यह मिट्टी अरावली पर्वत के नीचे के क्षेत्रों में मिलती है यह मिट्टी सिरोही उदयपुर पाली अजमेर अलवर जिले के पहाड़ी भागो में पाई जाती है इस मिट्टी का रंग लाल से लेकर पीले भूरे रंग तक होता है यह मिट्टी पहाड़ी ढालो पर होती है इसलिए मिट्टी की गहराई बहुत कम होती है मिट्टी की कुछ गहराई के बाद चट्टानी धरातल आ जाता है इस चट्टानी धरातल को छोटे पौधों की जड़े नहीं भेद सकती हैं इस मिट्टी पर खेती नहीं की जाती है बस केवल जंगल लगाए जाते हैं
भूरी मिट्टी
यह मिट्टी टोंक सवाई माधोपुर बूंदी भीलवाड़ा उदयपुर और चित्तौड़गढ़ जिले में पाई जाती है इस मिट्टी का रंग भूरा होता है इस मिट्टी का जमाव बनास व उसकी सहायक नदियों के क्षेत्र में पाया जाता है इस मिट्टी का मुख्य क्षेत्र अरावली के पूर्वी भागों को माना जाता है इस मिट्टी में नाइट्रोजन और फास्फोरस लवणों का अभाव होता है इस मिट्टी में नाइट्रोजन और फॉस्फोरस दोनों से बनी कृत्रिम खाद देने पर अच्छी फसल का उत्पादन किया जा सकता है इस मिट्टी मे खरीब की फसल बिना सिंचाई के और रबी की फसल सिंचाई के द्वारा पैदा की जा सकती है
धूसर/ सिरोजम मिट्टी
यह मिट्टी अरावली पर्वतमाला के पश्चिमी क्षेत्र के बागड प्रदेश व पाली नागौर जालौर अजमेर जयपुर दोसा मैं पाई जाती है यह मिट्टी रेत के छोटे टीले वाले भाग में पाई जाती है इस मिट्टी को धूसर मरुस्थलीय मिट्टी भी कहते हैं इस मिट्टी का रंग पीला भुरा होता है इस मिट्टी के कण मध्यम मोटाई के होते हैं इस में नाइट्रोजन और कार्बनिक पदार्थों की कमी होती है इस कारण इस मिट्टी में उर्वरा शक्ति की कमी होती है रबी की फसल के लिए इस मिट्टी को निरंतर सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है और अधिक मात्रा में रासायनिक खाद डालना पड़ता है
अम्लीय मिट्टी
अम्लीय मृदाएं अवसादी प्रकृति की होती हैं। ये लेटेराइट, लौहमय लाल और अन्य लाल मृदा समूह की मृदाएं होती है। इनका विकास मुख्यत: भू-आकृति, अम्लीय मूल सामग्री और नमीयुक्त जलवायु के प्रभाव से होता है। गर्म व नमीयुक्त जलवायु और अत्यधिक वर्षा की स्थिति में मृदाओं की मूल स्थिती में तीव्र अपक्षयण होता है और क्षारों की लीचिंग काफी बढ़ जाती है। उच्च तापमान के साथ भारी वर्षा और अत्यधिक लीचिंग से अम्लीय मृदाओं का निर्माण होता है। अम्लीय मृदा का पीएच 4.0 से 5.0 होता है इस मिट्टी मैं पारगम्यता अधिक जल धारण क्षमता कम कार्बनिक पदार्थ मुख्यतः कायोलनाइट,क्ले खनिज पदार्थ कम मात्रा में पाए जाते हैं क्षार असंतृप्त मृदा है धनायनों की अपेक्षा अधिक ऋणायन क्रियाशील और स्थितिक मृदा अम्लीय है अम्लीय मृदा को चूना मिलाकर सुधारा जा सकता है अंम्लीय मृदा में मैग्नीशियम की उपलब्धताअधिक होती है अम्लीय मृदा में उगने वाले पौधे को ओक्सेलोफाइट्स करते हैं
वैज्ञानिक वर्गीकरण के आधार पर राजस्थान की मिट्टियां के प्रकार
ऐरिडोसोल्स (शुष्क मिट्टी) मिट्टी यह मिट्टी राजस्थान के मरुस्थलीय ,अर्द्ध मरुस्थलीय व शुष्क जलवायु क्षेत्र में पाई जाती है इस मिट्टी में जैविक तत्व का अभाव पाया जाता है यह मिट्टी कृषि के लिए अनुपयुक्त मिट्टी है इस मिट्टी में नमी की मात्रा बिल्कुल नगण्य होती है इस में लवणता की मात्रा अधिक पाई जाती है इस मिट्टी में जल संग्रहण क्षमता कम होती है इस मिट्टी के दो उपवर्ग है
