भारत छोड़ो आंदोलन अथवा अगस्त क्रांति 1942

भारत छोड़ो आंदोलन अथवा अगस्त क्रांति 1942


समय- 9अगस्त 1942
करो या मरो का नारा- 8 अगस्त 1942
भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव पारित किया गया- मुंबई अधिवेशन में
मुंबई अधिवेशन(1942)के अध्यक्ष-मौलाना अब्दुल कलाम आजाद
भारत छोड़ो आंदोलन का प्रारंभ का कारण-क्रिप्स मिशन की असफलता और जापानी आक्रमण की संभावना
भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व-अरुणा आसफ अली, डॉक्टर राममनोहर लोहिया, जयप्रकाश नारायण
भारत छोड़ो आंदोलन- महात्मा गांधी का तीसरा मुख्य आंदोलन
भारत छोड़ो आंदोलन का अन्य नाम-अगस्त क्रांति
भारत छोड़ो आंदोलन की अवधि-लगभग 2 महीने
सी.आर.फार्मूला-भारत विभाजन की योजना 1944
भारत छोड़ो आंदोलन की तुलना- 1857 की क्रांति से
भारत छोड़ो आंदोलन का परिणाम-असफल

  • भारत छोड़ो आंदोलन या अगस्त क्रांति भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की अंतिम महा लड़ाई थी

  • जिसने ब्रिटिश शासन की नींव को हिलाकर रख दिया था क्रिप्स मिशन के खाली हाथ भारत से वापस जाने पर भारतीय को अपने छले जाने का एहसास हुआ

  • दूसरी ओर दूसरे विश्व युद्ध के कारण परिस्थितियां अत्याधिक गंभीर होती जा रही थी जापान सफलतापूर्वक सिंगापुर वर्मा मलाया पर कब्जा कर भारत की ओर बढ़ने लगा

  • दूसरी और युद्ध के कारण वस्तुओं के दाम बेतहाशा पढ़ रहे थे जिसे अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ भारतीय जनमानस में असंतोष व्याप्त होने लगा था

  • जापान के बढ़ते हुए प्रभुत्व को देखकर 5 जुलाई 1942 को गांधी जी ने हरिजन में लिखा अंग्रेजों भारत को जापान के लिए मत छोड़ो बल्कि भारत को भारतीयों के लिए व्यवस्थित रुप से छोड़ जाओ


भारत छोड़ो आंदोलन की पृष्ठभूमि

  • 1942 की अनोखी जनक्रांति को और उसे जन्म देने वाली शक्तियों को समझने के लिए भारत के अंदर 1934 के बाद होने वाले राजनीतिक घटनाक्रम और उसके विकास को समझना आवश्यक है

  • 1934 में सविनय अवज्ञा आंदोलन समाप्त हुआ 1935 में ब्रिटेन की संसद में संघवाद और प्रांतीय स्वायत्तता के सिद्धांत पर आधारित लेकिन भारतीय जनता को वास्तविक सत्ता प्रदान करने वाले संविधान कानून को पारित किया

  • इसे पारित करने के उद्देश्य लिनलिथगो ने निम्नलिखित शब्दों मां स्पष्ट किया अधिनियम 1935 तो इसीलिए पारित किया गया क्योंकि हम समझते थे कि भारत पर अंग्रेजों का प्रथम प्रभुत्व बनाए रखने का सर्वोत्तम उपाय यही है इस सुधार के द्वारा सरकार का उद्देश्य उदापंथियों को संतुष्ट करना और कांग्रेस के अंदर मतभेद और आंतरिक कलह पैदा करना था

  • इस उद्देश्य में सरकार सफल होते दिखाई दी लेकिन 1935 के चुनाव को लेकर कांग्रेस के दक्षिणपंथ और वामपंथ आमने-सामने खड़े हो गए

