राजस्थान के प्रतिक चिन्ह( State Symbol of Rajasthan )
राजस्थान के प्रतिक चिन्ह ( State Symbol of Rajasthan )
राजस्थान राज्य पशु चिंकारा ( Rajasthan State animal chinkara ) ( वन्य जीव श्रेणी )
चिंकारे को राज्य पशु का दर्जा 22 मई , 1981 मिला ।
चिंकारे का वैज्ञानिक नाम गजेला - गजेला है ।
चिंकारा एंटीलोप प्रजाति का जीव है ।
चिंकारे के लिए नाहरगढ़ अभयारण्य (जयपुर )प्रसिद्ध है ।
राज्य में सर्वाधिक चिंकारे जोधपुर में देखे जा सकते है ।
राजस्थान राज्य पक्षी " गोडावण " ( Rajasthan State bird Godavana )
गोडावण को राज्य पक्षी का दर्जा 21 मई 1981 में मिला । गोडावण का वैज्ञानिक नाम क्रायोटिस नाइग्रीसेप्स है ।
गोडावण को अंग्रेजी में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड बर्ड कहा जाता है ।
गोडावण को स्थानीय भाषा में सोहन चिड़िया , शर्मीला पक्षी कहा जाता है ।
गोडावण के अन्य उपनाम -- सारंग, हुकना, टुकड8, बड़ा तिलोर व गुधनमेर है ।
गोडावण को हाड़ौती क्षेत्र में मालमोरड़ी कहा जाता है ।
राजस्थान में गोडावण सर्वाधिक तीन क्षेत्रो में पाया जाता है - सोरसन ( बारां ) , सोंकलिया (अजमेर ) , मरूद्यान ( जैसलमेर , बाड़मेर )।
गोडावण के प्रजनन हेतु जोधपुर जंतुआलय प्रसिद्ध है ।
गोडावण का प्रजनन काल अक्टूबर , नवम्बर का महिना माना जाता है ।
गोडावण मूलतः अफ्रीका का पक्षी है ।
गोडावण की कुल ऊंचाई लगभग 4 (NCRT book में 1 मीटर ) होती है ।
इसका प्रिय भोजन मूंगफली व तारामीरा है ।
गोडावण राजस्थान के अलावा गुजरात में भी देखा जा सकता है ।
गोडावण शुतुरमुर्ग की तरह दिखाई देता है ।
2011 में की IUCN की रेड डाटा लिस्ट में इसे Critically Endangered प्रजाति मन गया है ।
5 जून 2013 को राष्ट्रीय मरू उद्यान , जैसलमेर में प्रोजेक्ट ग्रेट इंडियन बस्टर्ड प्रारम्भ किया ।
1980 में जयपुर में गोडावण पर पहला अंर्तराष्ट्रीय सम्मलेन आयोजित किया गया ।
राजस्थान राज्य पुष्प ' रोहिड़ा' ( Rajasthan State flower Rohida )
रोहिड़े को राज्य पुष्प का दर्जा 1983 में दिया गया ।
रोहिड़े का वैज्ञानिक नाम टिकोमेला अन्डूलेटा है ।
रोहिड़े के पुष्प मार्च , अप्रैल में खिलते है ।
जोधपुर में रोहिड़े के पुष्प को मारवाड़ टीक कहा जाता है ।
रोहिड़े को जरविल नामक रेगिस्तानी चूहा नुकसान पहुंचा रहा है ।
राजस्थान राज्य वृक्ष ' खेजड़ी ' ( Rajasthan State Tree Khazdi )
दर्जा :- 31 अक्टूबर , 1983 को ।
5 जून 1988 को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर खेजड़ी वृक्ष पर 60 पैसे का डाक टिकट जारी किया गया ।वैज्ञानिक नाम :- प्रोसेपिस सिनरेरिया है ।
खेजड़ी को राजस्थान का कल्प वृक्ष , थार का कल्प वृक्ष , रेगिस्तान का गौरव आदि नामो से जाना जाता है ।
खेजड़ी को Wonder Tree व भारतीय मरुस्थल का सुनहरा वृक्ष भी कहा जाता है । खेजड़ी के सर्वाधिक वृक्ष शेखावाटी क्षेत्र में देखे जा सकते है ।
खेहड़ी के सर्वाधिक वृक्ष नागौर जिले में देखे जाते है । खेजड़ी के वृक्ष की पूजा विजय दशमी / दशहरे ( आश्विन शुक्ल -10 ) के अवसर पर की जाती है ।
खेजड़ी के वृक्ष के नीचे गोगा जी व झुंझार बाबा के मंदिर बने होते है ।खेजड़ी को हरियाणवी व पंजाबी भाषा में जांटी के नाम से जाना जाता है। खेजड़ी को तमिल भाषा में पेयमेय के नाम से जाना जाता है ।
खेजड़ी को कन्नड़ भाषा में बन्ना-बन्नी के नाम से जाना जाता है ।खेजड़ी को सिंधी भाषा में छोकड़ा के नाम से जाना जाता है ।खेजड़ी को बंगाली भाषा में शाईगाछ के नाम से जाना जाता है ।
