?स्वतंत्रता प्राप्ति के समय राजपूताने में 19 रियासते आती थी
?उनमें सबसे प्राचीन रियासत मेवाड़ और क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बडी रियासत जोधपुर थी
?जोधपुर का क्षेत्रफल 45000 वर्ग किलोमीटर था
?हरिपुरा कांग्रेस अधिवेशन में यह निर्णय लिया गया था की रियासतों में प्रजामंडल, प्रजा परिषद व लोक परिषद की संस्थाएं स्थापित कर ली जाए
? वे संस्थाए अपने नरेशो की छत्रछाया में उत्तरदायी शासन की स्थापनाका प्रयास करें
?विभिन्न रियासतों के एकीकरण की इस समय तक कल्पना भी नहीं की गई थी लेकिन 31दिसंबर 1945 में अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद् का अधिवेशन उदयपुर में स्वर्गीय जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में हुआ था
?उसमे लिए गए निर्णय के अंतर्गत अखिल भारतीय लोक परिषद् की शाखा के रुप में राजपूताना प्रांतिय सभा की स्थापना की गई
?जिसका प्रधान कार्यालय जयपुर में रखागया
?वास्तव में राजपूताना प्रदेश के भावनात्मक एकीकरण की ओर यह प्रथम कदम था
???राजपूताने को इकाई के रुप में परिणित करने का प्रयास???
?सितंबर 1946 में केंद्र में पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में अंतरिम सरकारका गठन हुआ
?उसमें भारतवासियों के हृदय में नवीन चेतना का उदय हुआ
?अंतरिम सरकार के गठन के सात दिन उपरांत ही अखिल भारतीय देशी लोक परिषद् की राजपूताना प्रांतीय सभा में 9 सितंबर 1946 को एक प्रस्ताव पारित कर घोषणा की
?कि राजस्थान की कोई भी रियासत अपने आप में भावी भारतीय संघ में सम्मिलित होने योग्य नहीं है
?अतः समस्त राजस्थान को एक इकाई के रूप में भारतीय संघ में मिलना चाहिए
? उपरोक्त प्रस्ताव के पारित हो जाने से राजपूताने की राजनीति ने नया मोड़ लिया
?इसने नरेशों की छत्रछाया का सिद्धांत समाप्त कर दिया तथा जन साधारण में एकिकरण की भावना का सर्जन किया
?विभिन्न रियासतों ने अपनी कृत्रिम सीमाएं समाप्तकर अपने को संयुक्त राजस्थान के रूप में रुपांतरितकरने की कल्पना को साकार रुप देने का विचार किया
?इसी प्रस्ताव में राजपूताने के स्थान पर राजस्थान शब्द का प्रयोग किया गया
?इस प्रकार कर्नल टोड़ के द्वारा 117 वर्ष पूर्व प्रयुक्त राजस्थान शब्द ने पुनःयहा महत्वपूर्ण स्थान ग्रहण कर लिया
?अखिल भारतीय देशी लोक परिषद की राजपूताने की प्रांतीय सभा में इस विषय का प्रस्ताव पारित हो जाने से भी राजस्थान का निर्माण एक आकस्मिक घटनाके रूप में नहीं हुआ
?इसके गठन में अनेक कठिनाइयांप्रस्तुत हुई
?उन कठिनाइयों के निवारण में राज्यों के नरेशों ने भी अपना योगदान दिया व वहां की जनता ने भी अपना योगदान दिया
?राजस्थान की 19 रियासतों का विलय 18 मार्च 1948 को आरंभ हुआ और इस की पूर्णाहुति 1 नवंबर 1956को हुई
?8 वर्षों के अंतराल में राजस्थान को अपने लक्ष्य तक पहुंचने में 7 चरणों से गुजरना पड़ा
???राजस्थान का एकीकरण अथवा राजस्थान का निर्माण???
