प्र 1. राजस्थान में तापीय विद्युत केंद्रों के नाम लिखिये ?
उत्तर- 1. कोटा सुपर थर्मल विद्युतगृह
2. सूरतगढ़ ताप विद्युतगृह
3. छबड़ा ताप विद्युतगृह
प्र 2. राजस्थान में उत्पादित अधात्विक खनिजों के नाम लिखिए
उत्तर- जिप्सम,रॉक फॉस्फेट,पन्ना,तामड़ा,अभ्रक आदि
प्र 3. जलाभरण/सेम की समस्या राजस्थान के किस क्षेत्र में होती है ?
उत्तर- जलावरण से तात्पर्य है-किसी क्षेत्र में पानी का भरा रहना। सेम की समस्या राजस्थान के गंगानगर हनुमानगढ़ जिले मिलती है।
प्र 4. राजस्थान को खनिजों का संग्रहालय क्यों कहा जाता है ?
उत्तर- खनिज संसाधनों में राजस्थान एक समृद्ध राज्य हैं क्योंकि यहां अनेक प्रकार के खनिज जैसे-जैस्पार, गार्नेट,वोलस्टोनाइट और पन्ना आदि का राजस्थान देश का एकमात्र उत्पादक राज्य है। इसी कारण भूगर्भवेत्ताओं ने इसे "खनिजों का संग्रहालय" कहा है।
प्र 5. राष्ट्रीय मरू उद्यान को जीवाश्म उद्यान क्यों कहते हैं ?
उत्तर- वर्ष 1981 में जैसलमेर में राष्ट्रीय मरू उद्यान की स्थापना की गई। इसका प्रमुख उद्देश्य प्राकृतिक वनस्पति एवं करोड़ो वर्षो से भूमि के गर्भ में दबे जीवाश्मों को संरक्षण प्रदान करना है। अतः इसे 'जीवाश्म उद्यान' भी कहा जाता है।
लघूतरात्मक ( 50 से 60 शब्द )
प्र 6. आखेट निषिद्ध क्षेत्र से क्या तात्पर्य है? किन्हीं दो जिलों के आखेट निषिद्ध क्षेत्रों के नाम लिखिए
उत्तर- वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम 1972 की धारा 37 के अनुसार ऐसे क्षेत्रों को आखेट निषिद्ध घोषित किया गया है,जिसमें रहने वाले वन्य जीव प्राणियों की सुरक्षा एवं विकास किया जायें तथा इन जीवों का शिकार वर्जित है। राजस्थान में 33 आखेट निषिद्ध क्षेत्र है।
टोंक - रानीपुरा
पाली - जवाई बांध
प्र 7. वनोन्मूलन के क्या कारण हैं ?
उत्तर- वनोन्मूलन से तात्पर्य वनों का विनाश अथवा वनों की कटाई के कारण उनका नष्ट हो जाना है। वनों के कम होने के कारण पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
पारिस्थितिकी असंतुलन उत्पन्न होना
वायुमंडल में नमी धारण करने की क्षमता की कमी होना
मृदा अपरदन व तापमान में वृद्धि
जैव विविधता का विलुप्त होना
प्र 8. राजस्थान में ऊर्जा के गैर परंपरागत स्रोतों के विकास एवं उनकी संभावनाओं पर प्रकाश डालिए। (निबंधात्मक)
उत्तर- ऊर्जा की मांग में निरंतर हो रही वृद्धि और उसके अनुपात में उपलब्धता का कम होना आज एक विश्वव्यापी समस्या है। इस ऊर्जा संकट का समाधान गैर परंपरागत ऊर्जा स्रोतों अर्थात् सौर ऊर्जा,पवन ऊर्जा,ज्वारीय ऊर्जा,भूतापीय उर्जा,बायोगैस आदि का विकास कर किया जा सकता है। ऊर्जा के परंपरागत स्रोत जैसे-कोयला पेट्रोलियम परमाणु ईंधन समाप्त होने वाले संसाधन है,जिनकी आपूर्ति पुनः संभव नहीं है। जबकि गैर परंपरागत स्रोत प्रकृति से परिचालित है। जिनका उपयोग निरंतर संभव है। इनकी मुख्य विशेषता यह है,कि इनसे पर्यावरण प्रदूषण नहीं होता।
भारत में ऊर्जा संकट को देखते हुए गैर परंपरागत ऊर्जा स्रोतों के विकास पर बल दिया गया। राजस्थान में भी इस दिशा में विशेष प्रयत्न किए गए। राज्य सरकार ने "राजस्थान ऊर्जा विकास एजेंसी" का गठन 21 जनवरी 1985 को किया जिसका उद्देश्य राज्य में गैर परंपरागत ऊर्जा स्रोतों का समन्वित विकास करना है।
राजस्थान में ऊर्जा के गैर परंपरागत स्रोतों के विकास की अधिक संभावना है विशेषकर सौर ऊर्जा की,पवन ऊर्जा की इसके अतिरिक्त बायोगैस का भी उपयोग किया जा रहा है।
अतः यह कह सकते हैं,कि राजस्थान में ऊर्जा स्रोतों की कमी है,किंतु ऊर्जा के उचित उपयोग तथा ऊर्जा के गैर परंपरागत स्रोतों का अधिकाधिक उपयोग कर इस कमी को दूर किया जा सकता है। राजस्थान में सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा की पर्याप्त संभावनाएं है।
प्र 9. राजस्थान में मरुस्थलीकरण की रोकथाम के लिए कौन से उपाय किए जाने चाहिए? अपने सुझाव दीजिए। (निबंधात्मक)
उत्तर- यदि समय से पहले रेगिस्तान को नियंत्रण करने का प्रयास नहीं किया गया,तो यह तेजी से बढ़ता हुआ राज्य के तथा समीपवर्ती राज्यों के उपजाऊ कृषि क्षेत्र को मरुस्थलीकरण की चपेट में ले लेगा। मरुस्थलीकरण रोकने के लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं
1. अरावली पर्वत श्रृंखला के सभी अंतरालों में हरी सुरक्षा पट्टियाँ स्थापित की जाए जिससे मरुस्थल का प्रसार पूर्वी राजस्थान की तरफ न हो सके। अरावली पहाड़ी क्षेत्र में सघन वृक्षारोपण किया जाए।
2. राजस्थान तथा समीपवर्ती राज्यों में सघन वृक्षारोपण किया जाए। पर्यावरण संतुलन के लिए आवश्यक है कि कुल भूभाग के लगभग एक तिहाई भाग में वन हो। राजस्थान में वनों का प्रतिशत कम है। अतः ऐसी स्थिति को बदलने के लिए स्थानीय वृक्ष जातियों का बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण किया जाए जो कि सामाजिक वानिकी कृषि वानिकी एवं वन खेती के द्वारा संभव हो सकता है।
3. राजस्थान की रेतीली भूमि जो कि राज्य की 31•31% भूभाग पर विस्तृत है। इसमें सघन वृक्षारोपण किया जाए इससे जलाऊ लकड़ी की समस्या दूर होगी।
4. पशु संख्या पर नियंत्रण किया जाए जिससे कि चारागाह भूमि पर दबाव कम से कम पड़ें।
5. नए चारागाह क्षेत्रों का वैज्ञानिक ढंग से विकास किया जाए
6. वृक्षारोपण में अधिकाधिक रेतीली तथा क्षारीय बंजर भूमि का उपयोग किया जाए।
Specially thanks to Post and Quiz makers ( With Regards )
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