कैम्बोऑरथिड्स मिट्टी➖ जालौर चूरू सीकर जोधपुर पाली बाड़मेर झुंझुनू मैं पाई जाती है
कैल्सिऑरथिड्स➖ जोधपुर जालौर पाली बाड़मेर नागौर सीकर चूरू श्रीगंगानगर और झुंझुनू जिले में पाई जाती है
यह मिट्टी भूरी बलुई ,धूसर मटियार, दोमट मिट्टी के साम्य है
अल्फीसोल्स (जलोढ मिट्टी)मिट्टी इस मिट्टी में अरजिलिक संस्तर उपस्थित होते हैं इस मिट्टी की ऊपरी सतह की तुलना में मटियारी मिट्टी की प्रतिशत मात्रा अधिक होती है इस मिट्टी की परिच्छेदिका मध्यम से लेकर पूर्ण विकसित तक होती है यह मिट्टी कृषि की दृष्टि से उपजाऊ होती है यह मिट्टी राज्य की भूरी मटियार और लाल दोमट मिट्टी के साम्य है यह मिट्टी जयपुर अलवर भरतपुर टोंक सवाई माधोपुर करौली भीलवाड़ा चित्तौड़ प्रतापगढ़ उदयपुर बूंदी डूंगरपुर कोटा झालावाड़ में पाई जाती है इस मिट्टी का एक उपवर्ग है
हेप्लूस्ताल्फस वर्ग
एन्टीसोल (पीली-भूरी मिट्टी) मिट्टी यह एक ऐसी मिट्टी है जिसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार की जलवायु में स्थित मृदाओं का समावेश मिलता है यह पश्चिम राजस्थान के लगभग सभी जिलों में पाई जाती है राजस्थान के 36.85 प्रतिशत भाग पर फेली है इस मिट्टी का रंग भूरा व लाल होता है इसका निर्माण सबसे बाद में हुआ है इस मिट्टी के चार उपवर्ग हैं
क्वार्ट्जीसामैण्ट्स➖ यह मिट्टी जैसलमेर के दक्षिण-पश्चिमी बाड़मेर के उत्तर भीलवाड़ा बूंदी चित्तौड़गढ़ में पाई जाती है
टोरी फ्लूवेण्ट्स➖ यह मिट्टी राज्य के *घग्घर नदी के मैदान ,बीकानेर ,श्री गंगानगर, हनुमानगढ़ जिले में यह पाई जाती है
यह मिट्टी राजस्थान की भूमि मटियार दोमट मिट्टी के साम्य है
उस्टीफ्लुवेण्ट्स➖ यह मिट्टी अलवर भरतपुर धौलपुर दोसा में पाई जाती है यह पीली भूरी दोमट बलुई दोमट मिट्टी के जैसी है
टोरीसामैन्ट्स➖ यह मिट्टी जैसलमेर बाड़मेर बीकानेर गंगानगर हनुमानगढ़ चुरु जयपुर अजमेर जिले में पाई जाती है यह राजस्थान की टिब्बेदार, पीली भूरी बलुई,पीली ,भूरी,दोमट, बलुई दोमट मिट्टी के साम्य है
इनसेप्टीसोल्स (आर्द्र मिट्टी) मिट्टी यह मिट्टी अर्द्ध शुष्क से लेकर आर्द्र जलवायु तक कही भी पाई जा सकती है यह मिट्टी शुष्क जलवायु में कहीं भी कभी भी नहीं पाई जाती है यह मिट्टी जलोढ़ मिट्टी के मैदान में भी कहीं-कहीं पायी जाती है यह मिटटी सिरोही पाली राजसमंद उदयपुर भीलवाड़ा चित्तौड़ दोसा में पाई जाती है यह मिटटी भूरी मटियार और लाल दोमट मिट्टी के साम्य है इस मिट्टी का एक वर्ग है
उस्टोक्रेप्टस वर्ग वर्टीसोल्स (काली मिट्टी) मिट्टी इस मिट्टी में अत्याधिक मृतिका (क्ले) उपस्थित होती है मृतिका की उपस्थिती के कारण इस मिट्टी मे मटियारी मिट्टी की सभी विशेषताएँ होती है यह उष्ण व उपोष्ण क्षेत्र मे पायी जाती है इस मिट्टी को कपासी,काली,रेगुर मिट्टी भी कहते है ग्रीष्मऋतु मे इस मिट्टी मे दरारें पड जाती है यह दरारें मिट्टी की ऊपरी सतह पर ही मिलती है इस मिट्टी के दो उपवर्ग है
क्रोमस्टर्ट्स➖
पेल्यूस्टर्टस➖.
यह मिट्टी झालावाड,कोटा,बॉरा ,बूँदी, चितौडगढ,भरतपुर,डूँगरपूर,बॉसवाडा,प्रतापगढ, सवाईमाधोपुर मे पायी जाती है
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