सीखना या अधिगम आधुनिक मनोविज्ञान का एक अति महत्वपूर्ण विषय है। सीखने के लिए अभ्यास की आवश्यकता होती है और अभ्यास द्वारा जो व्यक्ति सीखता है वह स्थाई प्रकृति का होता है।अतः अधिगम बहुत कुछ अभ्यास या कोशिश पर निर्भर करता है।
सीखना व्यवहार में होने वाले स्थाई परिवर्तन को कहा जाता है। परंतु सभी तरह के व्यवहार में होने वाले परिवर्तन सीखना नहीं है।
जैसे➖ थकान,बीमारी, नशे की हालात से होने वाले व्यवहारगत परिवर्तन
आज सीखने से संबंधित अनुसंधान में अनेक प्रकार के अधिगम प्रचलित है-
प्रत्यक्षात्मक सीखना,
संवेगात्मक सीखना,
संप्रत्यय सीखना,
प्रत्यक्षात्मक पेशीय सीखना
अधिगम लक्ष्य केंद्रित और उद्देश्य पूर्ण क्रिया है। अधिगम प्रक्रिया है ना कि परिणाम अर्थात् वह परिवर्तन जो अभ्यास और अनुभव से होते हैं। और इससे व्यवहार में स्थाई परिवर्तन होता है।
परिभाषाएं ( Definitions )
हिलनर-"सीखना एक ऐसा प्रक्रम है जिसके द्वारा अनुक्रिया वर्ग की मापनीय विशेषताओं में तात्कालिक या विलंबित रीति से स्थाई परिवर्तन होता है और यह परिवर्तन प्रबलित अभ्यास के प्रकार्य के रूप में या परिणाम स्वरूप होता है।"
हिलगार्ड और बॉअर के अनुसार- "सीखना व्यवहार में वह परिवर्तन है जो अभ्यास के फलस्वरूप होता है और यह परिवर्तन परिपक्वता, थकान, औषधि खाने आदि वजह से हुए परिवर्तन से भिन्न होता है।"
हिलगार्ड तथा एटकिंसन के अनुसार -" सीखने को अभ्यास के व्यवहार में सापेक्ष स्थाई परिवर्तन के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।"
अंडरवुड के अनुसार-" सीखना नई प्रतिक्रियाओं को प्राप्त करना है या पुरानी प्रतिक्रियाओं की क्रियाशीलता को बढ़ाना है।
मन के अनुसार -" सीखना व्यवहार का अपेक्षाकृत स्थाई प्रगतिपूर्ण रूपांतरण है। यह प्रशिक्षण या निरीक्षण के परिणामस्वरूप स्वरुप क्रिया विशेष में होता है।
गिलफोर्ड -" सीखना व्यवहार से उत्पन्न व्यवहार गत परिवर्तन है।"
गेट्स एवं अन्य के अनुसार -" अनुभव तथा प्रशिक्षण से होने वाले व्यवहार गत परिवर्तन ही सीखना है।"
वुडवर्थ - "सीखना विकास की प्रक्रिया है।"
स्किनर के अनुसार- "सीखना व्यवहार में उत्तरोत्तर परिवर्तन की श्रृंखला है।"
क्रो एंड क्रो के अनुसार- "सीखना आदत, ज्ञान तथा मनोवृत्ति का अर्जन है।"
अधिगम शैलियां ( Learning styles )
कोल्ब की अधिगम शैलियाँ - कोल्ब अधिगम की चार अलग प्रकार की शैलियों के बारे में कहता है जो चार स्तरीय अधिगम चक्र पर आधारित है। कोल्ब का कहना है कि प्रत्येक व्यक्ति के सीखने की शैली अलग अलग होती है। इसके पीछे कई कारण होते है जैसे सामजिक वातावरण शैक्षिक अनुभव या एक व्यक्ति की बुनियादी संज्ञानात्मक संरचना।
कोल्ब का विश्वास है कि एक ही एक्सिस के दो चर एक साथ नहीं आ सकते। जैसे सोचना और संवेदन करना।
