यु के समय आपकी आयु 94 साल थी।
आज हमारे अन्दर बस एक ही इच्छा होनी चाहिए, मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके! एक शहीद की मौत मरने की इच्छा ताकि स्वतंत्रता का मार्ग शहीदों के खून से प्रशश्त हो सके| जय हिन्द?
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