भारत की बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएँ ( Part 02 )- India's Multipurpose River Valley Projects (Part 02)
भारत की बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएँ ( Part 02 )-
India's Multipurpose River Valley Projects (Part 02)
भारत की अन्य प्रमुख बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएं
01.तिपाईमुख परियोजना तिपाईमुख, मणिपुर ?
नदी-बराक नदी पर। संचालक-*NHPC Ltd .द्वारा। कुल क्षमता-*6×250= 1500 मेगावाट। प्रस्तावित परियोजना । बांग्लादेश ने इस पर आक्षेप उठाया है। बराक नदी मणिपुर की पहाड़ियों से निकलती हैं तथा मणिपुर, मिजोरम, असम में बहकर बांग्लादेश में प्रविष्ठ होती है।
02.टनकपुर परियोजना, बनबासा, उत्तराखंड
नदी-शारदा नदी(नेपाल में महाकाली नदी पर)। संचालक-NHPC Ltd. कुल क्षमता-*94.20 मेगावाट। लाभान्वित राज्य-उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, दिल्ली, चंडीगढ़ एवं हिमाचल प्रदेश। इस परियोजना से महाकाली संधि के तहत नेपाल को भी विद्युत प्राप्त होती है। संचालन वर्ष-*1992. अप्रैल 1993 में वाणिज्यिक उत्पादन शुरू।
03.धौलीगंगा-I पिथौरागढ़, उत्तराखंड
नदी-धौलीगंगा(शारदा नदी की सहायक नदी) संचालक-*NHPC Ltd. कुल क्षमता-*280MW । संचालन वर्ष-*2005 । लाभान्वित राज्य-उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश एवं जम्मू-कश्मीर। रॉकफिल बाँध-*56 मीटर ऊँचा एवं 342 मीटर लम्बा।
?नदी-झेलम नदी पर। *?संचालक-*NHPC *?कुल क्षमता-*480 MW। ?लाभान्वित राज्य-जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान एवं चंडीगढ़। *?संचालन वर्ष-*1996-97।
05.उड़ी-II परियोजना, सलेमाबाद गाँव, उड़ी तहसील, बारामूला, जम्मू-कश्मीर
नदी-झेलम नदी पर। संचालक-*NHPC कुल क्षमता-*4×60 = 240MW लाभान्वित राज्य-जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान एवं चंडीगढ़। संचालन वर्ष-*2013-14।
06.दुलहस्ती परियोजना, किश्तवार, जम्मू-कश्मीर
नदी-चंद्रा नदी (चिनाब की सहायक नदी)। संचालक-*NHPC कुल क्षमता-*390 MW लाभान्वित राज्य-जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान एवं चंडीगढ़। संचालन वर्ष-*07 अप्रैल 2007 को प्रारंभ।
07.सलाल परियोजना, रियासी, जम्मू-कश्मीर
नदी-चिनाब नदी पर। संचालक-*NHPC कुल क्षमता- प्रथम चरण-*3×115=345MW द्वितीय चरण-*3×115=345MW कुल-*690 MW लाभान्वित राज्य-जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान एवं चंडीगढ़। संचालन वर्ष-द्वितीय चरण 1993-1995 में पूर्ण।
08.तीस्ता-III परियोजना, उत्तरी सिक्किम जिला, सिक्किम
नदी-तीस्ता नदी पर लाचेन चू व लाचुंग चू नदी के संगम पर स्थित । संचालक-तीस्ता ऊर्जा लिमिटेड । कुल क्षमता-*6×200=1200 मेगावाट। इस परियोजना के तहत छुगथांग गांव में बाँध व सिधिंक गाँव में विद्युत गृह बनाया गया है। सचालन वर्ष-*2017 में कमीशन। यह संयुक्त क्षेत्र की देश की सबसे बड़ी जल विद्युत परियोजना है।
09.कोलडैम परियोजना, बरमाना, बिलासपुर जिला, हिमाचल प्रदेश
