JAIPUR

JAIPUR


 गुलाबी शहर (Pink City) 
 जयपुर (JAIPUR) 

 परिचय 
 राजस्थान की राजधानी जयपुर पूर्व का पेरिस तथा गुलाबी नगरी  (पिंक सिटी) के नाम से विख्यात है ! जयपुर के बसने से पहले जयपुर (ढूँढाड) राज्य की राजधानी थी प्राचीन काल में यह अम्बावती एवं अंबिकापुर के नाम से जाना जाता था !
 कछवाहा वंश के महाराजा सवाई जयसिंह (द्वितीय) द्वारा जयपुर की स्थापना 18 नवंबर 1727 को की गई थी जयपुर नगर के वास्तुकार श्री विद्याधर थे ! जयपुर का गुलाबी रंग पिंक सिटी रामसिंह द्वितीय द्वारा प्रिंस अलबर्ट (बेल्स ) के आगमन के उपलक्ष्य में करवाया गया था ! 

अन्य महत्वपूर्ण जानकारीया  
 राज्य - राजस्थान  जिला -जयपुर संभाग- जयपुर
 उपनाम- गुलाबी नगरी (पिंक सिटी), पूर्व का पेरिस
 स्थापना वर्ष -18 नवंबर 1727
 संस्थापक -सवाई जयसिंह (द्वितीय)
 क्षेत्रफल -11143 वर्ग किलोमीटर
 कुल जनसंख्या- 66.26 लाख  पुरुष - 34.68 लाख स्त्रियां -31.51 लाख
 लिंगानुपात -910 ?साक्षरता दर -75.51%
 तहसील -13 पंचायत समितियां -13 ग्राम पंचायत-42 विधानसभा सीट -15
 वर्तमान जिला कलेक्टर- सिद्धार्थ महाजन
 सांसद जयपुर ग्रामीण- राज्यवर्धन सिंह राठौड़
 जयपुर शहर सांसद- रामचरन बोहरा
 मुख सड़कें- (NH-11,(NH-8) औसत वर्षा -459.8 मिमी गाँव कि संख्या -2369
 पिन कोड -302001 दूरभाषा कोड -0141 रेलवे स्टेशन कोड -JP

 भौगोलिक स्थिति 
 जयपुर जिला राजस्थान के पूर्वी भाग में 26°23´ से 27°51´ उत्तरी अक्षांश एवं 74°55´ से 76°50´ पूर्वी देशांतर के मध्य स्थित है ! इसके उत्तर में राजस्थान का सीकर जिला व हरियाणा का महेंद्रगढ़ जिला ,दक्षिण में टोंक जिला ,पूर्व में अलवर, दौसा और Sawai madhopur जिले तथा  पश्चिम में नागौर और अजमेर जिले  हैं !
 जयपुर शहर में एक अर्ध शुष्क जलवायु का अनुभव होता है। उत्तर भारत के अन्य शहरों की तुलना में, तापमान पूरे वर्ष में अपेक्षाकृत अधिक रहता है। गर्मियों का मौसम अप्रैल में शुरू होता है और जुलाई में समाप्त होता है। यहा का  औसत तापमान 30 डिग्री सेल्सियस और 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक तक पहुंच सकता है अगस्त के महीने में मानसून की शुरुआत होती है, जो सितंबर में समाप्त होती है।  यहा  औसत तापमान 8 डिग्री से 21 डिग्री सेल्सियस से होता है मौसम बहुत सुखद है। रेगिस्तान की निकटता के कारण, रात ठंडी होती है और दिन गर्म होते हैं

