? प्रागैतिहासिक काल ? 1. प्रागैतिहासिक काल :- वह काल जिसका कोई लिखित साक्ष्य उपलब्ध नहीं है। अतः इस काल का इतिहास पूर्णतः उत्खनन में मिले पुरातात्त्विक साक्ष्यों पर निर्भर हैं। पाषाण काल को प्रागैतिहासिक काल में रखा जाता है।
2. आद्य ऐतिहासिक काल :- इस काल की लिखित लिपि तो है पर या तो उसे पढ़ने में सफलता नहीं मिली हैं। या उसकी प्रमाणिकता संदिग्ध हैं। हड़प्पा और वैदिक संस्कृति की गणना आद्य ऐतिहासिक काल में की जाती हैं।
3. ऐतिहासिक काल :- इस काल का इतिहास लिखित साधनों पर निर्भर करता है। इसके पुरातात्त्विक व साहित्यिक विवरण उपलब्ध हैं तथा लिपि पढ़ने में सफलता मिली है। ईसा पूर्व छठी शताब्दी से ऐतिहासिक काल प्रारम्भ होता है।
? पुरापाषाण - काल ? पुरापाषाण -काल को पुनः तीन भागों में विभाजित किया गया है - 1. पूर्व पुरापाषाण काल 2. मध्य पुरापाषाण काल 3. उच्च पुरापाषाण काल
विशेष सारगर्भित सार ? पुरा पाषाणकाल में हथियारों का आविष्कार एक क्रान्तिकारी घटना है। ? पुरा पाषाणकाल के लोग नेग्रिटो जाति के थे। ? सर्वप्रथम राबर्ट ब्रूसफुट ने 1863 ई. में मद्रास के पास स्थित पल्लवरम् नामक स्थान से पुरापाषाण - काल का उपकरण प्राप्त किया जो कि एक हैंन्ड एक्स (हस्त - कुठार) था। ? महाराष्ट्र में बोरीनामक स्थान से हुए उत्खनन में कुछ ऐसे अवशेष मिले हैं, जिनके आधार पर मानव का अस्तित्व 14 लाख वर्ष पहले माना जाता है।
पूर्व पुरापाषाण काल (25 लाख ई.पू. से 1 लाख ई.पू. तक) ▪ ➿ चापर-चपिंग संस्कृति = पाकिस्तान के पंजाब की सोहन नदी घाटी से प्राप्त। ➿ हस्त - कुठार संस्कृति = मद्रास के समीप बदमदुरै तथा अतिरमपक्कम् से प्राप्त किये गये हैं। इस काल के प्रमुख औजार --- हस्त - कुल्हाड़ी (कुठार) --- विदारणी --- गण्डासा (खंडक) --- पेबुल (नदी से प्राप्त गोल मटोल व सपाट पत्थर) --- चापर (गँडासा) --- चापिंग (खंडक)
पुर्व पुरापाषाण काल के स्थल i. सोन नदी घाटी ii. कश्मीर iii. थार का रेगिस्तान (डीडवाना व चित्तोड़गढ़) iv. बेलन घाटी (मिर्जापुर व उत्तर प्रदेश) v. भीमबेटका (नर्मदा घाटी) vi. कोर्टलयार नदी घाटी (तमिलनाडु) vii. पल्लवरम् व अतिरमपक्कम viii. गिद् दलूर व करीम पूड़ी (आन्द्रप्रदेश )
▪ मध्य पुरापाषाण काल ▪ (1लाख ई.पू. से 40000 ई.पू.) इस काल के उपकरण मुख्यतः शल्क (Flake) पर आधारित थे। मुख्य उपकरण - फलक, वेधनी, वेधक, शल्क से बनी हुई खुरचनी आदि
⚜ मध्य पुरापाषाण काल के स्थल ⚜ i. महाराष्ट्र में नवासा ii. बिहार की सिंहभुमि iii. उत्तर प्रदेश में चकिया , iv. सिंगरोली, बेलन घाटी v. मध्य प्रदेश में भीमबेटका vi. राजस्थान में बागन, बेराची, व कादमली घाटियाँ vii. गुजरात में सौराष्ट्र viii. हिमाचल प्रदेश में व्यास बाणगंगा व सिरस्का घाटी भीमबेटका की गुफाओ से भारत में गुफा चित्रकारी के प्राचीनतम साक्ष्य मिले हैं।
उत्तर (उच्च) पुरापाषाण काल (40,000 ई.पू. से 10,000 ई.पू. तक) उत्तर पुरापाषाण काल के औजार फलकपर आधारित थे। यह फलक एवं तक्षणी संस्कृति थी। विशेष - ब्लेड के उपकरणों के निर्माण में चर्ट, जैस्पर, फ्लिण्ट आदि बहुमुल्य पत्थरों का उपयोग किया गया है।
⚜ उच्च पुरापाषाण काल के स्थल ⚜ i. सिंहभुमि (झारखंड), जोगदहा, ii. भीमबेटका, बबुरी, रामपुर, iii. बाघोर (मध्य प्रदेश) इनाम गांव (महाराष्ट्र), शोरापुर दोआब (कर्नाटक), iv. बूढ़ा पुष्कर (राजस्थान ), v. बेटमचेर्ला (आन्र्दप्रदेश) विशेष- उच्च पुरापाषाण काल की हड्डी की बनी मातृ देवी की प्रतिमा इलाहाबाद की बेलनघाटी में स्थित लोहदा के नाले से प्राप्त हुई है। चकमक उद्योग की स्थापना। आधुनिक स्वरूप वाले मानव यानी होमो सेपियन्स का उदय
