एशिया का मीटर गेज का सबसे बड़ा रेलवे यार्ड फुलेरा जंक्शन है जो जयपुर रेलवे (Jaipur Railway) जोन में आता है भारतीय रेल अनुसंधान एवं परीक्षण केंद्र की स्थापना पचपदरा बाड़मेर में की गई है जयपुर और अजमेर राज्य के दो रेलवे स्टेशन को विश्व स्तरीय बनाने की घोषणा की गई है ग्रीन फील्ड मेंन लाईन इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट मेमू की स्थापना भीलवाड़ा में की जाएगी
माल डिपो की ओवरहॉलिंग वर्कशॉप बीकानेर में स्थापित होगी
कौशल विकास केंद्र (Skill development center) व रेल संबंधित ट्रैड की स्थापना अलवर जिले में की जाएगी
राजस्थान के प्रतापगढ़ करोली और टोंक जिले ऐसी जिला मुख्यालय है जो अभी भी रेल सेवा से नहीं जुड़े हुए हैं
बजट 2015-16 में टोंक जिले को रेल से जोड़ने की घोषणा की गई है
1947 से पूर्व बीकानेर जोधपुर जिला में महाराणा गंगा सिंह व महाराजा तख्तसिंह रियासत ने अपनी निजी रेल मार्ग बनाए थे
रेलवे बोर्ड ( Railway board) ने फरवरी 2012 में अजमेर रेलवे स्टेशन का नाम परिवर्तित करके अजमेर शरीफ कर दिया है
वर्तमान में राजस्थान में दो रेलवे जोन व 5 मंडल कार्यालय कार्यरत हैं
कोटा मंडल को पश्चिमी मध्य जोन में सम्मिलित किया गया है जिसका मुख्यालय जबलपुर में है
भवानी मंडी झालावाड राज्य का एकमात्र ऐसा रेलवे स्टेशन है जो आधा राजस्थान में और आधा मध्यप्रदेश में आता है
राजस्थान के राजसमंद जिले के रेलमगरा में आधुनिक निरीक्षण एवं प्रमाणित करण केंद्र की स्थापना करने की स्वीकृति 13 मई 2011 को दी गई थी
रेलवे को हमारे संविधान में संघ सूची का विषय बनाया गया है
रेल बजट 2015-16 कोजयपुर रेलवे स्टेशन के दोनों ओर ग्रीन कॉरिडोर का काम शुरू किया जाएगा
लालटेन लेकर खड़े होने वाले भोलू गार्ड रेलवे का शुभंकर माना गया है
धोलपुर से शुरू की गई दूसरी नेरोगेज रेल लाइन को सरमथुरा मे डी बी आर के नाम से अधिक जाना जाता है
गंगानगर सूरतगढ़ रेल मार्ग जो मीटर गेज था उसे ब्रांड गेज में बदलकर मई 2012 में परिवहन के लिए खोला गया है नवीनतम रेल माल अजमेर से पुष्कर प्रारंभ किया गया है
राजस्थान में रेलमार्ग का महत्व
राज्य में रेलमार्गो द्वारा औद्योगिक सामग्री कृषि पदार्थों खनिज पदार्थों का सस्ती दर पर तीव्रगति से वहन होता है
राजस्थान में रेलमार्गों के सहारे विभिन्न उद्योगों की स्थापना की गई है रसायन वस्त्र सीमेंट उद्योग( Cement industry) इन्ही मार्गों के सहारे विकसित है
राजस्थान में रेलवे स्टेशनों के निकट कंटेनर डिपो(सूखा बंदरगाह) स्थापित किए गए हैं जिनमें कनकपुरा जयपुर कोटा भीलवाड़ा उदयपुर जोधपुर व श्री गंगानगर प्रमुख कंटेनर डिपो है
राज्य में रेलमार्ग प्रशासनिक कार्यों (शांति व अशांति के समय) राजनीतिक गतिविधियों को सुचारु रुप से संचालित करते हैं
