राजस्थान का परिवहन( Transport of Rajasthan)

राजस्थान का परिवहन( Transport of Rajasthan)


परिचय 
 किसी भी प्रदेश के आर्थिक सामाजिक सांस्कृतिक व राजनीतिक जीवन में परिवहन के साधनों का बड़ा महत्व होता है
 कृषि,खनन,उद्योग-धंधे को किसी भी राज्य के आर्थिक जीवन का शरीर व हड्डियांमानी जाये तो परिवहन को उस आर्थिक ढांचे की स्नायु प्रणाली माना जाता है
 देश की औद्योगिक उन्नति व्यापार और कृषि सभी के विकास का आधार परिवहन के साधनों के विकाससे पूरी तरह जुड़ा हुआ है
 स्थानीय व राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार ( International trade) के बड़े भाग का सुचारु संचालन परिवहन और संचार के साधनोंपर ही निर्भर करता है
 वस्तुओं और जीव-जंतु मानव व विचार तथा दर्शन के प्रसार का यही मुख्य साधन है
 प्रदेश में परिवहन के विभिन्न साधनो में सड़क ,रेल ,वायु मार्गो का विशेष महत्व है
 इस प्रकार आधुनिक समय में परिवहन के साधनों के विस्तार को आर्थिक समृद्धिका सूचक माना जाता है
 राजस्थान जैसे कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले प्रदेश में परिवहन के साधन एक प्राथमिक आवश्यकता के रूप में महत्व रखते हैं
 यहां की मुख्य समस्या अधिक उपज वाले क्षेत्रों की पैदावार को कमी या सुखे वालेक्षेत्र में पहुंचाने की है,क्योंकि राजस्थान में किसी न किसी क्षेत्र में प्राय:अकालकी स्थिति रहती है
 अधिक उत्तम परिवहन सुविधाओं का विकास होने पर ही कृषक अपनी उपज उचित कीमत पर बाजार में बेचसकता है और अपनी आर्थिक स्थिति सुधारसकता है
 राजस्थान राज्य का औद्योगिक विकास (industrial development) बहुमूल्य खनिज संपत्ती का उपयोग और कुशल प्रशासन केवल परिवहन के साधनों के विकासपर ही निर्भर है
 परिवहन एक प्रदेश के आर्थिक विकास ( Economic Development) का आधार और क्षेत्रीय प्रगति का सूचक माना जाता है
 विकास की परिकल्पना ही परिवहन से जुड़ी हुई है,
 वास्तव में परिवहन तंत्र राज्य रूपी शरीर में रक्तवाहिनी शिराओं के समान है
 जिस प्रकार शरीर में रक्त संचार को बनाए रखने हेतु शिराये आवश्यक है
 उसी प्रकार राज्य रूपी शरीर के लिए परिवहन आवश्यक है
 स्वतंत्रता से पूर्व राज्य, छोटी छोटी रियासतोंमें बटा होना,उनमें आपसी सामंजस्य का अभावहोना आर्थिक संसाधन सीमितहोना,
 तकनीकी ज्ञान ( Technical knowledge) की कमी के अतिरिक्त प्राकृतिक बाधाएं जैसे राज्य के विशाल भाग में मरुस्थल का विस्तार मध्य भाग में अरावली की पर्वत श्रेणियां अनेक नदियां जिन पर पुलों का निर्माण व्यय साध्यहोना आदि ऐसे कारण हैं
 जिनके कारण राजस्थान में परिवहन विकास सीमित रहा स्वतंत्रता के पश्चात परिवहन की दिशा में प्रारंभ से ही कदम उठाए गए
 फलस्वरुप परिवहन का विस्तारहोने लगा और आज राज्य में उन्नत परिवहन है यद्यपि अभी विकास व विस्तार की प्रयाप्त संभावना है
 राज्य के परिवहन स्वरुप को यहॉ के सड़क ,रेल, वायु के संदर्भ में वर्णितकिया जा सकता है

