1. बाड़मेर में लोक देवियाँ
- विरात्रा मातवांकल माता मंदिर: चौहटन भोपों की कुल देवी
2. जालौर में लोक देवियाँ
- सुंधा माता मंदिर:- भीनमाल, सुंधा/सुगधादरी पर्वत पर चामुंडा माता का मंदिर है, चामुंडा माता को सुंधा पर्वत के नाम पर सुंधा माता कहने लगे। राजस्थान का प्रथम रोप वे सुंधा माता मंदिर पर है।
- आशापुरा माता या महोदरी माता मंदिर:- मोदरा (जालौर) बड़े उदर वाली माता के नाम से विख्यात है, जालौर के चौहान शासकों की कुल देवी है
3. सिरोही में लोक देवियाँ
- अर्बुदा देवी/अधर देवी मंदिर – माउंट आबू, राजस्थान की वैष्णो देवी/ राजस्थान का सबसे ऊँचाई पर मंदिर है,
- सीमल माता/क्षमकरी/खीमल माता मंदिर- वसंतगड मे स्थित है इसका निर्माण विक्रम सवंत 682 मे हुआ था, क्षमकरी माता को ही खीमल माता कहते है।
4. पाली में लोक देवियाँ
- सुगाली माता- आउवा (पाली) के ठाकुरो (चम्पावतो) की कुल देवी सुगाली माता के काले पत्थरो की मूर्ति के म्यूजियम मे रखी हुई है।
- मगर मंडी माता- (निमाज, जैतारण)
- आशा पूरा माता: नाड़ोल
5. राजसमन्द में लोक देवियाँ
- घेवर माता मंदिर- राजसमन्द की पाल
- ऊनवास की पिप्लाद माता मंदिर- हल्दी घाटी के निकट ऊनवास गांव में
- चारभुजा देवी मंदिर- खमनोर मे
6. चित्तौड़गढ़ में लोक देवियाँ
- बडली माता मंदिर- छिपो का अकोला में बेड़च नदी के किनारे
- आवरी माता या आसावरी माता- निकुम्भ में यह शक्ति पीठ शारीरिक व्याधियो के निवारण के लिए प्रसिद्ध है
- कालिका माता मंदिर- चित्तौड़गढ़ दुर्ग मे
- तुलजा भवानी मंदिर- चित्तौड़गढ़ दुर्ग मे छत्रपति शिवाजी महाराज के वंश की कुल देवी
- वटयइक्षनी देवी/झांतला माता/राठासण देवी मंदिर- राष्ट्र शयेना देवी को अपभ्रंश में राठासण देवी कहा जाता है।
- बिरवडी माता मंदिर- चित्तौड़गढ़ दुर्ग मे
7. बूंदी में लोक देवियाँ
- इन्दर माता/बीजासण माता मंदिर- इंदरगढ़
- सथूर माता मंदिर- सथूर
8. भीलवाड़ा में लोक देवियाँ
- बदनोर की कुशाल माता मंदिर- बदनोर(भीलवाड़ा) राणा कुम्भा ने 1457 ई. के युद्ध मे महमूद खिलजी को पराजित कर इस विजय की याद मे यह मंदिर बनवाया।
- जोगनिया माता (अन्नपूर्णा माता) – भीलवाड़ा
- धनोप माता- राजाधुन्ध की कुल देवी भीलवाड़ा
9. जयपुर में लोक देवियाँ
- शीला देवी- कछवाहा राजवंश की कुल देवी है। प्रमुख स्थान- आमेर, जयपुर है।
- शीतला माता - प्रमुख स्थान शील की डुंगरी, चाकसू(जयपुर) है। चेचक की देवी के रूप मे प्रसिद्ध है। अन्य नाम सेढल माता या महामाई है।
- छींक माता मंदिर- गोपाल जी का रास्ता(जयपुर)
- जमुवाय माता स्थान- जमुवा रामगढ(जयपुर), कछवाहो की कुलदेवी, अन्नपूर्णा नाम से भी प्रसिद्ध, जमुवाय माता के अन्य मंदिर भोड़की(झुझुनु), महरोली, मादनी मंढा(सीकर) एवं भूनास(नागौर)
- सांभर की शाकम्भरी माता: चौहान वंश की कुल देवी, साभर की अधिस्टात्रि देवी है।
- ज्वाला माता मंदिर- जोबनेर कछवाह वंश की शाखा खंगारोत शासको की कुल देवी है।
- नकटी माता मंदिर - जय भवानीपुरा गॉंव(जयपुर)
10. अलवर में लोक देवियाँ
- नारायणी माता या करमेती माता: मंदिर राजगढ तहसील मे बरवा डुंगरी मे है।
- जीलानी माता मंदिर- बहरोड़ कस्बे मे
- धोलागड माता मंदिर - कठूमर मे धौलागिरी पर्वत परगौड़ ब्राह्मण वंश की कुल देवी है।
11. नागौर में लोक देवियाँ
- दधिमाता मंदिर - नागौर जिले के गोठ और मांगलोद गांवों के मध्य स्थित दधिच ब्राह्मण समाज की कुल देवी है।
- कैवाय माता मंदिर- परबरतसर तहसिल के किनसरिया गाँव मे है।
- भावल माता- नागौर
12. भरतपुर में लोक देवियाँ
- राजेश्वरी देवी मंदिर - भरतपुर के जाट वंश की कुल देवी है।
13. करौली में लोक देवियाँ
राजस्थान के विभिन्न राजवंश की कुल देविया
- मेवाड़ के गुहिल: बाण माता.
- जोधपुर के राठौड़: नागणेची माता
- अजमेर के चौहान: जीणमाता
- जालौर के चौहान: आशापुरा माता (जालौर)
- सांभर के चौहान: शाकंभरी माता (सांभर)
- करौली के यादव: कैलादेवी
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