a) स्वच्छ भारत मोबाइल एप्लीकेशन - “स्वच्छ भारत मोबाइल एप्लीकेशन” नागरिकों को विश्वसनीय व वांछित स्वास्थ्य संबंधी सूचनाएं प्रदान कर उन्हें सशक्त करेगा। यह एप्लीकेशन स्वस्थ जीवनशैली, बीमारियों की पूरी जानकारी, लक्षण, उपचार के विकल्प, प्राथमिक उपचार और जन स्वाथ्य चेतावनियों से अवगत कराएगा। यह एंड्रोयड आधारित मोबाइल एप्लीकेशन है जिसे 2.3 या अधिक वर्जन वाले एंड्रोयड ओएस में इंस्टॉल किया जा सकता है। जल्द ही यह एप्लीकेशन दूसरे प्लेटफॉर्मों के लिए भी जारी किया जाएगा।
b) एएनएम ऑनलाइन एप्लीकेशन (अनमोल) – अनमोल टेबलेट आधारित एप्लीकेशन है जो एएनएम को अपने दायरे में आने वाले लाभार्थियों से संबंधि आंकड़ों को अपडेट करने की सुविधा प्रदान करता है। स्वास्थ्य सेवा प्रदाता द्वारा स्वयं आंकड़ों को इसमें फीड करने और उसमें बदलाव करने के विकल्प से आंकड़े त्वरित गति से अपडेट हो सकेंगे। यह एप्लीकेशन आधार से जुड़ा है ऐसे में कार्यकर्ता और लाभार्थी दोनों के रिकॉर्ड को प्रमाणित करने में मदद मिलेगा।
c) ई-रक्तकोष पहल – यह इंटिग्रेटेड ब्लड बैंक मैनेजमेंट इंफोर्मेशन सिस्टम है जिसे इसके सभी साझेदारों के साथ कई परामर्श के बाद तैयार किया गया है। वेब-आधारित यह तकनीकी प्लेटफॉर्म राज्य के सभी ब्लड बैंकों को एक साथ जोड़ देगा। इंटिग्रेटेड ब्लड बैंक एमआईएस रक्तदान व ट्रांसफ्यूजन सेवाओं से जुड़ी सूचनाओं तथा रक्त की उपलब्धता, मान्यता, भंडारण व अन्य तरह के आंकड़ों के प्रवाह को सुनिश्चित करेगा। इस व्यस्था से विविध तरह के आंकड़ों को सुस्पष्ट रिपोर्टों में तब्दील करने में मदद करेगा।
d) इंडिया फाइट डेंगू- 2016 में जारी यह एप्लीकेशन समुदाय के लोगों को डेंगू से लड़ने व उसकी रोकथाम के तरीकों के बारे में बताता है।
e) किलकारी-, एक ऐसा एप्लीकेशन है जो गर्भावस्था की दूसरी तिमाही से शिशु की एक वर्ष की आयु तक, शिशु जन्म व शिशु की देखभाल से संबंधित उपयुक्त समय पर मुफ्त, साप्ताहिक, 72 ऑडियो संदेश परिवार के मोबाइल फोन पर उपलब्ध कराता है। इसे झारखंड, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड व मध्य प्रदेश तथा राजस्थान के उच्च प्राथमिकता वाले जिलों में शुरू किया गया है।
f) मोबाइल एकेडमी-, आशा कार्यकर्ताओं के ज्ञान को विस्तारित व तरोताजा करने व उनकी संवाद कौशलता को निखारने के मकसद से तैयार किया गया ऑडियो प्रशिक्षण पाठ्यक्रम है। यह आशा कार्यकर्ताओं को उनके मोबाइल फोन के जरिये किफायती और प्रभावी तरीके से प्रशिक्षित करता है। इससे वह बिना कहीं गए अपनी सुविधा के अनुसार सुनकर सीख सकती हैं। इसे झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान व उत्तराखंड में शुरू किया गया है।=
g)एम-सेसेशन उन लोगों के लिए है जो तंबाकू उत्पादों का सेवन छोड़ना चाहते हैं। यह उन्हें मोबाइल फोन के जरिये संदेश भेजकर इस दिशा में मदद करता है। यह पारंपरिक तरीकों से कहीं ज्यादा किफायती है। दुनिया में ऐसा पहली बार है जिसमें एम-स्वास्थ्य पहल के जरिये इस तरह की दो तरफा सेवाएं प्रदान की जा रही हैं।
h)राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल (एनएचपी) - भारत के नागरिकों को स्वास्थ्य से जुड़ी सभी तरह की सूचनाएं एक ही प्लेटफॉर्म के जरिये पहुंचाने के लिए शुरू किया गया है।
i) ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन सिस्टम (ओआरएस): यह देशभर के विभिन्न अस्पतालों में आने वाले मरीजों को आधार पर आधारित ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करने तथा अप्वाइंटमेंट देने की व्यवस्था है। हॉस्पिटल मैनेजमेंट इंफोर्मेशन सिस्टम (एचएमआईएस) के जरिये अस्पताल के ओपीडी रजिस्ट्रेशन को डिजिटलाइज किया गया है। यह पोर्टल मरीजों को उनके आधार नंबर में दर्ज मोबाइल नंबर के आधार पर विभिन्न अस्पतालों के विभागों में निर्धारित भेंट के लिए अप्वाइंटमेंट देता है।