 परिवहन का अर्थ 
 परिवहन को अंग्रेजी में TRANSPORT कहते हैं ट्रांसपोर्ट दो शब्दो TRANS ओर PORT से मिलकर बना है
TRANS का अर्थ परी या पार और PORT का अर्थ वहन या  ले जाना होता है  सामान्य अर्थ में पार ले जाने की प्रक्रिया परिवहन कहलाती है

 परिवहन की परिभाषा 
 ""माल मनुष्य व संदेशों""यानी ""एम➖3"को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने की प्रक्रिया परिवहन कहलाती है  परिवहन में गति निहीत होती है
 गति या संचरण स्थानों के मध्य होता है अर्थात परिवहन में गति संचरण एवं प्रतिक्रियाहोता है जो संयोजन( परिवहन मार्गो) को और केंद्र के माध्यम से होती है

 राजस्थान में परिवहन के आधार 
 परिवहन विभिन्न प्रदेशो में आर्थिक संबंधोंको व्यक्त करता है
 अतः विभिन्न देशों के आर्थिक संबंधों के प्रतिरूप के अनुसार ही होता है
 परिवहन भूगोल के जनक ""एडवर्ड उल्मान(1953) के अनुसार किन्ही दो प्रदेशों के बीच परिवहन संबंध स्थापित होने के लिए निम्न तत्व या आधार का होना आवश्यक है.

 सम्मपूरकता 
 2 क्षेत्रों के बीच परिवहन की आवश्यकतातभी होती है जब किसी वस्तु की एक देश में मांग हो और दूसरे में इस मांग की पूर्तिकरने के लिए वस्तु विशेष का आधिक्य हो
 राजस्थान के पूर्वी व दक्षिणी पूर्वी भाग में कृषि उपजों का आधिक्यके पाया जाता है जिनकी मांग अरावली के पश्चिमी प्रदेश मरुस्थलीय भागमें होती है
 अतः पूर्वी भागों के खाद्यान्न व कृषि (Food and agriculture) उपजे पश्चिमी राजस्थान को भेजी जाती है
 प्राकृतिक व मानवीय दशाओं के कारण इस प्रकार की विषमता उत्पन्न होती है
 इसी तरह राजस्थान में अधात्विक खनिजो अभ्रक ,जिप्सम, ऐबस्टॉस,पन्ना रॉक फास्फेट की अधिकता है, जिन की मांग छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश,झारखंड,गुजरात व महाराष्ट्र में है
 अतः यहां से यह सभी वस्तुएं भेजी जाती है
 जबकि इन राज्यों में कोयला पेट्रोलियम की अधिकता है जिन्हे राजस्थान में आयात कियाजाता है
 यह संपूरकता ही परिवहन को आधार प्रदानकरती है

 मध्यवर्ती सुविधाओं का अभाव 
 परिवहन के लिए दो क्षेत्रो के बीच विशिष्ट संपूकरता के अतिरिक्त कीन्ही मध्यवर्ती सुविधाओं की आपूर्ति स्त्रोतो का अभाव अनिवार्य तत्व है
 यदि किसी प्रदेश में किसी वस्तु की विशेषमांग है-जैसे राज्य में कोयला इन की आपूर्ति अनेक स्त्रोतो झारखंड, पश्चिम बंगाल ,मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़से हो सकती है तो
 उस स्थिति में वह प्रदेश (राजस्थान)किसी भी स्त्रोत से ही इस मांग (कोयले)की पूर्ति कर सकता है तो इनके बीच परिवहन का विकास होना संभव नहीं होगा

 स्थानांतरण शीलता 
 विशिष्ट संपूरकता और मध्यवर्ती सुविधाओं की आपूर्ति का अभावहोने पर भी दो क्षेत्रों के बीच परिवहन संबंध स्थापित नहीं होगा
 जब तक उन में स्थानांतरण शीलता ना हो
 स्थानांतरण शीलता का अर्थ है➖जब वस्तु के परिवहन में उतनी ही परिवहन लागत अथवा समय लगे जो आर्थिक दृष्टिकोण से लाभदायकहो
 यदि मांग वाले प्रदेश एवं पूर्ति के बीच दूरी अधिक हो आर्थिक दृष्टि से अधिक महंगा हो तो इनके बीच परिवहन नहीं होगा

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