नदी-सतलज नदी पर। संचालक-*NTPC Ltd. कुल क्षमता-*4×200=800MW। लाभान्वित राज्य-दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, चंडीगढ़ व उत्तराखंड। कोल बाँध 167 मीटर ऊँचा व 500 मीटर लम्बा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस परियोजना को 18 अक्टूबर 2016 को राष्ट्र को समर्पित किया।
10.पार्बती-III परियोजना, कुल्लू, हिमाचल प्रदेश
नदी-पार्बती नदी पर। संचालक-*NHPC Ltd. कुल क्षमता-*4×130=520 MW। लाभान्वित राज्य-उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली,हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, पंजाब, राजस्थान व चंडीगढ़। यह परियोजना जून, 2014 में पूर्ण हुई। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस परियोजना को 18 अक्टूबर 2016 को राष्ट्र को समर्पित किया।
11.नाथपाझाकरी परियोजना, शिमला, हिमाचल प्रदेश
नदी-सतलज नदी पर। संचालक-*SJVN Ltd. कुल क्षमता-*6×250= 1500 MW। लाभान्वित राज्य-हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली व चंडीगढ़। यह परियोजना 2003-04 में पूर्ण हुई। पूर्व प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह ने इस परियोजना को 28 मई 2005 को राष्ट्र को समर्पित किया। नाथपा(किन्नूर जिला) में 62.50 मीटर ऊँचा बाँध तथा विद्युत गृह झाकरी(जिला-शिमला) में बनाया गया है। इसमें विश्व बैंक की सहायता प्राप्त हुई है।
12.रामपुर परियोजना, बीलगांव, शिमला व कुल्लू जिला, हिमाचल प्रदेश
नदी-सतलज नदी पर। संचालक-*SJVN Ltd. कुल क्षमता-*68.67×6= 412.2 MW। लाभान्वित राज्य-हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इस परियोजना को 18 अक्टूबर 2016 को राष्ट्र को समर्पित किया। ISO-14001 व ISO-18001 प्रमाण-पत्र प्राप्त करने वाली देश की प्रथम जल विद्युत परियोजना है।
13.थीन बाँध परियोजना (रणजीत सागर बाँध), पठानकोट, पंजाब
नदी-रावी नदी पर। संचालक-*PSPCL । कुल क्षमता-*4×150=600 MW। लाभान्वित राज्य-पंजाब, जम्मू-कश्मीर व हिमाचल प्रदेश। इस परियोजना का शिलान्यास शाहपुर कांडी(पठानकोट) पर 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी द्वारा किया गया था। यह 2000 में पूर्ण हुई।
14.इंदिरा सागर परियोजना, नर्मदा नगर, पुनासा, मध्यप्रदेश
नदी-नर्मदा नदी पर। संचालक-*NHDC Ltd. कुल क्षमता-*8×125=1000 MW। लाभान्वित राज्य-मध्यप्रदेश। 31 मार्च 2005 को पूर्ण । इंदिरा सागर जलाशय भारत का सबसे बड़ा जलाशय है।
नदी-कृष्णा नदी पर। संचालक-*APGENCO कुल क्षमता-965.6 मेगावाट। आंध्रप्रदेश- 2×30=60 MW 1×30=30 MW 2×25=50 MW
तेलंगाना- 1×110=110 MW 2×30=60 MW 7×100.8=705.60 MW लाभान्वित राज्य-आंध्रप्रदेश व तेलंगाना। 10 दिसंबर, 1955 को पं. जवाहर लाल नेहरू द्वारा प्रारंभ। 4 अगस्त, 1967 को श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा बाँध की दोनों नहरों में पानी छोड़ा गया। नागार्जुन सागर बाँध 1974 में बनकर पूर्ण हुआ। यह 124.66 मीटर ऊँचा व 4865 मीटर लम्बा है। इसके निर्माण में प्रसिद्ध बौद्ध स्थल नागार्जुनकोंडा डूबा था। इसके निर्माण में OECF जापान की सहायता प्राप्त हुई है। इस बाँध के पीछे नागार्जुन सागर जलाशय निर्मित किया गया। बायीं नहर-लाल बहादुर शास्त्री नहर व दायीं नहर-जवाहर नहर।
16.तुंगभद्रा बाँध परियोजना, बेल्लारी, कर्नाटक