अधिगम शैलियों का विवरण ( Details of learning styles )
1 DAVERGERING ( अनुभव करना और देखना ) - इस शैली को अपनाने वाले लोग विषय को विभिन्न दृष्टिकोण से देखते हैं। वे संवेदन शील होते हैं।ऐसे लोग करने से ज्यादा देखने में रूचि रखते हैं। वे पहले सूचनाओं को एकत्रित करते है और कल्पना करके समस्याओं का समाधान करते हैं।
कोल्ब ने इस शैली को डैवेर्जिंग कहा है क्योंकि ऐसे लोग विचारों के उत्पादन में अधिक सक्रीय रहते हैं जैसे मस्तिष्क विप्लव, कल्पनाशील, भावुक और कला के क्षेत्र में मज़बूत लोगों में वे रूचि रखते हैं। ऐसे लोग समूहों में काम करना पसंद करते हैं। दूसरों की बातों को खुले मन से सुनने और उनसे प्रतिपुष्टि पाने में रूचि रखते हैं।
2 Assimilating ( देखना और चिंतन करना ) - ऐसी शैली रखने वाले संक्षिप्त एवं तार्किक दृष्टिकोण पसंद करते हैं। लोगों से ज्यादा महत्त्व वे विचारों एवं अवधारणाओं को देते हैं। व्यावहारिक मूल्यों से ज्यादा तार्किक सिद्धांतों में रूचि रखते हैं। सुचनाओ को प्राप्त करने में एवं वैज्ञानिक क्षेत्रो में इस अधिगम शैली की आवश्यकता है। इसमें लोग पढ़ना, व्याख्यान करना, विश्लेषण करना और खोज करना पसंद करते हैं।
3. Convergence ( करना एवं सोचना ) - ऐसी शैली पसंद करने वाले लोग व्यावहारिक समस्याओं का समाधान ढूँढने में रूचि रखते हैं। वे तकनीकी कार्यो में ज्यादा तत्पर हैं। लोगों और उनके पारस्परिक संबंधो में वे ध्यान नहीं रखते हैं। ये लोग सिद्धांतों के व्यावहारिक प्रयोग करते हैं।समस्यओं का समाधान करने में और प्रश्नों के उत्तर ढूढकर निर्णय लेने में सक्षम होते हैं।
4. Accomodating ( करना और महसूस करना ) -ये लोग प्रतिभा को ज्यादा महत्त्व देते हैं न कि तर्कों को। स्वयं से ज्यादा दूसरो के विश्लेषण को अधिक महत्त्व देते हैं। व्यावहारिक कार्य पर वे विश्वास रखते हैं।वे नई चुनौतियों और नए अनुभवों में रूचि रखते हैं। यह अधिगम शैली सामान्य जनों में प्रचलित हैं।
अधिगम की विशेषताएं ( Features of learning )
सीखना एक सार्वभौमिक प्रक्रिया है यह सहज क्रियात्मक नहीं है।
सीखने की प्रक्रिया आजीवन चलती है अर्थात् यह सतत प्रक्रिया है।
सीखना व्यवहार परिवर्तन है।
सीखना समायोजन में सहायक है।
व्यवहार में परिवर्तन अभ्यास या अनुभव से होता है।
सीखना नए पुराने अनुभवों का संगठन है। जिससे समस्या समाधान किया जाता है।
सीखना उद्देश्य पूर्ण होता है।
सीखना सामाजिक मनोवैज्ञानिक और बौद्धिक प्रक्रिया है।
सीखना खोज करने की प्रक्रिया है।
सीखना सामाजिक और व्यक्तिगत दोनों हैं।
सीखना मानसिक क्षमताओं का विकास है।
Specially thanks to Post and Quiz makers ( With Regards )
1 Comments
Hemraj mahawar
6 years ago - Replyबहुत खुब