j)राष्ट्रीय ई-स्वास्थ्य प्राधिकरण (नेहा) स्वास्थ्य संबंधी सूचनाओं को एकीकृत करेगा। यह अस्पतालों के आईटी सिस्टम और जन स्वास्थ्य व्यवस्था के बीच अनियोजन से आने वाली समस्या को दूर करने में मदद करेगा। यह मरीजों के स्वास्थ्य संबंधी सूचनाओं व आंकड़ों की सुरक्षा व निजता से संबंधित कानून व नियमन को लागू कराएगा। इसमें मरीज के इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य आंकड़े का प्रावधान होगा।
k)एम-डाइबिटिज पहल मोबाइल टेलीफोन के वृहद नेटवर्क की ताकत व क्षमता का लाभ उठाने के मकसद से शुरू किया गया। इसमें 011-22901701 नंबर पर मिस्ड कॉल करके डाइबिटिज से जुड़ी सूचनाएं, इसके रोकथाम व प्रबंधन के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। ज्यादा जानकारी के लिए वेबसाइट www.mdiabetes.nhp.gov.in से भी सूचनाएं ली जा सकती हैं।
L)प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिल कार्यक्रम- प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिल कार्यक्रम के अंतर्गत गरीब लोगों को मुफ्त डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए राज्यों को सहयोग उपलब्ध कराया जाएगा। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के जिला अस्पतालों में पीपीपी मोड के आधार पर डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए 27 अप्रैल, 2016 को दिशानिर्देश भेजे गए हैं। दिशानिर्देश के मुताबिक निजी साझेदार को चिकित्सकीय मानवसंसाधन, डायलिसिस मशीन उपलब्ध करानी होगी, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग आरओ का पानी के लिए संयंत्र, डाइलेजर व दवाइंया देगा जबकि राज्य सरकार जिला अस्पतालों में जगह, बिजली व पानी का आपूर्ति मुहैया कराएंगी। सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम के कार्यक्रम क्रियान्वयन योजना 2016-17 को लागू करने के लिए प्रस्ताव मांगे गए हैं।
M) राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस (एनडीडी) - स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की एक प्रमुख पहल के तहत 10 फरवरी, 2016 राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस के रूप में मनाया गया। यह विश्व में सबसे बड़ा एक दिवसीय सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियान था, जिसके तहत 1-19 आयु वर्ग के लगभग 27 करोड़ बच्चों को कृमि से मुक्ति की दवाई खिलाने का लक्ष्य रखा गया। यह अभियान स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों के मंच द्वारा चलाया गया। इसके लिए लक्षित जनसंख्या में देश के 561 जिलों के 1-5 आयुवर्ष तथा 6-19 आयुवर्ष के क्रमशः 8 करोड़ और 19 करोड़ बच्चों को रखा गया। 900,000 से अधिक शिक्षा और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने करोड़ों बच्चों को स्कूलों और आंगनवाड़ी केन्द्रों में एलबेंडेजोल गोली खिलाई। इसमें 14 राज्यों के 137 जिलों को शामिल नहीं किया गया जिन्हें पहले ही यह दवा खिलाई जा चुकी है। N) परिवार नियोजन
नए विकल्प: राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम में तीन नई विधियों को शामिल किया गया है:
इंजेक्शन से लिया जाने वाला गर्भनिरोधक डीएमपीए (अंतारा) - तीन महीने में एक बार
सेंटक्रोमैन गोली (छाया) – गैर-हार्मोनयुक्त जिसे सप्ताह में एक बार लिया जाना है।
प्रोजेस्टिन युक्त गोलियां (पीओपी) – स्तनपान करने वाली माताओं के लिए
