1919 के एक्ट में 10 वर्ष पर इसकी समीक्षा का प्रावधान था लेकिन 1929 में ब्रिटेन में आम चुनाव होने के कारण सरकार ने इस आयोग की घोषणा 8 नवंबर 1927 को कर दी थी साइमन कमीशन की परिभाषा 1919 के भारत सरकार अधिनियम के कार्य की समीक्षा करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने 8 नवंबर 1927 में एक आयोग जिसे प्राय: साइमन आयोग कहा जाता है नियुक्त किया
??साइमन कमीशन का मुख्य उद्देश्य??
साइमन कमीशन का मुख्य उद्देश्य 1919 के की समीक्षा करना और भविष्य में भारत में क्या प्रशासनिक सुधार लागू किए जाएं इसके बारे में सुझाव देना था
इसके अतिरिक्त कमीशन के जिम्मे यह काम लगाया गया था कि वह ब्रिटिश भारतीय प्रांतों में पता लगाए की सरकार कैसे चल रही है
प्रतिनिधि संस्थाएं कहां तक ठीक कार्य कर रही है शिक्षा की कहां तक बढ़ोतरी हुई है और उत्तरदायी सरकार के सिद्धांत को अधिक बढ़ाया जाए या सीमित किया जाए अथवा इसमें कोई उचित परिवर्तन किया जाए आदि कार्य साइमन कमीशन के मुख्य उद्देश्य थे
कमीशन में सभी सदस्य अंग्रेजी अर्थात ब्रिटिश संसद के 7 सदस्य सम्मिलित थे
इनमें हाउस ऑफ कॉमंस में लिबरल पार्टी के साइमन अध्यक्ष बनाए गए
हाउस ऑफ लार्ड में कंजर्वेटिव पार्टी के बाथम और स्ट्रेट कोना हाउस ऑफ कॉमंस में लैंन फैक्स और कैडेगन 'हाउस ऑफ कॉमन्स' में लेबर पार्टी के एटली और बर्नोन हार्ट शोन सदस्य थे
कमीशन के सभी सदस्य यूरोपीय थे इसमें भारत का एक भी सदस्य नहीं था इसके विरोध का सबसे बड़ा कारण यही था
इस प्रकार गठित इस साइमन कमीशन को भारत के राजनीतिक भविष्य का निर्णय करना था
प्रबुद्ध भारतीय राजनीतिक अभिमत को यह स्वीकार्य नहीं था भारत वासियों को साइमन कमीशन से गहरा धक्का लगा
भारत वासियों को इससे लगा कि अंग्रेजो ने उनकी स्वराज्य की मांग को दरकिनार कर दिया
अतः इस कारण भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने दिसंबर 1927 में मद्रास में हुए कांग्रेस अधिवेशन में कमीशन का प्रत्येक स्थिति में प्रत्येक स्थान मैं और प्रत्येक प्रकार से बहिष्कार करने का निश्चय किया
जब 3 फरवरी 1928 को साइमन कमीशन मुंबई (भारत) पहुंचा संपूर्ण भारत में इसका विरोध किया गया देशव्यापी हड़ताल आयोजित की गई
कमीशन जहां कहीं भी गया वहॉ पूर्ण हड़ताल रखी गई और साइमन वापस जाओ के नारे के साथ जुलूस निकाले गए
अनेक स्थानों पर आंदोलन को कुचलने के लिए पुलिस ने पशु बल का प्रयोग किया जब साइमन कमीशन दिल्ली पहुंचा तो वहां काले झंडे और गो बैक साइमन के नारों के साथ स्वागत किया
केंद्रीय विधानसभा ने साइमन का स्वागत करने से मना कर दिया था मद्रास में प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाई गई और लाठीचार्ज हुआ
जब साइमन लाहौर पहुंचा तो लाला लाजपत राय के नेतृत्व में उसके खिलाफ प्रदर्शन किया गया पुलिस के लाठी चार्ज के कारण ही लाला लाजपत राय की दिसंबर 1928 में मृत्यु हो गई
जब साइमन कमीशन लखनऊ पहुंचा तो उसके विरुद्ध पंडित गोविंद बल्लभ पंत और पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में प्रदर्शन हुए पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर अनेक अत्याचार किए
