भारत छोड़ो आंदोलन की मुख्य विशेषता विशेषता-Main Feature Attribute of Quit India Movement
भारत छोड़ो आंदोलन की मुख्य विशेषता विशेषता
(Main Feature Attribute of Quit India Movement)
भारत छोड़ो आंदोलन की एक मुख्य विशेषता यह थी कि इस दौरान देश के कई भागों में समानांतर सरकार की स्थापना हुई 1. बलिया- प्रथम समानांतर राष्ट्रीय सरकार चितु पांडे के नेतृत्व में बलिया और पड़ोसी गाजीपुर (उत्तर प्रदेश)दोनों ही स्थानों पर थोड़े समय के लिए स्थापित की गई बलिया में 10 पुलिस थानों पर कब्जा कर लिया गया 2. तामलुक- बंगाल के मिदनापुर जिले के तामलुक नामक स्थान पर 17 दिसंबर 1942 को तामलुक जातीय सरकार की स्थापना की गई तामलुक में गठित राष्ट्रीय सरकार 1 सितंबर 1944 तक चलती रही इस सरकार को जातीय सरकार के नाम से जाना जाता है यहां की सरकार ने एक सशस्त्र विद्युत वाहिनी का गठन किया तामलुक की 73 वर्षीय किसान विधवा मातंगिनी हज़ारा ने गोली लग जाने के बाद भी राष्ट्रीय झंडे को ऊंचा रखा था 3. सतारा-सतारा (महाराष्ट्र)मे इस समय की सर्वाधिक दीर्घजीवी समानांतर सरकार की स्थापना हुई थी यह सरकार 1945 तक कार्यरत रही इस सरकार के नेता वाई.बी.चाह्वाण, नाना पाटिल प्रमुख नेता थे
विभिन्न दलों की प्रतिक्रिया(भारत छोड़ो आंदोलन की आलोचना) भारत छोड़ो आंदोलन की कई दलों और लोगों ने आलोचना की थी तात्कालीन भारतीय राजनीतिक दलों में साम्यवादी दल ने इसकी आलोचना की
मुस्लिम लीग ने भी भारत छोड़ो आंदोलन की आलोचना करते हुए कहा कि आंदोलन का लक्ष्य भारतीय स्वतंत्रता नहीं बल्कि भारत में हिंदू साम्राज्य की स्थापना करना था
मुस्लिम लीग के नेताओं ने ऐसे में ब्रिटिश सरकार की सहायता की
इसके परिणाम स्वरुप 23 मार्च 1943 को मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान दिवस मनाने का आह्वान किया
मुस्लिम लीग ने दिसंबर 1943 में कराची में हुए अधिवेशन में विभाजन करो और छोड़ो का नारा दिया
कांग्रेस के उदारवादियों को भी यह आंदोलन नहीं भाया ,सर तेज बहादुर सप्रू ने इस प्रस्ताव को अविचारित और असामयिक बताया
राजगोपालाचारी ने भी इसकी आलोचना की
भीमराव अंबेडकर ने इसे अनुत्तरदायित्वपूर्ण और पागलपन भरा कार्य बताया
हिंदू महासभा और अकाली दल ने भी इस आंदोलन की आलोचना की थी
भारत छोड़ो आंदोलन प्रारंभ करने के कारण भारत छोड़ो आंदोलन महात्मा गांधी जी का तीसरा मुख्य आंदोलन था इस आंदोलन को अगस्त क्रांति के नाम से भी जाना जाता है इस आंदोलन को प्रारंभ करने के पीछे निम्न मुख्य कारण उत्तरदायी थे 1. महात्मा गांधी ने क्रिप्स मिशन की असफल और भारत पर जापानी आक्रमण की संभावना पैदा होने पर भारत छोड़ो आंदोलन प्रारंभ किया 2. ब्रिटिश सरकार द्वारा बर्मा में भारतीय शरणार्थियों के साथ भेदभाव पूर्ण व्यवहार करना 3. द्वितीय महायुद्ध के दौरान भारत के विभिन्न भागों में आवश्यक वस्तुओं में कमी हो जाना जिससे जनता को काफ़ी कठिनाइयों का सामना सामना करना पड़ा
सुमित सरकार के अनुसार भारत छोड़ो आंदोलन के इतिहास के चरण सुमित सरकार भारत छोड़ो आंदोलन के इतिहास को मोटे तौर पर तीन चरणों में विभक्त करते हैं
प्रथम चरण में आंदोलन अल्पकालिक किंतु सर्वाधिक हिंसक था मूलत:शहरी आंदोलन था इसका प्रभाव मुंबई ,दिल्ली, कोलकाता के साथ-साथ लखनऊ, कानपुर ,नागपुर ,अहमदाबाद पर अधिक पड़ा आंदोलन को विद्यार्थियों ने आरंभ किया और मध्यम वर्ग ने उसमे बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया
