माही नदी

?माही का अर्थ:-⏩"मछली"
?उदगम:-महू की पहाड़िया (मध्यप्रदेश)धार जिला आमझरा क्षेत्र की विन्ध्यन पर्वत श्रेणी सेनिकलती हैं।
?राजस्थान मे प्रवेश:-खाटू ग्राम(बांसवाड़ा)
?राजस्थान मे कुल प्रवाह:-576 किमी.
?कहा गिरती हैं?:-खम्भात की खाड़ी मे
?माही नदी पर बांध:-माही बजाज सागर बांध(बांसवाड़ा के निकट)
?सहायक नदियाँ:-सोम,जाखम, अनास, चाप और मोरेन
?माही नदी का जल ग्रहण क्षेत्र उदयपुर, बांसवाड़ा,चितौड़गढ़ तथा डूंगरपुर मे लगभग 16,030 वर्ग किमी. विस्तारित हैं।
?सोम,माही, जाखम का संगम त्रिवेणी:-बेणेश्वर धाम(साबला-डुंगरपुर)
?इस त्रिवेणी पर(नवा टापरा गावँ ,साबला(डूंगरपुर) बेणेश्वर का मेला(माघ शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा) लगता है, जिसे आदिवासियो का महाकुंभ,महातीर्थ प्रयाग कहा जाता है।
?बेणेश्वर धाम तीन नदियों(सोम,माही,जाखम),तीन देवों, तीन प्रान्तो(राजस्थान, मध्यप्रदेश,गुजरात) और  तीन क्रियाकांडों(स्नान,मुंडन,तर्पण)का पवित्र संगम है।
?बेनेश्वर मुख्य मंदिर मे शिवलिंग प्रतिष्ठित है। जिसकी खंडित रूप मे पुजा होती है,मंदिर का निर्माण सवंत्1510 मे हुआ।
??माही नदी कर्क रेखा को दो बार पार करती हैं।
?माही नदी डूंगरपुर-बांसवाड़ा जिलों के मध्य प्रवाहित होती हैं।

? माही की सहायक नदियां
?सोम नदी:-उदयपुर जिले मे ऋषभदेव के पास बाबलवाड़ा के जंगलों मे "बिछामेडा" स्थान से निकलती है, बेणेश्वर के निकट माही मे मिल जाती है।
?जाखम नदी:-छोटी सादडी(उदयपुर) में इस नदी का उदगम होता हैं।प्रतापगढ़ तथा उदयपुर जिले की धरियावाद तहसील मे बहते हुए सोम नदी में मिल जाती हैं।

 ?खंभात की खाड़ी:-
?खंभात की खाड़ी (पूर्व नाम: कैंबे की खाड़ी) अरब सागर स्थित एक तिकोनी आकृति की खाड़ी है। यह दक्षिणी ओर से अरब सागर में खुलती है।
?यह भारतीय राज्य गुजरात के सागर तट, पश्चिमी भारत के शहर मुंबई और काठियावाड़ प्रायद्वीप के मध्य स्थित है और उसे पूर्व और पश्चिमी, दो भागों में बांटती है।
?माही नदी पश्चिमी भारत की एक प्रमुख नदी हैं।
?यह मध्य प्रदेश के धार, झाबुआ और रतलाम जिलों तथा गुजरात राज्य से होती हुई खंभात की खाड़ी द्वारा अरब सागर में गिरती है।
?इसकी दक्षिणी-पूर्वी शाखा बांसवाड़ा जिले से विपरीत दिशा में आकर मिलती है। इस पर माही बजाज सागर एवं कडाणा बाँध बनाये गए हैं।
?यह खम्भात की खाड़ी में गिरती है। इसकी कुल लम्बाई लगभग 579 किलोमीटर है।
?यह भारत की एकमात्र ऐसी नदी है जो कर्क रेखा को दो बार काटती है । यह भारत की पवीत्र नदियो मे से एक हे।

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 रमेश डामोर 

सिरोही

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