भारत में बहने वाली नदियां चार समूहों में वर्गीकृत की जा सकती है 1-हिमालय की नदियाँ( Rivers of the Himalayas) 2-प्रायद्वीपीय नदियाँ(Peninsular Rivers) 3-तटवर्ती नदियाँ(Coastal rivers) 4-अंतः स्थलीय प्रवाह क्षेत्र की नदियां
हिमालय की नदियां बारहमासी है। जिन्हें पानी बर्फ पिघलने पर मिलता है। इनमें वर्ष भर पानी का प्रवाह बना रहता है। हिमालय की नदियों में से एक मुख्य नदी 'सतलुज नदी' का विवरण यहां पर किया जा रहा है?
सतलुज नदी ऋग्वेद (Rig veda)के नदीसूक्त में इसे शुतुद्रि कहा गया है। इसकी उत्पति तिब्बत (Tibet) में होती है। सतलुज नदी मानसरोवर झील (Mansarovar Lake) के पास रक्ष्ताल से उत्पन होती है। सतलुज नदी चिनाब नदी से मिलती है। दोनों नदियां मिलकर पंचनद का निर्माण करती है। इसकी कुल लम्बाई 1500 किलोमीटर है।, भारत मे इसकी लंबाई 1050 किलोमीटर है। सतलुज का कुल जलग्रहण क्षेत्र 56860 कि॰मी॰ है।
उद्गम दक्षिण-पश्चिम तिब्बत में समुद्र तल से 4,600 मीटर की ऊंचाई पर इसका उद्गम मानसरोवर के निकट राक्षस ताल से है, जहां इसका स्थानीय नाम लोगचेन खम्बाव है। वास्तव में सतलुज का स्रोत रावणह्नद नामक झील है जो मानसरोवर के पश्चिम में है।
अपवाह सतलुज नदी मानसरोवर झील के पास रक्ष्ताल से उत्पन होती है। मानसरोवर झील , तिब्बत में केलाश पर्वत के दक्षिण में है। 400 कि. मी. बहने के बाद ये शिपकी (किन्नौर) से हिमाचल में प्रवेश करती है। हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों से अपना रास्ता तय कराते हुये यह नदी पंजाब के नांगल में प्रवेश करती है। नांगल से कुछ किलोमीटर ऊपर हिमाचल प्रदेश के भाखड़ा में सतलुज पर बांध बनाया गया है। पंजाब में प्रवेश के बाद यह नदी दक्षिण-पूर्व के रोपड़ जिले में शिवालिक पहाड़ियों के बीच बहती है। रोपड़ में ही यह पहाड़ से मैदान में उतरती है, यहाँ से यह पश्चिम की ओर तेजी से मुड़कर पंजाब के मध्य में बहती है, जहां यह बेस्ट दोआब (उत्तर) और मालवा (दक्षिण) को विभाजित करती है। हरिके में ब्यास नदी सतलुज में मिलती है, जहां से यह दक्षिण-पश्चिम की ओर मुड़कर भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा रेखा निर्धारित करती है। इसके बाद यह भारत को छोडकर कुछ दूरी के लिए पाकिस्तान में फाजिल्का के पश्चिम में बहती है। बहावलपुर के निकट पश्चिम की ओर यह चनाब नदी से मिलती है। दोनों नदियां मिलकर पंचनद का निर्माण करती है।
नामोल्लेख ऋग्वेद के नदीसूक्त में इसे शुतुद्रि कहा गया है। परवर्ती साहित्य में इसका प्रचलित नाम 'शतद्रु या शतद्रू' (सौ शाखाओं वाली) है श्रीमदभागवत में इसके नाम चंद्रभागा तथा मरूदवृधा आदि दिए गए है
योगदान पंजाब की समृद्धि के पीछे सतलुज का भी योगदान है। सतलुज पर भाखड़ा पर बने बांध से न सिर्फ बिजली की आपूर्ति होती है, बल्कि इससे राज्य का बड़ा हिस्सा बाढ़ से भी बचा रहता है। नागल बांध की नहर, सरहिंद और बेस्ट दोआब की नहर, जो रोपड़ से निकलती है, सरहिंद जैसी सहायक नहर, राजस्थान नहर और बीकानेर नहर, जो हुसैनीवाला से निकलती है, सभी सतलुज से ही पानी प्राप्त करती हैं।?
