भारत की बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएँ ( Part 01 )- India's Multipurpose River Valley Projects (Part 01)
भारत की बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएँ ( Part 01 )-
India's Multipurpose River Valley Projects (Part 01)
स्वतंत्रता पूर्व स्थापित परियोजनाएँ
01.सिन्द्रापोंग जल विद्युत परियोजना, दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल-
क्षमता-2×65KW = 130KW यह परियोजना ब्रिटेन की सहायता से 10 नवंबर 1897 को बंगाल के तत्कालीन कार्यवाहक लेफ्टिनेंट गवर्नर सर सी.सी.स्टीवंस द्वारा कमीशन की गई है। यह जल विद्युत संयंत्र महाराजाधिराज सर बिजॉय चंद्र मेहताब बहादुर के संरक्षण में सार्वजनिक क्षेत्र विकसित किया गया था। इसे शताब्दी वर्ष 1997 में इसे 'हैरिटेज पावर स्टेशन' घोषित कर दिया गया। यह भारत की पहली जल विद्युत परियोजना थी।
02.सर शेषाद्रि अय्यर (शिवसमुद्रम) जल विद्युत परियोजना, कर्नाटक
6×3 + 4×6 = 42MW की यह जल विद्युत परियोजना शिवसमुद्रम, मांड्या जिला, कर्नाटक में कावेरी नदी पर 1902 में स्थापित की गई। इसकी पहली इकाई 1902 में व अन्तिम इकाई 1934 में कमीशन की गई।
इसका संचालन कर्नाटक पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा किया जाता है।
मैसूर के राजा नलवाड़ी कृष्णराजा वोडियार चतुर्थ ने दीवान सर.के.शेषाद्रि अय्यर को इस परियोजना को पूर्ण समर्थन व सहायता देने के लिए नियुक्त किया।उन्ही के नाम पर अभी इसे सर शेषाद्रि अय्यर जल विद्युत परियोजना कहा जाता है। इसे मई 2006 में "हेरिटेज पावर स्टेशन" घोषित किया गया है।
03.पायकारा जल विद्युत परियोजना, तमिलनाडु
यह परियोजना पायकारा गांव, ऊटी तमिलनाडु में 1932 में पायकारा नदी पर स्थापित की गई जल विद्युत परियोजना है।
ट्रावनकोर के दीवान सर सी.वी.रामास्वामी अय्यर तथा तत्कालीन मुख्य अभियंता श्री एच. जी. हॉवर्ड के प्रयासों से स्थापित हुई।
इस परियोजना को सितंबर, 1997 में "हैरिटेज प्लांट" घोषित किया गया। यहाँ पायकारा जलप्रपात भी है।
04.पापानासम जल विद्युत परियोजना, तमिलनाडु
क्षमता-4 × 8MW = 32MW यह परियोजना पापानासम, तिरुनवेळी (तमिलनाडु) में थंबीराबरनी नदी पर स्थापित की गई है।
इसे वर्तमान में तमिलनाडु उत्पादन एवं प्रसारण निगम लिमिटेड संचालित कर रहा है।
इसकी प्रथम यूनिट 1944 में तथा अंतिम यूनिट 1951 कमीशन हुई।
5.भीरा जल विद्युत परियोजना, महाराष्ट्र
6 × 25 = 150 MW की यह परियोजना 1927-1949 के दौरान विकसित की गई। यह परियोजना TPCL द्वारा संचालित की जा रही है।
06.मुल्लापेरियार बाँध, केरल
पेरियार नदी पर स्थित मुल्लापेरियार बांध का निर्माण 1887 से 1895 के मध्य ब्रिटिश सरकार द्वारा मद्रास प्रांत में पानी लाने के लिए पेरियार नदी पर किया गया।
यह केरल के इडुक्की की जिले में इलायची की पहाड़ियों में स्थित है, यहाँ पेरियार नेशनल पार्क है।
पेरियार नदी को 'केरल की जीवन रेखा' कहते हैं।
मेजर पेनीकवीक इस बांध के डिजाइनर इंजीनियर थे।
इस बाँध की सुरक्षा के संबंध में केरल व तमिलनाडु के मध्य विवाद के निराकरण हेतु 15 फरवरी 2010 को जस्टिस ए.एस.आनंद समिति गठित की गई। इस समिति की रिपोर्ट के अनुसार तमिलनाडु इस बांध का जलस्तर 136 से 142 फीट तक बढ़ा सकता है।
07.मेटूर परियोजना, सेलम, तमिलनाडु
