सुखदेव - सान्डर्स की हत्या के प्रकरण में भगतसिंह के साथ सुखदेव भी सम्मिलित थे। उन्हें 15 अप्रैल 1929 को गिरफ्तार गिरफ्तार किया गया और 23 मार्च 1931 को भगत सिंह के साथ ही फाँसी दे दी गई।
बटुकेश्वर दत्त - 8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह के साथ केंद्रीय असेम्बली में बम फेंकने के आरोप में बटुके्वर दत्त को भी गिरफ्तार किया गया। इस प्रकरण के लिए उन्हें आजीवन कारावास का सजा सुनायी गई।
खुदीराम बोस -खुदीराम बोस ने सन् 1908 में क्रूर अंग्रेज सेशन जज किंग्जफोर्ड की गाड़ी पर बम फेका था। गिरफ्तार हो जाने पर अंग्रेजी सरकार ने 11 अगस्त 1908 को उन्हें फाँसी पर चढ़ा दिया था।
अशफाकउल्ला खां - 19 अगस्त 1925 के दिन क्रान्तिकारियों ने काकोरी डाकगाड़ी पर डाका डाला था। डाका डालने वाले क्रान्तिकारियों में अशफाकउल्ला खां भी शामिल थे। पकड़े जाने पर 18 दिसंबर 1927 को उन्हें फाँसी दे दी गयी थी।
ऊधम सिंह -ऊधम सिंह ने जलियांवाला बाग नरसंहार के समय पंजाबके गवर्नर रहे माइकल ओ डायर को 13 मार्च 1940 को कैक्सटन हॉल लंदन में गोली मारा था। उन्हें 12 जून 1940 को फाँसी दी गयी थी।
भगत सिंह - अमर क्रान्तिकारी सरदार भगत सिंह ने सैकड़ों भारतीयों के प्राण लेने वाले सान्डर्स की हत्या कर दी थी। उन्होंने 8 अप्रैल 1929 को केन्द्रीय विधानसभा में बम भी फेका था। सान्डर्स की हत्या के प्रकरण में मौत की सजा सुनायी गयी। भगत सिंह ने 23 मार्च 1931 को फाँसी पर चढ़कर भारतीय इतिहास में अमर हो गये।
चंद्रशेखर आजाद - काकोरी डकैती काण्डके मुख्य अभियुक्त थे, ब्रिटिश अंग्रेजी सरकार ने इन्हें जीवितअथवा मृत पकड़ने के लिए तीस हजार रुपये पुरस्कार की घोषणा की थी। वे कभी भी अंग्रेजों की गिरफ्त में नहीं आये। 23 फरवरी 1931 के दिन इलाहाबाद के एल्फ्रेड पार्क में अंग्रेजों के साथ लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।
मास्टर अमीचंद - मास्टर अमीचंद दिल्ली षड्यंत्र के प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उन्हें 1914 में वायसराय लॉर्ड हार्डिंग की हत्या करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया तथा 8 मई 1915 के दिन चार अन्य क्रान्तिकारी साथियों के साथ इन्हें फाँसी दी गई।
अवध बिहारी - दिल्ली षड्यंत्र प्रकरण और लाहौर बम काण्ड के आरोप में फरवरी, 1914 में इन्हें गिरफ्तार किया गया और 8 मई 1915 को चार अन्य क्रान्तिकारियों साथियों के साथ इन्हें फाँसी पर चढ़ा दिया गया।
मदन लाल धींगरा -मदन लाल धींगरा को 1 जुलाई 1909 को कर्नल विलियम कर्जन वाइली की हत्या करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया तथा उन्हें 16 अगस्त 1909 को फाँसी दी गई।
दामोदर चापेकर - प्लेग कमिश्नर रैंड और लेफ्टिनेंट एयर्स्ट की हत्या आरोप में 22 जून, 1897 ई. अपने भाइयों के साथ गिरफ्तार किये गये। 18 अप्रैल 1898 को फाँसी दे दी गई। इनके भाई बालकृष्ण चापेकर को 12 मई 1899 और वासुदेव चापेकर को 8 मई 1899 को फाँसी दी गई।
राजगुरु - 17 दिसंबर 1928 को सान्डर्स की हत्या में भाग लेने वाले महान क्रान्तिकारी! 30 दिसंबर 1929 को पूना में एक मोटर गैराज में गिरफ्तार किये गये। इन्हें 23 मार्च 1931 को केंद्रीय जेल लाहौर में भगत सिंह और सुखदेव के साथ फाँस चढ़ा दिया गया।
