संविधान सभा के चुनाव जुलाई 1946 और राष्ट्रीय सरकार का गठन

         संविधान सभा के चुनाव जुलाई 1946 और राष्ट्रीय सरकार का गठन



  • बहुत अनिच्छा के साथ कांग्रेस और मुस्लिम लीग ने मंत्रिमंडलीय शिष्टमंडल की योजना को स्वीकार कर लिया

  • क्योंकि कैबिनेट मिशन की योजना  से कांग्रेस प्रांतों के गुट बनाने पर अप्रसन्न थी और मुस्लिम लीग पाकिस्तान की मांग  ना मानने पर

  • शिष्टमंडल ने लौटने से पूर्व घोषणा की कि उन्हें संतोष है कि  संविधान बनाने का कार्य प्रमुख राजनीतिक दलों के सहयोग से चलता रहेगा

  • लेकिन उन्हें एक दुख भी था कि कुछ बाधाओं के कारण बहुदलीय अंतरिम सरकार नहीं बन सकी

  • उन्होंने आशा व्यक्त की कि संभवत:ऐसा संविधान सभा के चुनाव के पश्चात बन सकेगा

  • मोहम्मद अली जिन्ना अंतरिम सरकार बनाने को स्थगित करने के फैसले से बहुत अप्रसन्न हुआ और उन्होंने वायसराय पर अपने वचनों से फिर जाने का दोष लगाया


♦संविधान सभा का चुनाव♦

  • जुलाई 1946 में मंत्रिमंडलीय मिशन योजना के अनुसार चुनाव हुए

  •  ब्रिटिश प्रांतों के लिए 210 साधारण स्थानों में से कांग्रेस ने 191 स्थान जीत लिए

  •  जो 11 स्थान बाकी बचे थे उनमें से पंजाब की यूनियनिस्ट पार्टी ने दो स्थान प्राप्त किए स्वतंत्र उम्मीदवारों ने 6 स्थान और कम्युनिस्ट पार्टी ने एक स्थान प्राप्त किया, दलित उद्धार संघ ने दो स्थान जीत लिए थे

  • 78 मुस्लिम स्थानों में से मुस्लिम लीग ने 73 स्थान जीते थे

  • शेष 5 स्थानों में से कांग्रेस ने 3 स्थान और पंजाब की यूनियनिस्ट पार्टी ने एक स्थान और बंगाल की कृषक प्रजा पार्टी ने एक स्थान पर कब्जा कर लिया था

  • संक्षेप मे कह सकते हैं कि 296 सदस्यों में से ही कांग्रेस का साथ देने के लिए 212 सदस्य थे और मुस्लिम लीग की आज्ञा पालन करने के लिए 73 सदस्य थे

  • शेष 11 सदस्य में भी 6 सदस्य कांग्रेस का नेतृत्व मानने के लिए तैयार थ


♦संविधान निर्माण हेतु संविधान सभा की बैठकें♦
संविधान सभा के चुनाव के आधार पर 9 दिसंबर 1946 को संविधान सभा की पहली बैठक  दिल्ली में हुई इस बैठक के अस्थाई अध्यक्ष डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा थे

11 दिसंबर 1946 को संविधान सभा की दूसरी बैठक दिल्ली में हुई इस बैठक मे.डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को स्थाई अध्यक्ष निर्वाचित किया

इसके बाद में 29 अगस्त 1947 को संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर निर्वाचित हुए

इस कारण उन्हें संविधान निर्माता भी कहा जाता है

♦सीधी कार्यवाही दिवस का कारण♦

  • संविधान सभा के चुनाव में मुस्लिम लिखो 78 मुस्लिम लीग स्थानों में से 73 स्थान मिले

  • जिस कारण मोहम्मद अली जिन्ना ने अनुभव किया कि 296 सदस्य विधानसभा में उनके पास तो केवल 73 स्थान होंगे जो कि 25% से भी कम थे

  • इस प्रकार वह पूर्णता आच्छादित हो जाएगा और इस कारण इन्होंने तुरंत ही 29 जुलाई 1946 को मुस्लिम लीग ने शिष्टमंडल योजना (कैबिनेट मिशन  योजना )को अस्वीकार कर दिया

  • यही नहीं अपितु एक और सीधी कार्यवाही का प्रस्ताव पारित किया जिसमें उन्होंने अंग्रेजो और कांग्रेस दोनों को अविश्वसनीय कहा

  • और कहा कि अब समय आ गया है कि पाकिस्तान की प्राप्ति के लिए वह सीधी कार्यवाही करेंगे और 16 अगस्त 1946 को सीधी कार्यवाही दिवस निश्चित किया


♦सीधी कार्यवाही दिवस 16 अगस्त 1946♦

समय-16 अगस्त 1946 

संबंध-मुस्लिम लीग से
उद्देश्य-पाकिस्तान के निर्माण हेतु प्रत्यक्ष कार्यवाही
गांधीजी को उपाधि-  वन मैन बाउंड्री फ़ोर्स (माउंटबेटन द्वारा)

