शेखावाटी किसान आंदोलन
सीकर झुंझुनू चिड़ावा कटराथल किसान आंदोलन जयसिंहपुरा हत्याकांड खुड़ी गांव की घटना कुदन हत्याकांड पलथाना आदि को शेखावाटी किसान आंदोलन के रूप में जाना जाता है जयपुर राज्य में किसान आंदोलन मुख्यत आर्थिक शोषण के विरुद्ध था रामनारायण चौधरी ने शेखावाटी में किसान जागरण का कार्य आरंभ किया था चिडावा सेवा समिति ने 1921 में शेखावाटी में जन संघर्ष आरंभ किया था शेखावाटी के किसान आंदोलन तीन चरणों में हुए थे
पहला चरण 1922 से 1930 सीकर
द्वितीय चरण 1931 से 1938 पलथाना कटराथल गोठड़ा और कुंदन गांव यह सब शेखावाटी किसान आंदोलन के प्रमुख केंद्र थे
तीसरा चरण 1938से 1947 तक जयपुर राज्य प्रजामंडल की स्थापना
शेखावाटी में किसान आंदोलन का प्रारंभ सीकर ठिकाने से माना जाता है रामनारायण चौधरी ने तरुण राजस्थान समाचार पत्र में शेखावाटी किसान आंदोलन के समर्थन से एक क्रांतिकारी लेख लिखकर जागृति उत्पन्न कि थी रामनारायण चौधरी ने लंदन से प्रकाशित डेलीहेराल्ड नामक पत्र में भी शेखावाटी किसानों के किसानों की समस्याओं के समर्थन में लेख लिखे थे 1925 के बाद शेखावाटी के मंडावा डूँडलोद बिसाऊ नवलगढ के किसानों ने भी आंदोलन प्रारम्भ किया शेखावाटी किसानों में किसान आंदोलन का केंद्र 1931 में मंडावा बनता जा रहा था फरवरी 1932 में बसंत पंचमी के मौके पर झुंझुनू में आयोजित अखिल भारतीय जाट महासभा का तीसरा अधिवेशन किसान आंदोलन में नए युग का सूत्रपात कर गया जनवरी 1924 में सीकर में जाट महायज्ञ के आयोजन के अवसर पर हाथी के प्रश्न पर ठिकानेदार से मतभेद उत्पन्न हुए थे शेखावाटी किसान आंदोलन का निर्णय चरण 1931 में प्रारंभ हुआ था कर्मवीर व हरिजन अखबार ने खुड़ी व कुंदन के नरसंहार की आलोचना की थी
सीकर किसान आंदोलन
शेखावाटी किसान आंदोलन का आरंभ सीकर आंदोलन से माना जाता है 1921 में शेखावाटी क्षेत्र की चिड़ावा सेवा समिति*द्वारा सरकारी दमन व अत्याचार के विरुद्ध आंदोलन शुरु किया गयाइस समिति ने शराबबंदी और विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार पर जोर दिया था 1922 में माधव सिंह की मृत्यु के बाद उसका भतीजा कल्याण सिह सीकर का ठिकानेदार बना था कल्याण सिह ने करों में अत्यधिक वृद्धि कर दी थी कल्याण सिह के द्वारा करो में वृद्धि के विरोध में किसानों ने लगान देना बंद कर दिया और आंदोलन किया सीकर जयपुर रियासत का भाग था राजस्थान सेवा संघ के नेता रामनारायण चौधरी ने 1922 में बिजोलिया समझौते के उपरांत सीकर को अपना कार्य क्षेत्र बना लिया था रामनारायण चौधरी ने तरुण राजस्थान पत्र की सहायता से सीकर के किसानों के पक्ष में प्रभावी वातावरण तैयार किया इस आंदोलन का नेतृत्व ठाकुर देशराज द्वारा किया गया था
