दुर्ग / किला ✍इस दुर्ग के बारे में अबुल फजल का कथन : ♻ अन्य सब दुर्ग नंगे हैं ♻ ♻ जबकि यह दुर्ग बख्तरबंद है ♻
अरावली पर्वत मालाओं से घिरा हुआ एक पार्वत्य दुर्ग एवं वन दुर्ग
परिचय निर्माण :- आठवीं शताब्दी में अजमेर के चौहान शासक रणथान देव चौहान द्वारा यह दुर्ग विषम आकार वाली सात पहाड़ियों से घिरा हुआ है | रणथंबोर दुर्ग उच्चे गिरी शिखर पर बना है
lmp:- राजस्थान का एकमात्र ऐसा दुर्ग है जिसमें मंदिर ,मस्जिद, गिरजाघर स्थित है उपनाम :- यह दुर्ग दुर्गाधिकरण (दुर्गाधिराज) कहलाता है वास्तविक नाम:- रणतपुर
रणथंभौर दुर्ग राणा हमीर देव चौहान की शौर्यगाथा का साक्षी है इसी दुर्ग में सन 1301 में अलाउद्दीन से युद्ध करते हुए अपने शरणागत धर्म के लिए हमीर देव चौहान ने बलिदान दिया |
दुर्ग में स्थित ऐतिहासिक स्थल फौजी छावनी जोगी महल. पीर सदरुद्द्दीन की दरगाह. लक्ष्मी नारायण मंदिर.
अन्य महत्वपूर्ण जानकारी प्रसिद्ध त्रिनेत्र गणेश मंदिर जौरा - भौरा, सुपारी महल, बादल महल नौलखा दरवाजा, हाथी पोल, गणेश पोल, सूरज पोल व त्रिपोलिया (अंधेरी दरवाजा) अन्य दर्शनीय स्थल यहां तीन स्मारक (छतरियाँ) बने हुए हैं जो 32- 32 लाल पत्थर के स्तंभों पर खड़े हैं रणथम्भौर के पूर्वी भाग में 12 मास बहने वाली जलधारा है जिसे गुप्त गंगा कहते हैं ? इस दुर्ग के पार्श्व में पदम तालाब स्थित है | इस दुर्ग तक पहुंचने के लिए सकरी घुमावदार घाटियों से होकर जाने वाले मार्ग से गुजरना पड़ता है
रणथम्भौर नेशनल पार्क (बाघ परियोजना)
परिचय 1ऐतिहासिक पृष्ठभूमि :- राज्य सरकार ने रणथंबोर को 1955 में अभ्यारण घोषित कर दिया 1974 में केंद्रीय सरकार ने देश में लुप्त हो रहे बाघों को बचाने के लिए बाघ ?परियोजना मैं रणथंबोर को शामिल किया 1 नवंबर 1980 में इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया यह राज्य का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान है
विस्तार :- रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान का विस्तार 392 वर्ग किलोमीटर में से 282.03 वर्ग किमी आंतरिक क्षेत्र यानी कोर एरिया है बाकी का क्षेत्र बाहरी या बफर जोन है इसका कुल क्षेत्रफल 1334 वर्ग किमी है इस अभ्यारण में जंगलों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए या पारिस्थितिकी योजना लागू की गई है सन 1974 में इसे विश्व वन्यजीव कोष द्वारा चलाए गए प्रोजेक्ट टाइगर में सम्मिलित किया गया यह भारत का सबसे छोटा बाघ अभ्यारण है लेकिन फिर भी इसे 'भारतीय बाघों का घर' कहा जाता है ? राजस्थान में सर्वाधिक प्रकार की वन्य जीव इसी अभ्यारण में पाए जाते हैं
इस अभ्यारण में त्रिनेत्र गणेश जी का मंदिर तथा जोगी महल स्थित है जोगी महल से पर्यटक सामान्यतया बाघों को देखते हैं इस अभ्यारण में राजबाग, गिलाई सागर, पदम तालाब मलिक तालाब, वह मानसरोवर है
रणथंबोर बाग परियोजना के अंतर्गत विश्व बैंक एवं वैश्विक पर्यावरण सुविधा की सहायता से वर्ष 1996 97 से इंडिया इको डेवलपमेंट प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है ?
यहां 272 किस्म के पक्षियों को देखा जा चुका है
यहां 1000 साल पुराना रणथंबोर का किला है
रणथम्भौर शुष्क पतझड़ी वन प्रदेश है या धोक की पतियों को शाकाहारी पशु बड़े चाव से खाते हैं यहां ढाक भी बहुतायत में मिलता हैं |
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