क्षमता 250MW (4 × 50 + 4 × 12.5) संचालन-TNEB द्वारा कावेरी नदी पर स्थित। 1934 में सेलम जिले के मेटूर में स्टेनले जलाशय बनाया गया है। इसका उदघाटन गवर्नर ऑफ मद्रास *सर जॉर्ज फ्रेडरिक स्टैनले ने किया। तब से इसे स्टैनले बाँध भी कहा जाता है। यह 65.23 मीटर ऊंचा और 1615.40 मीटर लंबा बांध है। यहाँ होगेनकाल प्रपात स्थित है। इसे पी.नायकर के निर्देशन में बनाया गया। तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच कावेरी जल विवाद के कारण चर्चा में रहा। इस परियोजना में 1440 (4 × 210 + 1 × 600)MW का ताप विद्युत गृह स्थापित किया गया है। इसे 'तमिलनाडु की जीवन रेखा' भी कहा जाता है।
स्वतंत्रता के पश्चात स्थापित बहुउद्देशीय परियोजनाएं
01.टिहरी जल विद्युत परियोजना, टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड
भागीरथी नदी पर स्थित टिहरी बाँध भारत का सबसे ऊँचा बाँध है। ऊंचाई-*260.5 मीटर लम्बाई-*592.7 मीटर संचालन-टिहरी जल विद्युत निगम इंडिया लिमिटेड द्वारा। कुल विद्युत क्षमता-*2400 मेगावाट। टिहरी बाँध व जल विद्युत संयंत्र(250×4=1000 MW)-*2006-07 में पूर्ण। कोटेश्वर जल विद्युत प्रोजेक्ट (4×100=400 MW)-मार्च 2012 में पूर्ण। टिहरी पम्प स्टोरेज प्लांट (1000 MW)-निर्माणाधीन। यह भारत का सबसे बड़ा PSP है। लाभान्वित राज्य-उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, चंडीगढ़, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश व के.शा. प्रदेश दिल्ली।
02.दामोदर नदी घाटी परियोजना
यह स्वतंत्र भारत की प्रथम बहुउद्देशीय परियोजना है। यह परियोजना अमेरिका की टेनिसी नदी घाटी परियोजना की तर्ज पर पूर्वी भारत में दामोदर नदी एवं इसकी मुख्य सहायक बाराकर नदी पर निर्मित है। इसमें चार मुख्य बहुउद्देश्यीय बाँध- तिलैया, कोनार, मैथन व पंचेट 1953-1959 के दौरान निर्मित किए गए। तिलैया बाँध झारखंड राज्य के हजारीबाग जिले में बाराकर नदी पर निर्मित स्वतंत्र भारत का प्रथम बाँध था। जिसका उदघाटन 21 फरवरी 1953 को किया गया। यह परियोजना 1943 की भयंकर बाढ़ का परिणाम है। इस परियोजना के संचालन हेतु दामोदर घाटी निगम 7 जुलाई, 1948 को अस्तित्व में आया। इसका मुख्यालय कोलकाता में है। वर्तमान में यह निगम झारखंड एवं पश्चिम बंगाल में कार्य कर रहा है। वर्तमान में कुल विद्युत क्षमता- ताप विद्युत-*7270 MW जल विद्युत-*147.2MW
03.हीराकुण्ड बाँध परियोजना
ओडिशा में महानदी पर निर्मित परियोजना जिसमें संबलपुर जिले में महानदी पर हीराकुंड बांध तथा टीकरपाड़ा व नराज में बांध बनाए गए हैं। इस परियोजना से महानदी घाटी के विभिन्न क्षेत्रों में सिंचाई, विद्युत, नौका संचालन और बाढ़ नियंत्रण में विशेष सुविधा मिल सकी है। इस बांध के निर्माण हेतु 1937 में एम. विश्वेश्वरैया द्वारा पहल की गई। इसका उदघाटन पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा 13 जनवरी 1957 को किया गया। इस परियोजना की स्थापित विद्युत क्षमता 347.5 मेगावाट है। यहां दो विद्युत गृह बरला चिपलीमा में स्थापित किए गए हैं। इसका संचालन ओडिशा हाइड्रो पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा किया जाता है।
04.भाखड़ा नांगल परियोजना