जुलाई 1946 के संविधान सभा के चुनाव के परिणाम के बाद मोहम्मद अली जिन्ना ने कैबिनेट मिशन योजना को स्वीकार करने से मना कर दिया

लेकिन कांग्रेस ने  कैबिनेट मिशन योजना को स्वीकार कर लिया था  इसलिए वॉयस राय ने जवाहरलाल नेहरू को अंतरिम सरकार बनाने के लिए 12 अगस्त 1946 को निमंत्रण भेजा जिसे जवाहरलाल नेहरू ने स्वीकार कर लिया

लेकिन कैबिनेट मिशन योजना को अस्वीकार करते हुए मोहम्मद अली जिन्ना ने इसके विरोध में पाकिस्तान को प्राप्त करने के लिए सीधी कार्यवाही का प्रस्ताव पारित किया और प्रत्यक्ष कार्यवाही की धमकी दी

मोहम्मद अली जिन्ना ने पाकिस्तान की प्राप्ति के लिए सीधी कार्यवाही जैसे प्रस्ताव को अपनाया और अपनी कार्यकारिणी को सीधी कार्यवाही के लिए कार्यक्रम बनाने को कहा

सीधी कार्यवाही करने के लिए मोहम्मद अली जिन्ना ने 16 अगस्त 1946 का दिन निश्चित किया गया जिसे सीधी कार्यवाही दिवस कहा गया

लेकिन सीधी कार्यवाही दिवस के दिन होने वाले सांप्रदायिक दंगों ने भारतीय परिदृश्य को पूरी तरह बदल दिया

दंगो का प्रारंभ 16-17 अगस्त को कोलकाता से हुआ जो 1 सितंबर को मुंबई को प्रभावित करता हुआ पूर्वी बंगाल के नोआखाली (10 अक्टूबर) बिहार (25 अक्टूबर) संयुक्त प्रांत के गढ़मुक्तेश्वर (नवंबर) तक फैल गया
4 मार्च 1947 से इन्होंने सारे पंजाब को अपनी चपेट में ले लिया था

कोलकाता में मुस्लिम लीग की सरकार थी और उसने उस दिन छुट्टी घोषित कर दी थी

कोलकाता के मुख्यमंत्री सूहरावर्दी ने इन दंगो को भड़काने का कार्य भी किया

29 अगस्त तक कम से कम 4000 लोग मारे गए और 10000 घायल हुए

कोलकाता में उस समय जो भी मुस्लिम लीग सरकार के अधीन था सशस्त्रों की संख्या में हिंदू लूटे और मारे गए और नगर का विध्वंस कर दिया गया

इसके प्रतिकार के रूप में हिंदू बहुसंख्यक प्रांत बिहार के मुसलमानों पर अत्याचार हुआ

25 अक्टूबर को नोआखाली दिवस मनाए जाने के सिलसिले में बिहार में दंगे हुए

यह मुसलमानों के विरुद्ध हिंदू किसानों का सामूहिक विद्रोह था जिसके फलस्वरुप होने वाला नरसंहार नोआखाली से कहीं अधिक भयंकर था इसमें कम से कम 7000 लोग मारे गए

बिहार के मुसलमानों पर किए गए अत्याचार के प्रतिकार के रूप में पूर्वी बंगाल में नोआखाली और टिप्पडा में हिंदुओं पर अत्याचार हुए
यहा हत्याओं की तुलना में संपत्ति पर आक्रमण और बलात्कार की घटनाएं अधिक हुई

बिहार के बाद गढ़मुक्तेश्वर की बारी थी जहां हिंदू तीर्थ यात्रियों ने 1000 मुसलमानों की हत्या कर दी थी

पंजाब में भी करीब 5000 लोग मारे गए

कोलकाता की घटना के बाद यूपी और मुंबई में भी सांप्रदायिक दंगे हुए बंगाल में प्रांत के बंटवारे के लिए हिंदुओं ने आंदोलन आरंभ किया

क्योंकि उन्हें डर हो गया था कि वह मुस्लिम बहुल संख्या के राज्य में क पिस जाएंगे

पेंडेरल मून ने अपनी पुस्तक डिवाइड एंड विवट में अनुमान लगाया है कि इन दंगों में करीब 1लाख 80हजार लोग मारे गए जिसमें 60000 पश्चिम के और 1लाख20हजार पूर्व के थे

मार्च 1948 तक 60लाख मुसलमान और 45 लाख हिंदु और सिक्ख शरणार्थी बन चुके थे

इस पागलपन और मूर्खता के बीच विवेक, साहस,गरिमा की एकमात्र प्रतिमूर्ति 70 वर्षीय वृद्ध महात्मा गांधी शांति की पुनर्स्थापना के लिए नोआखाली गये

माउंटबेटन ने गांधी जी को वन मैन बाउंड्री फोर्स की उपाधि प्रदान की और कहा कि जो काम 50हजार हथियारबंद सिपाही नहीं कर सकते थे वह काम गांधी जी ने कर दिखाया

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