ये शब्द चार शब्दों से मिलकर बना है ,श्रुति+सम +भिन्न +अर्थ , इसका अर्थ है . सुनने में समान लगने वाले किन्तु भिन्न अर्थ वाले दो शब्द अर्थात वे शब्द जो सुनने और उच्चारण करने में समान प्रतीत हों, किन्तु उनके अर्थ भिन्न -भिन्न हों , वे श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द कहलाते हैं .
ऐसे शब्द सुनने या उच्चारण करने में समान भले प्रतीत हों ,किन्तु समान होते नहीं हैं , इसलिए उनके अर्थ में भी परस्पर भिन्नता होती है ; जैसे - अवलम्ब और अविलम्ब . दोनों शब्द सुनने में समान लग रहे हैं , किन्तु वास्तव में समान हैं नहीं ,अत: दोनों शब्दों के अर्थ भी पर्याप्त भिन्न हैं , 'अवलम्ब ' का अर्थ है - सहारा , जबकि अविलम्ब का अर्थ है - बिना विलम्ब के अर्थात शीघ्र .
ये शब्द निम्न इस प्रकार से है - अंस - अंश = कंधा - हिस्सा अंत - अत्य = समाप्त - नीच अन्न -अन्य = अनाज -दूसरा अभिराम -अविराम = सुंदर -लगातार अम्बुज - अम्बुधि = कमल -सागर अनिल - अनल = हवा -आग अश्व - अश्म = घोड़ा -पत्थर अनिष्ट - अनिष्ठ = हानि - श्रद्धाहीन अचर - अनुचर = न चलने वाला - नौकर अमित - अमीत = बहुत - शत्रु अभय - उभय = निर्भय - दोनों अस्त - अस्त्र = आँसू - हथियार असित - अशित = काला - भोथरा अर्घ - अर्घ्य = मूल्य - पूजा सामग्री अली - अलि = सखी - भौंरा अवधि - अवधी = समय - अवध की भाषा आरति - आरती = दुःख - धूप-दीप आहूत - आहुति = निमंत्रित - होम आसन - आसन्न = बैठने की वस्तु - निकट आवास - आभास = मकान - झलक आभरण - आमरण = आभूषण - मरण तक आर्त्त - आर्द्र = दुखी - गीला ऋत - ऋतु = सत्य - मौसम कुल - कूल = वंश - किनारा कंगाल - कंकाल = दरिद्र - हड्डी का ढाँचा कृति - कृती = रचना - निपुण कान्ति - क्रान्ति = चमक - उलटफेर कलि - कली = कलयुग - अधखिला फूल कपिश - कपीश = मटमैला - वानरों का राजा कुच - कूच = स्तन - प्रस्थान कटिबन्ध - कटिबद्ध = कमरबन्ध - तैयार / तत्पर छात्र - क्षात्र = विधार्थी - क्षत्रिय गण - गण्य = समूह - गिनने योग्य चषक - चसक = प्याला - लत चक्रवाक - चक्रवात = चकवा पक्षी - तूफान जलद - जलज = बादल - कमल तरणी - तरुणी = नाव - युवती तनु - तनू = दुबला - पुत्र दारु - दारू = लकड़ी - शराब दीप - द्वीप = दिया - टापू दिवा - दीवा = दिन - दीपक देव - दैव = देवता - भाग्य नत - नित = झुका हुआ - प्रतिदिन नीर - नीड़ = जल - घोंसला नियत - निर्यात = निश्चित - भाग्य नगर - नागर = शहर - शहरी निशित - निशीथ = तीक्ष्ण - आधी रात नमित - निमित = झुका हुआ - हेतु नीरद - नीरज = बादल - कमल नारी - नाड़ी = स्त्री - नब्ज निसान - निशान = झंडा - चिन्ह निशाकर - निशाचर = चन्द्रमा - राक्षस पुरुष - परुष = आदमी - कठोर प्रसाद - प्रासाद = कृपा - महल परिणाम - परिमाण = नतीजा - मात्रा
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Deepk
1 year ago - ReplyBhut sundr