कोरकू, मुंडा अथवा कोल जनजाति की एक प्रशाखा है कोरकू का शाब्दिक अर्थ है मनुष्य का समूह! यह पोस्टो ऑस्ट्रेलॉयड वर्ग की द्रविण जनजाति मानी जाती है
भौगोलिक वितरण ➖ कोरकू छिंदवाड़ा बेतूल होशंगाबाद हरदा खंडवा जबलपुर आदि जिलों में पाई जाती है यह प्रदेश की एक महत्वपूर्ण जनजाति है
शारीरिक विशेषताएं ➖ कोरकुओ का रंग काला कद मध्यम नॉक चौंडी और चपटापन लिए हुए हॉट मोटे शरीर हष्ट पुष्ट एवं बाल काले होते हैं
निवास➖ कोरकु अपने गांव किसी सुंदर स्थान पर बनाते हैं तथा गांव के चारों बांस की बाड़ लगाते हैं इनके घर आमने-सामने पंक्ति बद्ध होते हैं एवं एक दूसरे के काफी निकट होते हैं इनके घर बॉस खपरैल घास लकड़ी के बने होते हैं
रहन सहन ➖ कोरकू जनजातियों का पहनावा साधारण होता है पुरुष सूती बंडी कुर्ता एवं धोती पहनते हैं महिलाएं रंग-बिरंगे धोती पहनती है कोरकू स्त्रियां चांदी पीतल कांसा आदि धातुओं के आभूषण एवं मोतियों की माला पहनती है कोरकू को शाकाहारी और मांसाहारी दोनों होते हैं मोटे अनाज एवं सब्जियों इनके प्रमुख भोजन है
सामाजिक व्यवस्था ➖ कोरकू समाज पितृसत्तात्मक एवं टोटम पर आधारित समाज है इनके दो प्रमुख वर्ग होते हैं राजकोरकू एवं पठारीया राजकोरकू सामाजिक दृष्टि से उच्च माने जाते हैं इनके अतिरिक्त चार अन्य वर्ग-रूमा पोतड़िया, दुलारया और बोवाई पाए जाते हैं कोरकुओ में सगोत्र विवाह निषेध है घर दामाद प्रथा तथा विधवा विवाह एवं वधू मूल्य का प्रचलन है
अर्थव्यवस्था ➖ कोरकुओ की आजीविका का मुख्य साधन कृषि एवं आखेटन है किंतु बहुत कम कोरकू भूस्वामी है ऑखेटन में यह अत्यंत निपुण होते हैं तथा समूह में आखेटन करते हैं इसके अतिरिक्त पशुपालन मत्स्य पालन एवं वनोपज संग्रह भी इनके जीवन यापन के साधन हैं
धार्मिक जीवन ➖ कोरकू स्वयं को हिंदू मानते हैं यह लोग महादेव एवं चंद्रमा की पूजा करते हैं डोगर देव ,भटुआ देव एवं गांव के देव के इन के प्रमुख देवता है यह लोग गुड़ीपड़वा,आखातीज, दशहरा दीपावली और होली जैसे हिंदू त्योहार भी मनाते हैं भूमिया और पडियार कोरकूओ के सम्मानित व्यक्ति होते हैं मृतक संस्कार में सिडौली प्रथा प्रचलित है मृतकों को दफनाया जाता है और मृतक की स्मृति में लकड़ी का एक स्तम्भ गाड़ते हैं
कोरकू की उपजाति➖ नहानाला,मोवसीरुमा, बवारी, बोड़ोया आदि कोरकू जनजाति की उपजाति है
कोरकू जनजाति में विवाह प्रथा ➖ इनमे लमझना प्रथा या घर दामाद प्रथा,चिथोड़ा प्रथा,राजी-बाजी प्रथा,तलाक अथवा विवाह प्रथा, हठ विवाह प्रथा, अंतर्विवाह प्रथा प्रचलित है
कोरकुओ के प्रमुख त्यौहार➖ गुड़ीपड़वा,दशहरा,जिरोति, माघ दशहरा,आखातीज,डोडबलि, पाला, दीवाली, होली आदि है
मोवासी/महुआ- मोवासी और महुआ वर्ग अपराधिक घोतक है !
बबावरिया- बेतूल जिले के कोरकू आदिवासी बावरिया कहलाते हैं
रूमा- अमरावती जिले के कोरकू आदिवासी रूमा कहलाते हैं
बन्दोरिया- पचमढ़ी क्षेत्र के रहने वाले कोरकू बंदोरिया कहलाते हैं
Specially thanks to Post and Quiz makers ( With Regards )
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