वासुदेव बलवंत फड़के - ब्रिटिश सरकार का विरोध करने के लिए इन्होंने एक सशस्त्र सेना तैयार किया था। दुर्भाग्यवश 21 जुलाई, 1879 को ये अंग्रेजों की गिरफ्त में आ गये। वासुदेव बलवंत फड़के को कालापानी की सजा सुनायी गयी। अदन में आमरण अनशन करके 17 फरवरी 1883 को इन्होंने प्राण त्याग दिया।
करतार सिंह सराबा -ये गदर पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता थे। लाहौर सैनिक षड्यंत्र का नेतृत्व इन्होंने ही किया था। गिरफ्तार हो जाने के बाद 16 नवंबर 1915 को फाँसी के तख्ते पर चढ़ा दिये गए।
राजेंद्र लाहिड़ी -दक्षिणेश्वर बम काण्ड तथा काकोरी डकैती काण्डके सिलसिले में गिरफ्तार किये गये। 17 दिसंबर 1927 को गोंडा की जेल में इन्हें फाँसी दी गई।
अनंत कान्हरे - नासिक के जैक्सन हत्याकांड के प्रमुख अभियुक्त होने के कारण बंदी बनाए गये और 19 अप्रैल 1910 को फांसी दे दी गई।
विष्णु गणेश पिंगल - 23 मार्च 1915 को विस्फोटक बमों के साथ गिरफ्तार किये गये तथा 17 नवंबर 1915 को इन्हें फाँसी दी गई।
ब्रजकिशोर चक्रवर्ती -मिदनापुर के जिला मजिस्ट्रेट बर्ज पर गोली चलानेके आरोप में 2 सितंबर 1933 को गिरफ्तार किये गये और 26 अक्टूबर 1934 को फाँसी दे दी गई।
कुसाल कोंवर -9 अक्टूबर 1942 को ब्रिटिश सैनिक गाड़ी को पटरी से उतारने के शक में गिरफ्तार किये गये और 16 जून 1943 को इन्हें फाँसी पर चढ़ा दिया गया।
असित भट्टाचार्य - 13 मार्च, 1933 को हबीबगंज में हुई डाक डकैती तथा हत्या के अन्य मामले के सिलसिले में गिरफ्तार किये गए। 2 जुलाई 1934 को सिलहट जेल में इन्हें फांसी दे दी गई।
जगन्नाथ शिंदे
सुखदेव - सान्डर्स की हत्या के प्रकरण में भगतसिंह के साथ सुखदेव भी सम्मिलित थे। उन्हें 15 अप्रैल 1929 को गिरफ्तार गिरफ्तार किया गया और 23 मार्च 1931 को भगत सिंह के साथ ही फाँसी दे दी गई।
बटुकेश्वर दत्त - 8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह के साथ केंद्रीय असेम्बली में बम फेंकने के आरोप में बटुके्वर दत्त को भी गिरफ्तार किया गया। इस प्रकरण के लिए उन्हें आजीवन कारावास का सजा सुनायी गई।
चंद्रशेखर आजाद -चन्द्रशेखर आजाद काकोरी डकैती काण्डके मुख्य अभियुक्त थे। ब्रिटिश अंग्रेजी सरकार ने इन्हें जीवितअथवा मृत पकड़ने के लिए तीस हजार रुपये पुरस्कार की घोषणा की थी। वे कभी भी अंग्रेजों की गिरफ्त में नहीं आये। 23 फरवरी 1931 के दिन इलाहाबाद के एल्फ्रेड पार्क में अंग्रेजों के साथ लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।
मास्टर अमीचंद - मास्टर अमीचंद दिल्ली षड्यंत्र के प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उन्हें 1914 में वायसराय लॉर्ड हार्डिंग की हत्या करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया तथा 8 मई 1915 के दिन चार अन्य क्रान्तिकारी साथियों के साथ इन्हें फाँसी दी गई।
अवध बिहारी - दिल्ली षड्यंत्र प्रकरण और लाहौर बम काण्ड के आरोप में फरवरी, 1914 में इन्हें गिरफ्तार किया गया और 8 मई 1915 को चार अन्य क्रान्तिकारियों साथियों के साथ इन्हें फाँसी पर चढ़ा दिया गया।
मदन लाल धींगरा -मदन लाल धींगरा को 1 जुलाई 1909 को कर्नल विलियम कर्जन वाइली की हत्या करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया तथा उन्हें 16 अगस्त 1909 को फाँसी दी गई।