? मध्य पाषाणकाल (9000 ई.पू. से 4000 ई.पू.) मध्य पाषाणकाल में माइक्रोलिथिक सूक्ष्म पाषाण उपकरण हैं। पशुपालन के सर्वप्रथम साक्ष्य। बागोर (भीलवाड़ा) से मिला नरकंकाल।
⚜ मध्य पाषाणकाल के प्रमुख स्थल ⚜ i. लघनाज (गुजरात) ii. नागार्जुनकोंडा, गिद्दलूर, रेनिगुन्टा (आन्ध्र प्रदेश) III. संगनकल्लू (बेल्लारी-कर्नाटक) iv. तिन्नेवेल्लि (तमिलनाडु) v. वीरभानपुर (बर्दमान - पं. बंगाल) vi. भीमबेटका एवं आदमगढ़ (मध्य प्रदेश) vii. सराय नाहर राय, महदहा और दमदमा (उत्तर प्रदेश) viii. तिलवाड़ा और बागोर (राजस्थान) विशेष- भारत में अग्नि का प्रयोग मध्य पाषाणकाल के अन्तिम चरण या नवपाषाण काल में हुआ था। भीमबेटका के अतिरिक्त आदमगढ, प्रतापगढ और मिर्जापुर से भी मध्य पाषाणकाल की चित्रकला के साक्ष्य मिले हैं।
?▪ नव पाषाणकाल ▪? (4000 ई.पू. से 1000 ई.पू.) भारत में नव पाषाणकाल के स्थल की प्रथम खोज लेन्मेसुरियर ने 1860 ई. में टोन्स नदी घाटी (उत्तर प्रदेश ) में की। भारतीय उपमहाद्वीप में नवपाषाण काल की प्राचीनतम बस्ती 7000ई.पू.को बलूचिस्तान के मेहरगढ़ में हैं। नव पाषाणकाल में कृषि की सर्वप्रथम शुरूआत हुई। इस काल की सबसे बड़ी खोज गेहूँ मानी जाती है। मेहरगढ़ में कृषि के प्राचीनतम साक्ष्य मिले हैं। बोलन नदी के किनारे स्थित मेहरगढ़ में गेहूँ व कपास की खेती होती थी। पालतू भैंस का प्राचीनतम साक्ष्य मेहरगढ़ से प्राप्त हुआ है। इस काल के उपकरण पालिश किए हुए पत्थरों के बने हैं। पत्थर की कुल्हाड़ी नव पाषाणकाल का प्रमुख औजार है। कश्मीर में नवपाषाणकालिन संस्कृति के प्रमुख स्थल बुर्जहोम एवं गुफ्फककराल हैं। बुर्जहोम में कब्र में पालतू कुत्तों को मालिक के शव के साथ दफनाया जाता था। यहां के लोग खुरदरे धूसर मृदभान्ड का उपयोग करते थे। बुर्जहोम का अर्थ जन्म स्थान हैं।
⚜ नव पाषाणकाल के प्रमुख स्थल ⚜ i. बुर्जहोम एवं गुफ्फकराल (कश्मीर) ii. चिरान्द (छपरा बिहार) iii. कोल्डीहवा, महगड़ा तथा पंचोह (सभी इलाहाबाद) कोल्डीहवा में चावल (धान) का प्राचीनतम साक्ष्य iv. मास्की, ब्रह्मगिरी, संगनकल्लू, हल्लूर, कोडैकल, टी. नरसिंहपुर, टेक्कल कोटा (सभी कर्नाटक) v. नागार्जुनकोंडा, उतनूर, पलवोय, संगनपल्ली (सभी आन्ध्र प्रदेश) vi. पेयनपल्ली (तमिलनाडु)
नव पाषाणकाल काल की प्रमुख विशेषता ? कृषि की शुरूआत ? जानवरों को पालतू बनाना ? स्थिर ग्राम्य जीवन ? नवपाषाण काल के लोग रागी व कुलथी उगाते थे। ? नवपाषाण काल में नाव का निर्माण कार्य शुरु। ? पूर्णतः पत्थर के बने औजारों का प्रयोग। ? निवास स्थान पहाड़ियों के आस पास ही बनाते थे। ? असम एवं गारो पहाड़ियों पर भी नव पाषाणकाल के उपकरण मिले हैं। ? आदिचन्नल्लूर में ऐसी बहुत सी कब्रे मिली है जिनमें शवों की हड्डियाँ पात्रों में रख कर दबाई जाती थी। क ? मृदभान्ड सर्वप्रथम नवपाषाण काल में बनने लगे। ? कर्नाटक के पिक्कलीहल में भस्म टीले पाये गए हैं। ? कोल्डीहवा एकमात्र ऐसा नवपाषाण कालीन स्थाल हैं, जहाँ से 6000 ई.पू. का चावल (धान) का प्राचीनतम साक्ष्य प्राप्त हुआ है। ? इस काल के उपकरण पालिश किए हुए पत्थरों के बने हैं। ? पत्थर की कुल्हाड़ी नव पाषाणकाल का प्रमुख औजार है। ? मेहरगढ़ में कृषि के प्राचीनतम साक्ष्य मिले।
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