  •  1935 का सुधार कानून अस्वीकार्य है इस पर कांग्रेस में मतभेद नहीं था चुनावों में राजनीतिक उद्देश्य की प्राप्ति हेतु भाग लेना चाहिए इस पर भी आम सहमति थी लेकिन चुनाव जीतने पर सरकार बनाई जाए या नहीं इस प्रश्न पर वामपंथ का जवाब नहीं था

  • वामपंथियों की समझ को पेश करते हुए नेहरु ने कहा की कांग्रेस सरकार बनाकर किसी-न-किसी रूप में दमनकारी साम्राज्यवादी सत्ता का हिस्सा बन जाएगी और जनता का शोषण करने में उसका सहयोग करेगी

  • उन्होंने यह भी आशंका व्यक्त की सत्ता में साझेदारी से जन आंदोलन का क्रांतिकारी चरित्र समाप्त हो जाएगा

  • वामपंथ का यह तर्क दक्षिणपंथ को अमान्य था राजेंद्र प्रसाद का कहना था कि कोई व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए सत्ता में भागीदारी नहीं चाह रहा है

  • उनका कहना था कि वर्तमान परिस्थितियों में 1935 के संविधान को नकारना संभव नहीं था और एक मात्र विकल्प यही रह जाता है कि हम इस पर नियंत्रण स्थापित कर इसका उपयोग अपने ढंग से करें

  • अंत में कांग्रेस ने निर्वाचनों में भाग लिया और निर्वाचन के उपरांत 8 प्रांतों में सरकारों का गठन किया इन प्रांतों में सरकार ने 28 महीने तक काम किया

  • सरकार बनाने के निर्णय के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए गांधी जी ने हरिजन में लिखा यह पद इसलिए स्वीकार किए गए हैं ताकि हम जान सके कि जिस गति से हम अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ रहे हैं उसमें इनसे तेजी आती है या नहीं

  • सविनय अवज्ञा आंदोलन के बाद के दौर की मुख्य विशेषता कांग्रेस के अंदर और कांग्रेस के बाहर वामपंथी आंदोलन और प्रभाव में होने वाली वृद्धि है

  • कांग्रेस के अंदर जयप्रकाश नारायण ,युसूफ मेहरअली ,अच्युत पटवर्धन ,अशोक मेहता, संपूर्णानंद जैसे नेताओं ने समाजवाद को आगे बढ़ाया और कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की

  • इस के संस्थापकों में अस्पष्ट को भ्रमित जुझारू राष्ट्रवाद से लेकर मार्क्सवादी वैज्ञानिक समाजवाद की प्रयाप्त स्पष्ट हिमायत तक सम्मिलित थी

  •  कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी ने राष्ट्रीय आंदोलन के भावी विकास में योगदान किया उसका सार इसमें निहित है कि कांग्रेसी कार्यकर्ता इस बात के लिए बाध्य हुए की जुझारू कृषि सुधार के मुद्दों ,औद्योगिक मजदूरों की समस्याओं ,रजवाड़ों के भविष्य और जनजागृती और संघर्ष के गैर-गांधीवादी तरीकों के प्रश्न पर विचार करें

  • यह संयोग नहीं कहा जा सकता है कि गांधीवादी तरीके की 1942 की क्रांति में सी.एम.पी.के नेताओं की भूमिका महत्वपूर्ण रही

  • 1934 के उपरांत किसान सभा, ट्रेड यूनियन आंदोलन ,लेखकों के संगठन, छात्र संगठन, देसी राज्य की जनता में बदलाव आया और यह सब भावी राष्ट्रीय संघर्ष के लिए लाभकारी सिद्ध हुआ



  • 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध आरंभ हुआ जिस प्रकार भारत को बिना उनके सूचना दिए और उनकी सहमती के बिना युद्धरत घोषित कर दिया

  • उसके विरोध में कांग्रेस ने प्रांतीय सरकारों से त्याग पत्र दे दिया उसके बाद भी कांग्रेस का रुख ब्रिटेन के लिए परेशानी पैदा करने या युद्ध में बाधा डालने का नहीं था

  •  गांधीजी और कांग्रेस हाईकमान की यह कोशिश थी कि उसका भारत सरकार से कोई समझौता हो जाए