यह परियोजना पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की संयुक्त परियोजना है, जिसमें सतलज नदी पर भाखड़ा एवं नांगल स्थानों पर दो बांध बनाए गए हैं। भाखड़ा बांध- इसकी आधारशिला 17 नवंबर 1955 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू ने रखी तथा निर्माण अमेरिकी बांध निर्माता हार्वे स्लोकेम के निर्देशन में अक्टूबर, 1962 में पूर्ण हुआ। इसे जवाहरलाल नेहरू ने 'पुनरुत्थित भारत का नवीन मंदिर' कहा था तथा इसे एक ऐसी चमत्कारी विराट वस्तु की संज्ञा दी थी जिसे देखकर व्यक्ति रोमांचित हो उठता है। यह बाँध भाखड़ा (बिलासपुर हिमाचल, प्रदेश) में बनाया गया है जो 225.55 मीटर ऊंचा है। भाखड़ा बांध के पीछे बिलासपुर में बने जलाशय का नाम गोविंद सागर है।
नांगल बाँध- 1952 में बना यह बाँध सतलज नदी पर भाखड़ा बांध से 13 किलोमीटर नीचे नांगल (रोपड़, पंजाब) बनाया गया है। इसमें गंगूवाल में (1955-1962) के दौरान व कोटला में (1956-1961) के दौरान दो विद्युत गृह बनाए गए हैं। वर्तमान में इस परियोजना की कुल विद्युत क्षमता 1480 मेगावाट है। राजस्थान को भाखड़ा नांगल परियोजना से 15.22 प्रतिशत हिस्सा (विद्युत व जल दोनों में) प्राप्त होता है। इस परियोजना में राजस्थान में सर्वाधिक सिंचाई हनुमानगढ़ जिले में होती है।
05.व्यास परियोजना
यह सतलज, रावी और व्यास नदियों के जल का उपयोग करने हेतु पंजाब, राजस्थान व हरियाणा की संयुक्त परियोजना है। इसमें व्यास नदी पर हिमाचल प्रदेश में दो बांध पंडोह व पोंग बनाए गए हैं। पोंग बांध 1974 बनकर पूर्ण हुआ। इसमें पंडोह बांध पर देहर (हिमाचल प्रदेश) नामक स्थान पर 6×165= 990 मेगावाट का विद्युत गृह 1977-1983 के दौरान तथा पोंग बांध पर 6×66=396 मेगावाट का विद्युत गृह 1978-1983 के दौरान स्थापित किया गया है। राजस्थान को रावी, व्यास नदियों के जल में अपने हिस्से का सर्वाधिक जल पोंग बाँध से प्राप्तभाग से प्राप्त होता है। पोंग बाँध का मुख्य उद्देश्य इंदिरा गांधी परियोजना को शीतकाल में जल की आपूर्ति बनाए रखना है। राजस्थान को देहर विद्युत गृह से 20% एवं पोंग विद्युत गृह से 58.55 प्रतिशत विद्युत तथा इंदिरा गांधी नहर परियोजना को उपलब्ध होता है। रावी व्यास नदी जल-विवाद के हल हेतु राजीव-लोंगोवाल समझौते के तहत 1986 में गठित इराडी कमीशन द्वारा राजस्थान के लिए 86 लाख एकड़ फीट पानी का अतिरिक्त हिस्सा द्वारा निर्धारित किया गया था।
06.चम्बल नदी परियोजना
यह राजस्थान की सबसे बड़ी व बारहमासी नदी चम्बल पर वर्ष 1953-54 में प्रारंभ की गई राजस्थान व मध्यप्रदेश की 50:50 साझेदारी की बहुउद्देशीय परियोजना है। इस परियोजना में गांधी सागर बाँध (मंदसौर, मध्यप्रदेश में 1960 में पूर्ण), राणा प्रताप सागर बाँध (रावतभाटा, चित्तौड़गढ़ में 1970 में पूर्ण) तथा जवाहरसागर बाँध (बूंदी राजस्थान में 1972-73 में पूर्ण) निर्मित किए गए। इस परियोजना की कुल विद्युत क्षमता 386 मेगावाट है। इससे मध्यप्रदेश व राजस्थान को बराबर-बराबर हिस्से में विद्युत व सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है। इस परियोजना में निम्न विद्युत स्थापित किए गए हैं- प्रथम चरण- गांधीसागर बाँध (मध्य प्रदेश)-23×5=115MW द्वितीय चरण- राणाप्रताप सागर बाँध (चित्तौड़गढ़)-43×4=172MW तृतीय चरण-जवाहरसागर बाँध (कोटा व बूंदी सीमा पर बूंदी जिले में स्थित)-33×3=99MW
07.माही बजाज सागर परियोजना