☘?प्रथम चरण अथवा मत्स्य राज्य का गठन?☘
?संघ का नाम➖मत्स्य संघ
?तिथि➖18 मार्च 1948
?सम्मिलित रियासत➖अलवर भरतपुर करौली-धौलपुर (नीमराणा)
?राज प्रमुख➖उदय भान सिंह (धोलपुर)
?उप राज प्रमुख➖तेजसिह (अलवर)
?प्रधानमंत्री➖शोभाराम कुमावत ₹अलवर)
?राजधानी➖अलवर
?उद्घाटन➖नरहरि विष्णु गाडगिल
?????????
?स्वतंत्रता प्राप्ति के समय अलवर व भरतपुर में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक दंगेहो रहे थे
?प्रथम मेव लोगों ने भरतपुर का उत्तरी भाग गुड़गांव और अलवर के दक्षिणी भाग को मिलाकर मेवस्तानबनाने का प्रयास किया था
?लेकिन हिंदुओं ने उनकी मुरादों पर पानी फेर दिया और इसी कारण यह अशांति फेल गई थी
?वहां के मेव मुसलमान लोग भारी संख्या में पाकिस्तान जा रहे थे
?भारत सरकार इससे विक्षुब्ध थी
?अलवर नरेश का उस में सक्रिय हाथ होने की आशंका में भारत सरकार के गृह मंत्री ने अलवर नरेश को दिल्ली नजर बंद कर लिया और राज्य का प्रशासन अपने हाथों में ले लिया
?हालांकि अलवर में सांप्रदायिक झगड़े भरतपुर के झगड़ों के कारण हुए थे
?उधर इन सांप्रदायिक दंगो के कारण भरतपुर की कानून व्यवस्था भी टूट चुकी थी
?अतः भरतपुर नरेश बृजेंद्र सिंह अपने राज्य की बिगड़ती दशा के कारण अपनी रियासत का शासन तंत्र वी पी मेनन की मंत्रणा पर केंद्र सरकार को सौपने को उद्यत हो गया
?हालांकि भरतपुर नरेश ने सांप्रदायिक झगड़े को शांत करने के लिए हरचंद कोशिश की थी
? जनता से भी इसमें सहयोग देने को कहा गया था लेकिन भरतपुर सरकार के सारे प्रयास विफलरहे
?अलवर,भरतपुर से मिलती हुई करौली धौलपुर दो छोटी रियासते और थी
? यह चारों रियासते भारत सरकार द्वारा निर्धारित मापदंड के अनुसार पृथक अस्तित्व बनाए रखने योग्य नहीं थी
? वैसे भी धौलपुर नरेश ने पाकिस्तान में विलय के प्रश्न पर जोधपुर नरेश का साथ दिया था
?अब भारत सरकार उससे भी नाराजथी इसीलिए 27 फरवरी 1948 को भारत सरकार ने इन रियासतों को सलाह दी कि अलवर ,भरतपुर, धौलपुर व करोली को मिलाकर एक नवीन राज्य के रूप में रुपांतरितहो जाना चाहिए
?चारों रियासतों ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और 18 मार्च 1948 को यह चारों रियासते मत्स्य राज्यके रुप में उभर आएगी
?महाभारत काल में भी इस प्रदेश को मत्स्य के नामसे ही जाना जाता था
?अतः इस ,नवीन राज्य को यही नाम दिया गया और *इस नवीन राज्य का उद्घाटन 18 मार्च 1948 को भारत के केंद्रीय मंत्री नरहरि गॉडगिलने किया
?हालांकि इसके उद्घाटन के समय भरतपुर नरेश के हनुमान सिंह के नेतृत्व में जाटों ने भारी विरोध किया था