  • समझौते की न्यूनतम शर्ते थी- युद्ध के पश्चात भारत को स्वतंत्र करने का वचन और तात्कालिक तौर पर केंद्र में राष्ट्रीय सरकार की स्थापना

  • कांग्रेस के द्वारा यह समझौतावादी रूख में उस समय अपनाया जा रहा था जबकि सुभाष चंद्र बोस और कम्युनिस्ट सहित वामपंथियों का बड़ा हिस्सा यह मानता था की साम्राज्यवादी युद्ध के स्वाधीनता प्राप्ति के लिए सुनहरा अवसर प्रदान किया है और उसका पूरा पूरा लाभ उठाना चाहिए

  • कांग्रेस में प्रभावी दक्षिणपंथी नेतृत्व के चलते ऐसा नहीं हो सका दूसरी ओर सरकार के अडियल रुख के कारण किसी प्रकार का समझौता भी नहीं हो पाया

  • सरकार अपनी शर्तों पर समझौता चाहती थी यह शर्तें लार्ड लिनलिथगो के अगस्त प्रस्ताव के रूप में सामने आई

  • अगस्त प्रस्ताव स्वीकार करने योग्य नहीं था इस कारण से उसे भारत के राजनीतिक दलों ने अस्वीकार कर दिया और सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए व्यक्तिगत सत्याग्रह का मार्ग अपनाया गया

  • विपिनचंद्र के शब्दों में व्यक्तिगत सत्याग्रह के दो उद्देश्य थे एक स्तर पर तो यह भारतीय जनता की राजनीतिक चेतना की अभिव्यक्ति था और दूसरे स्तर पर इसके द्वारा ब्रिटिश सरकार को एक और अवसर दिया जा रहा था कि वह भारत की मांगों को स्वीकार कर ले

  • 1941 का वर्ष यूरोप में हिटलर की और दक्षिण पूर्व एशिया में जापान की चमत्कारी सफलता का वर्ष था

  • युद्ध का खतरा भारत के दरवाजे पर आ गया था युद्ध प्रयासों में भारतीयों का शत-प्रतिशत सहयोग प्राप्त करना मित्र राष्ट्र की जरूरत बन गया था

  • इस कारण रूजवेल्ट, च्यांग काई शेक और लेबर पार्टी का नेतृत्व चर्चिल पर दबाव डालने लगा कि इस समर्थन को प्राप्त करने के लिए भारतीय समस्या का समाधान किया जाए

  •  इसके फलस्वरुप मार्च 1942 को क्रिप्स सम्मेलन भारत भेजा गया क्रिप्स सम्मेलन को भारत भेजने की ब्रिटिश  सरकार की मजबूरी थी

  •  ब्रिटिश सरकार भी नहीं चाहती थी कि यह मिशन सफल हो बस वह तो अपने मित्र राष्ट्रों को संतुष्ट करना चाहती थी इसीलिए ब्रिटिश सरकार ने क्रिप्स मिशन में ऐसे प्रस्ताव रखे कि उन्हें भारतीय नेता स्वीकार नहीं करें

  • क्रिप्स मिशन का प्रभाव ब्रिटिश सरकार के लिए भले ही लाभकारी रहा हो लेकिन भारत में इस मिशन की असफलता ने अगस्त क्रांति का तात्कालिक कारण तैयार कर दिया

  • क्रिप्स प्रस्ताव की असफलताओं ने गांधीजी के विचारों में बहुत बड़ा परिवर्तन ला दिया

  • जनता को अधिक उग्र विचारधारा से जुड़ने से रोकने के लिए और जापान समर्थक रुख अपनाने से विमुख करने के लिए जरुरी हो गया कि कांग्रेस स्वयं उग्र तेवर अपनाए

  • 16 मई को एक प्रेस साक्षात्कार में अपनी स्थिति को स्पष्ट करते हुए गांधीजी ने कहा यह सुव्यवस्थित अनुशासन पूर्ण अराजकता को जाना ही होगा और यदि इसके परिणाम स्वरुप पूर्ण अवस्था की स्थिति उत्पन्न होती है तो मैं यह खतरा उठाने को तैयार हूं

