?कर्नल टोड ने राजस्थान के संदर्भ में एनल्स एंड एंटिक्विटी ऑफ राजस्थान लिखकर आधुनिक इतिहासकारो को राजस्थान के ऐतिहासिक तथ्यों को उजागर करने को प्रोत्साहित किया
?कर्नल जेम्स टॉड से प्रेरणा लेकर कई राजस्थानी और कई भारतीय इतिहासकार राजस्थान के ऐतिहासिक महत्व को स्पष्ट करने हेतु अपनी लेखनी चलाने लगे
??एनल्स एंड एंटिक्विटीज ऑफ राजस्थान ??
?कर्नल जेम्स टॉड का जन्म इंग्लैंड में हुआ था एनल्स एंड एंटिक्विटी ऑफ राजस्थान के लेखक कर्नल जेम्स टॉड को 1805 में राजस्थान के राज्य में भ्रमण करने का अवसर प्राप्त हुआ था
?वह राजपूतों की शौर्य पूर्ण गाथा से अधिक प्रभावित हुआ
?उसने उन की आंतरिक व बाह्य परिस्थितियों का अध्यन करना आरंभ कर दिया
? 1812 से 1817 के बीच में उसमें राजस्थान के बहुत से ऐतिहासिक तथ्य जुटा लिए थे
?भाग्यवश 1817 में वह पश्चिमी राजपूत राज्यों का एजेंट नियुक्त हो गया
?कर्नल जेम्स टॉड 1817 से 1822 तक पश्चिमी राजपूत राज्यों में ईस्ट इंडिया कंपनी के पोलिटिकल एजेंट के रूप में कार्य करते थे
?कर्नल जेम्स टॉड ईस्ट इंडिया कंपनी की सेवा में वह 5 वर्ष रहा
?इन 5 वर्षों में कर्नल जेम्स टोड ने राजस्थान के संदर्भ में बहुतसी जानकारी प्राप्त कर ली थी
?इंग्लैंड लौटकर कर्नल जेम्स टोड ने संग्रहित किए गए तथ्य के आधार पर है एनल्स एंड एंटिक्विटी ऑफ राजस्थान ग्रंथ की रचना की थी
?कर्नल टॉड का यह ग्रंथ राजस्थान के इतिहास का एक प्रकार से विश्वकोष है
?इस ग्रंथ में राजस्थान की भौगोलिक स्थिति का अच्छा ज्ञान कराया गया है
?इतिहास की दृष्टि से इस में राजपूत नरेशों की वंशावली प्रस्तुति है
?राजस्थान में लड़े गए युद्धों का वर्णन इस ग्रंथ में है यह इतिहास उसने व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर लिखा है
?यह ग्रंथ दो खंडों में प्रकाशित है
?इसका प्रथम भाग 1829 में प्रकाशित किया गया था
?इस भाग में राजपूताने की भौगोलिक स्थिति, मेवाड़ का इतिहास ,राजपूतों की वंशावली व सामंती व्यवस्था का उल्लेख किया गया था
?इसका द्वितीय भाग 1832 में प्रकाशित किया गया था
? इस भाग में मारवाड़,जैसलमेर, आमेर,बीकानेर और हाड़ोती के इतिहास की जानकारी मिलती है
?राजघरानों से ऐतिहासिक स्त्रोत उपलब्ध होने पर भी कर्नल जेम्स टॉड के ग्रंथ निष्पक्ष ऐतिहासिक ग्रंथों के रुप में प्रस्तुत नहीं किए जा सकते हैं
?क्योंकि इनके लेखन में उसने चारणों द्वारा वर्णित वीर गाथाओं का भी आश्रय लिया है
?अनार्य एंड एंटिक्विटीज ऑफ राजस्थान का मूल नाम हिस्ट्री ऑफ सेंट्रल एंड वेस्टर्न स्टेट ऑफ इंडिया है
?कर्नल टोड ने सर्वप्रथम राजस्थान की सामंतवादी व्यवस्था पर विस्तार से लिखा है
? कर्नल जेम्स टॉड द्वारा लिखी गई अन्य पुस्तक ट्रेवल्स इन वेस्टर्न इंडिया (1839) है
?जो कर्नल जेम्स टॉड की मृत्यु के बाद प्रकाशित हुई थी
??सूर्यमल मिश्रण??
?सूर्य मल मिश्रण बूंदी राज्य के राजकवि थे और इनका जन्म कार्तिक वदी 1विक्रमी संवत 1872 में हुआ था
?सूर्य मल बाल्यावस्था से ही एक प्रतिभासंपन्न युवक सिद्ध हो रहे थे
?अनेक विधाओं में पारंगत होने के कारण इन्हें बूंदी नरेश रामसिंह कृपापात्र शीघ्र ही बना दिए गए थे
?इनके द्वारा निम्न रचना की गई थी
?वंश भास्कर. ?वीर सतसई?बलवद्विलास. ? सती रास?धातु रुपावली
?परंतु इन सबसे प्रख्यात वंश भास्कर है
?वंश भास्कर सूर्यमल मिश्रण द्वारा ही लिखा गया है
?इसकी रचना विक्रमी संवत 1913 में आरंभ हुई थी
?यह 2500 पृष्ठों का काव्य है और इसका वर्णित विषय अति विस्तृत है
?राजनीतिक इतिहास के साथ साथ वंश भास्कर से हमें मध्य कालीन सामाजिक और सांस्कृतिक इतिहास की भी जानकारी मिलती है
?सूर्यमल मिश्रण के द्वारा रचित वंश-भास्कर ग्रंथ में प्रतिहार, परमार,चालुक्य व चौहानों की अग्निकुंड से उत्पत्ति, चौहानों की विभिन्न शाखाओ की जानकारी
?बूंदी राज्य के इतिहास के साथ ही तत्कालीन धार्मिक विश्वास, सामाजिक रीति रिवाज ,मनोरंजन के साधनों उत्सव और त्योहारों की जानकारी मिलती है
? महाराजा रामसिंह से मनमुटाव होने पर सूर्य मल मिश्रण द्वारा अधूरे छोड़े गए ग्रंथ को उनके दत्तक पुत्र मुरारी दान ने पूर्ण किया था
??वीर विनोद??