?इस नवीन राज्य का क्षेत्रफल 12000 वर्ग किलोमीटरथा और इसकी राजधानी अलवर रखी गई
? इसकी जनसंख्या 1.8 करोड़ और वार्षिक आय दो करोड़ थी
?मत्स्य संघ का प्रधानमंत्री अलवर प्रजामंडल के नेता श्री शोभाराम कुमावत को बनाया गया
?जबकि राज प्रमुख महाराजा धौलपुर उदय भान सिह को बनाया गया
?मंत्रिमंडल में आठ मंत्री रखे गए
? इस राज्य का नाम कन्हैया लाल माणिक लाल मुंशी की सलाह पर मत्स्य संघ रखा गया
?अलवर महाराजा तेजसिह और अलवर के दीवान एनबी पर महात्मा गांधी की हत्या के षड्यंत्रका आरोप था
?इसीलिए सरकार ने इंहें 7 फरवरी 1948 को दिल्ली बुलाकर नजर बंद कर दिया था
?भरतपुर के महाराजा ब्रजेंद्र सिंह पर भी सांप्रदायिक दंगे भड़काने का आरोप था
☘?द्वितीय चरण अथवा राजस्थान संघ?☘
➖संघ का नाम➖राजस्थान संघ अथवा संयुक्त राजस्थान संघ प्रथम
?तिथि➖25 मार्च 1948
?सम्मिलित रियासतें➖कोटा, बूंदी,झालावाड ,टॉक ,शाहपुरा, किशनगढ़, डूंगरपुर ,बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ ,कुशलगढ़ ,लावा ठिकाना
?राज प्रमुख➖भीम सिंह *कोटा)
?उप राज प्रमुख➖बहादुर सिंह (बूंदी)
?प्रधानमंत्री➖गोकुल लाल असावा
?राजधानी➖कोटा
?उद्घाटन➖नरहरी विष्णु गाँडगिल
?????????
?मत्स्य संघ के निर्माण के साथ साथ भारत सरकार राजस्थान के अन्य छोटे राज्यों के शासकों से उनके भविष्य के बारे में भी बातचीतकर रही थी
?कोटा का महाराव भीमसिंह कोटा ,बूंदी व झालावाड मिलाकर हाड़ौती यूनियन बनाना चाहता था
?डूंगरपुर का महारावल लक्ष्मण सिह बागड प्रदेश डूंगरपुर बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ की Union बनानाचाहता था
?लेकिन दोनों के प्रयत्न असफल रहे
?रियासती विभाग में इन्हें मध्य भारत और मालवा में मिलाने का प्रस्ताव रखा
? लेकिन राजस्थान के नरेशों को मध्य भारत व मालवा में सम्मिलित होना स्वीकारनहीं था
?रियासती विभाग को शाहपुरा और किशनगढ़ को अजमेर में मिलाने की योजना पहले ही जनप्रतिनिधियों के विरोध के कारण रद्दकर दी गई थी
?अब रियासती विभाग के सामने राजस्थान की छोटी-छोटी रियासतो को मिलाकर एक अलग यूनियन बनाने के अतिरिक्त और कोई चारा नहीं था
? रियासती विभाग चाहता था कि राजस्थान की रियासतों का एकीकरण इस प्रकार हो कि उनकी सदियों पुरानी सामाजिक और सांस्कृतिक एकता बनी रहे
?रियासती विभाग ने 3 मार्च 1948 को कोटा ,बूंदी, झालावाड टोक, डूंगरपुर ,बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ किशनगढ़ और शाहपुरा की रियासतों को मिलाकर संयुक्त राजस्थान संघ प्रथम के निर्माण का प्रस्ताव दिया
?प्रस्तावित राज्य के हाड़ोती और बागड क्षेत्र के बीच मेवाड़ की रियासतपड़ती थी