  • इस सोच का ही परिणाम था की पॉच जुलाई की कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में गांधी ने जोर दिया कि वह समय आ गया है जब कांग्रेस को मांग बुलंद करनी चाहिए

  • अंग्रेजों भारत छोड़ो गांधीजी के इस नये रास्ते का समर्थन आजाद और नेहरू नहीं कर रहे थे

  • अत:एक पत्र के द्वारा गांधी ने उन दोनों से कहा कि वह अपने पद से त्यागपत्र दे दे

  • 14 जुलाई को वर्किंग कमेटी ने नये आंदोलन के संबंध में सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया इसी के आधार पर कांग्रेस कमेटी के बंबई अधिवेशन में भारत छोड़ो संबंधित अगस्त प्रस्ताव पारित किया गया


    भारत छोड़ो आंदोलन का इतिहास

  • 8 अगस्त 1942 को पारित किए गए प्रस्ताव के प्रथम भाग में एक और तो इसके लिए चिंता व्यक्त की गई थी कि चीनी या रूस की रक्षा व्यवस्था को किसी भी तरह उलझन में ही नहीं डाला जाए दूसरी और इस पर जोर दिया गया कि भारत की भलाई और संयुक्त राष्ट्र के पक्ष की सफलता दोनों के लिए भारत में ब्रिटिश हुकूमत को फौरन समाप्त करना निहायत जरूरी है

  • यह विश्वास दिलाया गया की स्वतंत्रता की घोषणा के उपरांत भारत में एक अस्थायी सरकार का गठन होगा और स्वतंत्र भारत संयुक्त राष्ट्र का मित्र बन जाएगा और स्वतंत्रता के लिए चलने वाले प्रयास की परीक्षा और कठिनाइयों में उनका साझेदार बनेगा

  • प्रस्ताव के दूसरे भाग में स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए बड़े पैमाने पर अहिंसक जन संघर्ष आरंभ करने और इस संघर्ष का नेतृत्व गांधी को सौपने का निर्णय लिया गया

  • इस प्रस्ताव से पहले ही गुप्त कार्य योजना प्रसारित की गई इसमें कांग्रेसियों को निर्देश दिया गया कि जब तक का नेताओं को कैद नहीं किया जाता आंदोलन अहिंसक ढंग से चलाया जाए

  • लेकिन अगर सरकार गांधी जी और दूसरे कांग्रेस नेताओं को गिरफ्तार कर लेती है तो सरकार की हिंसा का हर संभव उपाय से मुकाबला करने के लिए लोगों को हिंसक-अहिंसक कोई भी तरीका अपनाने की आजादी है

  • लेकिन इसके साथ-साथ कांग्रेस कमेटी को का यह सख्त निर्देश था कि जब तक महात्मा जीे तय नहीं कर लेते हैं कोई  आंदोलनात्मक कदम ना उठाया जाए

  • 8 अगस्त को प्रस्ताव पारित हुआ 9 अगस्त को सरकार ने तुरंत जवाबी हमले में गांधी जी सहित प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार किया

  • इसके बाद देश में व्यापक स्वत:स्फूर्त  जन आंदोलन आरंभ हो गया आंदोलन इतना तीव्र था की लिनलिथगो ने उसे 18 57 के बाद का सबसे गंभीर विद्रोह बताया

  • Andolan पूर्वी और पश्चिमी प्रांत और उत्तरी बिहार में चरम सीमा पर रहा  इसके लिए मुख्य रूप से जनता के बढ़ते हुए आर्थिक कष्ट तथा नस्लवाद के खिलाफ उत्पन्न आक्रोश और  दक्षिण पूर्व एशिया में अंग्रेजो के पराजय व भारतीयो के प्रति उपेक्षापूर्ण व्यवहार का उल्लेख किया जा सकता है