सतलुज की सहायक नदियाँ
ब्यास नदी बासपा नदी स्पीति नदी नोगली नदी खड्ड नदी स्वां नदी
इनमे से कुछ प्रमुख नदियों का विवरण निम्न है
ब्यास नदी ब्यास नदी (Vyas river)हिमाचल में बहने वाली एक प्रमुख नदी है। ब्यास नदी की लम्बाई 470 किलोमीटर है। ब्यास नदी का पुराना नाम ‘अर्जिकिया’ व ‘विपाशा’ था
उद्गम व अपवाह क्षेत्र इस नदी का उद्गम मध्य हिमाचल प्रदेश में, वृहद हिमालय की जासकर पर्वतमाला के रोहतांग दर्रे पर 4,361 मीटर की ऊंचाई से होता है। उद्गम स्थान से यह कुल्लू घाटी (Kullu valley) से होते हुये दक्षिण की ओर बहती है। जहां पर सहायक नदियों को अपने में मिलाती है फिर यह पश्चिम की ओर बहती हुई मंडी नगर से होकर कांगड़ा घाटी में आ जाती है। घाटी पार करने के बाद ब्यास पंजाब (भारत) में प्रवेश करती है व दक्षिण दिशा में घूम जाती है और फिर दक्षिण-पश्चिम में यह 470 कि॰मी॰ बहाने के बाद आर्की में सतलुज नदी में जा मिलती है।
नामोल्लेख ब्यास नदी के नामकरण का कारण पौराणिक कथा के अनुसार इस प्रकार वर्णित है कि वसिष्ठ पुत्र शोक से पीड़ित हो अपने शरीर को पाश से बांधकर इस नदी में कूद पड़े थे किन्तु विपाशा या पाशमुक्त होकर जल से बाहर निकल आए। महाभारत में भी इसी कथा की आवृत्ति की गई है
पर्यटन स्थल ब्यास नदी की किनारे तीन मुख्य पर्यटन स्थल है कुल्लू मनाली मंडी
कुल्लू(kullu valley) ब्यास नदी के किनारे एक प्रमुख पर्यटन स्थल है कुल्लू । कुल्लू भारत के हिमाचल प्रदेश प्रान्त का एक शहर है। कुल्लू गर्मी के मौसम में लोगों का एक मनपसंद गंतव्य है। मैदानों में तपती धूप से बच कर लोग हिमाचल प्रदेश की कुल्लू घाटी में शरण लेते हैं। यहां के मंदिर, सेब के बागान और दशहरा हजारों पर्यटकों को कुल्लू की ओर आकर्षित करते हैं। यहां के स्थानीय हस्तशिल्प कुल्लू की सबसे बड़ी विशेषता है।
मनाली(Manali) मनाली कुल्लू घाटी के उत्तर में स्थित हिमाचल प्रदेश का लोकप्रिय हिल स्टेशन है। समुद्र तल से 2050 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मनाली व्यास नदी के किनारे बसा है। गर्मियों से निजात पाने के लिए इस हिल स्टेशन पर हजारों की तादाद में सैलानी आते हैं। सर्दियों में यहां का तापमान शून्य डिग्री से नीचे पहुंच जाता है। आप यहां के खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों के अलावा मनाली में हाइकिंग, पैराग्लाइडिंग, राफ्टिंग, ट्रैकिंग, कायकिंग जैसे खेलों का भी आनंद उठा सकते है। यहां के जंगली फूलों और सेब के बगीचों से छनकर आती सुंगंधित हवाएं दिलो दिमाग को ताजगी से भर देती हैं।
मंडी व्यास नदी के किनारे बसा हिमाचल प्रदेश का प्रमुख पर्यटन स्थल मंडी लंबे समय से व्यवसायिक गतिविधियों का केन्द्र रहा है। समुद्र तल से 760 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह नगर हिमाचल के तेजी से विकसित होते शहरों में एक है। कहा जाता है महान संत मांडव ने यहां तपस्या की और उनके पास अलौकिक शक्तियां थी। साथ ही उन्हें अनेक ग्रन्थों का ज्ञान था। माना जाता है कि वे कोल्सरा नामक पत्थर पर बैठकर व्यास नदी के पश्चिमी तट पर बैठकर तपस्या किया करते थे। यह नगर अपने 81 ओल्ड स्टोन मंदिरों और उनमें की गई शानदार नक्कासियों के लिए के प्रसिद्ध है। मंदिरों की बहुलता के कारण ही इसे पहाड़ों के वाराणसी नाम से भी जाना जाता है। मंडी नाम संस्कृत शब्द मंडोइका से बना है जिसका अर्थ होता है खुला क्षेत्र।
