सामान्य परिचय- स्वतंत्र भारत के संविधान में वर्णित अनुसूचित जनजाति की सूची का आधार वही है जो ब्रिटिश शासन ने तैयार की थी भारतीय संविधान के अनुच्छेद 366 ( 25 ) के अनुसार जनजाति से तात्पर्य उन जनजातीय समुदायों अथवा जनजातीय समुदायों अंशो समूह से है
जो संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत अनुसूचित जनजाति के रूप में माने गए हैं ! इसी अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति के द्वारा आम सूचना जारी की जाती है संसद किसी भी जनजाति समुदाय अथवा उसके अंशों को अनुसूचित जनजाति की सूची से निकाल सकती है या उसमें जोड़ सकती है !
मध्य प्रदेश की जनजातियां
जनगणना 2011 के अनुसार मध्य प्रदेश की जनसंख्या 7 करोड़ 26 लाख 26 हजार 809 है जिसमें से 21.8% जनसंख्या आदिवासी है अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या की दृष्टि से मध्य प्रदेश सारे देश में प्रथम स्थान पर है ! मध्य प्रदेश में विभिन्न जनजातियों में गोंड जनजातियों के लोग सबसे अधिक है !
मध्यप्रदेश की आदिवासी जनजातियां बहुत सी उपजनजातियों में विभाजित है जो स्वयं अपने आप में एक जनजाति समूह बनाती हैं सभी जनजातियों में कुछ सामान्य विशेषताएं पाई जाती है
यह जनजातियों आज भी सभ्यता से काफी दूर हैं पता दुर्गम एवं पहाड़ी क्षेत्रों में रहती है यह मुख्य था नीग्रोटो और प्रोटो ऑस्ट्रेलॉयड्स प्रजातियों से बनी है ! यह प्राचीन धर्म को मानते हैं बहू देववादी होते हैं ये वभूत प्रेतों की पूजा पर बल देती है हैं यह विशिष्ट जनजातीय भाषा बोलती है
यह प्राचीन उद्यमों तथा जंगली फल फूल कंदमूल को इकट्ठा करने शिकार करने मछली मारने जैसे कार्य करती है ये प्रया मांसाहारी हैं अधिकांश जनजातियां नग्न एवं अर्धनग्न अवस्था में रहती है !
मध्यप्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों को निम्नलिखित तीन भागों में विभक्त किया गया है
1. पूर्वी क्षेत्र- इस क्षेत्र में जसपुर ,सरगुजा, कोरबा आदिवासी बहुल जिले आते हैं यहां उरांव ,पवार, कोरबा, पहाड़ी कोरवा ,बिरहोर आदि रहते हैं !
2. मध्य क्षेत्र- क्षेत्र में बेतूल छिंदवाड़ा शिवनी बालाघाट शहडोल मंडला डिंडोरी जिले आते हैं इनमें मुख्य रूप से गोंड, कोल, कोरकु और बेगा नामक जनजातियां सबसे अधिक है !
3. पश्चिमी क्षेत्र- इस क्षेत्र में धार झाबुआ रतलाम खरगोन जिले आते हैं जिनमें भील भिलाला जनजाति के लोग रहते हैं !
Specially thanks to Post and Quiz makers ( With Regards )
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