 इतिहास 
Pink city जयपुर के संस्थापक राजपूत राजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने यह शहर बसाने से पहले इसकी सुरक्षा की काफी चिंता की थी और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ही सात मजबूत दरवाजों के साथ किलाबंदी की गई थी।
 जयसिंह ने हालाँकि मराठों के हमलों की चिंता से अपनी राजधानी की सुरक्षा के लिए चारदीवारी बनवाई थी !  यह देश का पहला पूरी योजना से बनाया गया शहर था। इस शहर की स्थापना का विचार तत्कालीन राजा जयसिंह ने अपनी राजधानी आमेर में बढ़ती आबादी और पानी की समस्या को ध्यान में रखकर किया था। जयपुर शहर के निर्माण का काम 1727 में शुरू हुआ और प्रमुख स्थानों के बनने में करीब चार साल लगे। यह शहर नौ खंडों में विभाजित किया गया था, जिसमें दो खंडों में राजकीय इमारतें और राजमहलों को बसाया गया। राजा को शिल्पशास्त्र के आधार पर यह नगर बसाने की राय एक बंगाली ब्राह्मण ने दी थी।
 यह शहर पहले गुलाबी नगरी नहीं था बल्कि अन्य नगरों की ही तरह था, लेकिन 1853 में जब वेल्स के राजकुमार (अलबर्ट) आए तो पूरे शहर को गुलाबी रंग  से पेंट कर दिया गया ताकि शहर को जादुई आकर्षण प्रदान किया जा सके। उसी के बाद से यह शहर गुलाबी नगरी( पिंक सिटी) के नाम से प्रसिद्ध हो गया, जहाँ बनी इमारतों का वास्तुशिल्प देखते ही बनता है।

 जयपुर के प्रमुख किले 
 आमेर किला (Amer fort)
 आमेर जयपुर नगर से करीब 10 किलोमीटर दूर उत्तर पूर्व में जयपुर से दिल्ली जाने वाली सड़क पर स्थित है !आमेर किले के नाम से मशहूर इस खूबसूरत किले को महाराजा मान सिंह प्रथम ने बनवाया था और यह बड़े दरवाजों और पथरीले रास्तों के साथ हिंदू वास्तुकला का कलात्मक नमूना है। चार मंजिला यह किला लाल संगमरमर और बलुवा पत्थरों से बना है आमेर राजपूत शैली पर बने हुए महल देश भर में प्रसिद्ध है यहां के पहाड़ पर बने महलों में हिंदू तथा पारसी शैली का मिश्रण है महल के मुख्य द्वार के बाहर शीला माता का मंदिर है जो जयपुर के राजाओं की ईष्टदेवी है महल के मुख्य द्वार में घुसते ही 20 खंभों का राजपूत भवन शैली पर बना है इसमें शाही विरासत का दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, शीश महल और सुख निवास जिसमें एयर कंडीशनर का प्रभाव देने के लिए एक सरल और प्राकृतिक जल प्रवाह भी बनाया गया है कई पीढियों तक शाही परिवार यहां रहा है और हमलों के दौरान आपातकालीन रास्ता भी है जो इसे जयगढ़ किले से जोड़ता है।
 जयगढ़ किला (Jaigarh fort)
 महाराजा जय सिंह द्वारा बनवाई गई यह सुंदर कृति जयपुर के आमेर में अरावली की पहाडियों के भाग चील का टीला में स्थित है। 400 मीटर उपर और प्रसिद्ध आमेर किले के ढांचे के समान इस किले को आमेर की सुरक्षा के लिए बनाया गया था। एक गुप्त मार्ग के रास्ते जयगढ़ किले से आमेर किले में पहुंचा जा सकता है। यह किला तीन किलोमीटर लंबा और एक किलोमीटर चैड़ा है। इसमें पहियों पर चलने वाली दुनिया की सबसे बड़ी तोप है जिसका नाम जयवन है। इसमें कुछ महल हैं जो शाही परिवार का निवास रहे हैं। साथ ही एक सुव्यवस्थित बाग और संग्रहालय भी इसमें है।
 नाहरगढ़ का किला (Nahargarh fort)
 नाहरगढ़ किले का प्रारंभ में 1734 में सवाई जयसिंह ने निर्माण कराया था किंतु इसको वर्तमान स्वरूप 1868 मैं सवाई राम सिंह ने दिया आमेर से भी नाहरगढ़ की तरफ जाने का रास्ता है !
अरावली की पहाडियों के किनारे पर स्थित नाहरगढ़ किले से गुलाबी शहर जयपुर का मनोरम नज़ारा दिखता है। नाहरगढ़ का अर्थ होता है ‘शेरों का आवास’ और यह सचमुच राजस्थान की विरासत लगता है। इस किले में कई ऐतिहासिक महत्व की घटनाएं हुईं हैं, जैसे मराठा के साथ समझौते पर यहां हस्ताक्षर हुए और सिपाही विद्रोह के दौरान यह ब्रिटिश महिलाओं का आश्रय स्थल रहा। यह किला शिकार के दौरान राजाओं का निवास स्थान रहा है। इस खूबसूरत किले के कमरे एक लंबे गलियारे से जुड़े हैं।