राजस्थान और गुजरात की इस शाही बहुउद्देशीय परियोजना में माही नदी पर बांसवाड़ा शहर के निकट बोरखेड़ा गांव में माही बजाज सागर बाँध तथा महीसागर (गुजरात) में कड़ाना बाँध बनाया गया है। कड़ाना बाँध की संपूर्ण लागत गुजरात द्वारा बहन की गई है तथा वही इसका लाभार्थी है। इस परियोजना की विद्युत क्षमता 140 मेगावाट है। इसकी समस्त विद्युत केवल राजस्थान को प्राप्त होती है। 3109 मीटर लम्बे व 74.50 मीटर ऊंचे माही बजाज सागर बाँध का निर्माण 1982में पूर्ण किया गया तथा इसे 1 नवंबर 1982 को राष्ट्र को समर्पित किया गया। इस परियोजना से सर्वाधिक लाभ राजस्थान के बांसवाड़ा जिले को प्राप्त होता है। माही परियोजना का नामकरण प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी एवं राष्ट्रीय नेता श्री जमनालाल बजाज के नाम पर माही बजाज सागर परियोजना किया गया।
08.इन्दिरा गांधी नहर परियोजना
राजस्थान के मरूप्रदेश को हिमालय के जल से हरा-भरा करने की इस महत्वाकांक्षी परियोजना की रूपरेखा बीकानेर रियासत के मुख्य शिक्षा अभियंता श्री कंवरसेन द्वारा 1948 में प्रस्तुत की गई थी। ?राजस्थान में पानी की आवश्यकता को देखते हुए 31 मार्च 1958 को तत्कालीन गृहमंत्री श्री गोविंद बल्लभ पंत द्वारा राजस्थान की जीवन रेखा कही जाने वाली इस महत्वपूर्ण परियोजना की आधारशिला रखी गई। इस परियोजना के निर्माण हेतु 1958 में INGP बोर्ड गठित किया गया। इस नहर का उद्गम पंजाब में फिरोजपुर के निकट सतलज-व्यास नदियों के संगम पर बने हरिके बैराज से है। इसकी कुल लंबाई 649 किलोमीटर है, जिसमें 204 किलोमीटर लंबी फीडर (हरिके बैराज से मसीतावाली, हनुमानगढ तक, 170 किमी. पंजाब व हरियाणा में, 34 किमी. राजस्थान में) तथा 445 किमी लंबी मुख्य नहर (0-RD मसीतावाली (हनुमानगढ) से गंगानगर व बीकानेर जिलें से गुजरती हुई 1458-RD मोहनगढ़, (जैसलमेर) तक है। राजस्थान में फीडर नहर हनुमानगढ़ में प्रवेश करती है। इसकी वितरण प्रणाली की कुल लंबाई 9413 किलोमीटर है। इंदिरा गांधी फीडर की गहराई 21 फ़ीट व राजस्थान की सीमा पर तले की चौड़ाई 134 फीट है। इस परियोजना में राजस्थान के- हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, झुंझुनू, नागौर, बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर को पेयजल उपलब्ध हो सकेगा तथा 16.17 लाख हैक्टेयर सिंचित क्षेत्र ही सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी। 11अक्टूबर, 1961 को उपराष्ट्रपति श्री डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा इसकी प्रथम शाखा(रावतसर शाखा) की नौरंगदेसर वितरिका से सर्वप्रथम जल प्रवाहित किया गया। 2 नवंबर,1984 को राजस्थान नहर परियोजना के स्थान पर इस परियोजना का नाम दिवंगत प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की स्मृति में इंदिरा गाँधी नहर परियोजना किया गया।
09.बीसलपुर परियोजना
वर्ष 1986-89 में प्रारंभ में बहुउद्देशीय (सिंचाई-पेयजल) परियोजना है, जिसमें टोडाराय सिंह (टोंक) के पास बीसलपुर गांव में बनास नदी पर 574 मीटर लम्बा व 39.5 मीटर ऊँचा कंक्रीट बाँध बनाया गया है। इस बाँध का निर्माण 1999 में पूर्ण हुआ। इससे जयपुर, अजमेर, केकड़ी, नसीराबाद, सरवाड़, ब्यावर, किशनगढ़ व रास्ते में आने वाले सभी गांवों में पेयजल सुविधा और टोंक जिले में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी। बीसलपुर परियोजना के लिए नाबार्ड के ग्रामीण आधार ढाँचा विकास कोष से आर्थिक सहायता प्राप्त हो रही है।
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