मुस्लिम लीग और पाकिस्तान की मांग(Demand of Muslim League and Pakistan)
मुस्लिम लीग और पाकिस्तान की मांग
(Demand of Muslim League and Pakistan)
1930 में मुस्लिम लीग के इलाहाबाद अधिवेशन की अध्यक्षता करते हुए महान उर्दू कवि इकबाल ने कहा कि उत्तर-पश्चिम भारत का संगठित मुस्लिम राज्य के रुप में निर्माण ही मुझे मुसलमानों की अंतिम नियति प्रतीत होती है
उर्दू कवि इकबाल को पाकिस्तान के विचार का जनक कहा जाता है
लेकिन इकबाल के भाषण के संदर्भ से स्पष्ट है कि इस महान उर्दू कवि और देशभक्त का सपना देश को विभाजित करने का नहीं था
बल्कि पश्चिमोत्तर भारत के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों का पुनर्गठन करके उसे एक ढीले-ढाले भारतीय संघ में एक स्वायत्त इकाई बनाना था
रहमत अली
पाकिस्तान नाम सर्वप्रथम कैंब्रिज( इंग्लैंड) विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली ने 1933 में गढा था
चौधरी रहमत अली नामक एक मुस्लिम छात्र ने एक पर्चा जारी कर पृथक राज्य पाकिस्तान की परिकल्पना को जन्म दिया था
रहमत अली ने पंजाब ,अफगान प्रांत, कश्मीर ,सिंध के प्रथम अक्षर और बलूचिस्तान से अंतिम शब्द लेकर पाकिस्तान शब्द का निर्माण किया
1933 और 1935 में लिखे गए दो पर्चो में रहमत अली ने एक नई अस्मिता के लिए अलग राष्ट्रीय दर्जे की मांग की थी जिसे उसने पाकिस्तान नाम दिया था
पृथक पाकिस्तान राज्य की पहली बार मांग
22-23 मार्च 1940 को मुस्लिम लीग का अधिवेशन लाहौर में हुआ था इसकी अध्यक्षता मोहम्मद अली जिन्ना ने की थी
इस अधिवेशन में भारत से अलग एक मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान की मांग की गई थी
लाहौर अधिवेशन(1940)में पहली बार पृथक पाकिस्तान राज्य के निर्माण का प्रस्ताव पारित किया गया
मोहम्मद अली जिन्ना ने अधिवेशन में भाषण देते हुए कहा कि वह एक अलग मुस्लिम राष्ट्र के अतिरिक्त और कुछ स्वीकार नहीं करेंगे
वह अंत तक अपने निर्णय पर अटल रहेंगे जब तक कि पाकिस्तान के निर्माण की मांग को पूर्णता स्वीकार नहीं कर लिया जाएगा
23 मार्च 1940 के प्रसिद्ध प्रस्ताव का प्रारूप सिकंदर हयात खान ने बनाया था और उसे फजलुल हक ने प्रस्तुत किया था
खलीकुज्जमॉ ने पृथक पाकिस्तान प्रस्ताव का समर्थन किया था
लेकिन प्रस्ताव में पाकिस्तान शब्द का जिक्र नहीं था
मोहम्मद अली जिन्ना ने द्विराष्ट्र सिद्धांत का प्रतिपादन किया था
पाकिस्तान निर्माण की योजना/ चरण/क्रिया विधि
जब रहमत अली ने पाकिस्तान की मांग रखी उस समय इस बात को किसी ने गंभीरता से नहीं लिया था
मुस्लिम लीग और गोलमेज सम्मेलन के प्रतिनिधियों ने तो बिल्कुल भी नहीं लिया था उन्होंने इस विचार को एक लड़के की सनक कह कर टाल दिया था
लेकिन 1937 के पश्चात लीग को किसी प्रकार के सकारात्मक मंच की बड़ी आवश्यकता थी और 1935 के कानून की संघीय धाराओं के लागू होने की संभावनाएं कम होती जा रही थी
परिणाम स्वरुप 1938-39 के बीच अनेक वैकल्पिक प्रस्ताव सामने आए
मार्च 1939 में लीग ने विभिन्न योजनाओं की जांच के लिए एक उप समिति की स्थापना की ,