 जयपुर के प्रमुख मंदिर 
 गोविंद देवजी मंदिर (Govind devji temple)
 गोविंद देवजी मंदिर सिटी पैलेस के भीतर स्थित है। कहा जाता है कि इसके देवता कृष्ण की मूर्ति भगवान कृष्ण के चेहरे की प्रतिकृति है और इसे वृंदावन से यहां लाकर जय सिंह द्वितीय ने पुनस्र्थापित किया है। लक्ष्मीनारायण मंदिर मोती डूंगरी महल के पास स्थित है। 
 बिड़ला मंदिर (Birla temple)
भारत के कुछ मशहूर मंदिरों में गुलाबी शहर जयपुर का भव्य बिड़ला मंदिर एक है। देश भर में अपनी महिमा के लिए प्रसिद्ध लक्ष्मी नारायण मंदिर को बिड़ला मंदिर के नाम से जाना जाता है और ये गुलाबी शहर का गौरव है। इसकी संरचना 1988 में बिड़ला कंपनी समूह ने की थी जो देश भर में कई प्रतिष्ठित मंदिर बनाने में अग्रणी रहा है। इस मंदिर के तीन गुंबद हैं जो कि धर्म के प्रति तीन दृष्टिकोण को दिखाते हैं। यह मंदिर सफेद संगमरमर से बना है और शांतिपूर्ण प्रभाव देता है। 
 जगत शिरोमणि मंदिर ( Jagat Shiromani Temple)
 इस सुंदर मंदिर का निर्माण राजा जगत सिंह की मां श्रृंगार देवी कंकावत ने करवाया था और इसे बनने में सन् 1599 से लेकर 1608 तक का नौ साल का समय लगा। यह पश्चिम मुखी मंदिर हिंदू भगवान राधा और कृष्ण को समर्पित है और इसके भवन में गरुड़ छतरी, संगमरमर का तोरण एक बरोठा और एक मंडप हैं जो कि सजावटी जंघ और वेदीबंध पर मौजूद हैं। इस पवित्र मंडप में कई खंभे हैं जो विभिन्न प्रकार से सजाए गए हैं और गुंबददार छत को धार्मिक चित्रों से सजाया गया है।
 रानी सती का मंदिर 
 झुंझुनू का रानी सती का मंदिर पूरी दुनिया में विख्यात है इन्हीं रानी सती का एक मंदिर जयपुर में जयलाल मुंशी के रास्ते में है !
 गोनेर का लक्ष्मीजगदीश मंदिर 
 गोनेर जयपुर से लगभग 25 किलोमीटर दूर जयपुर आगरा राजमार्ग पर गिरी के पास स्थित है इसे जयपुर की मथुरा कहा जाता है यहां का लक्ष्मी जगदीश मंदिर लोक आस्था का महत्वपूर्ण केंद्र है !
 जैन मंदिर (Jain mandir)
 आगरा मार्ग पर बने इस उत्कृष्ट जैन मंदिर की दीवारों पर जयपुर शैली में उन्नीसवीं सदी के अत्यधिक सुंदर चित्र बने हैं।
 मोती डूंगरी और लक्ष्मी नारायण मंदिर 
 मोती डूंगरी एक निजी पहाड़ी ऊंचाई पर बना किला है जो स्कॉटलैण्ड के किले की तरह निर्मित है। कुछ वर्षों पहले, पहाड़ी पादगिरी पर बना गणेश मंदिर और अद्भुत लक्ष्मी नारायण मंदिर भी उल्लेखनीय है।