दूसरे चरण में आंदोलन ग्रामीण आंदोलन में बदल गया संचार साधन नष्ट करना और विदेशी सत्ता के विरुद्ध किसान संघर्ष का नेतृत्व करना आंदोलन की विशेषता रही इस दौर में आंदोलन के मुख्य केंद्र बिहार ,पूर्वी संयुक्त प्रांत, मीदनापुर (बंगाल) और महाराष्ट्र कर्नाटक उड़ीसा के कुछ क्षेत्र रहे अनेक स्थानों पर अल्पकालिक राष्ट्रीय सरकारे स्थापित की गई
आंदोलन का तीसरा चरण सितंबर 1942 के मध्य से आरंभ हुआ था यह सबसे लंबा किंतु सबसे कम उग्र चरण था और इस चरण की मुख्य विशेषता यह रही कि शिक्षित के मध्यम वर्गीय नव युवकों ने आतंकवादी गतिविधियों और छापामार संघर्षों को चलाया चरण में भी कुछ क्षेत्रों में समानांतर राष्ट्रीय सरकारी गठित की गई की तमलुक की सरकार को सितंबर 1944 तक काम करती रही
1942 के आंदोलन का दमन करने में ब्रिटिश सरकार ने क्रूरता व जंगली पन सभी सीमाओं को तोड़ दिया 1946 तक लगभग 92000 लोग कैद किये गये कम से कम 1000 लोग पुलिस के हाथों मारे गए बलात्कार ,अमानुषिक उत्पीड़न ,व गॉवो को आगलगाऊ पुलिस द्वारा जलाकर राख करने की घटनाएं सामान्य हो गई
सुमित सरकार के शब्दों में इस दमन की तुलना केवल 1857 से की जा सकती थी अंतर यह था कि अब अंग्रेजो के हाथ में आधुनिक सैन्य विज्ञान के सभी साधन थे जबकि जनता लगभग पूर्ण रुप से निहत्थी थी इस निर्मम दमन के बावजूद आंदोलन कितना उग्र रहा था इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है 1943 के अंत तक 208 पुलिस चौकिया,332 रेलवे स्टेशन और 945 डाकघर या तो नष्ट या गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर दिए गए थे और 644 बम विस्पोट हुए थे
1942 का आंदोलन अविस्मरणीय घटनाएँ और व्यक्तित्व
8 अगस्त को भारत छोड़ो प्रस्ताव कांग्रेस कमेटी के बंबई अधिवेशन में पारित हुआ
9 अगस्त को पूरी वर्किंग कमेटी व कई अन्य नेता गिरफ्तार और कांग्रेस गैरकानूनी संगठन घोषित किया
2 सप्ताह तक मुंगेर का संपर्क बाहरी दुनिया से कटा रहा
भारत आंदोलन के आरंभ से ही हिंदू यूनिवर्सिटी पर सेना ने अधिकार कर लिया
अहमदाबाद की कपड़ा मिलें तीन माह तक बंद रही
9 नवंबर 1942 को हजारीबाग जेल से भागकर जयप्रकाश नारायण ने केंद्रीय एक्शन कमेटी का गठन कर नेपाल को अपना अड्डा बनाया और आजाद दस्ता का गठन किया
11 अगस्त 1942 को पटना सचिवालय के सामने क्रांतिकारियों और सरकार के सशस्त्र बलों में संघर्ष में अनेक शहीद हुए
तमलुक (मिदनापुर) तलचर (उड़ीसा) सातारा( महाराष्ट्र)और बलिया (पूर्वी सयुक्त प्रांत) में राष्ट्रीय सरकारों की स्थापना की इनके तमलुक सरकार सबसे अधिक समय तक लगभग 1944 तक काम करती रही
किसान संघर्ष के चलते बिहार के सारन जिला को कुख्यात अपराधी जिला घोषित कर दिया गया
आंदोलन से सबसे ज्यादा प्रभावित देशी राज्य था-मैसूर
बलिया गाजीपुर की राष्ट्रीय सरकार का नेतृत्व चित्तू पाण्डे द्वारा किया गया था तथा तमलुक सरकार के पहले सर्वाधिनायक सतीश सामंत थे
तमलुक में संघर्ष में शहीद होने वालों में 73 वर्षीय मातंगिनी हज़ारा थी जिन्होंने गोली लगने पर भी राष्ट्रीय ध्वज को ऊचा रखा था
ओडिशा के कोरापुट में संघर्ष का नेतृत्व लक्ष्मण नायक द्वारा कटक में रक्त वाहिनी संगठन द्वारा आतंकवादी कार्यवाहियां
सतारा में नाना पाटील द्वारा आरंभ किया गया संघर्ष को डाक मेग्जी के द्वारा पूर्ण सहायता दी गई
1942 के आंदोलन के चर्चित नेता जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया ,अरुणा आसफ अली, अच्युत पटवर्धन ,आचार्य नरेंद्रदेव थे
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