ठाकुर देशराज ने राजस्थान जाट महासभा का गठन किया था रामनारायण चौधरी ने लंदन से प्रकाशित होने वाले डेलीहेराल्ड समाचार पत्र में भी सीकर किसानों की समस्याओं से संबंधित लेख लिखें इंग्लैंड में सीकर के किसानो के समर्थन में वातावरण तैयार करने का महत्वपूर्ण कार्य किया रामनारायण चौधरी के प्रयासों से मई 1925 मे हाउस ऑफ कामन्स के सदस्य पेथिक लॉरेंस ने सीकर के किसानों के मामले में प्रश्न पूछा था इस प्रकार कुदन गांव हत्याकांड इतना विभत्स था की सीकर किसान आंदोलन का मामला न केवल भारत की सेंट्रल असेंबली में उठा बल्कि यह इंग्लैंड के हाउस ऑफ कॉमंस में भी उठा था किसान आंदोलन के दबाव के कारण ही सीकर के रावराजा ने एक जांच आयोग का गठन 1925 में किया इस आयोग के द्वारा भूमि की पैमाइश और बंदोबस्त का कार्य करना था अक्टूबर 1925 में अखिल भारतीय जाट महासभा का अधिवेशन पुष्कर में आयोजित किया गया था इस सम्मेलन की अध्यक्षता भरतपुर के महाराजा कृष्ण सिंह ने की थी
इस सम्मेलन के द्वारा जाटो में नवीन उत्साह तथा नईं शक्ति का संचार हुआ अखिल भारतीय जाट महासभा के सहयोग और सहायता से 1931 में सीकर के जाटों ने राजस्थान जाट क्षेत्रीय सभा की स्थापना की इस सभा के द्वारा सामन्ती जुल्मों अत्याचारों का डटकर मुकाबला किया गया जयपुर राज्य कि मध्यस्था से लगान में कमी व भूमि बंदोवस्त करने पर आंदोलन समाप्त हुआ 1934 में सीकर में जाटों में जन जागृति के लिए एक महायज्ञ का आयोजन किया गया था ठाकुर देशराज के सुझाव पर इस यज्ञ का नाम सीकर जाट प्रजापति महायज्ञ रखा गया प्रजापति महायज्ञ के द्वारा सीकर में किसान आंदोलन को तेज किया गया था था इस यज्ञ के उपरांत सीकर के जागीरदार ने जाट नेताओं व किसानों पर भारी अत्याचार किया मास्टर चंद्रभान चौधरी हरि सिंह किसान पंचायत के सहायक मंत्री गोमसिंह को बंदी बना लिया गया था जाट विद्यालय बंद करवा दिए गए और पलथाना और पिलानी के विद्यालयों को गिरा दिया गया इन परिस्थितियों में ठाकुर देशराज बधाला की ढाणी में विशाल सभा का आयोजन किया
कटराथल किसान आंदोलन
महात्मा गांधी के 1921 के असहयोग आंदोलन से प्रेरित होकर शेखावाटी क्षेत्र में किसान हरलाल सिंह ने किसानों को संगठित करने एवं चेतना जागृत करने हेतु किसान पंचायतों का गठन किया गया शेखावाटी क्षेत्र में पंडित तारकेश्वर शर्मा सरदार हरलाल घासी राम चौधरी नेतराम आदि ने किसान सभा गठित की सभी ने किसान सभा गठित करके पूरे जोर और प्रभावी तरीके से किसानों के पक्ष को रख किसान आंदोलन को प्रभावी बनाया शेखावाटी के ग्राम कटराथल में अप्रैल 1934 में किसान सभा के नेता हरलाल की पत्नी किशोरी देवी के नेतृत्व में हजारों (10,000) जाट महिलाओं ने किसान आंदोलन में भाग लिया
ठाकुर देशराज की पत्नी श्रीमती उतमा देवी ने भी इस आंदोलन में भाग लिया श्रीमती उतमा देवी के ओजस्वी भाषण से महिलाओं में साहस और निर्भरता का संचार हुआ कटराथल में हुए इस विशाल महिला सम्मेलन में शेखावाटी क्षेत्र की जनता में उत्कृष्ट राजनीतिक चेतना का संचार किया प्रथम महिला सम्मेलन कटराथल शेखावाटी के सीहोट के ठाकुर द्वारा बोसाणा तथा बेसाऊ गांव की महिलाओ के प्रति किए गए अमानवीय व्यवहार के विरुद्ध 25 अप्रैल 1934 नामक स्थान पर श्रीमती किशोरी देवी के नेतृत्व में एक विशाल महिला सम्मेलन का आयोजन किया गया था इस विशाल महिला सम्मेलन की अध्यक्ष श्रीमती किशोरी देवी थी इस विशाल सम्मेलन में लगभग 10000 महिलाओं ने भाग लिया था इस सम्मेलन में भाग लेने वाली प्रमुख महिलाएं श्रीमती पुष्पा देवी श्रीमती रमा देवी श्रीमती फूला देवी श्रीमती दुर्गा देवी आदि थी 16 मई 1934 को ठाकुर कल्याण सिंह के आदमियों ने हनुमानपुरा ग्राम के जाट किसानों के घरों में आग लगा दी थी