 जयपुर के प्रमुख महल व दुर्ग 
 जल महल ( Jal Mahal)
 जयपुर आमेर मार्ग पर जल महल नामक स्मारक के निर्माण का श्रेय सवाई जयसिंह को दिया जाता है ईश्वर विलास महाकाव्य एवं द्स्तूर कोमवार की सूचना अनुसार सवाई जयसिंह ने जयपुर की जल आपूर्ति हेतु गर्भावती नदी पर बांध बना बनवाकर मान सागर तालाब बनवाया था यह भी माना जाता है कि सवाई जयसिंह ने अश्वमेघ यज्ञ में आमंत्रित ब्राह्मणों के भोजन व विश्राम की व्यवस्था इसी जल महल में कराई थी जल महल मध्यकालीन महलों की कि भाँति बुजुर्गो छत्रियों तथा सीढ़ीदार जीनों से युक्त दुमंजिला एवं वर्गाकार रूप में बना है इसकी ऊपरी मंजिल के चारों कोनों पर बुजुर्गो की छतरियां तथा बीच में बाराहदरिया संगमरमर अठपहलू स्तंभों का पर आधारित है!
 हवा महल (Hawa mahal)
 हवा महल का निर्माण महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने सन 1799 में करवाया था यह पांच मंजिला इमारत है हवा महल की निर्माण कला की यह विशेषता है कि यद्यपि यह भवन देसी निर्माण पद्धति से निर्मित है फिर भी इसमें प्रकाश तथा वायु संचार की समुचित व्यवस्था है !
 मुबारक महल 
 मुबारक महल का निर्माण सवाई माधोसिंह ने अतिथि गृह के रूप में करवाया था
 बादल महल 
 ताल कटोरा के किनारे शिकार की जो औदी थी उसी को जय सिंह ने बादल निवास के नाम से पुनः निर्मित करवाया
 राजा ईश्वरी सिंह की छतरी 
 बादल महल के उत्तर पश्चिम में एक रास्ता सिटी पैलेस परिसर की एकमात्र ईश्वरी सिंह की छतरी की तरफ जाता है
 जयगढ दुर्ग (Jaihgarh fort)
 जयगढ़ दुर्ग में स्थित पहाड़ियों पर खड़ी एशिया की सबसे बड़ी तोप महाराजा सवाई जय सिंह द्वारा निर्मित यहां पर पुरानी लेथ मशीन अपने मूल्य स्वरुप में सुरक्षित है !

 जयपुर के प्रमुख बाग व उद्यान 
 कनक वृंदावन बाग 
कनक वृंदावन बाग का नामकरण राजा सवाई जय सिंह ने किया था कनक वृंदावन बाग कनक घाटी में नाहरगढ़ पहाड़ी की जंगल से भरी तलहटी में स्थित है। कनक घाटी अरावली श्रृंखला में एक हाथी मार्ग रह चुकी है। कनक घाटी की पवित्रता और शांति ऐतिहासिक संदर्भों से भरी पड़ी है। यह घाटी अश्वमेघ यज्ञ का पवित्र स्थान भी रह चुकी है। यह बाग खूबसूरत लैंडस्केप वाले लान, सुंदर फव्वारों, चमचमाती झीलों के साथ जयपुर का सबसे लोकप्रिय रंगारंग पिकनिक स्पाट है और फिल्म शूटिंग का स्थान है। कनक वृंदावन बाग बहुत बड़े इलाके में फैला है और इसमें बेज पत्थरों का एक मंदिर है जिसमें संगमरमर के कालम और बारीक जालीदार खिड़कियां हैं। 
 माजी का बाग 
 वर्तमान में राज महल पैलेस होटल परिसर वस्तुतः महाराजा माधोसिंह की मां सिसोदिया रानी का आवास अपने प्रिय रानी के लिए महाराजा जयसिंह ने 1729 में सुरम्य उद्यान बनवाया
 विद्याधर का बाग 
 जयपुर के मुख्य वस्तुविद्य तथा नगर नियोजक के नाम से बनाया गया यह बाग चारों ओर से पहाड़ियों से घिरा हुआ है इसमें फव्वारे और कुंड है
 रामनिवास बाग 
 रामनिवास बाग के लिए कहा जाता है कि इसका निर्माण अकाल राहत कार्यों के अंतर्गत 4 लाख रुपए की लागत से महाराजा सवाई राम सिंह द्वारा कराया गया था !
 जय निवास उद्यान 
 राजा जयसिंह ने अपने समय का हिंदुस्तान का सबसे बड़ा एवं भव्य उद्यान लगाया था