? इस ग्रंथ की रचना महामहोपाध्याय कविराज श्यामलदास ने की है
?मेवाड़ के महाराजा शंभू सिंह ने इनसे मेवाड़ का इतिहास लिखने का अनुरोध किया है
?इस पर उन्होंने 1871 हुए वीर विनोद लिखना प्रारंभ किया
?वीर विनोद ग्रंथ 1892 में संपूर्ण कर दिया
? मूल रूप से यह मेवाड़ का वृहत इतिहास है लेकिन प्रसंगवंश इसमें राजस्थान के अन्य राज्यों का भी वर्णन है
?राजस्थान की तत्कालीन राजनीतिक घटनाओं पर प्रकाश डालने के साथ साथ उन्होंने अपने इस विशाल ग्रंथ में राजस्थान की सामाजिक और धार्मिक अवस्था का भी चित्रण किया है
? इनके इस उल्लेखनीय ग्रंथ के कारण ही मेवाड़ के महाराणा ने इनको कविराज और व
बिर्टीश सरकार ने केसर ए हिंद की उपाधि से अलंकृत किया था
?कवि श्यामलदास का संबंध राजस्थान के भीलवाड़ा जिले से है
?महाराणा फतेह सिंह द्वारा किसी कारणवश वीर विनोद ग्रंथ के प्रचलन पर रोक लगाई गई थी
??श्री गौरीशंकर हीराचंद ओझा??
?सिरोही मे जन्मे श्री गौरीशंकर हीराचंद ओझा ने सर्वप्रथम 1911 मे सिरोही राज्य का इतिहास लिखा था
?इसके पश्चात संपूर्ण राजस्थान के विभिन्न राज्यों का इतिहास लिखा था
?राजस्थान के विभिन्न राज्य का इतिहास लिखने वाले इतिहासकार ओझा को राजस्थान का सुप्रसिद्ध पुरातत्ववेता माना जाता था
? सिरोही का इतिहास लिखने के बाद इन्होंने जोधपुर के इतिहास पर अपनी लेखनी चलाई
?आमेर के कछवाहा नरेशों का इतिहास यह संपूर्ण नहीं कर सके
?इन्हें संस्कृत ,फारसी और राजस्थानी भाषाओं का अच्छा ज्ञान था
?राजस्थान की प्राचीन लिपि का अच्छा ज्ञान होने के कारण उन्होंने प्राचीन लिपि भाषा का सर्जन किया
?कर्नल अर्सकीन को राजपूताना गजट तैयार करने में सहयोग प्रदान किया
?इनके द्वारा रचित इतिहास अति विश्वसनीय माने जाते हैं
?राजपूताने का इतिहास और भारतीय प्राचीन लिपि माला इन के महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं
?उपयुक्त इतिहासकारों के अलावा अन्य विद्वानों रामनाथ रतनू( जयपुर के फर्जी नरेश माधो सिंह के शासनकाल में 14 वर्ष तक प्रधान अध्यापक के रूप में)
?मुंशी देवी प्रसाद-
?जयपुर में जन्मे मुंशी देवी प्रसाद ने बाबरनामा ,हमायुनामा, जहांगीरनामा इत्यादि ग्रंथों का हिंदी अनुवाद करने में सहयोग दिया
?इनके द्वारा रचित ग्रंथ स्वपन राजस्थान में राजपूत शासकों के चरित्र का विस्तृत वर्णन किया गया
?मूहणोत नैंसी-
?मूहणोत नैंसी मारवाड़ के राजा जसवंत सिंह का समकालीन विद्वान और इतिहास कार था
?मुंशी देवी प्रसाद ने मुहणोत नैंसी को राजपूताने का अबुल फजल कहा
?मुहणोत नैंसी की पहली रचना मुँहता नैणसी री ख्यात है
?जिसमें राजपूताने की तत्कालीन सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जानकारी मिलती है
?इनकी दूसरी रचना मारवाड़ रा परगना री विगत है
?रामकरण आसोपा-
?मारवाड़ के रामकरण आसोपा ने इतालवी विद्वान वीडियो लुईज पियो टेस्सीटोरी के साथ राजस्थान (तत्कालीन राजपूताने)के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा कर के वृहत डिंगल कोष तैयार किया
?रीमा हूजा-
?इतिहासकार रीमा हूजा ने द हिस्ट्री ऑफ राजस्थान नामक पुस्तक लिखी
?जिसमें राजस्थान के इतिहास की विस्तृत जानकारी मिलती है
?जगदीश सिंह गहलोत-
?इन्होंने राजस्थान का संपूर्ण इतिहास तीन खंडों में लिखा था
इन सभी ने राजस्थान की ऐतिहासिक धरोहर को सुरक्षित रखने व उसे जनसाधारण तक पहुंचाने में सहयोग दिया इसीलिए इस क्षेत्र में शोध कार्य भी पर्याप्त रुप से चल रहे हैं
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