⭐रुकनुद्दीन फिरोज शाह रजिया का सौतेला भाई था
⭐इल्तुतमिश की मृत्यु के दूसरे दिन अप्रैल-मई 1236 ईस्वी में रुकनुद्दीन फिरोज शाह को सुल्तान घोषित किया गया
⭐सुल्तान बनने से पूर्व वह बदायूं और लाहौर की सरकार का प्रबंध संभाल चुका था
?मिनहाज के अनुसार उस में तीन विशेषताएं थी--
1-सुंदर आकृति
2-सरल स्वभाव और
3-असीम उदारता
⭐लेकिन केवल यह सदगुण एक सफल शासक बनने के लिए पर्याप्त नहीं थे
⭐अपनी इंद्रिय लोलुप व्यसनो के कारण वह एक अयोग्य शासक सिद्ध हुआ,मसखरें और जोकर उसके साथी बन चुके थे ""इसीलिए उसे विलास प्रेमी जीव"" कहा गया
⭐रुकनुद्दीन को शासन करने का अनुभव था शासक बनने से पूर्व 1227 ईस्वी में उसे बदायूं का इक्ता प्रदान की गई थी
⭐जिस पर उसने कुबाचा के भूतपूर्व मंत्री आईनुलमुल्क हुसैन अशअरी की सहायता से शासन किया
⭐ग्वालियर से लौटने के पश्चात इल्तुतमिश ने उसे लाहौर पर शासन करने का दायित्व सौंपा जो उस समय की अत्यंत महत्वपूर्ण इक्ता थी
⭐गद्दी पर बैठने के बाद रुकनुद्दीन ने शासन कार्य अपनी महत्वकांशी माता शाह तुर्कान (खुदा बंदे जहांशाह तुर्का) के हाथों में सौंप दिया
⭐मूलतः वह एक तुर्की दासी थी वह विद्वानों ,सैयादों और पवित्रात्माओं को दान उपहार देने के लिए प्रसिद्ध थी,किंतु वह एक एक चक्री महिला थी
⭐शासन की बागडोर हाथ में आने के बाद अपना निर्गुण सुशासन आरंभ किया इल्तुतमिश के रनिवास की स्त्रियों के साथ दुर्व्यवहार करने लगी और अनेक कि उसने हत्या करवा दी
⭐उसकी आज्ञा से इल्तुतमिश के छोटे पुत्र कुतुबुद्दीन को अंधा कर मार दिया गया
⭐उसके इन कार्यों से मलिको का शासन से विश्वास टूटने लगा फलस्वरुप देश के विभिन्न भागों में विद्रोह होने प्रारंभ हो गए
⭐इल्तुतमिश के पुत्र (फिरोज का भाई) गयासुद्दीन मुहम्मद शाह ने अवध में विद्रोह कर दिया और बंगाल (लखनौती )से दिल्ली आने वाले खजाने और निकट के विभिन्न नगरों को लूटा
⭐प्रांतीय इक्तादारों ने भी विद्रोह प्रारंभ कर दिया इनमे--
1-बदायूं के इक्तादार मलिक इजाउद्दीन मुहम्मद सलारी,
2- मुल्तान के इक्तादार इजउद्दीन कबीर खॉ ऐयाज
3- हांसी के इक्तेदार मलिक सैफुद्दीन कूची और
4-लाहौर के सरदार मलिक अलाउद्दीन जानी ने सम्मिलित रुप से विद्रोह किया
⭐रुकनुद्दीन फिरोज इन विद्रोह का दमन करने के लिए दिल्ली से प्रस्थान किया,जब वह सेना के साथ कोहराम की ओर जा रहा था तभी मार्ग में उसके अधिकतर सैनिकों ने विद्रोह कर दिया
⭐प्रधानमंत्री निजामुल्क जुनैदी कैलुगड़ी के निकट सेना से पृथक हो कर कोयल भाग गया और वहां से मलिक ईजुद्दीन सलारी से मिल गया
⭐सेना के प्रमुख भाग के फिरोज का साथ छोड़ देने के कारण विद्रोहियों का मुकाबला नहीं कर सका और उसे दिल्ली लौटना पड़ा
⭐दिल्ली के सुल्तान की अनुपस्थिति और साम्राज्य में विद्रोह और अराजकता का लाभ उठाकर रजिया ने लाल वस्त्र (न्याय की मांग का प्रतीक) पहनकर दिल्ली की जनता जो सामूहिक नवाज शुक्रवार को पढ़ने के लिए एकत्र हुई थी,उनसे अपील की उसने
⭐तुर्कान के अत्याचारों और राज्य में फैली अव्यवस्था का वर्णन किया और आश्वासन दिया कि शासक बनकर वह शांति और व्यवस्था स्थापित करेगी
⭐रजिया की अपील से जन समूह ने महल पर आक्रमण कर दिया और शाह तुर्कान को बंदी बना लिया गया
⭐उसी समय रुकनुद्दीन फिरोज दिल्ली राजधानी का वातावरण उसके विरुद्ध था
⭐सेना और अमीर सभी रजिया की ओर मिल गए थे और उसके प्रति निष्ठा व्यक्त कर सिंहासनारूढ़ कर दिया
⭐रुकनुद्दीन को बंदी बना लिया गया और संभवत: 19 नवंबर 1236 को उसका वध कर दिया गया
⭐उसका असफल शासन मात्र 6 महीने 18 दिन का रहा
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