 अन्य प्रमुख महत्वपूर्ण स्थल 
 जयपुर अपने ऐतिहासिक और रमणीय स्थलों के लिए सर्वत्र प्रसिद्ध है यहां के कई स्थान ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है !
 सिटी पैलेस (City palace)
 सिटी पैलेस जयपुर के परकोटा के कुल क्षेत्र के सातवें हिस्से में स्थित है इसमें प्रवेश करने का मुख्य रास्ता त्रिपोलिया गेट है यह प्लेस परंपरागत राजस्थानी एवं मुगल शैली को स्थापत्य कला पर बना हुआ है इसमें मुबारक महल दीवान-ए-खास एवं दीवान-ए-आम है
 जंतर मंतर (Jantar Mantar)
 जंतर मंतर का निर्माण जयपुर शहर की स्थापना से पूर्व 1734 ईस्वी में कराया गया था सवाई जयसिंह द्वारा बनाए गए इस वेधशाला का अंतर्राष्ट्रीय महत्व है इसका निर्माण समय की जानकारी सूर्योदय तथा सूर्यास्त तथा नक्षत्रों की जानकारी प्राप्त करने के लिए कराया गया था देश में सबसे पहली वेधशाला दिल्ली में बनाई गई थी उसके बाद उज्जैन बनारस और मथुरा में वेधशालाएं बनाई गई जयपुर की वेधशाला सबसे विशाल तथा विख्यात है

 स्टेचू सर्किल 
 राजस्थान का सबसे जीवंत शहर जयपुर कई रंगों में रंगा है और पूरे देश में विशाल वैभव और रायल्टी के लिए जाना जाता है। इस गुलाबी शहर का सबसे प्रसिद्ध लैंडमार्क हलचल से भरा स्टेचू सर्किल है। शहर के मध्य में स्थित यह जगह आपको देखने में आम चैराहा लगे लेकिन यह इससे कहीं ज्यादा है। यह स्थानीय लोगों और सैलानियों के लिए एक लोकप्रिय अड्डा है। स्टेचू सर्किल को इसका यह नाम इसके आकार के कारण मिला ना कि इसमें स्थित सवाई जय सिंह की प्रतिमा की वजह से।
 राज मंदिर सिनेमा 
 प्रसिद्ध राज मंदिर सिनेमा हाल को इसकी प्राचीन वास्तुकला के लिए जाना जाता है और यह शहर का गौरव है। वास्तुकला के इस आश्चर्य को ‘एशिया की शान’ का गौरव भी मिल चुका है।
 अलबर्ट हाल 
 यह जयपुर का सबसे पुराना संग्रहालय है और इसे सर सैमुअल जेकब ने 19वीं सदी में बनवाया था। इसे राजस्थान के शासकीय संग्रहालय या केंद्रीय शासकीय संग्रहालय के नाम से भी जाना जाता है। यह खूबसूरत भवन राम निवास बाग में स्थित है और इंडो अरब वास्तुकला के मेल के नमूने के तौर पर खड़ा है। यहां आपको कई कलात्मक वस्तुओं का समृद्ध संग्रह मिल जाएगा जैसे कालीन, पेंटिंग, पत्थर, हाथी दांत, धातु से बने शिल्प, क्रिस्टल के रंगीन काम और हर वो सामान जो राजस्थान की शाही परंपरा को दर्शाता है।
 बिड़ला तारामंडल ( Birla Planetarium)
 जयपुर मे स्थित बिड़ला तारामंडल आकाशगंगा और सितारों के अनजाने तथ्यो से लोगों को रुबरु कराता है।सन् 1993 में दो सालों की कड़ी मेहनत के बाद एक आटोमेशन प्रणाली भी स्थापित की गई !
 रामगढ़ झील 
 पहले से ही खूबसूरत जयपुर शहर की खूबसूरती में यह झील चार चांद लगाती है। यह झील जयपुर से सिर्फ 25 किलोमीटर की दूरी पर है ! यह झील जयपुर की सुंदरता को बढ़ाकर इसे रेगिस्तान का स्वर्ग बना देती है।  जयपुर को रामगढ़ की कृत्रिम झील का वरदान मिला हुआ है। रामगढ़ के सुरम्य परिदृश्य के बीच रामगढ़ झील दुनिया भर के सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करती है।
 जवाहरात 
 जवाहरात के निर्माण एवं व्यवसाय में जयपुर का नाम विश्व प्रसिद्ध है यहां की नगीना कारी का काम भी विश्व प्रसिद्ध है पीतल की नक्काशी मीनाकारी के लिए भी यहां शहर प्रसिद्ध है यहां पर संगमरमर की मूर्तियां भी बनाई जाती है जिनका देश विदेश में निर्यात होता है चंदन की लकड़ी के खिलौने तथा ब्लयू पोटरी के लिए भी यह शहर प्रसिद्ध है कृपाल सिंह ब्ल्यू पॉटरी के लिए प्रसिद्ध है !
 आरती जाजू 
आरती जाजू सबसे कम उम्र 14 साल बाद 16 साल में क्रमशः ग्रेजुएशन व एम.ए कर लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज करवा चुकी है
रंगाई-छपाई
 रंगाई छपाई जयपुर के दक्षिण में 13 किलोमीटर दूर पंचायत समिति मुख्यालय सांगानेर रंगाई छपाई एवम कागज निर्माण के लिए प्रसिद्ध है
यहां की छींटे गुजरात, व मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश में काफ़ी लोकप्रिय है। यहां के छीपे लकड़ी के ठप्पों से कपड़े पर छपाई करते हैं। रंगाई व बन्धेज का काम ज़्यादातर मुसलमान करते हैं। रंगाई और छपाई जयपुर में बहुत अच्छा होता है।
 संग्रहालय 
 रामनिवास बाग के मध्य भारतीय व फारसी शैली में बनी इस भव्य इमारत का निर्माण सन 1876 में करवाया गया था
 सांभर 
 जयपुर से 94 किलोमीटर दूर सांभर उत्तरी भारत के चौहान राजाओं की प्रथम राजधानी थी यहां की झील से तैयार किया हुआ नमक निर्यात किया जाता है
 बस्सी 
 यह 100 करोड़ रुपए की लागत से राज्य की पहली मेट्रो डेरी स्थापित की गई है
 बैराठ 
 शाहपुर अलवर मार्ग पर स्थित बैराठ के लिए कहा जाता है कि यहां पांडवों ने अपना निर्वासित जीवन व्यतीत किया था यहां आज भी ऐसे स्थल है जो पुरानी यादों को ताजा करते हैं यहां से अशोक का भाब्रू शिलालेख प्राप्त हुआ है