  • भारत छोड़ो आंदोलन की विशेषता यह भी है कि इस संपूर्ण दौर में आंदोलन का नेतृत्व नये युवा लोगों के हाथों में था


 भारत छोड़ो आंदोलन प्रस्ताव/वर्धा प्रस्ताव (14 जुलाई 1942) 
द्वितीय विश्वयुद्ध प्रारंभ होने के बाद कांग्रेस और सरकार में कोई समझोता नहीं हो पाने के कारण अंत में कांग्रेस ने एक ठोस और प्रभावी आंदोलन करने का निर्णय लिया गांधीजी ने कांग्रेस को अपने प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किए जाने की स्थिति में चुनौती देते हुए कहा मैं देश की बालू से ही कांग्रेस से भी बड़ा आंदोलन खड़ा कर दूंगा 14 जुलाई 1942 को कांग्रेस कार्यसमिति ने वर्धा में अपनी बैठक में आंदोलन प्रारंभ करने हेतु गांधी जी को अधिकृत कर दिया वर्धा बैठक में गांधी जी ने कहा कि भारतीय समस्या का समाधान अंग्रेजो द्वारा भारत छोड़ देने में ही है इस वर्धा बैठक में गांधी जी के विचार को पूर्ण समर्थन मिला कि भारत में संवैधानिक गतिरोध तभी दूर हो सकता है जब अंग्रेज भारत से चले जाएंगे वर्धा में कांग्रेस कार्यसमिति ने अंग्रेजो भारत छोड़ो प्रस्ताव पारित किया गांधीजी के इस प्रस्ताव को वर्धा प्रस्ताव करते हैं

   मुंबई अधिवेशन अगस्त 1942

  • भारत छोड़ो आंदोलन की सार्वजनिक घोषणा के पूर्व 1 अगस्त 1942 को इलाहबाद में तिलक दिवस मनाया गया

  •  इस समय जवाहरलाल नेहरू ने कहा हम आग से खेलने जा रहे हैं और ऐसी दुधारी तलवार का प्रयोग करने जा रहे हैं जिसकी चोट उल्टी हमारे ऊपर भी पड़ सकती है

  • 7 अगस्त 1942 को मुंबई के ग्वालिया(अब अगस्त क्रांति मैदान) टैंक में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ

  • इस अधिवेशन की अध्यक्षता मौलाना अबुल कलाम आजाद ने की थी

  • इस अधिवेशन में जवाहरलाल नेहरू ने भारत छोड़ो प्रस्ताव पेश किया जिसको थोड़े बहुत संशोधन के बाद 8 अगस्त 1942 को स्वीकार कर लिया गया

  • महात्मा गांधी जी द्वारा भारत छोड़ो आंदोलन को प्रारंभ करने से पूर्व 8 अगस्त 1942 को ही मुंबई अधिवेशन में करो या मरो का नारा दिया गया जो काफी प्रसिद्ध हुआ

  • साथ ही गांधीजी ने कहा कि अब कांग्रेस पूर्ण स्वराज्य से कम के किसी भी सरकारी प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेगी

  • इस प्रस्ताव में कहा गया कि भारत में ब्रिटिश शासन का तत्काल अंत, भारत के लिए और  मित्र राष्ट्रों के आदर्श के लिए अत्यंत आवश्यक है

  • इस पर ही युद्ध का भविष्य और स्वतंत्रता और प्रजातंत्र की सफलता निर्भर है

  • कांग्रेस के ऐतिहासिक सम्मेलन में गांधी जी ने लगभग 70 मिनट तक भाषण दिया था उन्होंने कहा था कि मैं आपको एक मंत्र देता हूं करो या मरो जिसका अर्थ था भारत की जनता देश की आजादी के लिए हर ढंग का प्रयत्न करें

  • बस इस बात का ध्यान रखेगी आंदोलन गुप्त या हिंसात्मक ना हो उन्होंने कहा आप लोगों में से प्रत्येक व्यक्ति को अब से स्वतंत्र व्यक्ति समझना चाहिए और इस प्रकार कार्य करना कि मानो आप स्वतंत्र हो