राज्य में सूखा व अकाल के समय खाद्यान्नों दवाईयो व अन्य सामग्री का सस्ती दर पर अभाव क्षेत्रों में पहुंचता है
राज्य में शीघ्र खराब होने वाली वस्तुएं सब्जियां फल फूल डेयरी उत्पाद आदि को शीघ्रता से उत्पादन क्षेत्र से उपभोक्ताओं तक पहुंचा देते हैं
राजस्थान में व्यापारिक नगरों औद्योगिक नगरों प्रशासनिक राजधानियों व प्रमुख नगरों को आपस में जोड़ने का प्रभावी साधन रेल मार्ग ही है
राज्य में पूर्वी मैदानी प्रदेश व पश्चिमी रेगिस्तानी प्रदेश के बीच व्यापारिक गतिविधियों का संचालन रेल मार्ग द्वारा ही होता है
आर्थिक क्रियाओं की स्थापना सामाजिक कार्य सांस्कृतिक गतिविधियों त्योहारों उत्सव मेले आदि के समय रेलमार्ग प्रमुख साधन के रूप में कार्य करता है
रेल मार्ग राज्य के प्रादेशिक असंतुलन को कम करते हैं
राजस्थान में रेलमार्ग के उद्देश्य
भारी व वृहत आकार केमाल को लंबी दूरी तक प्रयाप्त सस्ती दर व तीव्रता के साथ ले जाना
यात्रियों को शीघ्र सुरक्षित आरामदायक व वृहद संख्या में परिवहन की सुविधाएं प्रदान करना
सुरक्षा सैनिक गतिविधियो रसद सामग्री आयुध सामग्री को शीघ्रता से आवश्यक क्षेत्र तक पहुंचाना
सूखा अकाल और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के समय पीड़ित क्षेत्रों को खाद्यान्न दवाइयां पानी व अन्य सामग्री पहुंचाना
प्रसिद्ध पर्यटन स्थलो, राजधानियों औद्योगिक व्यापारिक केंद्रों को जोड़ने और आयात निर्यात की सुविधा प्रदान करना
कृषि उत्पादन क्षेत्रों को कृषि मंडियों बाजार में उपभोक्ता केंद्र से जोड़ना
उपजाऊ व सघन आबाद क्षेत्रों में आर्थिक सामाजिक सांस्कृतिक गतिविधियां संचालित करना
व्यवसायिक व गैर व्यावसायिक कार्यों धार्मिक यात्राओं प्रशासनिक कार्यो में सहयोग प्रदान करना
राज्य में शांति व एकता बनाए रखना
प्रादेशिक नियोजन व क्षेत्रीय आर्थिक विकास में संतुलन स्थापित करना
राजस्थान में रेलमार्गों को प्रभावित करने वाले कारक
राजस्थान में रेलमार्गों को दो स्थितियां प्रभावित करती हैं 1 भौतिक दशाएं 2 मानवीय दशाए
1 भौतिक दशाएं
1- भूमि का धरातल
2- जलवायु दर्शाएं 3- मरुस्थलीय दशाएं
4- खनिजो की उपलब्धि 5- मिट्टी का उपजाऊपन
6- नदियां व नाले 7- जलापूर्ति
8- धरातल का ढाल
9- बदलती परयावरणीय दर्शाएं
10- शक्ति व ऊर्जा संसाधन 11- अन्य कार्य
2 मानवीय दशाएं 1- मानव की आर्थिक क्रियाएं (प्राथमिक द्वितीयक तृतीयक व्यवसाय) 2- खनन क्रियाओं व औद्योगिक स्तर 3- व्यापारिक सामाजिक व सांस्कृतिक गतिविधियां 4- रेल मार्गो की आवश्यकता व मांग 5- तकनीकी व वैज्ञानिक दर्शाएं 6- राजनीतिक व प्रशासनिक दर्शाएं
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