नदी-तुंगभद्रा नदी(कृष्णा नदी की सहायक नदी)पर। संचालक-तुंगभद्रा बोर्ड। कुल क्षमता-*72 MW। लाभान्वित राज्य-कर्नाटक, आंध्रप्रदेश व तेलंगाना। यह बाँध पुरातात्विक स्थल हम्पी के निकट स्थित है। 1953 में पूर्ण हुआ। वास्तुकार-थिरुमलई अयंगर
17.कोयना परियोजना, कोयनानगर, महाराष्ट्र
नदी-कोयना नदी(कृष्णा नदी की सहायक नदी)पर। संचालक-महाराष्ट्र विद्युत बोर्ड (MSEB)। कुल क्षमता-*1956 MW। लाभान्वित राज्य-महाराष्ट्र। इस परियोजना में कोयना बाँध, कोयना नगर में बनाया गया है, जो 1964 में बनकर पूर्ण हुआ।इसके पीछे शिवाजी सागर जलाशय है। यह परियोजना 'महाराष्ट्र की जीवन रेखा' है।
18.सरदार सरोवर परियोजना, नवगाम, गुजरात
नदी-नर्मदा नदी पर। संचालक-सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड कुल क्षमता-*1450 मेगावाट। लाभान्वित राज्य-मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात व राजस्थान। इस बाँध की योजना मुंबई के इंजीनियर जमशेदजी एम. वाच्छा ने बनाई। इस बाँध की नींव तत्कालीन प्रधानमंत्री पं.जवाहरलाल नेहरूने 5 अप्रैल 1961 को रखी। इस बाँध की लम्बाई 1210 मीटर व ऊँचाई 163 मीटर होगी। नर्मदा नहर की लम्बाई 532 किमी.है। इस परियोजना से सिंचाई सुविधा व विद्युत मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र तथा गुजरात को मिलेगी। राजस्थान को सिंचाई सुविधा प्राप्त होगी। इस परियोजना की ऊंचाई के संबंध में मध्यप्रदेश और गुजरात सरकार के मध्य विवाद के कारण नर्मदा जल विवाद ट्रिब्यूनल का अक्टूबर, 1969 में गठन किया गया था। नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण ने सरदार सरोवर बाँध की ऊंचाई 121.91 मीटर से 138.68 मीटर करने की अनुमति 12 जून, 2014 को दी। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इसका लोकार्पण 17 सितंबर 2017 को किया। नर्मदा बाँध के पास सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' स्थापित की जाएगी।
भारत-भूटान सहयोग के तहत नदी घाटी परियोजनाएं
01.संकोश जल विद्युत परियोजना
नदी-संकोश नदी (जिसे भूटान में 'मो-चू'(MO-Chu) कहा जाता है) भूटान में 214 किमी व भारत मे 107 किमी बहती है। संचालक-यह परियोजना THDCIL द्वारा निर्मित की जाएगी। कुल क्षमता-(8×312.5+3×28.33=2585 मेगावाट) 2585 मेगावाट की इस परियोजना की DPR को 21-11-21016 को अन्तिम स्वीकृति दी गई। संकोश परियोजना दक्षिणी भूटान में स्थापित होगी। प्रस्तावित परियोजना में 215 मीटर ऊँचे रोलर संपीडित कंक्रीट ग्रैविटी (RCC) का निर्माण होगा।
02.चुखा जल विद्युत परियोजना
भारत व भूटान के सहयोग से विकसित।
कुल क्षमता-*4×84=336 मेगावाट। स्थापना वर्ष-*1986-88।
03.ताला जल विद्युत परियोजना
भारत व भूटान के सहयोग से विकसित। कुल क्षमता-*6×70=1020 मेगावाट। स्थापना वर्ष-*2006-07।
04.कुरिछु जल विद्युत परियोजना
भारत व भूटान के सहयोग से विकसित। कुल क्षमता-*4×15=60 मेगावाट। स्थापना वर्ष-*2001-02।
सतलज जल विद्युत निगम को भूटान में निम्न परियोजनाएं स्थापित करने के लिए भारत सरकार ने अनुमति प्रदान की है
01.खोलोंगचू जल विद्युत परियोजना
भारत व भूटान के सहयोग से विकसित की जाएगी। कुल क्षमता-*600 मेगावाट। इस हेतु खोलोंगचू हाइड्रो एनर्जी लिमिटेड का गठन किया गया है।