  • मैं स्वतंत्रता से कम किसी भी वस्तु से संतुष्ट नहीं होऊंगा

  •  गांधी जी के भाषण के बारे में डॉक्टर पट्टाभि सीतारमैया ने लिखा है कि वास्तव में गांधीजी उस दिन अवतार और पैगंबर की प्रेरक शक्ति से प्रेरित होकर भाषण दे रहे थे

  • इसी भाषण के दौरान ही गांधी जी ने कहा था कि हम अपने गुलामी स्थाई बनाए बनाया जाना नहीं देख सकते


गांधी जी ने अपने भाषण में लोगों को जो निर्देष दिए थे उसके विभिन्न निम्नवत हैं
सरकारी कर्मचारी नौकरी नहीं छोड़े लेकिन कांग्रेस के प्रति निष्ठा की घोषणा कर दें
राजा महाराजे भारतीय जनता की प्रभु सत्ता स्वीकार कर ले और रियासतों में रहने वाली जनता अपने को भारतीय राज्य का अंग घोषित करें
छात्रों से कहा  गया कि वह पढ़ाई तभी छोड़े जब आजादी प्राप्त होने तक इस पर अडिग  रह सके
काश्तकारों के लिए निर्देश दिया था कि यदि जमीदार उसका साथ ना दे तो वह कर ना चुकता करें

    भारत छोड़ो आंदोलन का प्रारंभ

  •  भारत छोड़ो आंदोलन का प्रारंभ 1934 के बाद का घटनाक्रम से ही शुरू हो गया था

  •  लेकिन सार्वजनिक रूप से इसे 9 अगस्त 1942 को शुरू किया गया

  • वर्धा अधिवेशन में भारत छोड़ो आंदोलन प्रस्ताव को पारित किया गया

  • इसके पश्चात 8 अगस्त 1942 को इस प्रस्ताव में संशोधन करके इसे स्वीकार कर लिया

  • भारत छोड़ो आंदोलन प्रारंभ करने से पहले हैं 8 अगस्त की मध्यरात्रि के बाद ही सरकार ने कांग्रेस के बड़े नेताओं को गिरफ्तार करने की योजना बनाई

  •  ब्रिटिश सरकार 9 अगस्त 1942 की सुबह ऑपरेशन जीरो आँवर के तहत कांग्रेस के सभी महत्वपूर्ण नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया

  • महात्मा गांधी और कांग्रेसी नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में जनता द्वारा जो आंदोलन चलाया गया वही भारत छोड़ो आंदोलन था

  • भारत छोड़ो आंदोलन 9 अगस्त 1942 को आरंभ हुआ और लगभग 2 महीने तक चला

  • भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व अरुणा आसफ अली, जयप्रकाश नारायण ,डॉक्टर राम मनोहर लोहिया, समाजवादी नेताओं द्वारा किया गया

  •  ब्रिटिश सरकार द्वारा गांधी जी को गिरफ्तार करके पुणे के आगा खाँ पैलेस में और कांग्रेस कार्यकारिणी के अन्य सदस्यों को अहमदनगर के दुर्ग में रखा गया

  • सरोजिनी नायडू और कस्तूरबा गांधी को भी आगा खाँ पैलेस में रखा गया

  • जवाहरलाल नेहरू का अल्मोड़ा जेल में,डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को बांकीपुर जेल (पटना) और मौलाना अबुल कलाम आजाद को बाकुड़ा जेल में रखा गया

  •  कांग्रेस को अवैधानिक संस्था घोषित कर सरकार ने इस संस्था की संपत्ति जप्त कर लिया और जुलूसों पर  प्रतिबंधित कर दिया

  • सरकार के इन कृत्यो इसे जनता भड़क उठी और नेतृत्व विहीन होकर तोड़फोड़ में जुट गई

  • परिणाम स्वरुप इस आंदोलन में एक भूमिगत संगठनात्मक ढांचा भी तैयार हो गया था

  • हजारीबाग के सेंट्रल जेल से भागने के बाद जयप्रकाश नारायण में भूमिगत होकर इस आंदोलन की बागडोर संभाली और आजाद दस्ता का गठन किया