 बगरू प्रिंट 
 जयपुर से 30 किलोमीटर दूर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 पर स्थित बगरू में कुल आबादी 20 हजार की है इसमें 5000 स्त्री पुरुष कपड़े की छपाई के काम में लगे हुए हैं यह छापाई बगरू प्रिंट के नाम से प्रसिद्ध है
 डिग्गी 
 जयपुर से लगभग 70 किलोमीटर दूर दक्षिण पूर्व में स्थित डिग्गीपुरी के राजा की कल्याण जी के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है
 गेटोर 
 यह नाहरगढ़ किले के नीचे जयपुर के पूर्व महाराजाओं की संगमरमर की सुंदर एवं कलात्मक छतरियां बनी हुई है
 गलता 
 शहर की पूर्वी पहाड़ियों के बीच स्थित गलता एक प्रमुख तीर्थ स्थल है गलता कुंड में निरंतर गोमुख से पानी बहता रहता है
 मेड के भित्ति चित्र 
 तहसील विराट नगर के निकट बाणगंगा नामक तीर्थ है जो बाणगंगा का उद्गम स्थल है यहां पांडवों का उत्तर मध्यकालीन और देवों का आधुनिक मंदिर दर्शनीय है
 कृषि 
 जयपुर की रेतीली भूमि में मुख्य फसल बाजरा, मूंग एवं मोठ है।मैदानी क्षेत्र की पैदावार कपास, ज्वार, मक्का, बाजरा, गेहूं, चना, धनिया, अफीम आदि है। सवाई माधोपुर की ओर ईख, चावल और मूंगफली भी होती है। नदियों के किनारे व आस पास के क्षेत्रों में खरबूज, तरबूज, ककड़ी आदि होती है। ज़्यादातर किसान वर्षा पर निर्भर रहते हैं। यहाँ की औसत वर्षा 24 इंच है। यह जून में आरम्भ होकर सितम्बर के अन्त तक रहती है।