?रियासती विभाग द्वारा निर्धारित नीति के अनुसार मेवाड़ अपना पृथक अस्तित्व बनाए रखने का अधिकारी था
?इसलिए रियासती विभाग मेवाड़ पर विलय के लिए दबाव नहीं डाल सकता था
?फिर भी कतिपय राजाओं के आग्रह पर रियासती विभाग ने मेवाड़ को नये राज्य में शामिलहोने की दावत दी
?मेवाड़ के प्रधानमंत्री सर रामामूर्ति और महाराणा ने रियासती विभाग के प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि मेवाड़ का 1300वर्ष पुराना राजवंश अपनी गौरवशाली परंपरा को तिलांजलि देखकर भारत के मानचित्र पर अपना अस्तित्व समाप्त नहीं कर सकता
?अतः रियासती विभाग ने कोटा,बूंदी,झालावाड,डूंगरपुर, बांसवाड़ा,प्रतापगढ़, टौक, शाहपुरा और किशनगढ़ और कुशलगढ,लावा(ठिकाने)के 9 राज्यों व दो ठिकाने को मिलाकर संयुक्त राजस्थान संघ प्रथम अथवा राजस्थान संघ राजस्थान के राज्य के अंतर्गत गठित कर दिया
?इन सब राज्यों का मिलाकर क्षेत्रफल 16807 वर्ग मील था और जनसंख्या 2334 220 था
?इस संदर्भ में स्वयं सरदार वल्लभभाई पटेल का विचार था कि पालनपुर ,दांता ,डूंगरपुर बांसवाड़ा और सिरोही रियासतों को मालवा व पश्चिमी भारत में मिला देना चाहिए
?उपयुक्त राजस्थान संघ में कोटा सबसे बड़ी रियासत थी
?इस कारण कोटा नरेश महाराव भीमसिंह इस नवीन संघ के राज प्रमुखबने
?यद्यपि बूंदी नरेश महाराव बहादुर सिंह ने कोटा नरेश के इस पद पर आसीन होने का विरोध किया
?क्योंकि कोटा रियासत का निर्माण ही बूंदी सेहुआ था
?लेकिन अंत में उन्हें यह स्वीकारकरना पड़ा
? वर्तमान राजस्थान के गठन में इस संघ को संयुक्त राजस्थान प्रथम अथवा राजस्थान संघभी कहते हैं
?क्योंकि आगे चलकर सयुक्त राजस्थान राज्य प्रथमका ही गठन फिर होता है
? इस संघ का उद्घाटन 25 मार्च 1948 को भारत के मंत्री श्री नरहरि विष्णु गॉड गिल ने किया
?उन्होंने यहां का प्रधानमंत्री का पद गोकुल लाल असावाको दिया
? बांसवाड़ा के शासक चंद्रवीर सिंह ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर करते हुए कहा था कि मैं अपने डेथ वारंट पर हस्ताक्षर कर रहा हूं
?इन सभी राज्यों को मिलाकर एक संयुक्त राजस्थान संघ बनाने का प्रारंभिक प्रस्ताव कोटा डूंगरपुर और झालावाड के राजाओं की तरफसे आया
☘?तृतीय चरण अथवा संयुक्त राजस्थान संघ द्वितीय का गठन?☘
?संघ का नाम➖संयुक्त राजस्थान द्वितीय
?तिथि➖18 अप्रैल 1948
?सम्मिलित रियासते➖संयुक्त राजस्थान संघ प्रथम अथवा राजस्थान संघ + उदयपुर
?राजप्रमुख➖भूपालसिह ₹मेवाड़)
?उप राज प्रमुख➖महाराजा भीम सिंह (कोटा)
?राजधानी➖उदयपुर
?प्रधानमंत्री➖माणिक्य लाल वर्मा
?उद्घाटनकर्ता➖पंडित जवाहरलाल नेहरू
?????????
