वेवेल योजना-14 जून 1945(Wavell Plan - 14 June 1945)
वेवेल योजना-14 जून 1945
(Wavell Plan - 14 June 1945)
जून 1945 में लार्ड वेवेल द्वारा भारत की वैधानिक समस्या के समाधान के लिए शिमला सम्मेलन में जो योजना प्रस्तुत की गई उसे ही वैभव योजना के नाम से जाना जाता है
अक्टूबर 1943 में लार्ड लिनलिथगो के स्थान पर लार्ड बिस्काउंट वेवल पर वायसराय और गवर्नर जनरल नियुक्त किए गए
इस समय भारत की स्थिति तनावपूर्ण थी उन्होंने भारतीय संवैधानिक गतिरोध दूर करने की दिशा में प्रयास प्रारंभ किया
सर्वप्रथम भारत छोड़ो आंदोलन के समय गिरफ्तार कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य को रिहा किया गया
मार्च 1945 में वायसराय इंग्लैंड गए और वहां ब्रिटिश सरकार से भारतीय मामलों पर चर्चा की
14 जून 1945 को उन्होंने अपने विचार विमर्श के परिणामों से जनता को एक रेडियो प्रसारण द्वारा अवगत करवाया
भारत राज्य सचिव लार्ड एमरी ने कॉमंस सभा में इसी प्रकार का वक्तव्य दिया और यह कहा कि मार्च 1942 का प्रस्ताव पूर्णरूपेण फिर भी उपस्थित था
वायसराय और भारत सचिव दोनों के विचार और मनोभाव. समान थे
भारत के विद्यमान राजनीतिक गतिरोध को दूर करना ,भारत को उसके पूर्ण स्वशासन के लक्ष्य को आगे बढ़ाना और संवैधानिक समझौता प्राप्त करना था
वेवेल योजना के प्रमुख प्रावधान निम्न प्रकार थे
वेवेल योजना के मुख्य बिंदु
वॉयस राय की कार्यकारिणी परिषद का पुर्नगठन किया जाएगा, परिषद में वायसराय और कमांडर-इन-चीफ को छोड़कर सभी सदस्य भारतीय होंगे
प्रतिरक्षा को छोड़कर समस्त भाग भारतीय को दिए जाएंगे
कार्यकारिणी में मुसलमान सदस्य की संख्या सवर्ण हिंदुओं के बराबर होगी
कार्यकारिणी परिषद एक अंतरिम राष्ट्रीय सरकार के समान होगा,इसे देश का शासन तब तक चलाना है जब तक कि एक नए स्थाई सविधान पर आम सहमति नहीं बन जाती है, गवर्नर जनरल बिना कारण निशेषाधिकार का प्रयोग नहीं करेगा
कांग्रेस के नेता रिहा किए जाएंगे और शीघृ शिमला में एक सम्मेलन बुलाया जाएगा
युद्ध समाप्त होने के बाद भारतीय स्वयं ही अपना संविधान बनाएंगे
भारत में ग्रेट ब्रिटेन के वाणिज्य और अन्य हितों की देखभाल के लिए एक उच्चायुक्त की नियुक्ति की जाएगी
ब्रिटिश सरकार का अंतिम उद्देश्य भारत संघ का निर्माण करके भारत में स्वशासन की स्थापना करना है
हिंदू और मुसलमान समुदाय के अतिरिक्त भारत के अन्य समुदायों जेसे दलित सिक्ख पारसी आदि को भी उचित प्रतिनिधित्व जाएगा
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