मध्य प्रदेश की नदियों का अपवाह तंत्र(Drainage system of rivers of Madhya Pradesh)
मध्य प्रदेश की नदियों का अपवाह तंत्र
(Drainage system of rivers of Madhya Pradesh)
किसी भी प्रदेश के अपवाह तंत्र का निर्धारण उस प्रदेश के जल विभाजक को द्वारा निर्धारित किया जाता है यही कारण है कि मध्य प्रदेश के अपवाह तंत्र के निर्माण में विंध्य एवं सतपुड़ा श्रेणियों ने जल विभाजक की भूमिका निभाई है मध्य प्रदेश कि समस्त नदीया विंध्य भांडेर और कैमूर श्रेणियों से निकलकर उत्तर की ओर बहती है क्योंकि मध्य उच्च बेसिन का ढाल गंगा बेसिन की ओर है !
चंबल बेतवा केन तथा टोंस नदियां इस क्षेत्र से निकलकर यमुना में मिल जाती है चंबल की सहायक नदियां बनास कालीसिंध तथा पार्वती आधी अरावली और मालवा दोनों का जल उत्तर की और बहाकर ले जाती है वर्तमान जल प्रणाली का निर्माण क्रिटेशियस काल में नर्मदा की भ्रंश घाटी बनने के बाद हुआ !
हिमालय के उन्नयन एवं इस राज्य के उत्तोलन के कारण नदियों में कटाब की शक्ति बढ़ने से वृक्ष आकार अपवाह प्रणाली का विकास हुआ है विंध्यन शैल समूह से निकलने वाली नदियों उत्तर की ओर मुख्य रूप से बहती हैं जबकि विंध्यन के दक्षिणी भाग से निकलने वाली नदियां नर्मदा में मिलकर दक्षिण पश्चिम की ओर बहती है यही कारण है कि विंध्यन सत्ता पर अध्यारोपित अपवाह प्रणाली का विकास हुआ है !
मध्य उच्च प्रदेश में जल प्रवाह प्रणाली का प्रतिरूप साधारणता वृत्ताकार है सोनार एवं टोन्स प्रमुख नदियां पन्ना विंध्याचल श्रेणियों पर समांतर प्रतिरूप बनाती है !
विंध्याचल पन्ना श्रेणी को बेतबा धसांन तथा केन नदिया गहरी कंदरा बनाती हुई काटती है विंध्यन स्कॉर्पलैंड की उत्तरी सीमा पर बिंद विंध्याचल का प्रभाती है जिस पर से उतरती हुई टोस तथा उसकी सहायक नदियां चचाई .केवटी ,बहुती .विंडम तथा अन्य प्रपात बनाती है !
दक्कन ट्रैप से उतरने वाली नदियां त्रिज्यात्मक प्रतिरूप का निर्माण करती है जबकि जबेरा स्तूप के कटाव के पश्चात कोमल चट्टानों से बहने वाली नदियां वलयाकार प्रतिरूप बनाती है नर्मदा सोन तथा दक्कन पठार के बीच जल विभाजक का पूर्ण कार्य सतपुड़ा श्रेणी करती है !
इस श्रेणी के दक्षिणी ढाल का जल ले जाने वाली प्रमुख नदियां ताप्ती वैनगंगा महानदी एवं उनकी सहायक नदियां है सतपुड़ा श्रेणी के ऊपरी ढलान का अधिकतर जल नर्मदा में होता है जबकि उत्तर पूर्वी ढाल का जल सोन नदी में जाता है !
मैकाल श्रेणी में कैमूर श्रेणी में नदी अपहरण के उदाहरण देखने को मिलते हैं इससे पता चलता है कि यह क्षेत्र अध्यारोपित अपवाह प्रणाली के विकास को दर्शाता है
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