प्रश्न - संधि किसे कहते हैं ? उत्तर - संधि का शाब्दिक अर्थ है - मेल या संयोग । अर्थात दो वर्णों के मेल से जो विकार उत्पन्न होता है या परिवर्तन होता है , उसे संधि कहते हैं ।
जैसे - विद्या+आलय= विद्यालय (आ+आ=आ) हिम+आलय= हिमालय (अ+आ=आ) विद्या+अर्थी= विद्यार्थी (आ+अ=आ) भानु+उदय= भानूदय (उ+उ=ऊ) गिरि+ईश= गिरीश (इ+ई=ई) नर+इंद्र= नरेन्द्र (अ+इ=ए ) जगत+नाथ= जगन्नाथ (त+न=न्न) निः+चर= निश्चर (: विसर्ग का श्)
प्रश्न - सन्धि के कितने प्रकार होते हैं ? उत्तर- सन्धि के तीन प्रकार होते हैं । स्वर संधि व्यंजन संधि विसर्ग सन्धि
स्वर संधि
प्रश्न - स्वर संधि किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित समझाइए । उत्तर- दो स्वरों के मेल से जो विकार या रूप परिवर्तन होता है , उसे स्वर सन्धि कहते हैं । जैसे - हिम + आलय = हिमालय विद्या = आलय = विद्यालय पो + अन = पवन
⚡ स्वर संधि के प्रकार⚡ प्रश्न - स्वर सन्धि के कितने प्रकार हैं ? उत्तर- स्वर संधि के प्रमुख पाँच प्रकार हैं - 1-दीर्घ स्वर संधि 2-गुण स्वर संधि 3-वृध्दि स्वर संधि 4-यण स्वर संधि 5-अयादि स्वर संधि
प्रश्न - दीर्घ स्वर संधि किसे कहते हैं ? उदहारण सहित समझाइए । उत्तर- जब दो सवर्ण स्वर आपस में मिलकर दीर्घ हो जाते हैं , तब दीर्घ स्वर संधि होता है । यदि 'अ' 'आ' 'इ ' 'ई' 'उ' 'ऊ' और 'ऋ' के बाद हृस्व या दीर्घ स्वर आए तो दोनों मिलकर क्रमशः 'आ' 'ई' 'ऊ' और ऋ हो जाते हैं अर्थात दीर्घ हो जाते हैं । जैसे - ज्ञान+अभाव= ज्ञानाभाव (अ+अ=आ) परम+आत्मा= परमात्मा (अ+आ =आ) विद्या+अर्थी = विद्यार्थी ( आ +अ=आ ) कवि+इन्द्र = कवीन्द्र (इ+इ =ई) सती+ईश= सतीश (ई+ई = ई ) गिरि+ईश= गिरीश (इ+ई = ई ) मही+इंद्र= महीन्द्र (ई+ इ = ई ) गुरु+उपदेश= गुरूपदेश (उ+उ=ऊ ) भानु+उदय= भानूदय (उ+ उ =ऊ) पितृ+ऋण= पितृण (ऋ ़+ ऋ= ऋ)
प्रश्न - गुण स्वर सन्धि किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित समझाइए । उत्तर - यदि 'अ' या 'आ' के बाद 'इ' या 'ई' 'उ' या 'ऊ' और ऋ आए तो दोनों मिलकर क्रमशः 'ए' 'ओ' और अर हो जाता है । इस मेल को गुण स्वर संधि कहते हैं । जैसे- देव+इन्द्र= देवेन्द्र ( अ + इ = ए ) गण+ईश= गणेश (अ + ई = ए ) रमा+ईश = रमेश (आ + ई = ए ) वीर+उचित = वीरोचित (अ+उ=ओ) सूर्य+उदय = सूर्योदय (अ + उ=ओ) देव+ऋषि= देवर्षि (अ+ऋ = अर) महा+ऋषि = महर्षि (आ + ऋ =अर )
प्रश्न - वृद्धि स्वर सन्धि किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित समझाइए । उत्तर- यदि 'अ' या 'आ' के बाद 'ए' या 'ऐ' रहे तो 'ऐ' एवं 'ओ' और 'औ' रहे तो 'औ' बन जाता है । इसे वृध्दि स्वर सन्धि कहते हैं । जैसे- एक + एक = एकैक ( अ + ए = ऐ ) तथा + एव= तथैव ( आ + ए = ऐ ) सदा + एव= सदैव ( आ + ए = ऐ ) महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य (आ+ऐ=ऐ) महा+ओषधि= महौषधि (आ+ओ= औ ) महा+औषध = महौषध (आ+औ=औ )
प्रश्न - यण स्वर संधि किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित समझाइए । उत्तर - यदि 'इ' या 'ई', 'उ' या 'ऊ' और ऋ के बाद कोई भिन्न स्वर आये तो 'इ' और 'ई' का 'य' , 'उ' और 'ऊ' का 'व्' तथा ऋ का 'र' हो जाता है । इसे यण स्वर संधि कहते हैं । जैसे- प्रति+एक= प्रत्येक (इ+ए = य) अति+आवश्यक= अत्यावश्यक (इ+आ=य) अति+उत्तम= अत्युत्तम (इ+उ =य) सु + आगत = स्वागत ( उ + आ = व् ) मातृ +आनंद = मात्रानन्द (ऋ+ आ= र )
प्रश्न - अयादि संधि किसे कहते हैं ? उदहारण सहित समझाइए । उत्तर - यदि 'ए' 'ऐ' 'ओ' 'औ' के बाद कोई भिन्न स्वर आए तो 'ए' का 'अय', 'ऐ' का 'आय' , 'ओ' का अव तथा 'औ' का 'आव' हो जाता है । इस परिवर्तन को अयादि सन्धि कहते हैं । जैसे- ने + अन = नयन ( ए + अ = अय ) नै + अक = नायक ( ऐ + अ = आय ) पो + अन = पवन ( ओ + अ = अव ) भौ + अक = भावुक ( औ + अ = आव ) सौ + अन = सावन ( औ + अ = आव )
4 Comments
Sourabh Thakur
6 years ago - ReplyAapke is grammar se Hame bahut madat Mili dhanyavad aapka sir
Sourabh Thakur
6 years ago - ReplyBahut accha likha hai sir Aapne Aur Bhi ISI Tarah aap Hamari madad karta hai
Bhanu yadav
6 years ago - ReplyNice grammar
Praveen kumar
6 years ago - ReplyAchhe prayas