विद्युत परियोजनाएँ ब्यास नदी और सतलुज नदी के लिंक से एक विद्युत परियोजना बिकसित की गयी है। प्रथम यूनिट के अंतर्गत यह पंडोह में 4711 मिलियन क्यूमेक (3.82 एम.ए.एफ.) ब्यास जल को 1000 फीट नीचे सतलुज में अपवर्तित करती है। इस बिंदु पर देहर विद्युत गृह की अधिष्ठापित क्षमता 990 मेगावाट है, इसके बाद टेल रेस जल सतलुज से बहता हुआ भाखडा के गोबिन्दसागर जलशाय में एकत्रित हो जाता है ब्यास परियोजना की द्वितीय यूनिट के अंतर्गत तलवाड़ा के मैदानी भाग में प्रवेश करने से ठीक पहले ब्यास नदी पर पौंग बांध है, जिसका सकल भण्डारण 435 फुट अर्थ कोर ग्रैवल शैल डैम के पीछे 8572 मिलियन क्यूमेक (6.95 एम.ए.एफ.) है। बांध के आधार पर स्थित विद्युत संयंत्र की अधिष्ठापित क्षमता 360 मेगावाट है।
बासपा नदी बासपा नदी एक महत्वपूर्ण नदी है, जो सांगला की पहाड़ियों से बहती है। इस जगह को मछली पकड़ने वालों के लिए आदर्श माना जाता है क्योंकि नदी में भूरी ट्राउट और इंद्रधनुषी ट्राउट सहित मछलियों की एक विस्तृत विविधता का घर है। नदी के पार टोकरी सवारी भी इस क्षेत्र की एक प्रसिद्ध गतिविधि है जिसमें पर्यटकों को मज़ा आता है। यह ट्रेकर्स और डेरा डालने वालों के लिए भी एक आदर्श स्थल है। इस नदी के आसपास के घने पाइन पेड़ और ओक जंगल स्थान की प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ाते हैं।
स्पीति नदी(Spiti river) स्पीति नदी सतलुज की सहायक नदी है और स्पीति नदी नामगिया में सतलुज के साथ मिलती है।?
सतलुज नदी पर बने बांध व परियोजना भाखड़ा नागलं बांध नाथपा झाकड़ी जलविद्युत परियोजना कोल बांध
भाखड़ा नागलं बांध(Bhakra nangal dam) यह भारत की एक प्रमुख नदी घाटी परियोजना हैं। यह बांध सतलुज नदी पर बना है। यह बांध दो बांधों भाखड़ा और नांगल बांधों से मिलकर बना है। भाखड़ा बांध नांगल बांध से 13 किमी दूर बना है। इसकी आधार शिला 17 नवम्बर, 1955 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू ने रखी तथा निर्माण अमेरिकी बॉध निर्माता हार्वे स्लोकेम के निर्देशन में अक्टूबर,1962 में पूर्ण हुआ| यह राजस्थान, पंजाब और हरियाणा की संयुक्त परियोजना है। इसमें राजस्थान की हिस्सेदारी 15.2 प्रतिशत है। भाखड़ा नांगल बाँध भूकंपीय क्षेत्र में स्थित विश्व का सबसे ऊँचा गुरुत्वीय बाँध है। इस बाँध के पीछे बनी झील का नाम ' गोविन्द सागर ' है, जो सिक्खों के 10वें गुरु गोविन्द सिंह के नाम पर है इसकी सहायक ' इंदिरा सागर परियोजना ' के अंतर्गत राजस्थान तक इंदिरा नहर का विकास किया गया है, जो भारत की सबसे बड़ी नहर प्रणाली है। इसका मुख्य उद्देश्य सिंचाई एवं विद्युत उत्पादन है। इस परियोजना से श्रीगंगानगर , हनुमानगढ़ , सीकर , झुंझुनू एवं चुरू ज़िलो को विद्युत प्राप्त होती है। इस बाँध की कुल जल विद्युत उत्पादन क्षमता 1325 मेगावाट है। बाँध से 'बिस्त दोआब नहर', 'सरहिंद नहर', 'नरवाना शाखा नहर' आदि निकाली गयी हैं। भाखड़ा डैम 226 मीटर ऊँचा है और इसकी दीवार की लंबाई 520 मीटर और दीवार की मोटाई 9.1 मीटर (30 फुट) है। यह टिहरी डैम (260 मीटर) के बाद भारत का दूसरा सबसे ऊँचा डैम है। बांध को बनाने के लिए उस समय 245 करोड़ 28 लाख रूपए का खर्चा आया था। भाखड़ा बांध से हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान आदि राज्य लाभान्वित है।
नाथपा झाकड़ी जलविद्युत परियोजना नाथपा झाकड़ी जलविद्युत परियोजना हिमाचल प्रदेश में सतलुज नदी पर स्थित है। 28 मई,2005 को प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया। नाथपा झाकड़ी पनबिजली स्टेशन की क्षमता 1500 मेगावाट है और यह देश का सबसे बड़ा जलविद्युत प्लांट है। नाथपा झाकड़ी जलविद्युत परियोजना पर 8187 करोड़ रुपए की लागत आई।
कोल बांध कोल बांध हिमाचल प्रदेश में सतलुज नदी पर बना है। इस परियोजना की क्षमता 800 मेगावाट है। 5 जून,2000 को प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया।
Specially thanks to Post and Quiz Creator ( With Regards ) चिराग बालियान
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