प्रतापनारायण मिश्र भारतेंदु के विचारों और आदर्शों के महान प्रचारक और व्याख्याता थे। वह प्रेम को परमधर्म मानते थे। हिंदी, हिंदू, हिदुस्तान उनका प्रसिद्ध नारा था। समाजसुधार को दृष्टि में रखकर उन्होंने सैकड़ों लेख लिखे हैं। बालकृष्ण भट्ट की तरह वह आधुनिक हिंदी निबंधों को परंपरा को पुष्ट कर हिंदी साहित्य के सभी अंगों की पूर्णता के लिये रचनारत रहे। एक सफल व्यंग्यकार और हास्यपूर्ण गद्य-पद्य-रचनाकार के रूप में हिंदी साहित्य में उनका विशिष्ट स्थान है। मिश्र जी की मुख्य कृतियाँ निम्नांकित हैं :
(क) नाटक: भारतदुर्दशा, गोसकट, कलिकौतुक, कलिप्रभाव, हठी हम्मीर, जुआरी खुआरी। सांगीत शाकुंतल (अनुवाद)।
(ख) मौलिक गद्य कृतियाँ : चरिताष्टक, पंचामृत, सुचाल शिक्षा, बोधोदय, शैव सर्वस्व।
(ग) अनूदित गद्य कृतियाँ: नीतिरत्नावली, कथामाला, सेनवंश का इतिहास, सूबे बंगाल का भूगोल, वर्णपरिचय, शिशुविज्ञान, राजसिंह, इदिरा, राधारानी, युगलांगुलीय।
(घ) कविता : प्रेमपुष्पावली, मन की लहर, ब्रैडला स्वागत, दंगल खंड, कानपुर महात्म्य, श्रृंगारविलास, लोकोक्तिशतक, दीवो बरहमन (उर्दू)।
प्रताप पीयूष, निबन्ध नवनीत, कलि कौतुक, हठी हमीर, गौ संकट, जुआरी खुआरी, मन की लहर, प्रताप लहरी, काव्य कानन, गो संकट, कलि-प्रवाह, आदि मिश्र जी के नाटक हैं। कलि, कौतुक, जुआरी, बुआरी उनके रूपक हैं। संगीत शकुंतला लावनी के ढंग पर गाने योग्य खड़ी बोली में पद्य-बद्ध नाटक है। निबंध नवीनतम मैं उनके निबंधों का संग्रह हैं और काव्य-कानन में आलोचनाएँ हैं।
***आधुनिक काल --गद्य काल(राम चन्द्र शुक्ल) मह्त्वपूर्ण बिंदू******
--आधुनिक काल हिन्दी साहित्य के इतिहास का दूसरा स्वर्ण युग कहा जाता है--जनचेतना व जागरूकता का सशक्त स्वर
--बादशाह दर्पण ,काश्मीर कुसुम इतिहास ग्रन्थो की रचना - भारतेंदु
--खड़ी बोली हिंदी के प्रथम प्रतिष्ठित कवि -खुसरो
--खड़ी बोली गद्य की प्रथम रचना 'चन्द छंद बरनन की महिमा '--गंग भाट
--शुद्ध एवम् परिमार्जित खड़ी बोली की प्रथम रचना 'भाषा योग वशिष्ठ'--राम प्रसाद निरंजनी (1741)
--रीतिकाल का अंतिम चरण (1843) भारतेंदु का आगमन (1868) के बीच का 25 वर्ष का समय -संक्रांति काल
--लेखक चतुष्ठ्य -(इंशाअल्ला लल्लू सदा रहे सदल )
*इंशाअल्ला खां -रानी केतकी की कहानी (वीरभान चरित)
*लल्लू लाल -प्रेमसागर
*सदासुख लाल 'नियाज़'-सुखसागर (मानक हिन्दी के अधिक निकट)
*पंडित सदल मिश्र --नासिकेतोपाख्यान (चन्द्रावती)
--नावजागरण के अग्रदूत -राजा राममोहन राय
--"निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल "-भारतेंदु
--साहित्य जनसमूह के हृदय का विकास है --बालकृष्ण भट्ट
--भारतेंदु युग में भाषा गढ़ने की टकसाल कहा जाने वाला पत्र -बंगवासी पत्र
--हिन्दी आलोचना की आधारशिला --भारतेंदु लिखित ' नाटक' शीर्षक निबंध