जहां जफरुल हसन और हुसैन कादरी की योजना में चार सफल राज्य पाकिस्तान ,बंगाल ,हैदराबाद और हिंदुस्तान बनाने की बात कही गई थी
वही अधिकांश अन्य योजनाएं पूर्ण विभाजन की धारणा तक नहीं पहुंची वह ढीले-ढाले भारतीय संघ के भीतर ही स्पष्ट और स्वायत्त मुस्लिम गुटों का निर्माण चाहती थी
पंजाब में यूनियनिस्ट मुख्यमंत्री सिकंदर हयात खान ने एक प्रकार की तीन स्तरों वाली संरचना का सुझाव दिया था
जिसमें स्वायत्त प्रांत सात क्षेत्रों में विभाजित होती ,उनकी अपनी विधायिकायें होती और
वह मिलकर एक ऐसे ढीले-ढाले संघ का निर्माण करते जिसमें केंद्र के पास केवल प्रतिरक्षा, विदेश विभाग ,कस्टम और मुद्रा के मामले रहते हैं
यह 1946 की कैबिनेट मिशन योजना का पूर्वाभास था
14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान का निर्माण हुआ प्रारंभ में पाकिस्तान की राजधानी कराची हुई और मोहम्मद अली जिन्ना इसके गवर्नर जनरल नियुक्त किए गए
पाकिस्तान को इस्लामी राज्य घोषित किया गया और वहां संसदीय लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था स्थापित की गई
लेकिन 1948 में मोहम्मद अली जिन्ना की मृत्यु के बाद संविधान की धाराओं के अनुसार शासन चलाना कठिन हो गया
पाकिस्तान का पहला संविधान 23 मार्च 1956 को लागू हुआ जिसके अनुसार जनरल इस्कंदर मिर्ज़ा को पहला अस्थाई प्रेसिडेंट चुना गया
जनरल इस्कंदर मिर्ज़ा ने 7 अक्टूबर 1958 को पाकिस्तान का संविधान रद्द करके फौजी शासन की स्थापना कर दी जो दिसंबर 1971 तक चलता रहा
27 अक्टूबर 1958 ले जनरल अयूब खान ने जनरल इस्कंदर मिर्ज़ा को अपदस्त कर दिया
25 मार्च 1970 को जनरल याहिया खाँ ने जनरल अयूब खान का स्थान ले लिया
दिसंबर 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में हारने के बाद जनरल याहिया खॉ को शासन सत्ता जुल्फिकार अली भुट्टो के हाथ में सोंप देनी पड़ी
पाकिस्तानी शासकों ने पिछले सालों में भारत के प्रति संघर्ष और टकराव की जो नीति बरती
उसके फलस्वरूप दोनों (भारत और पाकिस्तान) के बीच चार युद्ध हो चुके हैं 1-पहला युद्ध-1948 49 में
2-दूसरा युद्ध-अप्रैल 1956 में 3-तीसरा युद्ध-अगस्त 1965 में 4-चौथा युद्ध-दिसंबर 1971 में
बांग्लादेश का निर्माण
पाकिस्तानी शासकों ने पूर्वी पाकिस्तान को पश्चिमी पाकिस्तान का उपनिवेश जैसा भाग मानकर उसके प्रति जो भेदभाव पूर्ण नीति बरती थी
उसके फलस्वरूप 18 अप्रैल 1971 को शेख मुजीबुर्रहमान के नेतृत्व में उसने पाकिस्तान से अपना संबंध विच्छेद कर लिया और बांग्लादेश के नाम से स्वतंत्र राज्य घोषित कर लिया
बांग्लादेश पर बलात् अधिकार रखने वाली पाकिस्तानी सेनाओं ने 16 दिसंबर 1971 को ढाका में भारतीय सेनाओं और बांग्लादेश की मुक्तिवाहिनी की संयुक्त कमान के सामने बिना शर्त आत्म समर्पण कर दिया
26 महीने बाद 22 जनवरी 1974 को पाकिस्तान ने बांग्लादेश को मान्यता प्रदान कर दी
बांग्लादेश के निर्माण के फलस्वरूप पाकिस्तान का इस्लामिक गणराज्य पश्चिमी पाकिस्तान तक सीमित रह गया
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