चतुरसिंह➖ मेवाड़ के महाराणा (1879-1929)है जिसने सुखेर गांव में झोपड़ी में रहकर जनोपयोगी साहित्य का सृजनकिया यह संस्कृत हिंदी राजस्थानी मेवाड़ीके अच्छे ज्ञाता थे
शंख लिपि➖ इस में प्रयुक्त अक्षर शंख की आकृति से मेल खाते हैं अभी तक अपढय, जयपुर में विराट नगर की ग्रेनाइट पहाड़ियों (Granite hills) की कंदराओं, बीजक की पहाड़ी भीम जी की डूंगरी, गणेश डूंगरीसे इस लिपि के प्रमाण मिले हैं
धर्मत का युद्ध➖ मारवाड़ के राजा जसवंत सिंह प्रथम द्वारा उत्तराधिकारी संघर्ष में शहजादा दाराकी ओर से औरंगजेब के विरुद्धयह युद्ध लड़ा गया था यह युद्ध धरमत नामक स्थान पर लड़ा गया था इस युद्ध मे औरंगजेब की विजयहुई थी वर्तमान में धरमत मध्य प्रदेश राज्यमें स्थित है
30 वर्षीय युद्ध➖ मारवाड़ के राठौड़ द्वारा वीर दुर्गादास के नेतृत्व में यह युद्ध लड़ा गया था अजीत सिंह को जोधपुर का शासक बनाने हेतु मुगलों के विरुद्ध यह युद्ध (लंबा संघर्ष) किया गया था
जांगलन्धर बादशाह➖ Bikaner का शासक (1631-69) महाराणा करण सिंहहै यह औरंगजेब का विशेष कृपापात्रथा इस को औरंगजेब ने ही जांगलन्धर बादशाह की उपाधि दी थी
यतुन्निसा➖ यतुन्निसा औरंगजेब के विद्रोही शहजादे अकबर की पुत्रीथी इसका लालन-पालन और कुरान की शिक्षा व्यवस्था (Education system)दुर्गादास राठौर ने अपने सान्निध्य मे की थी
जोधपुर लीजन➖ ईस्ट इंडिया कंपनी ( East India Company) द्वारा 1818की संधि के बाद जोधपुर के सवारों को अकुशल बताकर जोधपुर लीजन का गठन किया गया जिसका खर्चा एक लाख पंद्रह हजार रुपए था जोधपुर लीजन का मुख्यालय अजमेर बड़गांव (सिरोही) एरिनपुरा (पाली) में था
जाखरी सम्मेलन➖ डूंगरपुर के कारावाडा गांव में 1946 में सम्मेलन का आयोजन किया गया था जिसमें डूंगरपुर सेवा संघ के 18 सूत्री कार्यक्रमों की जानकारी दी गई थी यह सभी जानकारियां राजनीतिक सुधार से संबंधित थी
अभिनव भारत➖ यह एक क्रांतिकारी संगठन था जिसकी स्थापना राज्य के क्रांतिकारियों ( Revolutionaries) द्वारा की गई थी राज्य में सशस्त्र क्रांति के सूत्रदार केसरी सिंह बारहठ, राव गोपाल सिंह ,अर्जुन लाल सेठी, व दामोदर दास राठीने इस क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की थी
कूरब➖ शासक द्वारा सामंत को दिए जाने वाले विशेष सम्मान की एक प्रथा है इस प्रथा में शासक सामंत के कंधे पर हाथ रख कर अपनी छाती तक लेजाते हैं इस प्रक्रिया से यह बताते हैं कि आप का स्थान मेरे हृदयमें है
बॉह पसाव➖ शासक द्वारा सामंत को दिए जाने वाले सम्मान की एक रस्म है इस रस्म में सामंत का अभिवादन स्वीकार कर महाराणा या राजा सामंत के कंधे पर अपने हाथरखते थे
तासिमों➖ तासिमों धौलपुर जिलेका एक गांव है यहां पर अप्रैल 1947 में श्री छतरसिंह व श्री पंचमसिंह ने तिरंगे झंडेके लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी
भोमिये➖ राजस्थान में रियासत काल में राजपूतों की एक जातिथी यह वह राजपूत हैं जो राज्य की रक्षार्थ या राजकीय सेवा के लिए अपना बलिदान करते थे वह भोमियेकहलाए.
ग्रास व ग्रासिये➖ सैनिक सेवा के बदले शासकद्वारा दी गई भूमि ग्रास कहलाती थी इस भूमि की उपज का उपयोग करने वाले सामंत जागीरदार ग्रासिये कहलाते थे
अभित्र हरि➖ इनका जन्म कोटा में हुआ था यह एक प्रसिद्ध पत्रकार और कोटा प्रजामंडल के अध्यक्षथे हाडौती में स्वतंत्रता आंदोलन के जनक कहलाते हैं
देश के दीवाने➖
राजस्थान सरकार ( Rajasthan government) द्वारा प्रकाशित एक पुस्तक है जिसमें राज्य के स्वतंत्रता सेनानियों ( Freedom fighters) की कीर्ति कथाओं का वर्णनहै स्वतंत्रता सेनानियों की कीर्ति कथाओंके लिए इस पुस्तक में 51 सेनानियों के नामों को सम्मिलित किया गया था
डाण➖ एक राज्य से दूसरे राज्य में माल को ले जाने पर वसूली जाने वाली लाग डाण कहलाती है
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