खनिज पदार्थ
जयपुर में कई प्रकार के खनिज पदार्थ पाये जाते हैं। लोहा .बेरिलियम .अभ्रक. चूना पत्थर . अभ्रक.काला संगमरमर, गाया भाटा(केला साईट).कांच बनाने का बालू (सिलिका सेण्ड).घीया भाटा (सोप स्टोन) आदि प्रचुर मात्रा मे पाये जाते है!
काला संगमरमर यह भैसलाना में मिलता है।
इमारती पत्थर यह कोटरी, जसरापुर, आमेर, रघुनाथगढ़ व टोडा रायसिंह के आस पास के खानों में मिलता है।
घीया भाटा (सोप स्टोन) इसक उपयोग सौन्दर्य प्रसाधनों के बनाने में, काग़ज़, कपड़ा, रबड़, चमड़ा आदि के निर्माण में उपयोग में लाया जाता है। यह ज़्यादातर विदेशों को भेजा जाता है। यहाँ से सालाना लगभग 10,000 टन निकलता है।

 पी. के. सेठी 
 विश्व भर के विकलांगों को कृत्रिम पैर प्रदान करने वाली जयपुर फुट के अविष्कार जयपुर निवासी श्री पी के सेठी का 6 जनवरी 2008 को निधन हो गया यह प्रसिद्ध आर्थोपेडिक सर्जन थे

 पुराना शहर 
 कभी राजाओं, हस्तशिल्पों व आम जनता का आवास आमेर का पुराना क़स्बा अब खंडहर बन गया है। आकर्षक ढंग से नक्काशीदार व सुनियोजित जगत शिरोमणि मंदिर, मीराबाई से जुड़ा एक कृष्ण मंदिर, नरसिंहजी का पुराना मंदिर व अच्छे ढंग से बना सीढ़ियों वाला कुआँ, पन्ना मियां का कुण्ड समृद्ध अतीत के अवशेष हैं।

 कला और शिल्प 
 मुगल और राजपूत शासकों ने भारत और विदेशों के कुशल कलाकारों और कारीगरों को जयपुर के लोगों के साथ अपनी क्षमताओं को प्रदर्शित और साझा करने के लिए आमंत्रित किया। उनमें से बहुत से लोग यहाँ बस गए उससे  समृद्ध कला और संस्कृति का स्वर्ग के रूप में जयपुर का विकास हुआ। कारीगरों के कुछ कुशल प्रतिभाओं में शामिल हैं बांधणी .ब्लॉक प्रिंटिंग. स्टोन नक्काशी और मूर्तिकला  गोटा. किनारी और ज़ारदोजी रजत आभूषणरत्न. कुंदन मीनाकारी .और आभूषण लघु चित्रकारी ब्लू पॉटरी आइवरी नक्काशी शैलैक काम चमड़ा के बर्तन.आदि

 भाषा 
 मुख्य भाषा राजस्थानी है। हिन्दी, अंग्रेज़ी व पंजाबी भाषा भी काफ़ी बोली जाती है।
 मेले 
 जयपुर अपने मेलोलिए प्रसिद्ध है। घुड़ला, शीतलाष्टमी, गणगौर, नृसिंह चतुर्दशी श्रावणी तीज आदि के मेले मुख्य हैं। गणगौर व श्रावणी तीज जयपुर में बहुत धूमधाम से मनायी जाती है
 त्योहार 
 जयपुर में हिन्दुओं के मुख्य त्यौहार बसन्त पंचमी, भानु सप्तमी,महाशिवरात्रि, होली, शीतलाष्टमी, गणगौर,रामनवमी, अक्षय तृतीया, गंगा सप्तमी, बट सावित्री अषाढ़ी दशहरा गुरु पुर्णिमा नाग पंचमी, रक्षा बंधन, बड़ी तीज, जन्माष्टमी गोगानवमी, जल झूलनीअमावस्या, दशहरा, दीवाली व मकर संक्रांति है। मुसलमानोंमें शब्बेरात, ईद, मुहर्रम व बारावफ़ात जैसे मुख्य त्यौहार होते है !

