अनुच्छेद 80 राज्यसभा में अधिकतम सदस्य संख्या 250 हो सकेगी जिनमें 238 सदस्य राज्य और संघ राज्य क्षेत्रों से निर्वाचित होंगे तथा 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा कला साहित्य विज्ञान और समाज सेवा के क्षेत्र में विशेष ज्ञान रखने वाले व्यक्तियों को मनोनीत किया जा सकेगा
नोट - मनोनीत व्यक्तियों का प्रावधान आयरलैंड के संविधान से लिया गया है
उपनाम -
उच्च सदन
द्वितीय सदन
विद्वानों का सदन
बुजुर्गों का सदन
स्थाई सदन
अगस्त 1954 में काउंसिल ऑफ स्टेटस का नाम बदलकर राज्यसभा कर दिया गया
प्रथम बैठक 3 अप्रैल 1952
नोट - राज्यसभा के सदस्यों का निर्वाचन राज्यों की विधानसभाओं के द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत पद्धति द्वारा किया जाएगा
अनुच्छेद 80 संविधान की चौथी अनुसूची में राज्यों को राज्यसभा में प्रतिनिधित्व प्रदान किया गया है
राज्य सभा में सभी राज्यों को समान प्रतिनिधित्व प्राप्त नहीं है बल्कि जनसंख्या के आधार पर प्रतिनिधित्व दिया गया है पहले 50 लाख तक के प्रति दस लाख पर एक सदस्य तथा उसके बाद 20 लाख पर एक सदस्य निर्वाचित किया जाता है
नोट - वर्तमान सदस्य संख्या 245 राज्यों से 229, संघ राज्य क्षेत्रों से 4 ( दिल्ली 3 पुडुचेरी 1), मनोनीत 12
2003 में राज्यसभा के सदस्यों के निर्वाचन संबंधी दो परिवर्तन किए गए
भारत का नागरिक भारत संघ की किसी भी इकाई से राज्यसभा के लिए निर्वाचित किया जा सकेगा
गुप्त मतदान के स्थान पर खुला मतदान
अनुच्छेद 82 राज्यसभा का विघटन नहीं किया जा सकेगा इसके एक तिहाई सदस्य प्रति 2 वर्ष बाद सेवानिवृत्त किए जा सकेंगे
नोट- संविधान में कहीं भी राज्य सभा के सदस्यों का कार्यकाल निश्चित नहीं किया गया है राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951 के द्वारा 6 वर्ष निर्धारित किया गया है
अनुच्छेद 84 योग्यता -
वह भारत का नागरिक हो
न्यूनतम आयु 30 वर्ष पूर्ण कर ली हो
संसद द्वारा निर्धारित अन्य योग्यता
अनुच्छेद 89 (1) राज्यसभा का सभापति उपराष्ट्रपति होगा उपसभापति राज्यसभा के सदस्यों में से ही सदस्यों द्वारा साधारण बहुमत से चुना जाएगा
सभापति को निर्णायक मत देने का अधिकार होगा सभापति अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति को संबोधित करते हुए देगा उपसभापति अपना त्यागपत्र सभापति को संबोधित करते हुए दे सकेगा उपसभापति को राज्यसभा के साधारण बहुमत से पारित प्रस्ताव द्वारा पद से हटाया जा सकेगा
राज्यसभा का विशेष सत्र भुलाया जा सकेगा यदि आपातकाल की घोषणा करनी हो और लोकसभा विघटित हो (1977 में तमिलनाडु, नागालैंड में अनुच्छेद 356 के तहत घोषित आपातकाल की अवधि बढ़ाने हेतु विशेष सत्र बुलाया गया था )
राज्यसभा लोकसभा से 2 मामलों में अधिक शक्तियां रखती है
1 अनुच्छेद 249 राज्य सभा राज्य सूची के किसी विषय को राष्ट्रीय महत्व का घोषित कर सकती है ऐसे विषय पर संसद कानून बनाएगी जो 1 वर्ष तक मान्य होगा
2 अनुच्छेद 312 राज्यसभा किसी भारतीय सेवा को उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से अखिल भारतीय सेवा घोषित कर सकती है
नोट - अनुच्छेद 249 व 312 में राज्यसभा उपस्थित हुए मतदान करने वाले सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से क्रमशः राष्ट्रीय महत्व व अखिल भारतीय सेवा घोषित कर सकेंगे
डॉ सुब्रमण्यम स्वामी राज्यसभा से निष्कासित होने वाले प्रथम सदस्य है
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