--भारतेंदु का प्रथम अनूदित रचना (नाटक)-- विद्यासुंदर नाटक(1868)
--भारतेंदु रचित खड़ी बोली में कवितायेँ--फूलों का गुच्छा
--दशरथ विलाप कविता -भारतेंदु (खड़ी बोली में)
--हिन्दी प्रदीप 'पत्र का सम्पादन -बालकृष्ण भट्ट
--निबंध लेखन क्षेत्र में आ. राम चन्द्र शुक्ल ने हिन्दी का #बालकृष्ण भट्ट को- स्टील*** प्रताप नारायण मिश्र को --एडिसन**कहा |
--काव्य में 'खड़ी बोली के पक्ष में आंदोलन 'चलाया -अयोध्या प्र.खत्री (1888)
--राजा लक्ष्मण सिंह हिन्दी के समर्थक थे जबकि राजा शिवप्रसाद सितार -ए- हिन्द उर्दू के |
--पंजाब में हिन्दी का समर्थन करने वाले विद्वान - श्रद्धाराम फुल्लोरी व नवीन चन्द्र राय।
हिन्दी साहित्य के मुख्य इतिहासकार और उनके ग्रन्थ निम्नानुसार हैं -
1.गार्सा द तासी : इस्तवार द ला लितेरात्यूरऐंदुई ऐंदुस्तानी (फ्रेंच भाषा में; फ्रेंच विद्वान, हिन्दी साहित्य के पहले इतिहासकार)
2.शिवसिंह सेंगर : शिव सिंह सरोज
3.जार्ज ग्रियर्सन : द मॉडर्न वर्नेक्यूलर लिट्रैचर आफ हिंदोस्तान
4.मिश्र बंधु : मिश्र बंधु विनोद
5.रामचंद्र शुक्ल :हिंदी साहित्य का इतिहास
6.हजारी प्रसाद द्विवेदी : हिन्दी साहित्य की भूमिका; हिन्दी साहित्य का आदिकाल; हिन्दीसाहित्य :उद्भव और विकास
7.रामकुमार वर्मा : हिन्दी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास
8.डॉ धीरेन्द्र वर्मा :हिन्दी साहित्य
9.डॉ नगेन्द्र : हिन्दी साहित्य का इतिहास; हिन्दी वांड्मय 20वीं शती
10.रामस्वरूप चतुर्वेदी : हिन्दी साहित्य और संवेदना का विकास, लोकभारती प्रकाशन, इलाहाबाद, 1986
11.बच्चन सिंह : हिन्दी साहित्य का दूसरा इतिहास, राधाकृष्ण प्रकाशन,नई दिल्ली
12.डा० मोहन अवस्थी : हिन्दी साहित्य का अद्यतन इतिहास
13.बाबू गुलाब राय :हिन्दी साहित्य का सुबोध इतिहास
काव्य रचनाओं सम्बन्धी विशेष जानकारी
जायसी (पदमावत---56-57 खंड)
नरपति नाल्ह (बीसलदेव रासो---4 खंड)
चंदबरदाई (पृथ्वीराज रासो--- 69 समय)
सूरदास (सूरसागर ---12 सकन्ध)
ज्योतिरीश्वर ठाकुर (वर्ण रत्नाकर---8 कल्लोल)
तुलसीदास (रामचरितमानस---7 कांड)
केशवदास (रामचन्द्रिका---39 प्रकाश)
बिहारी (बिहारी सतसई---713 दोहे)
सेनापति (कवित्त रत्नाकर---5 तरंग 394 छंद)
हरिऔध (प्रियप्रवास---17 सर्ग)
हरिऔध (वैदेही वनवास---18 सर्ग)
मैथिलीशरण गुप्त (साकेत---12 सर्ग)
जयशंकर प्रसाद (कामायनी---15 सर्ग)
मुक्तिबोध (अँधेरे में---8खंड 71 बन्ध) हिंदी आलोचना
1 "आलोचना समुच्चय " आलोचना संग्रह का प्रकाशन किया। ~महावीर प्रसाद द्विवेदी
2 मिश्रबंधु विनोद किस काल में लिखा गया।~ द्विवेदी युग
3 हिंदी की प्रथम व्यवहारिक स्मीक्षा समाहित ह ।~सयोंगीता स्वयंवर
4 देखिये मार्क्सवाद सीखाता ह की हर चीज पर डाउट करो।कथन~ रामविलासशर्मा
