मेवाड में गुहिल राजवंश

मेवाड में गुहिल राजवंश


मेवाड शासकों के नाम और समय काल निम्न था 
1. शिलादित्य का पुत्र गुहादित्य 566 ई .
2. रावल बप्पा ( काल भोज ) – 734 ई० मेवाड राज्य के गहलौत शासन के सूत्रधार।
3. रावल खमान – 753 ई०
4. मत्तट – 773 – 793 ई०
5. भर्तभट्त – 793 – 813 ई०
6. रावल सिंह – 813 – 828 ई०
7. खुमाण सिंह – 828 – 853 ई०
8. महायक – 853 – 878 ई०
9. खुमाण तृतीय – 878 – 903 ई०
10. भर्तभट्ट द्वितीय – 903 – 951 ई०
11. अल्लट – 951 – 971 ई०
12. नरवाहन – 971 – 973 ई०
13. शालिवाहन – 973 – 977 ई०
14. शक्ति कुमार – 977 – 993 ई०
15. अम्बा प्रसाद – 993 – 1007 ई०
16. शुची वरमा – 1007- 1021 ई०
17. नर वर्मा – 1021 – 1035 ई०
18. कीर्ति वर्मा – 1035 – 1051 ई०
19. योगराज – 1051 – 1068 ई०
20. वैरठ – 1068 – 1088 ई०
21. हंस पाल – 1088 – 1103 ई०
22. वैरी सिंह – 1103 – 1107 ई०
23. Vijay Singh – 1107 – 1127 ई०
24. अरि सिंह – 1127 – 1138 ई०
25. चौड सिंह – 1138 – 1148 ई०
26. Vikram Singh – 1148 – 1158 ई०
27. रण सिंह ( कर्ण सिंह ) – 1158 – 1168 ई०
28. क्षेम सिंह – 1168 – 1172 ई०
29. सामंत सिंह – 1172 – 1179 ई०

क्षेम सिंह के दो पुत्र सामंत और कुमार सिंह। ज्येष्ठ पुत्र सामंत मेवाड की गद्दी पर सात वर्ष रहे क्योंकि जालौर के कीतू चौहान मेवाड पर अधिकार कर लिया। सामंत सिंह अहाड की पहाडियों पर चले गये। इन्होने बडौदे पर आक्रमण कर वहां का राज्य हस्तगत कर लिया। लेकिन इसी समय इनके भाई कुमार सिंह पुनः मेवाड पर अधिकार कर लिया।  

30. कुमार सिंह – 1179 – 1191 ई०
31. मंथन सिंह – 1191 – 1211 ई०
32. पद्म सिंह – 1211 – 1213 ई०
33. जैत्र सिंह – 1213 – 1261 ई०
तेज सिंह -1261 – 1273 ई०
34. समर सिंह – 1273 – 1301 ई०

समर सिंह का एक पुत्र रतन सिंह मेवाड राज्य का उत्तराधिकारी हुआ और दूसरा पुत्र कुम्भकरण नेपाल चला गया। नेपाल के राज वंश के शासक कुम्भकरण के ही वंशज हैं।

35. रतन सिंह ( 1301-1303 ई० )
36. अजय सिंह ( 1303 – 1326 ई० )

राणा हम्मीर से महाराणा प्रताप 
37. महाराणा हमीर सिंह ( 1326 – 1364 ई० )
38. महाराणा क्षेत्र सिंह ( 1364 – 1382 ई० )
39. महाराणा लाखासिंह ( 1382 – 11421 ई० ) –
40. महाराणा मोकल ( 1421 – 1433 ई० )
41. महाराणा कुम्भा ( 1433 – 1468 ई० )
42. महाराणा उदा ( उदय सिंह ) ( 1468 – 1473 ई० )
43. महाराणा रायमल ( 1473 – 1509 ई० )
44. महाराणा सांगा ( संग्राम सिंह ) ( 1509 – 1527 ई० ) –
45. महाराणा रतन सिंह ( 1528 – 1531 ई० )
46. महाराणा विक्रमादित्य ( 1531 – 1534ई० ) –
47. महाराणा उदय सिंह ( 1537 – 1572 ई० ) – मेवाड़ की राजधानी चित्तोड़गढ़ से उदयपुर लेकर आये
48. Maharana Pratap ( 1572 -1597 ई० ) – इनका जन्म 9 मई 1540 ई० मे हुआ था।
19 जनवरी 1597 में चावंड में प्रताप का निधन हो गया।
49. महाराणा अमर सिंह -(1597 – 1620 ई० )
50. महाराणा कर्ण सिंह ( 1620 – 1628 ई० )
51.महाराणा जगत सिंह ( 1628 – 1652 ई० )
52. महाराणा राजसिंह( 1652 – 1680 ई० ) – यह मेवाड के उत्थान का काल था।

इन्होने मारवाह और आमेर से खानपान एवं वैवाहिक संबंध जोडने का निर्णय ले लिया। राजसमन्द झील एवं राजनगर इन्होने ही बसाया.

53. महाराणा जय सिंह ( 1680 – 1698 ई० ) – जयसमंद झील का निर्माण करवाया.
54. महाराणा अमर सिंह द्वितीय ( 1698 – 1710 ई० )
55. महाराणा संग्राम सिंह ( 1710 – 1734 ई० )
56. महाराणा जगत सिंह द्वितीय ( 1734 – 1751 ई० ) –  इन्होने जलमहल बनवाया। शहजादा खुर्रम (शाहजहाँ) को अपना “पगड़ी बदल” भाई बनाया और उन्हें अपने यहाँ पनाह दी.
57. महाराणा प्रताप सिंह द्वितीय ( 1751 – 1754 ई० )
58. महाराणा राजसिंह द्वितीय ( 1754 – 1761 ई० )
59. महाराणा अरिसिंह द्वितीय ( 1761 – 1773 ई० )
60. महाराणा हमीर सिंह द्वितीय ( 1773 – 1778 ई० )
61. महाराणा भीमसिंह ( 1778 – 1828 ई० )
62. महाराणा जवान सिंह ( 1828 – 1838 ई० ) – निःसन्तान। सरदार सिंह को गोद लिया ।
63. महाराणा सरदार सिंह ( 1838 – 1842 ई० ) – निःसन्तान। भाई स्वरुप सिंह को गद्दी दी.
64.  महाराणा स्वरुप सिंह ( 1842 – 1861 ई० )
65. महाराणा शंभू सिंह ( 1861 – 1874 ई० )
66 . महाराणा सज्जन सिंह ( 1874 – 1884 ई० )
67. महाराणा फ़तह सिंह ( 1883 – 1930 ई० ) –
68. महाराणा भूपाल सिंह (1930 – 1955 ई० ) –
69. महाराणा भगवत सिंह ( 1955 – 1984 ई० )
70. श्रीजी अरविन्दसिंह एवं महाराणा महेन्द्र सिंह (1984 ई० से निरंतर..)

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