02.वांगचू जल विद्युत परियोजना
भारत व भूटान के सहयोग से विकसित। कुल क्षमता-*570 मेगावाट। स्थापना-वांगचू नदी पर स्थापित होगी।
भारत-नेपाल सहयोग के तहत नदी घाटी परियोजनाएं
01.पंचेश्वर जल विद्युत परियोजना
यह भारत व नेपाल की साझी परियोजना है जो भारत व नेपाल की सीमा पर बहने वाली महाकाली नदी(शारदा नदी) पर स्थापित होगी। इस परियोजना के लिए काठमांडू, नेपाल में 'पंचेश्वर विकास प्राधिकरण' का गठन किया गया है। इस परियोजना का विकास फरवरी, 1996 में भारत व नेपाल के मध्य हुई महाकाली सन्धि के तहत किया जाएगा।
02.सप्तकोशी उच्च बाँध बहुउद्देश्यीय परियोजना
कुल क्षमता-*3300 मेगावाट निर्माण स्थल-नेपाल में बाराक्षेत्र में सप्तकोशी नदी पर निर्मित होगी। इस परियोजना में सिंचाई व विद्युत सुविधा उपलब्ध होगी व इसके अलावा इस परियोजना से बिहार में बाढ़ नियंत्रण में भी सहायता उपलब्ध होगी। इस परियोजना में कोसी व गंगा नदी के मध्य जलमार्गों का भी विकास किया जायेगा। इस परियोजना में 'सन कोसी स्टोरेज कम डाइवर्जन स्कीम' भी शामिल की गई है जिसके तहत कुरुले के निकट सनकोसी नदी पर डाइवर्जन ढाँचा निर्मित किया जाएगा। इस हेतु चिपासनी के निकट 16.6 किमी.लम्बी डाइवर्जन सुरंग का निर्माण किया जायेगा।
03.अरुण-3 जल विद्युत परियोजना
कुल क्षमता-*4×225=900 मेगावाट निर्माण स्थल-नेपाल के सांखुवासाभा जिलें में स्थापित की जायेगी। यह परियोजना सतलज एवं जल विद्युत निगम लिमिटेड द्वारा BOOT आधार पर स्थापित की जाएगी। इस परियोजना के लिए नवम्बर, 2014 में SJVNL व इन्वेस्टमेंट बोर्ड ऑफ नेपाल के बीच हस्ताक्षर किए गए। इस हेतु एसजेवीएन अरुण-3 पॉवर डवलपमेंट कंपनी प्रा.लि. का गठन किया गया है।
04.कोसी परियोजना
उत्तरी बिहार में आने वाली बाढ़ों को रोकने के लिए कोसी नदी पर निर्मित परियोजना जो नेपाल व भारत की साझी परियोजना है। इसमें बिहार में कोसी बांध 1956 निर्मित किया गया। इस परियोजना से नेपाल और बिहार को सिंचाई व विद्युत सुविधा उपलब्ध हुई है। कोसी नदी को 'बिहार का शोक' कहा जाता है।
प्रमुख संस्थाए
01.THDC India Ltd.- भारत सरकार में उत्तर प्रदेश सरकार का संयुक्त उपक्रम है। इस का गठन 12 जुलाई 1986 को सरकारी कंपनी के रूप में किया। गया इसका पंजीकृत मुख्यालय भागीरथीपुरम, टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड में स्थित है। इसे मिनी रत्न श्रेणी का दर्जा प्राप्त है।
02.राष्ट्रीय जल विद्युत निगम(NHPC)-1975 में फरीदाबाद में स्थापित
03.सतलज जल विद्युत निगम(SJVN)- भारत सरकार व हिमाचल प्रदेश सरकार के क्षेत्र उद्यम के रूप में एसजेवीएन की स्थापना 24 मई 1988 को की गई। यह वर्तमान भारत में हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, गुजरात, राजस्थान व अरुणाचल प्रदेश के अलावा पड़ोसी देशों- नेपाल व भूटान में विद्युत परियोजनाओं का कार्यान्वयन कर रहा है।
04.NEEPCO- नॉर्थ इस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन(नीपको) को भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में विद्युत केन्द्रों के निर्माण व रख-रखाव के लिए 1976 में निगमित किया गया।
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