  • भारत छोड़ो आंदोलन राष्ट्रीय स्वतंत्रता संघर्ष का प्रथम आंदोलन था जो नेतृत्वहीन की स्थिति में भी अपने उद्देश्यों को पूरा कर सका इस

  • आंदोलन के दौरान जनता द्वारा बड़े पैमाने पर हिंसा का प्रयोग किया गया

  • जबकि जगह-जगह रेलवे पटरियों को उखाड़ आ गया और बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया

  • इस आंदोलन के दौरान कितनी ही जगह आंदोलनकारियों द्वारा समानांतर सरकार की स्थापना की गई जैसे मिदनापुर (बंगाल) बलिया (उत्तर प्रदेश) बस्ती( बिहार) सतारा (महाराष्ट्र( में समानांतर सरकार बनाई गई है


    भारत छोड़ो आंदोलन का देशभर में प्रसारण

  •  इनदिनों आंदोलन का समाचार पहुंचाना भी एक महत्वपूर्ण कार्य था

  • इससे सबसे रोमांचकारी कार्य मुंबई शहर के विभिन्न केंद्रों से कांग्रेस रेडियो पर संचालन था इसके प्रसारण को मद्रास तक सुना जा सकता था

  • रेडियो प्रसारण का कार्य 14 अगस्त से सर्वप्रथम ऊषा मेहता ने प्रारंभ किया था ,एक अन्य केंद्र पर बाबूभाई चला रहे थे

  • जबकि राम मनोहर लोहिया नियमित रूप से कांग्रेस रेडियो में बोलते थे

  • नवंबर 1942 में पुलिस ने खोज निकाला और बाबू भाई को 4 वर्ष की सजा हुई


    भारत छोड़ो आंदोलन का परिणाम

  • भारत की अंग्रेजी सरकार ने 13 फरवरी 1943 को भारत छोड़ो आंदोलन के समय हुए विद्रोह का पूरा दोष गांधीजी और कांग्रेस पर डाल दिया

  • गांधीजी ने इन बेबुनियाद दोषों को अस्वीकार करते हुए कहा कि मेरा वक्तव्य अहिंसा की सीमा में था

  • उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के प्रत्येक अहिंसक सिपाही को कागज या कपड़े के टुकड़ों पर करो या मरो का नारा लिख कर चिपका लेना चाहिए

  • जिससे यदि सत्याग्रह करते समय उसकी मृत्यु हो जाए तो उसे इस चिह्न के आधार पर दूसरे लोगों से अलग किया जा सके जिनका अहिंसा में विश्वास नहीं है

  • गांधी जी ने अपने ऊपर लगे आरोपों को सिद्ध करने के लिए सरकार  से निष्पक्ष जांच करने की मांग की

  • सरकार के इस ओर ध्यान न देने पर 10 फरवरी 1946 को गांधीजी ने 21 दिन का उपवास शुरू कर दिया

  • इस उपवास का देश पर व्यापक प्रभाव पड़ा  जनता ने सरकार पर गांधी जी को रिहा करने के लिए दबाव डाला

  • विदेशी समाचार पत्रों और संस्थाओं ने भी गांधीजी को रिहा करने का सुझाव दिया

  • 7 मार्च 1946 को ब्रिटिश सरकार को चकमा देते हुए महात्मा गांधी जी ने भूख हड़ताल समाप्त कर दी तब तक महात्मा गांधी जी की तबीयत खराब होने लगी थी

  • लेकिन  चर्चील ने कहा कि हम दुनिया में हर जगह जीत रहे हैं तब ऐसे समय एक कमबख्त बुड्ढे के समक्ष कैसे झुक सकते हैं जो सदियों से हमारा दुश्मन रहा है