दामोदर चापेकर - प्लेग कमिश्नर रैंड और लेफ्टिनेंट एयर्स्ट की हत्या आरोप में 22 जून, 1897 ई. अपने भाइयों के साथ गिरफ्तार किये गये। 18 अप्रैल 1898 को फाँसी दे दी गई। इनके भाई बालकृष्ण चापेकर को 12 मई 1899 और वासुदेव चापेकर को 8 मई 1899 को फाँसी दी गई।
राजगुरु - 17 दिसंबर 1928 को सान्डर्स की हत्या में भाग लेने वाले महान क्रान्तिकारी! 30 दिसंबर 1929 को पूना में एक मोटर गैराज में गिरफ्तार किये गये। इन्हें 23 मार्च 1931 को केंद्रीय जेल लाहौर में भगत सिंह और सुखदेव के साथ फाँस चढ़ा दिया गया।
वासुदेव बलवंत फड़के - ब्रिटिश सरकार का विरोध करने के लिए इन्होंने एक सशस्त्र सेना तैयार किया था। दुर्भाग्यवश 21 जुलाई, 1879 को ये अंग्रेजों की गिरफ्त में आ गये। वासुदेव बलवंत फड़के को कालापानी की सजा सुनायी गयी। अदन में आमरण अनशन करके 17 फरवरी 1883 को इन्होंने प्राण त्याग दिया।
करतार सिंह सराबा -ये गदर पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता थे। लाहौर सैनिक षड्यंत्र का नेतृत्व इन्होंने ही किया था। गिरफ्तार हो जाने के बाद 16 नवंबर 1915 को फाँसी के तख्ते पर चढ़ा दिये गए।
राजेंद्र लाहिड़ी -दक्षिणेश्वर बम काण्ड तथा काकोरी डकैती काण्डके सिलसिले में गिरफ्तार किये गये। 17 दिसंबर 1927 को गोंडा की जेल में इन्हें फाँसी दी गई।
अनंत कान्हरे - नासिक के जैक्सन हत्याकांड के प्रमुख अभियुक्त होने के कारण बंदी बनाए गये और 19 अप्रैल 1910 को फांसी दे दी गई।
विष्णु गणेश पिंगल - 23 मार्च 1915 को विस्फोटक बमों के साथ गिरफ्तार किये गये तथा 17 नवंबर 1915 को इन्हें फाँसी दी गई।
ब्रजकिशोर चक्रवर्ती -मिदनापुर के जिला मजिस्ट्रेट बर्ज पर गोली चलानेके आरोप में 2 सितंबर 1933 को गिरफ्तार किये गये और 26 अक्टूबर 1934 को फाँसी दे दी गई।
कुसाल कोंवर -9 अक्टूबर 1942 को ब्रिटिश सैनिक गाड़ी को पटरी से उतारने के शक में गिरफ्तार किये गये और 16 जून 1943 को इन्हें फाँसी पर चढ़ा दिया गया।
असित भट्टाचार्य - 13 मार्च, 1933 को हबीबगंज में हुई डाक डकैती तथा हत्या के अन्य मामले के सिलसिले में गिरफ्तार किये गए। 2 जुलाई 1934 को सिलहट जेल में इन्हें फांसी दे दी गई।
जगन्नाथ शिंदे - शोलापुर थाने पर हुए हमले का अभियोग में इन्हें बंदी बनाया गया। 12 जनवरी 1931 को इन्हें फाँसी दी गई।
हरकिशन - 23 दिसंबर 1930 को पंजाब के गवर्नर पर गोली चलानेके आरोप में गिरफ्तार किये गये तथा 9 जून 1931 को इन्हें फाँसी दी गई.
सूर्यसेन - 18 अप्रैल 1930 में चटगांव स्थित ब्रिटिश शस्त्रागार पर आक्रमण में भाग लेने के कारण गिरफ्तार किये गये। 11 जनवरी 1934 को इन्हें फाँसी पर चढ़ा दिया गया। शोलापुर थाने पर हुए हमले का अभियोग में इन्हें बंदी बनाया गया। 12 जनवरी 1931 को इन्हें फाँसी दी गई।
हरकिशन - 23 दिसंबर 1930 को पंजाब के गवर्नर पर गोली चलानेके आरोप में गिरफ्तार किये गये तथा 9 जून 1931 को इन्हें फाँसी दी गई.
सूर्यसेन - 18 अप्रैल 1930 में चटगांव स्थित ब्रिटिश शस्त्रागार पर आक्रमण में भाग लेने के कारण गिरफ्तार किये गये। 11 जनवरी 1934 को इन्हें फाँसी पर चढ़ा दिया गया।
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