Start Q1 जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर कौन है ? महावीर स्वामी पार्श्वनाथ नेमिनाथ ऋषभदेव Q2 जैन धर्म के प्रवर्तक निम्नलिखित में से कौन है ? महावीर स्वामी पार्श्वनाथ नेमिनाथ ऋषभदेव Q3 निम्न में से घातीय कर्म नहीँ है ? दर्शनावरणीय ज्ञानावरणीय मोहनीय वेदनीय Q4 जैन धर्म में कर्म के कितने प्रकार होते हैं ? 5 6 7 8 Q5 निम्न में से कौन अनंत चतुष्ट्य के अंतर्गत नहीं आता है ? अनंत शक्ति अनंत ज्ञान अनंत श्रद्धा(दर्शन) अनंत ऐश्वर्य Q6 जैन नीतिशास्त्र में मानव जीवन का परम श्रेय क्या स्वीकार किया है ? धर्म अर्थ काम मोक्ष Q7 मोक्ष की कितनी अवस्थाएं होती है ? 2 3 4 5 Q8 निम्न में से कौन-सा कषाय के अंतर्गत नहीं आता है ? मान मोह लोभ अनुराग Q9 कर्म पुद्गलों का जीव अथवा आत्मा की ओर प्रवाहित होना बन्ध (आस्त्रव) कहलाता है , यह कितने प्रकार का होता है ? 2 3 4 5 Q10 भाव बन्ध के अतिरिक्त दूसरा बंधन कहलाता है - क्रिया बंधन मूल बन्ध द्रव्य बन्ध उड्यन बंधन Q11 जैन दर्शन के अनुसार निम्न में से कौनसा कर्म का भेद नहीं है ? ज्ञानावरणीय कर्म प्रारब्ध कर्म मोहनीय कर्म वेदनीय कर्म Q12 जैन धर्म में आस्त्रव से क्या अर्थ है ? जीव का ऊपर को प्रवाह पुद्गल का नीचे को प्रवाह पुद्गल का जीव की तरफ प्रवाह जीव का पुद्गल की तरफ प्रवाह Q13 निम्न में से कौन-सा त्रिरत्न नहीं है ? सम्यक भावना सम्यक दर्शन सम्यक चरित्र सम्यक ज्ञान Q14 जैन धर्म में मोक्ष प्राप्त व्यक्ति को क्या नहीं कहते हैं ? जिन केवली अर्हत तीर्थकर Q15 जैन धर्म के अनुसार कषाय अपनी ओर आकर्षित करता है ? आकाश को अधर्म को पुद्गल को काल को Q16 जैन साहित्य की भाषा कौन सी है ? पाली संस्कृत प्राकृत ग्रीक Q17 मोक्ष में जीव की क्या स्थिति रहती है ? जीवन पुद्गल से युक्त होता है जीव शरीर से मुक्त होता है जीव अनंत चतुष्टय से युक्त होता है जीव सांसारिक बंधनों से युक्त हो जाता है Q18 जैन धर्म में - पुनर्जन्म का अंत निर्माण मोक्ष है आत्मा की प्राप्ति पुद्गल का नाश ही मोक्ष है Q19 जैनों के लिए ज्ञान प्रत्यक्ष तभी है जब वह केवल ज्ञानेंद्रियों के माध्यम से हो मन के माध्यम से हो आत्मा के माध्यम से हो शब्दों के माध्यम से हो Q20 जैन दर्शन के अनुसार द्रव्य वह हैं जो - नित्य तथा अपरिवर्तनशील वस्तु है सदा परिवर्तनशील वस्तु है कभी भी परिवर्तनशील वस्तु नहीं है नित्य तथा परिवर्तनशील वस्तु है Q21 जैन दर्शन में संवर किसे कहते है ? समस्त कर्मो से मुक्ति पहले से विद्यमान कर्मों का नाश तपस्या से कर्मो को नष्ट करना जीव मे नवीन कर्म पुद्गलो के प्रवेश को रोकना Q22 पंचमहाव्रत समिति, गुप्ति, अनुप्रेक्षा, गुणस्थान इत्यादि का संबंध किससे है ? जैन बौद्ध चार्वाक वेदांत Name Email Phone Submit
Q1 जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर कौन है ?
Q2 जैन धर्म के प्रवर्तक निम्नलिखित में से कौन है ?
Q3 निम्न में से घातीय कर्म नहीँ है ?
Q4 जैन धर्म में कर्म के कितने प्रकार होते हैं ?
Q5 निम्न में से कौन अनंत चतुष्ट्य के अंतर्गत नहीं आता है ?
Q6 जैन नीतिशास्त्र में मानव जीवन का परम श्रेय क्या स्वीकार किया है ?
Q7 मोक्ष की कितनी अवस्थाएं होती है ?
Q8 निम्न में से कौन-सा कषाय के अंतर्गत नहीं आता है ?
Q9 कर्म पुद्गलों का जीव अथवा आत्मा की ओर प्रवाहित होना बन्ध (आस्त्रव) कहलाता है , यह कितने प्रकार का होता है ?
Q10 भाव बन्ध के अतिरिक्त दूसरा बंधन कहलाता है -
Q11 जैन दर्शन के अनुसार निम्न में से कौनसा कर्म का भेद नहीं है ?
Q12 जैन धर्म में आस्त्रव से क्या अर्थ है ?
Q13 निम्न में से कौन-सा त्रिरत्न नहीं है ?
Q14 जैन धर्म में मोक्ष प्राप्त व्यक्ति को क्या नहीं कहते हैं ?
Q15 जैन धर्म के अनुसार कषाय अपनी ओर आकर्षित करता है ?
Q16 जैन साहित्य की भाषा कौन सी है ?
Q17 मोक्ष में जीव की क्या स्थिति रहती है ?
Q18 जैन धर्म में -
Q19 जैनों के लिए ज्ञान प्रत्यक्ष तभी है जब वह केवल
Q20 जैन दर्शन के अनुसार द्रव्य वह हैं जो -
Q21 जैन दर्शन में संवर किसे कहते है ?
Q22 पंचमहाव्रत समिति, गुप्ति, अनुप्रेक्षा, गुणस्थान इत्यादि का संबंध किससे है ?
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सभी प्रश्नों का स्तर बहुत हि अच्छा रहा।
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1 Comments
अनिल कुमार
8 months ago - Replyसभी प्रश्नों का स्तर बहुत हि अच्छा रहा।