हिंदू महासभा ,मुस्लिम लीग, लिबरल फेडरेशन, किसान मजदूर पार्टी आदि ने भी कमीशन के बहिष्कार की नीति अपनाई
यद्यपि मुस्लिम लीग में साइमन कमीशन के बहिष्कार के सवाल पर 1928 में फूट पड़ गई और कमीशन के साथ सहयोग के पक्षंपातियो का एक गुट लीग से अलग हो गया
मोहम्मद अली जिन्ना कमीशन के बहिष्कार के सवाल पर कांग्रेस के साथ है
जब सारे देश में साइमन वापस जाओ का नारा बुलंद हो रहा था पूजी पत्तियों ,जमीदारो और कुछ देशी नरेशों ने इसका समर्थन किया
डॉक्टर अंबेडकर मुंबई में साइमन कमीशन के साथ सहयोग करने के लिए बनाई गई कमेटी के सदस्य बने
साइमन कमीशन का प्रतिवेदन सुझाव
1928 और 1929 में साइमन कमीशन ने भारत का दो बार दौरा किया कमीशन ने 27 मई 1930 को अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की जिसकी सिफारिश और सुझाव इस प्रकार थे
1919 के भारत सरकार अधिनियम के तहत लागू की गई द्वैध शासन व्यवस्था को समाप्त कर प्रांतों को स्वायत्तता दे दी जाए अथार्थ उत्तरदायी शासन की स्थापना की जाए
ब्रिटिश भारतीय प्रांतों और देशी रियासतों को मिलाकर भारत संघ का निर्माण किया जाए
भारत के लिए संघीय संविधान होना चाहिए
केंद्र में भारतीयों को कोई भी उत्तरदायित्व प्रदान किया जाए अथवा केंद्र में किसी भी प्रकार की उत्तरदायी सरकार का गठन नहीं किया जाए
सांप्रदायिक चुनाव प्रणाली को जारी रखा जाए ,मताधिकार का विस्तार किया जाए अथार्थ इसे 2.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 से 15% तक बढ़ाने की बात कही गई
गवर्नर को शांति व्यवस्था के लिए विशेष शक्ति दी जाए और गवर्नर और गवर्नर जनरल अल्पसंख्यक जातियों के हितों के प्रति विशेष ध्यान रखें
उच्च न्यायालय को भारत सरकार के नियंत्रण में कर दिया जाए
बर्मा को भारत से अलग किया जाए और उड़ीसा और सिंध को अलग-अलग प्रदेश का दर्जा दिया जाए
प्रांतीय विधान मंडलों में सदस्य की संख्या को बढ़ाया जाए प्रत्येक 10 वर्ष बाद पूनरीक्षण के लिए एक संविधान आयोग की नियुक्ति की व्यवस्था को समाप्त कर दिया जाए
भारत के लिए एक ऐसा लचीला संविधान बने जो स्वयं से विकसित है
साइमन कमीशन द्वारा दिए गए प्रतिवेदन अथवा सुझावों की समीक्षा
साइमन कमीशन द्वारा जो सुझाव रखे गए उनके अनुसार केंद्र में किसी प्रकार की उत्तरदायी सरकार का गठन नहीं करना
सांप्रदायिक चुनाव प्रणाली का विस्तार सरकार की दमन नीति का अंश था जो संवैधानिक नहीं थे
साइमन कमीशन की नियुक्ति से भारतीय दलों में व्याप्त आपसी फूट और मतभेद की स्थिति से उबरने और राष्ट्रीय आंदोलन को उत्साहित करने में सहयोग मिला
यद्यपि इस आयोग की भारत में कड़ी आलोचना की गई फिर भी इस आयोग की अनेक बातों को 1935 के भारत सरकार अधिनियम में स्वीकार किया गया
सर शिव स्वामी अय्यर ने इसे रद्दी की टोकरी में फेंकने लायक बताया
सर्वदलीय सम्मेलन
फरवरी 1928 में दिल्ली में एम.ए. अंसारी की अध्यक्षता में सर्वदलीय सम्मेलन आयोजित हुआ जिसमें भारत के संविधान का प्रारूप तैयार करने के लिए नेहरू समिति का गठन किया गया था
0 Comments