महान वैज्ञानिक डॉ होमी जहाँगीर भाभा(Great scientist Dr. Homi Jahangir Bhabha)
महान वैज्ञानिक डॉ होमी जहाँगीर भाभा
(Great scientist Dr. Homi Jahangir Bhabha)
जन्म?30 अक्टूबर 1909 .मुम्बई पारसी परिवार में ।
योग्यता इंटर की परीक्षा मुंबई से पास की. होमी जहाँगीर भाभा ने मात्र 15 वर्ष की
आयु में आइंस्टीन का सापेक्षता का सिद्धान्त पढ लिया था। फिर कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से 1930 में इन्होने B.SC की 1934 में पी.एच.डी की उपाधि प्राप्त की. ?फिर सन 1940 में ये भारत लौट आये.उस समय तक होमी जहाँगीर भाभा पूरे दुनिया में प्रसिद्ध हो गये थे अगर वे चाहते तो विदेश में किसी बड़े पद पर कार्य कर सकते थे लेकिन वे अपने देश में काम करना चाहते थे.
➡ प्रभाव
वे नोबल पुरस्कार विजेता प्रो. सी.वी.रमन से भी बहुत प्रभावित हुए.
➡ विशेष इन्होने बंगलौर इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस संस्था में अन्तरिक्ष किरणों पर शोध किये इन्होने बताया की बाहरी अन्तरिक्ष से आने वाली किरणों के कण बहुत छोटे और तेज गति से चलते है. ये पृथ्वी के वायुमंडल में* हवा में मौजूद परमाणुओं से तेजी से टकराते है.इस टक्कर में परमाणुओं के इलेक्ट्रान अलग हो जाते है.इन अलग हुए इलेक्ट्रान में एक और कण मेंसनहोता है.इस प्रकार प्रत्येक वस्तु छोटे-छोटे परमाणुओं से मिलकर बनती है परमाणु की नाभि में प्रोटान और न्यूट्रानके कण होते है.नाभि के चारो ओर इलेक्ट्रान चक्कर लगाते है.प्रोटान,न्यूट्रान और इलेक्ट्रान में उर्जा की मात्रा अधिक होती है. इस प्रकार भाभा ने दुनिया को अन्तरिक्ष की इन किरणों के रहस्य से अवगत कराया सन 1948 में डॉ भाभा परमाणु शक्ति आयोग के चेयरमैन बने. इनके कुशल निर्देशन में अप्सरा,सिरस और जरलिना नामक रिएक्टरो की स्थापनाहुई.इनके ही निर्देशन में सन 1963 में ट्राम्बे परमाणु बिजलीघर स्थापित हुआ.
पुस्तक- डॉ.भाभा की दो पुस्तकें क्वांम्टम थ्योरीव एलिमेंट्री फिजीकल पार्टिकल्स बहुत प्रसिद्ध हैं.
पुरस्कार- अपनी प्रतिभा से साइंस के क्षेत्र में डॉ.भाभा के योगदान के लिए इन्हें 1943 में ऐडम्स पुरस्कार 1948 में हाकिन्स पुरस्कार डॉ.भाभा को 1954 में राष्ट्रपति द्वारा पद्मभूषण की उपाधि दी गई. डॉ.भाभा को अनेक विश्वविद्यालयों ने डॉ.ऑफ सांइस जैसी उपाधियों से सम्मानित किया
निधन- 24 जनवरी सन 1966 को डॉ.भाभा जब *अन्तराष्ट्रीय परिषद के शान्ति मिशन में भाग लेने वाएन जा रहे थे तो एक विमान हादसे में उनकी मौत हो गयी.
समर्पित- डॉ होमी जहाँगीर भाभा की याद में 12 जनवरी 1967 को टॉम्ब्रे संस्थान का नाम बदलकर भाभा अनुसंधान केन्द्र रखा गया प्रतिभावान डॉ होमी जहाँगीर भाभा सिर्फ सपने नहीं देखते थे बल्कि उन सपनो को पूरा करने में पूरी मेहनत से जुटे रहते थे. आज हमारा देश एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र है इसमें बहुत बड़ा योगदान जहाँगीर भाभा का है. डॉ होमी जहाँगीर भाभा का योगदान सिर्फ हमारे देश के लिए नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए अमूल्य है.भारत को विश्व में पहचान दिलाने के लिए उनका योगदान हमेशा याद किया जायेगा
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