खेजड़ी को विश्नोई संप्रदाय में शमी के नाम से जाना जाता है ।
खेजड़ी को स्थानीय भाषा में सीमलो कहा जाता है । खेजड़ी की हरी फलियां सांगरी ( फल गर्मी में लगते है ) कहलाती है तथा पुष्प मींझर कहलाता है ।
खेजड़ी कि सूखी फलियां खोखा कहलाती है । वैज्ञानिको ने खेजड़ी जे वृक्ष की आयु पांच हजार वर्ष बताई है ।
राज्य में सर्वाधिक प्राचीन खेजड़ी के दो वृक्ष एक हजार वर्ष पुराने मांगलियावास गांव ( अजमेर ) में है । मांगलियावास गांव में हरियाली अमावस्या (श्रावण ) को वृक्ष मेला लगता है ।
खेजड़ी के वृक्ष को सेलेस्ट्रेना व ग्लाइकोट्रमा नामक कीड़े नुकसान पंहुचा रहे है ।
माटो :- बीकानेर के शासकों द्वारा प्रतीक चिन्ह के रूप रूपये में खेजड़ी के वृक्ष को अंकित करवाया ।
ऑपरेशन खेजड़ा नमक अभियान 1991 में चलाया गया ।
वन्य जीवो के रक्षा के लिए राज्य में सर्वप्रथम बलिदान 1604 में जोधपुर के रामसडी गांव में करमा व गौरा के द्वारा दिया गया
खेजड़ी के लिए प्रथम बलिदान अमृता देवी बिश्नोई ने 1730 में 363 लोगो के साथ जोधपुर के खेजड़ली ग्राम या गुढा बिश्नोई गांव में भाद्रपद शुक्ल दशमी को दिया ।
भाद्रपद शुक्ल दशमीको विश्व का एकमात्र वृक्ष मेला खेजड़ली गांव में लगता है । बिश्नोई सम्प्रदाय के द्वारा दिया गया यह बलिदान साका या खड़ाना कहलाता है ।
इस बलिदान के समय जोधपुर का राजा अभयसिंह था । अभयसिंह के आदेश पर गिरधर दास के द्वारा 363 लोगों की हत्या की गई । खेजड़ली दिवस प्रत्येक वर्ष 12 सितंबर को मनाया जाता है ।
अमृता देवी वन्य जीव पुरस्कार की शुरुआत 1994 में की गई । खेजड़ली आंदोलन चिपको आंदोलन का प्रेरणा स्त्रोत रहा है
राजस्थान राज्य खेल बास्केटबाल ( Rajasthan State Sports Basketball )
दर्जा :- 1948 में
खिलाड़ियों की संख्या :- 5
बास्केटबाल अकादमी जैसलमेर में प्रस्तावित है ।
राजस्थान राज्य गीत ' केसरिया बालम ' ( Rajasthani state song Kesaria Balam )
इस गीत को सर्वप्रथम उदयपुर की मांगी बाई के द्वारा गया गया ।
इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाने का श्रेय बीकानेर की अल्लाजिल्ला बाई को है ।
अल्लाजिल्ला बाई को राजस्थान की मरू कोकिला कहा जाता है ।
यह गीत माण्ड गायिकी शैली में गाया जाता है ।
राजस्थान राज्य का शास्त्रीय ' कत्थक ' ( Classical 'Kathak' of Rajasthan State )
कत्थक उत्तरी भारत का प्रमुख नृत्य है ।
दक्षिणी भारत का प्रमुख नृत्य भरतनाट्यम है ।
कत्थक का भारत में प्रमुख घराना लखनऊ है ।
कत्थक के राजस्थान में प्रमुख घराना जयपुर है ।
कत्थक के जन्मदाता भानू जी महाराज को मन जाता है ।
राजस्थान राज्य की राजधानी ' जयपुर ' ( Rajasthan state capital Jaipur )
जयपुर की स्थापना सवाई जयसिंह द्वितीय के द्वारा 18 नवम्बर 1727 में की गई ।
जयपुर के वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य को माना जाता है ।
जयपुर के निर्माण के बारे में बुद्धि विलास नामक ग्रंथ से जानकारी मिलती है ।
जयपुर जा निर्माण जर्मनी के शहर द एल्ट स्टड एर्लग के आधार पर करवाया गया है ।
जयपुर का निर्माण चौपड़ पैटर्न के आधार पर किया गया है ।
जयपुर को राजधानी 30 मार्च 1949 को बनाया गया ।
जयपुर को राजधानी श्री पी सत्यनारायण राव समिति की सिफारिश पर बनाया गया ।
जयपुर को गुलाबी रंग में रंगवाने का श्रेय रामसिंह द्वितीय को है ।
2 Comments
Sohan
5 years ago - ReplyBahut Khoob sir ji
Prem
5 years ago - Replyबहुत अच्छा