स्वतंत्रता संग्राम के प्रथम चरण के बाद राजस्थान मैं बदलाव

?स्वतंत्रता संग्राम के प्रथम चरण में राजस्थान के क्रांतिकारियों की राजद्रोहात्मक गतिविधियों से पूर्ण सफलता प्राप्त नहीं हुई लेकिन आंदोलनों ने राजस्थान की जनता में राष्ट्रीय चेतना और जन जागरूकताका विकास विकास किया इन आंदोलनों का राज्य में अंग्रेज विरोधी जनमत तैयारकरने में महत्वपूर्ण योगदान रहा 


?बेगू बिजोलिया बूंदीकिसान आन्दोलन और सूर्जी भगत *गोविंद गुरु और मोतीलाल तेजावत के नेतृत्व में हुए भील आंदोलन ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई इन आंदोलनों के द्वारा राज्य की जनता में राजनीतिक चेतना का विकास हुआ आत्मविश्वासउत्पन्न हुआ और यहां की जनता अपने अधिकारोंके प्रति सजग हुई 1921 में महात्मा गांधीचलाए गए असहयोग आंदोलनका प्रभाव राजस्थान पर भी पड़ा इस आंदोलन से राजस्थान के लोगों में भी देशप्रेम की भावना जागृत हुई और राज्य में निरंकुश शासन के प्रति रोष उत्पन्न हुआ 


?जोधपुर में भवरलाल सरार्फ सत्याग्रही ने तिरंगा झंडा लेकर शहर में घुमाया झंडे पर एक और महात्मा गांधी और दूसरी ओर स्वराज्य लिखा हुआ था भवरलाल सरार्फ ने जोधपुर में एक भाषण दिया था जिसे लोगों ने पूर्ण एकाग्रता और उत्साहसे सुना था 


?टोंक राज्य की जनता ने भी कांग्रेस के प्रति पूर्ण सहानुभूति और असहयोग आंदोलनका अनुमोदन किया था  इस घटना के कारण अंग्रेजों ने यहां के नेता मौलवी अब्दुल रहीम सय्यद जुबेर मियां सेयद इस्माइल मियांआदि को गिरफ्तार कर लिया गया था 


?जयपुर राज्य में जमनालाल बजाज ने अपनी रायबहादुर की उपाधि लौटा दी और एक लाख रुपए तिलक स्वराज्य कोष में जमा किया था जमना लाल बजाज को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की कार्यकारिणी का सदस्य बनाया गया जमनालाल बजाज से प्रेरित होकर राजस्थान के व्यापारी ने भी इस आंदोलन के दौरान कांग्रेस को आर्थिक सहयोग दिया था 


?1921 में बिकानेर में मुक्ताप्रसाद वकील आदि ने विदेशी कपड़ों की होली जलाई और खादी पहनने का व्रत लिया बीकानेर में अंग्रेजों के विरुद्ध प्रदर्शनप्रदर्शित करने के लिए खादी भंडार भी खोला गया 


?15 मार्च 1931 को अजमेर में वित्तीय राजनीतिक सम्मेलन का आयोजन किया गया सम्मेलन की अध्यक्षता मौलाना शौकत अलीद्वारा की गई 
इस सम्मेलन में मोतीलाल नेहरू भी उपस्थित थे मौलाना शौकत अली के नेतृत्व में विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार का आह्वान किया गया अजमेर में पंडित गौरीशंकरके नेतृत्व में विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया गया  इस कार्य में अर्जुन लाल सेठी, चांद करण शारदा आदि ने भाग लिया 


?प्रथम विश्वयुद्धके समय राजस्थान के राजाओं ने पूरी श्रद्धा से ब्रिटिश सरकार को सहायता प्रदान करी थी और ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति पूर्ण निष्ठा का परिचय दिया था ब्रिटीश सरकार ने भी उन्हें अपना विश्वसनीय  सहयोगी मानकर युद्ध संचालन में भागीदार बनाया था
?बीकानेर के महाराजा गंगासिंह को साम्राज्य युद्ध मंत्रिमंडल और साम्राज्य युद्ध सम्मेलन का सदस्य मनोनीत किया गया था इन्हें जर्मनी से वार्ता में भाग लेने के लिए भारत का प्रतिनिधित्व करने हेतु पेरिस भेजा गया