जयसिंह पुरा हत्याकांड
21 जून 1934 को डूंडलोद केे ठाकुर के भाई ईश्वर सिंह ने जयसिंहपुरा में खेत जोत रहे किसानों पर हमला किया और अंधाधुंध गोलियां बरसाई जिसमें कई किसान मारे गए और कई किसान घायल हो गए इस गोली कांड के विरोध मे संपूर्ण राजपूताना में जयसिंहपुरा शहीद सप्ताह मनाया गया सरदार हरलाल सिंह ने जयपुर सरकार और राजस्थान किसान पंचायत को इस घटना की विस्तृत जानकारी भेजी राज्य के पुलिस महानिरीक्षक एफ.एस यंग को इस कांड की जांच हेतु भेजा गया ईश्वर सिंह व उसके साथियो पर मुकदमा चलाया और उन्हें ढ वर्ष के कारावास की सजा हुई जयपुर रियासत में यह प्रथम मुकदमा था जिसमें जाट किसान हत्यारे को सजा दिलाने में सफल रहे
जयपुर सरकार ने सीकर ठिकाने के अत्याचारों को रोकने के लिए एक अंग्रेज W.T. वेव को नियुक्त किया गया वेब के प्रयासों से ठिकाने व किसानों के मध्य 23 अगस्त 1934 को समझौता किया गया इस समझौते के तहत बहुत से कर और बेगार को समाप्त कर दिया गया इस समझौते के द्वारा सीकर वाटी जाट पंचायत को वैधानिक मान्यता प्रदान की गई सार्वजनिक सेवाओं में जाटों को समान अवसर देने का आश्वासन दिया गया लेकिन समझौते का पालन ठिकाने द्वारा कभी भी पूर्णतया पालन नहीं किया गया इस कारण पून: आंदोलन प्रारंभ हुआ खुड़ी गांव व कुदन गांव में वेब द्वारा व्यापक नरसंहार कराया गया जयसिंहपुरा की घटना को जयसिंहपुरा हत्याकांड के नाम से जाना जाता है इस हत्याकांड की चर्चा भी हाउस ऑफ कॉमंन (ब्रिटेन) में की गई थी यह एक असफल आंदोलन था
खुड़ी गांव की घटना
25 मार्च 1935 को खुड़ी गांव में ठाकुरों ने किसानों की एक बारात में दूल्हे को घोड़ी पर बैठकर तोरण मारने से रोक दिया था ठिकाने द्वारा अपराधियों को दंडित करने के स्थान पर किसानों पर ही अत्याचार किए गए इस घटना में रतना चौधरी का गला काट कर हत्या कर दी गई थी इस कारण किसानों ने धरना दिया लेकिन इस धरने में कैप्टन वेब में किसानों पर लाठीचार्ज करवा दिया किसानों पर लाठीचार्ज करवाने की घटना में 4 किसान मारे गए और लगभग सौ किसान घायल हुए
कूदण हत्याकांड
कैप्टन वेब सीकर में प्रशासनिक नियंत्रण स्थापित करने में असफल रहा इस असफलता के कारण वेब ने बोखलाहट में कूदण गांव में भयंकर लूटपाट की और गोलियां चलवा दी इस गोली कांड में तीन व्यक्ति मारे गए इसके पश्चात गोठरा व पलथाना गांव को भी लूटा गया इन घटनाओं के विरोध में पूरे देश में 26 मई 1935 को सीकर दिवस मनाया गया भारत सरकार के हस्तक्षेप के उपरांत 1935 में सीकर के जागीरदार ने किसानों से अंतिम समझौता किया इस समझौते के तहत चार लाख से अधिक लगान की बकाया राशि को माफ कर दिया जाएगा 1935 के बाद सीकर में किसानों पर अत्याचार समाप्त पहो गए और लगान भी काफी कम कर दिया गया अंततः 946 में शेखावाटी सीकर ठिकाने में भूमि संरक्षण एवं भूमि बंदोबस्त की प्रक्रिया प्रारंभ होने से शांति स्थापित हो गई
बहुत अच्छा ..