  • सरकार की इस बर्बर नीति के विरोध में वॉयसराय के काउंसिल के सदस्य सर मोदी ,सर एन.एन. सरकार और अणे ने इस्तीफा दे दिया

  • गांधी जी को  बाद में बीमारी के आधार पर 6 मई 1944 को  रिहा किया गया

  • जिस समय गांधीजी रिहा हुए  उससे पूर्व उनकी पत्नी कस्तूरबा देवी और उनके निजी सचिव महादेव देसाई की मृत्यु हो चुकी थी

  • 18-57 के विद्रोह के बाद में पहला अवसर था जब जनता द्वारा सरकार के खिलाफ जमकर संघर्ष किया गया था

  • लेकिन अंत में यह आंदोलन असफल रहा और ब्रिटिश सरकार द्वारा इस आंदोलन को शक्ति पूर्वक कुचल  दिया गया

  • लिनलिथगो ने इस आंदोलन को 1857 की क्रांति के बराबर माना

  • भारत छोड़ो आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता के लिए किया गया सबसे महान प्रयास था

  • भारत छोड़ो आंदोलन के बाद इस तरह का कोई भी वृहद स्तर पर जनांदोलन नहीं छेड़ा गया


    भारत छोड़ो आंदोलन के महत्व 

  • भारत छोड़ो आंदोलन तात्कालिक रुप से असफल अवश्य रहा क्योंकि इस Andolan से भारत को स्वतंत्रता प्राप्त नहीं हो सकी

  • लेकिन भारत छोड़ो आंदोलन का भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रहा है

  • भारत छोड़ो आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता के लिए किया गया सबसे महान प्रयास था इस आंदोलन के बाद भारत में आजादी के लिए बड़े पैमाने पर कोई आंदोलन नहीं किया गया था 

  • भारत छोड़ो आंदोलन का जन चेतना जगाने में महत्वपूर्ण योगदान था

  • इस आंदोलन ने विश्व के कई देशों को भारतीय जनमानस के साथ खड़ा कर दिया

  • आंदोलन के फलस्वरुप विदेशों में भारत के पक्ष में जनमत का निर्माण हुआ 

  • विशेषकर इस आंदोलन के दौरान चीन के राष्ट्रपति च्यांग काई शेक ने 25 जुलाई 1942 को अमरीकी राष्ट्रपति रुजवेल्ट को लिखा था कि अब समय आ गया है कि ब्रिटिश सरकार को भारत को स्वतंत्रता प्रदान कर देनी चाहिए यही ब्रिटिश सरकार अथवा अंग्रेजो के लिए श्रेष्ठ नीति रहेगी रूजवेल्ट ने भी इसका समर्थन किया था


सरदार वल्लभभाई पटेल ने आंदोलन के बारे में लिखा भारत में ब्रिटिश राज्य के इतिहास में ऐसा विप्लव कभी नहीं हुआ जैसा कि पिछले 3 वर्षों में हुआ  लोगों की प्रतिक्रिया पर हमें गर्व है
इस आंदोलन के दौरान जनता द्वारा सरकार के विरुद्ध महीनो तक जो जमकर संघर्ष किया गया उसके फलस्वरूप ब्रिटिश सरकार को यह एहसास हो गया कि भारतीय जनता में इस हद तक राजनीतिक जागृति आ गई की अब लंबे समय तक भारत पर शासन करना अंग्रेजों के लिए संभव नहीं होगा

डॉक्टर ईश्वरी प्रसाद ने इस आंदोलन के महत्व की विवेचना करते हुए लिखा है कि अगस्त क्रांति अत्याचार और दमन के विरुद्ध भारतीय जनता का विद्रोह था
इसकी तुलना फ्रांस के इतिहास में वेस्टीलों के पतन और सोवियत रूस के इतिहास में अक्टूबर की क्रांति से की जाती है यह क्रांति जनता में उत्पन्न नवीन गरिमा और उत्साह की सूचक है इस आंदोलन से अमेरिका और इंग्लैंड में भारत के पक्ष में सुदृढ़ जनमत का निर्माण हुआ

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