?जिस समय सयुक्त राजस्थान प्रथम का गठनकिया जा रहा था
?उस समय मेवाड़ के महाराणा के सम्मुख मेवाड़ को भी संघ में विलय करने का प्रस्ताव रखा गया था
?भारत सरकार ने महाराणा के निर्णय की प्रतीक्षा में संयुक्त राजस्थान प्रथम के उद्घाटन को भी स्थगितकरने का प्रयास किया था
?लेकिन कोटा के महाराव के अनुरोध पर उस का उद्घाटन निर्धारित समय 25 मार्च 1948पर ही हुआ
?महाराणा ने मेवाड़ विलय के प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि मेवाड़ का 1300 वर्ष पुराना राजवंश अपने गौरवशाली परंपराओं को तिलांजलि देखकर भारत के मानचित्र पर अपना अस्तित्व समाप्तनहीं कर सकता है राजस्थान की रियासते चाहे तो उनमें मिलसकती है
?इस पर राज्य के प्रजामंडल के प्रमुख नेता और संविधान निर्मात्री परिषद के सदस्य श्री माणिक्य लाल वर्मा ने इसकी कड़ी प्रतिक्रियाकी और कहा कि मेवाड़ की 20लाख जनता के भाग्य का निर्णय केवल अकेले महाराणा और मेवाड़ के प्रधानमंत्री सर रामामूर्तिनहीं कर सकते
? प्रजामंडल की यह स्पष्ट नीति है कि मैंवाड अपना अस्तित्व समाप्त कर राजस्थान का अंग बन जाए
?प्रजामंडल के नेताओं ने जनता को इस तरफ से प्रभावित करना आरंभ किया कि मेवाड़ की उन्नति उसकी पृथकता समाप्त करके ही संभव थी
?रियासती विभाग अपनी निर्धारित नीति के अनुसार मेवाड़ पर विलेय के लिए दबाव नही डाल सकता था
?लेकिन 4 अप्रैल को मेवाड़ में विधानसभा के चुनाव होने वाले थे
?चुनाव में प्रजामंडल के सदस्य भूरेलाल बया और क्षेत्रीय परिषद के सदस्य गुमान सिंह के बीच टक्कर होने को थी
? इस चुनाव में प्रथम मेवाड़ का वातावरण उत्तेजनात्मक बनाया और उधर महाराणा के रूख को विनम्रबनाया
? बदलती हुई राजनीतिक परिस्थितियों ने महाराणा को स्पष्ट कर दिया कि कोई भी राजतंत्र जनमत के विरुद्ध अधिक समय तक खड़ानहीं रह सकता
?अतः सयुक्त राजस्थान प्रथम के उद्घाटन के 3 दिन बाद महाराणा ने भारत सरकार को सूचितकिया कि वह सयुक्त राजस्थान प्रथम में सम्मिलित होने के लिए तैयार है
?इसके साथ ही महाराणा भूपाल सिंह ने अपने प्रधानमंत्री सर राम मूर्ति को दिल्ली विलय की शर्तें तयकरने के लिए वी पी मेननसे मिलने भेजा
?प्रधानमंत्री के साथ श्री मोहन सिंह मेहताभी दिल्ली गए थे
?परिणामत:यह तय हुआ कि उदयपुर के संयुक्त राजस्थान प्रथम में शामिल होने पर राज्य की राजधानी उदयपुर होगी
?महाराणा उदयपुर आजन्म राज प्रमुखहोंगे
?उन्हें प्रिवीपर्स के 1लाख रूपों के अतिरिक्त 5लाख रुपए वार्षिक राज प्रमुख के पद का भत्ता और 5लाख रुपए वार्षिक धार्मिक कार्यों पर खर्चकरने के लिए और दिए जाएंगे
?उस समय इतनी रियायते विलय होने वाली किसी अन्य रियासत कोनहीं दी गई थी
?रियासती विभाग में महाराणा की निजी संपत्ति के प्रश्न पर भी उदारता पूर्वकविचार करने का आश्वासन दिया
?महाराणा ने उक्त शर्तें स्वीकार कर ली इसके अलावा मेवाड़ की भौगोलिक स्थिति भी मेवाड़ को संयुक्त राजस्थान संघ प्रथममें विलय को ही आमंत्रित कर रही थी
?इन परिस्थितियों में मेवाड़ ने 11 अप्रैल 1948 को राजस्थान में मिलने का प्रस्ताव विधिवत रियासती विभाग को भेजा
? इस नवीन संघ का उद्घाटन स्वर्गीय जवाहरलाल नेहरू ने 18 अप्रैल 1948को किया
?इस संयुक्त राजस्थान के राजप्रमुख महाराणा भूपाल सिंह और प्रधानमंत्री माणिक्य लाल वर्मा बने
?इस संयुक्त राजस्थान के गठन में भारत सरकार को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा
?कई बार रियासती विभाग और राणा जी के मध्य आपसी विरोध पत्र-व्यवहार हुए थे
?परंतु वर्मा जी के मंत्रिमंडल ने अपने 11 महीने के कार्यकाल में वह कर दिखाया जो राज्य सरकारी 11 वर्षों में भी नहींकर पाई थी
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