संवर्धित गर्भनिरोधक पैकेज: गर्भनिरोधक उपायों जैसे कि कंडोम, गर्भनिरोधक गोलियां व आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियों की पैकेजिंग की डिजाइन में बदलाव किया गया है और उन्हें और आकर्षक बनाया गया ताकि इन उत्पादों की मांग में वृद्धि हो सके।
परिवार नियोजन का नया मीडिया अभियान: परिवार नियोजन के प्रति जागरुकता के लिए 360 डिग्री की सूचना संचार के साथ नया अभियान शुरू किया गया है जिसमें एक नए लोगो के साथ श्री अमिताभ बच्चन को इसका ब्रांड एंबेस्डर बनाया गया है।
नए टीकाओं की शुरुआत a) रोटा वायरस टीका: बच्चों में रोटा वायसर की वजह से होने वाली अस्वस्थता व मृत्यु को कम करने के लिए गठित विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के मद्देनजर शुरुआती चरण में चार राज्यों हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, आंध्र प्रदेश व हरियाणा में अप्रैल 2016 से रोटा वायरस टीकाकरण को संपूर्ण टीकाकरण में शामिल किया गया है।
b) वयस्क जेई टीकाकरण: उन जिलों में जहां वयस्क आबादी में जापानी इंसेफ्लाइटिस (जेई) बीमारी बड़े पैमाने पर फैलती है वहां जेई टीकाकरण को वयस्कों तक विस्तारित किया गया है। हाल में असम, उत्तर प्रदेश व पश्चिम बंगाल के अधिक बीमारी वाले 21 जिलों को वयस्क जेई टीकाकरण के लिए चिन्हित किया गया है। असम के 3 जिलों (दरांग, नौगांव व सोनितपुर) व पश्चिम बंगाल के 3 जिलों (दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार) के चिन्हित प्रखंडों में वयस्क जेई टीकाकरण अभियान को पूरा किया गया है। उत्तर प्रदेश के 6 जिलों के चिन्हित प्रखंडों में यह अभियान चल रहा है।
मिशन इंद्रधनुष
मिशन इंद्रधनुष का दूसरा चरण जनवरी 2016 में 352 जिलों में चला। तीसरा चरण अप्रैल से जुलाई 2016 के बीच देशभर के 216 जिलों में चलाया गया।
तीसरे चरण के दौरान 2.8 करोड़ बच्चों का टीकाकरण किया गया जिसमें 54.5 लाख बच्चों का संपूर्ण प्रतिरोधन हुआ। इसके अतिरिक्त, 55.4 लाख गर्भवती महिलाओं को भी टिटनेस के टीके लगाए गए।
समेकित बाल स्वास्थ्य एवं प्रतिरोधक सर्वेक्षण 2016 के मुताबिक मिशन इंद्रधनुष के शुरू होने के बाद से पूरी तरह से रोग प्रतिरोधक होने का दायरा 5-7 प्रतिशत बढ़ गया है।
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए)
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) का लक्ष्य सुरक्षित गर्भावस्था व सुरक्षित प्रसव के जरिये मातृ व शिशु मृत्युदर को कम करना है। इस राष्ट्रीय कार्यक्रम के जरिए देश भर में लगभग 3 करोड़ गर्भवती महिलाओं को विशेष मुफ्त प्रसव पूर्व देखभाल मुहैया कराई जा रही है, ताकि उच्च जोखिम वाले गर्भधारण का पता लगाने के साथ-साथ इसकी रोकथाम की जा सके। इस देशव्यापी कार्यक्रम के तहत गर्भवती महिलाओं को संपूर्ण व गुणवत्तापूर्ण प्रसवपूर्व देखभाल व जांच के लिए हर महीने की 9 तारीख का दिन निर्धारित किया गया है। गर्भवती महिलाएं अब सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर अपनी दूसरी या तीसरी तिमाही में स्त्री रोग विशेषज्ञों/चिकित्सकों द्वारा मुहैया कराए जाने वाले विशेष प्रसव पूर्व चेक-अप का लाभ उठा सकती हैं। यह सुविधा निजी क्षेत्र के डॉक्टरों के सहयोग से मुहैया कराई जा रही है, जो सरकारी क्षेत्र के प्रयासों के पूरक के तौर पर उपलब्ध होगा। इसमें ग्रामीण एवं शहरी दोनों ही क्षेत्रों में चिन्हित स्वास्थ्य सेवा केंद्रों पर सामान्य प्रसव पूर्व चेक-अप के अलावा अल्ट्रासाउंड, रक्त और मूत्र परीक्षण सहित इन सेवाओं को उपलब्ध कराया जाएगा। इसका एक उद्देश्य उच्च जोखिम वाले गर्भधारण का पता लगाना और इस दिशा में समुचित कदम उठाना है, ताकि एमएमआर और आईएमआर में कमी संभव हो सके।
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