मोहम्मद गौरी के समय में उसके एक सरदार इख्तियारुद्दीन मोहम्मद बख्तियार खिलजी ने पूर्व में तुर्की (Turkey) सत्ता की स्थापना की उसने बिहार से आगे बढ़कर नदिया( Bengal) और लखनौती पर अधिकार कर लिया था
इस समय बंगाल में Pal Dynasty का शासक लक्ष्मण सेन था और इसकी राजधानी नदिया थी
Bakhtiyar khilji ने नदिया पर आक्रमण किया और लखनौती को अपनी राजधानी बनाया था
अली मर्दान खाँ ने बख्तियार खलजी की हत्या कर दी और अपने आप को स्वतंत्र घोषित कर लखनौती पर अधिकार कर लिया।,लेकिन उसकी स्थिति सुदृढ़ नहीं थी
खलजी सरदार उसके विरुद्ध विद्रोह करने लगा है खलजी सरदारों ने अली मर्दान को कैद कर उसके स्थान पर मुहम्मद शेराँ को गद्दी पर इस शर्त पर बिठाया कि वह Delhi की अधीनता कभी स्वीकार नहीं करेगा
अली मर्दान किसी तरह केंद से भागने में सफल रहा और कुतुबुद्दीन ऐबक से जा मिला
कुतुबुद्दीन ऐबक को बंगाल अपने नियंत्रण में लेने का यह सुनहरा अवसर था
कुतुबुद्दीन ऐबक के इक्तेदार कैमाज रुमी जो उस समय अवध का सरदार था ने मुहम्मद शेराँ को पराजित कर अली मर्दान को पुनः बंगाल का इक्तादार(सूबेदार )बनाया
पुन: गद्दी प्राप्त करने के बाद अली मर्दान अपने अंतिम समय तक कुतुबुद्दीन एबक के प्रति स्वामी भक्त रहा और बंगाल दिल्ली सुल्तान के अधीन हो गया
राजपूत राज्य पर नियंत्रण और कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु
मोहम्मद गौरी की मृत्यु का लाभ उठाकर राजपूत राज्यों ने अपने आप को स्वतंत्र कर दिया था
कालिंजर और ग्वालियर तुर्को के हाथ से निकल गए थे और बदायूं और Farrukhabad से तुर्को को निकाल दिया गया था
कुतुबुद्दीन ऐबक को इन राजपूतों के विद्रोह का सामना करना था लेकिन अकस्मात मृत्यु के कारण वह इस क्षेत्र में निर्णायक कार्यवाही नहीं कर सका
कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु 1210 ईस्वी में लाहौर में चौगान खेलते समय घोड़े से गिरकर हो गई थी
कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु के बाद उसके शरीर को लाहौर में ही दफनाया गया था
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