राजस्थान में 1857 की क्रांति का सबसे अधिक सुनियोजित सुव्यवस्थित वह सफल विद्रोह कोटा में हुआ था, कोटा में सर्वप्रथम विद्रोहीयो ने कोतवाली में तिरंगा फहराया था, अंग्रेजों ने कोटा महाराव की सलामी 15 तोपों से घटाकर 11 कर दी थी | कोटा महाराव रामसिह ने मथुराधीश मंदिर के महंत गुसाई जी महाराज के मध्यस्थ बना तथा अंग्रेजों से सुलह की
जयपुर शासक मानसिंह द्वितीय ने अंग्रेजो की सहायता की तथा अंग्रेज अधिकारी व सेना को नाहरगढ़ व राजमहल में शरण दी, जयपुर राज्य में संघर्ष के प्रयास किए जाने पर नवाब विलायत खाँ ,सादुल्लाह खाँ ,उस्मान खाँ को बंदी बना लिया गया इलाहाबाद से प्रकाशित होने वाले डेली एक्सप्रेस अखबार में टोंक जिले की ख़बर रिवोल्ट इन एंड इंडियन शीर्षक से छपी थी
तात्या टोपे ने राजस्थान की जैसलमेर रियासत को छोड़कर सभी रियासतों का भ्रमण किया था, तात्या टोपे ने 11 दिसंबर 1857 को बांसवाड़ा के शासक लक्ष्मण सिंह को पराजित कर और अंग्रेजी अधिकारी रॉक व लिन माउथ को हराकर कुछ समय तक बांसवाड़ा पर शासन किया था
बर्ट्न के विद्रोह से व्यथित होकर भंवरगढ़ के व्यापारियों से 51 रुपए प्रति व्यापारी दंड लगाया गया क्योंकि इन व्यापारियों ने सैनिकों की सहायता की थी
जनरल रोबोट के नेतृत्व में रामसिह को छुड़ाया तथा इसका सहयोग मदनपाल करौली ने दिया
रामसिह को छुड़ाने में मदन पाल द्वारा दिए गए सहयोग के कारण अंग्रेजों ने मदन पाल को उपहार स्वरूप जी सीआई की उपाधि और सर्वाधिक तोपों की सलामी का उपहार दिया
अजमेर में विद्रोह 9 अगस्त 1857 को हुआ जिसमें केंद्रीय कारागृह के कैदियो ने विद्रोह करते हुए 50 कैदी वहां से भाग गए सवाई रामसिंह द्वितीय ने अपनी संपूर्ण सेना लगभग 6000 सैनिक अंग्रेजों को सौंप दिए थे गौतम का सिर धड़ से अलग कर के भाले पर टंगा आकर भवानी एंड भवानी भाइयों ने विद्रोह किया था
1857 की क्रांति को किसने क्या कहा था
सैनिक विद्रोह की संज्ञा दी थी- ह्योम्स लॉरेंस माल्सन, दुर्गादास, बंदोध्याय मुईनुद्दीन, ट्रैवलियन मुंशी जीवनलाल
कट्टरपंथियों वह इसाइयों के विरुद्ध संग्राम- रीज
सभ्यता एवं बर्बरता के बीच संघर्ष- टीआर होम्स
हिंदू मुस्लिम षड्यंत्र- अवट्रम व ट्रेलर
राष्ट्रीय विद्रोह- बेंजामिन डीजाईलिन
राष्ट्रीय विप्लव- डॉक्टर ताराचंद
राष्ट्रीय स्वतंत्रता के लिए सुनियोजित संग्राम- अशोक मेहता एक
जो युद्ध धर्म की रक्षा के लिए शुरू हुआ शीघ्र ही स्वतंत्रता संग्राम का रूप ले लिया- एस एन सेन
यह कांति नाही सैनिक विद्रोह थी ना ही संग्राम था- आर सी रमेश चंद्र मजूमदार
मेरठ का विद्रोह गर्मी की आंधी की तरह अल्पकालीन वह अचानक था- एस एन सेन
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