5तुलसी को सर्वश्रेष्ठ कवि मानने वाले आलोचक।~शुक्ल
6हिंदी के सर्वश्रेष्ठ समालोचक।~शुक्ल
7द्विवेदी युग के साहित्यकारों के दोषो का उदघाटन करने वाले आलोचक।~नन्ददुलारे वाजपेयी
8 मानवीय मूल्यों में गहन आस्था रखने वाले आलोचक।~ हजारी प्रसाद द्विवेदी
9 मनुष्यता को साहित्य और रस का पर्याय मानने वाले आलोचक।~ हजारी प्रसाद द्विवेदी
10 वर्ण भेद के आधार प समीक्षा करने वाले आलोचक।~डॉ रामविलास शर्मा
11आ.हजारी प्रसाद द्विवेदी के समर्थक आलोचक।~डॉ नामवर सिंह
12 फ्रायड के मनोविज्ञान से प्रभावित आलोचक।~ नगेन्द्र
13 समकालीन समीक्षा की दोनों धारा वस्तुवाद और भाववाद का समन्वय का प्रयास किया ह।-रामस्वरूप चतुर्वेदी
14आलोचना के नवीन मानदण्डों की स्थापना करने वाले आलोचक।~शुक्ल
15 दार्शनिक अनुशासन के आलोचक।~ डॉ देवराज
*शृंगारिक रचनाएँ--*
शृंगार निर्णय:- भिखारीदास
शृंगार विलाश:-सोमनाथ
शृंगार मंजरी:-चिन्तामणि
श्रृंगार मंजरी:-प्रताप साही
शृंगार शिरोमणि:-प्रताप साही व् यसवंत सिंह की भी है
शृंगार भूषण:-बेनी प्रवीण
शृंगार लतिका:-द्विज देव
शृंगार चालीसा:-द्विज देव
शृंगार बत्तीसी:-द्विज देव
शृंगार लता:-सुख देव
शृंगार सोरठा:-रहीम
शृंगार सागर:-मोहन लाल मिस्र
शृंगार रस माधुरी:-कृष्ण भट्ट देवऋषि
*रीतिकाल में रचित खंड काव्य*
1. पद्माकर विरचित हिम्मत बहादुर विरुदावली
आधुनिक काल के खंड काव्य (भारतेंदु युग)
1. श्रीधर पाठक का एकांतवासी योगी
2. जगन्नाथदास 'रत्नाकर' का हरिश्चंद्र
द्विवेदी युग में रचित खंड काव्य
1. मैथिलीशरण गुप्त : रंग में भंग, जयद्रथ वध , नलदमयंती, शकुंतला, किसान, अनाथ
2. सियारामशरण गुप्त : मौर्य विजय
3. रामनरेश त्रिपाठी : मिलन , पथिक
4. द्वारिका प्रसाद गुप्त : आत्मार्पण
*छायावाद युग में रचित खंड काव्य*
1. सुमित्रानंदन पंत : ग्रंथि
2. रामनरेश त्रिपाठी : स्वप्न
3. मैथिलीशरण गुप्त : पंचवटी , अनध, वनवैभव, वक-संहार
4. अनूप शर्मा : सुनाल
5. सियारामशरण गुप्त : आत्मोत्सर्ग
6. सूर्यकांत त्रिपाठी निराला :तुलसीदास
7. शिवदास गुप्त : कीचक वध
8. श्याम लाल पाठक : कंसवध
9. रामचंद्रशुक्ल "सरस" : अभिमन्यु वध
10. गोकुल चंद्र शर्मा : प्रणवीर प्रताप
11. नाथूराम शंकर शर्मा : गर्भरण्डा रहस्य, वायस विजय
*छायावादोत्तर युग में विरचित खंड काव्य*
1. मैथिलीशरण गुप्त : नहुष, कर्बला, नकुल, हिडिम्बा
2. बालकृष्ण शर्मा "नवीन" : प्राणार्पण
3. सोहनलाल द्विवेदी : कुणाल
4. रामधारी सिंह दिनकर : कुरुक्षेत्र
5. श्याम नारायण पांडे : जय हनुमान
6. उदयशंकर भट्ट : कौन्तेय-कथा
7. आनंद मिश्र : चंदेरी का जौहर
8. गिरिजादत्त शुक्ल "गिरीश" : प्रयाण
9. गोपालप्रसाद व्यास : क़दम-क़दम बढ़ाए जा
10. डॉ रुसाल : भोजराज
11. नरेश मेहता : संशय की एक रात
0 Comments