 कालवाड़ पुलिस थाना 
 शिप्रा पथ थाने को एशिया का सर्वश्रेष्ठ थाना का किताब प्रदान किया गया है
 भादवा 
 जयपुर से 72 किलोमीटर दूर स्थित भादवा दादू तथा निरंजनी संप्रदाय की पीठ के लिए प्रसिद्ध है
 छापरवाडा बांध 
 छापरवाडा बांध मोजमाबाद से 22 किलोमीटर दूर स्थित है
 सामोद 
 चोमू से 8 किलोमीटर दूर स्थित समोद में शीश महल तथा सुल्तान महल दर्शनीय है
 रविंद्र मंचन 
 इसका उद्घाटन 15 अगस्त सन 1963 को हुआ था
 गुड़िया घर 
 पुलिस स्मारक के पास मूक बधिर विद्यालय के अहाते में विभिन्न देशों की प्यारी गुड़ियाँ यहाँ प्रदर्शित हैं।

 जयपुर अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र (Jaipur International Airport)
 जयपुर में स्थित  यह एक नागरिक हवाई अड्डा है। यहां कस्टम्स विभाग उपस्थित नहीं है। इसकी उड़ान पट्टी की लंबाई 7500 फीट है। जयपुर विमान अड्डा जिसे सांगानेर अड्डा भी कहते हैं, जयपुर से 13 किलोमीटर दूर है !

 केंद्र सरकार द्वारा संरक्षित स्थल 
 श्री जगत शिरोमणि मंदिर- आमेर जामा मस्जिद- आमेर लक्ष्मी नारायण मंदिर- आमेर सूर्य मंदिर- आमेर
 प्राचीन टीला -महेश्वरा प्राचीन टीला -रानीवास खुदाई में प्राप्त बस्ती -सांभर खुदाई में प्राप्त बस्ती- मेरठ
 पुंडरीकजी की हवेली के भित्तिचित्र -ब्रह्मपुत्र फ्रेसको पेंडिंगस युक्त मंदिर -गलताजी

 राज्य सरकार द्वारा संरक्षित- स्मारक 
 पहाड़ी पर स्थित प्राचीन महल- आमेर  पहाड़ी की तलहटी में स्थित प्राचीन महल- आमेर पनमियां का कुंड- आमेर दिलाराम उद्यान- आमेर मोहनबाड़ी -आमेर संधिजी का मंदिर -आमेर  परकोटा -आमेर
 सूर्य मंदिर -आमेर हाड़ी रानी का महल- आमेर कृष्ण देव पथहरि की गुफा -जयपुर स्टेशन रोड की छतरियां- जयपुर जैन मंदिर सांगानेर- जयपुर  नगर परकोटा एवं उसके समस्त द्वार -जयपुर

 बालानंद जी का मंदिर- जयपुर सूर्य मंदिर गलता- जयपुर जानाना घाट के भित्तिचित्र -जयपुर
 वेधशाला -जयपुर सुदर्शन गढ़ -जयपुर ईसरलाट -जयपुर हवामहल -जयपुर

 पुरोहित जी की हवेली के भित्तिचित्र - जयपुर गोविंद देव जी का मंदिर एवं उसके भक्ति चित्र- जयपुर

 पुरानी बस्ती स्थित सामोद हवेली के भित्तिचित्र- जयपुर  गेटोर की छतरियां- जयपुर

 जयपुर की महारानियों की छतरियां -जयपुर ब्रज निधि मंदिर- जयपुर

 चरण मंदिर -जयपुर कल्याण जी का मंदिर- जयपुर भवानीराम बोहारा का घर -जयपुर

 सिसोदिया महारानी का मंदिर -जयपुर मुगल दरवाजा मेरठ जमुआ माता का मंदिर- जमवारामगढ़

 नरसिंह मंदिर-आमेर गलताजी का मंदिर- जयपुर भावपुरा की छतरियां- आमेर

 चोमू का दुर्ग ,परकोटा एवं मोट- चोमू नाकाटी माता मंदिर -जयभवानीपुरा कल्किजी का मंदिर-सिरडययोढी बाजार नैला दुर्ग -नैला नैलामहल -नैला

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विष्णु गौर 


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