बंगाल में क्रांतिकारी आंदोलन(Revolutionary movement in Bengal)

बंगाल में क्रांतिकारी आंदोलन


(Revolutionary movement in Bengal)



  • इस दौरान बंगाल एक बार फिर क्रांतिकारी आतंकवाद की गतिविधियो का प्रमुख केंद्र बन गया

  • अनुशीलन और युगांतर जैसीपुरानी क्रांतिकारी समितियां फिर से सक्रिय होने लगी बहुत समितियों का गठन किया गया

  • इनमें हेमचंद्र घोष और लीला नाग द्वारा गठित बंगाल स्वयंसेवक अथवा बी. की. पार्टी और अनिल राय द्वारा गठित श्री संघ चर्चित रहे

  • चितरंजन दास की मृत्यु के बाद बंगाल में कांग्रेसी नेतृत्व दो खेमों में बट गया था

  • एक खेमे के नेता थे सुभाष चंद्र बोस और दूसरे खेमे के नेता थे जे.एम.सेन गुप्ता

  • युगांतर गुट सुभाष के साथ हो गया और अनुशीलन गुट जे.एम. सेन गुप्ता के साथ था

  • जनवरी 1924 ईस्वी में गोपीनाथ साहा ने कलकत्ता के बदनाम पुलिस कमिश्नर चार्ल्स टेगार्ड की हत्या का प्रयास किया

  • लेकिन गलती से एक अंग्रेज "डे" मारा गया इस कारण साहा को फांसी दे दी गई


चटगांव आर्मरी रेड

समय-18 अप्रैल 1930 प्रमुख नेता-सूर्यसेन (मास्टर दा)

  • बंगाल के नए क्रांतिकारी संगठनों में सूर्य सेन द्वारा स्थापित इंडियन रिपब्लिकन आर्मी का विशिष्ट स्थान था

  • सूर्य सेन ने असहयोग आंदोलन में सक्रिय रुप से भाग लिया था आगे चलकर वह एक राष्ट्रीय स्कूल के शिक्षक बन गए और इसीलिए वह सामान्यतः मास्टर दा के नाम से प्रसिद्ध थे

  • सूर्य सेन ने क्रांतिकारियों के अपने गुट के साथ मिलकर नियमित सैनिक संगठन बना लिया था

  • पूर्वी बंगाल के चटगांव नामक बंदरगाह पर सूर्यसेन के नेतृत्व में वहां के युवक युवतियों ने विद्रोह करने का प्रयत्न किया था

  • सूर्यसेन ने इंडियन रिपब्लिकन आर्मी की ओर से एक घोषणा जारी की जिसमें चटगांव मेमन सिह बारीसाल के शस्त्रागारों पर एक ही समय हमला करने की योजना थी

  • सूर्यसेन और उनके साथी अंबिका चक्रवर्ती, लोकनाथ बाल और गणेश घोष ने इस काम के लिए स्थानीय कॉलेज और स्कूलों के विद्यार्थियों को प्रेरित किया

  • इसमें एक कल्पना दत्त और प्रीतिलता वाडेदर जैसी नव युक्तियां और आनंद गुप्त और टेगराबल जैसे नवयुवक थे

  • इन क्रांतिकारियों ने पुलिस शस्त्रागार सहायक टुकड़ी पर कब्जा करने ,टेलीफोन एक्सचेंज और तारघरों को नष्ट करने के लिए चार जत्थे  भेजे थे

  • 65 युवक और युवतियों ने ब्रिटेन की भारतीय सेना की वर्दी पहनकर पुलिस शस्त्रागार पर 18 अप्रैल 1930 में हमला किया था यह चटगांव आर्मरी रेड के नाम से मशहूर हुआ

  • सूर्य सेन खादी की सफेद धोती और कोट पहनते थे साथ ही सिर पर गांधी टोपी रहती थी क्रांतिकारी युवकों ने उन्हें सैनिक सलामी दी

  • वंदे मातरम और इंकलाब जिंदाबाद के नारों के बीच सूर्य सेन ने तिरंगा फहराया और काम चलाओ क्रांतिकारी सरकार के गठन की घोषणा की जिसके राष्ट्रपति सूर्य सेन थे

  • आर्मरी रेड मुकदमे के फलस्वरुप कई क्रांतिकारियों को अंडमान में आजीवन कारावास की सजा दी गई

  • प्रीतिलता वाडेदर ने जिन्होंने एक टुकड़ी के साथ एक यूरोपीय क्लब पर हमला किया था इन्होने कैद होने से बचने के लिए आत्महत्या कर ली थी

  • कल्पना दत्त गिरफ्तार कर ले गए और टेगराबल लड़ते-लड़ते मारा गया

  • 16 फरवरी 1933 को सूर्यसेन गिरफ्तार कर लिए गए उन पर मुकदमा चलाया गया और 12

  • जनवरी 1934 को उन्हें फांसी पर लटका दिया गया


अन्य क्रांतिकारी कार्रवाई

  •  चटगांव शस्त्रागार हमले के उपरांत बंगाल में क्रांतिकारी आतंकवादी गतिविधियों में अचानक तेजी आ गई

  • दो क्रांतिकारियों ने बंगाल के कारागार महानिरीक्षक के कार्यालय में गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी

  • दिसंबर 1931 मैं कोम्मिला की दो स्कूली छात्राओं शान्ति घोष और सुनीति चौधरी ने वहॉ के जिलाधिकारियों की गोली मारकर हत्या कर दी

  • फरवरी 1932 बीना दास ने कलकत्ता विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में उपाधि ग्रहण करते समय बंगाल के गवर्नर को गोली मार दी थी

  • क्रांतिकारी आंदोलन का द्वितीय चरण पहले चरण के क्रांतिकारी आंदोलन से भिन्न था क्योंकि यह व्यवस्थित था

  • पहले चरण का उद्देश्य अंग्रेजो को भारत से बाहर करना था लेकिन दूसरे चरण में स्वतंत्रता के बाद का भारत कैसा हो इस पर बल दिया गया

  • इस चरण के अधिकांश क्रांतिकारियों का समाजवाद की ओर था अपने कैद की लंबी अवधि पूरी कर देने के बाद कम्युनिस्ट पार्टी ,कांग्रेस समाजवादी पार्टी ,क्रांतिकारी समाजवादी पार्टी , अन्य वामपंथी पार्टियों और समूह में शामिल हो गए ​

  • गांधीजी के अहिंसात्मक आंदोलन की ओर लोगों का झुकाव अधिक हो गया था इसके अतिरिक्त सरकारी दमन और साधनों की कमी उनकी असफलता का प्रमुख कारण बने


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