?प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद वायसराय की अध्यक्षता में नरेंद्र मंडल की स्थापना की गई थी नरेंद्र मंडल के द्वारा देशी राजा अपने राज्य और भारत सरकार से संबंधित समस्याओं पर विचार विमर्श कर सकते थे


?ब्रिटिश सरकार द्वारा देशी राजा को बताया गया कि राष्ट्रवादी मध्यवर्गी लोग किसान मजदूरआदि ब्रिटिश सरकार और देशी नरेशों के लिए अशांति और खतरा उत्पन्न करने का कारण बन सकते हैं ब्रिटिश प्रशासकों ने मेवाड़ के बिजोलिया ठिकाने में  किसान पंचायतोंकी स्थापना की गई


? इन पंचायतों की आत्मनिर्भरता की तुलना रूसी सोवियतो से की गई और बिजोलिया किसान आंदोलन के सूत्रधार पथिक को विप्लववादी कहा गया और ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा समान हितों की बात कह कर देशी राज्यों का सहयोगप्राप्त करने का प्रयास किया गया देसी राज्य ब्रिटिश सत्ता के साथ जुड़े होने के कारण राजस्थान के राजाओं ने असहयोग आंदोलन को अपने अस्तित्व के लिए खतरा माना 


?इस कारण बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने अपने राज्य के शिव मूर्ति सिह, संपूर्णानंद और आनंद वर्माको सरकारी नौकरी से निकाल दिया इन सभी को सरकारी नौकरी से निकालने का कारण इनके द्वारा स्वदेशी वस्त्र पहनना और तिलक स्वराज्य कोष मे चंदाजमा करना था 


?उदयपुर के महाराणा फतेह सिंहने विवश हो कर अपने युवराज भूपाल सिंह को 28 जुलाई 1921 को शासनाधिकार सौंप दिये युवराज ने अंग्रेज सरकार की इच्छा अनुसार मंत्री मंडल बनाया और राजस्व विभाग जैसा महत्व विवाग एक अंग्रेज अधिकारी मिस्टर ट्रेंच को सौंप दिया गया ब्रिटिश सरकार का लगभग अब यह प्रयास था की राजस्थान के राज्यों में अंग्रेज मंत्रियों की नियुक्ति की जाए जिस से राज्य में बढ़ती हुई राजनीतिक चेतना पर नियंत्रण रखा जा सके 


?इस कारण राज्य के कई जिले सिरोही बूंदी जोधपुर जयपुर में अंग्रेज नियुक्ति की गई और जहां ऐसा संभव नहीं हुआ वहां बाहर के व्यक्तियों को उच्च पदों पर नियुक्त किया गया 


? राजस्थान के अनेक राज्यों में राजाओं से उनके प्रशासन का अधिकार छीन कर दीवानों और निरकुंश नौकर तंत्र को दे दिया गया था 


?बीसवीं शताब्दीके तृतिय दशक तक राज्य में बहुत बड़ी संख्या में शिक्षित लोग मौजूदथे जिन्हें राज्य में कार्य करने का अवसर प्रदान नहीं किया गया था इसके कारण इन में असंतोष फेल गया इस शिक्षित वर्ग ने प्रचलित व्यवस्था में अनियमिताओं को उजागर कर जनता में जागृति उत्पन्न की इन्होंने नागरिक अधिकारों और उत्तरदायी सरकारकी स्थापना के लिए संघर्ष प्रारंभ किया और जन आंदोलनों को नेतृत्वप्रदान किया इन संघर्ष और आंदोलन से राजस्थान में एक नए युग का सूत्रपातहुआ और प्रजामंडल आंदोलन की शुरुआत हुई

स्वतंत्रता संग्राम के प्रथम चरण के बाद राजस्थान मैं बदलाव

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to top