Ras Mains Test Series -14

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समाजशास्त्र - सामाजिक मूल्य तथा जाति, वर्ग और व्यवसाय 


अतिलघुतरात्मक (15 से 20 शब्द)


प्र 1. सामाजिक मूल्य का क्या अर्थ है ?

उत्तर- वे आदर्श या मानक जिनके आधार पर किसी वस्तु, व्यवहार, लक्ष्य, गुण,आदि को उचित या अनुचित, वांछित या अवांछित, अच्छा या बुरा ठहराया जाता है। सामाजिक मूल्य कहलाते हैं।

प्र 2. जाति किसे कहते हैं ?

उत्तर- जाति एक ऐसा अंतर्विवाहित समूह है जिस की सदस्यता जन्म पर आधारित होती है तथा जिसमें व्यवसाय, खान-पान और रहन सहन पर कुछ पाबंदिया होती है।

प्र 3. वर्ग को परिभाषित कीजिए।

उत्तर- वर्ग सामान्यतः ऐसे लोगों के समूह द्वारा परिभाषित होता है जो धन, आय व्यवसाय एवं शिक्षा जैसे कारकों से स्तरीकृत होते हैं।

प्र 4. व्यवसाय को परिभाषित कीजिए।

उत्तर- उपभोक्ता एवं समाज की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन, वितरण एवं विनिमय से संबंधित समस्त मानवीय क्रियाओं को ही व्यवसाय कहा जाता है।

लघूतरात्मक (50 से 60 शब्द)

प्र 5. सामाजिक मूल्यों की विशेषताएं बताइए।

उत्तर- 1. सामाजिक मूल्य सामूहिक होते हैं।
2. सामाजिक मूल्य समाज द्वारा मान्यता प्राप्त मानक होते हैं।
3.भौतिक संस्कृति के मूल आधार होते हैं।
4. सामाजिक मूल्य व्यक्तित्व विकास में सहायक होते हैं।
5. व्यक्ति के व्यवहार के पथ प्रदर्शक की भांति कार्य करते हैं।
6. सामाजिक मूल्य समयानुसार परिवर्तनशील होते हैं।
7. मानवीय आवश्यकताओं के पूरक होते हैं ।
8. सामाजिक मूल्य लोगों की भावनाओं से जुड़े होते हैं तथा यह मूल्य भिन्नताएं लिए होते हैं।

प्र 6. जाति प्रथा में आ रहे परिवर्तनों को समझाइए ।

उत्तर- आजादी के बाद जाति प्रथा में काफी तेजी से परिवर्तन आए हैं जो निम्न है -

1.अंतर्जातीय संबंधों में परिवर्तन या जातीय संस्तरण में परिवर्तन।
2.अस्पृश्यता में कमी एवं अस्पृश्य जातियों के अधिकारों में वृद्धि।
3.जन्म के महत्व में कमी।
4. व्यवसायिक गतिशीलता में वृद्धि।
5. वैवाहिक परिवर्तन।
6. भोजन प्रतिबंधों में कमी।
7. जातीय समितियों का निर्माण।
8.ब्राह्मणों की स्थिति में गिरावट।
9. पेशे के संबंध में ऊंच-नीच की धारणा में परिवर्तन।
10. भिन्न-भिन्न जातियों की शक्तियों में परिवर्तन।
11. बदलते हुए संदर्भ समूह में स्वयं की प्रजातंत्रीय शक्ति।

प्र 7. व्यवसाय के सामाजिक आधार के मूल तत्व कौन से हैं। (80 शब्द)

उत्तर- 1. जनहित एवं जन कल्याण के लिए कार्य करना।
2.अनेक प्रकार के व्यवसायिक खतरों से सामान्य जन की रक्षा करना।
3. सामाजिक उत्तरदायित्व का सही ढंग से निर्वाह करना।
4. व्यवसाय की वैधानिक आपूर्तियों एवं आवश्यकताओं पर पूरा ध्यान देना ।
5.पर्यावरण की रक्षा करना।
6. श्रमिक एवं कर्मचारी वर्ग के साथ मानवीय दृष्टिकोण से कार्य करना।
7. ग्राहक सेवा एवं संतुष्टि पर अधिकतम ध्यान देना।
8. स्कंद धारकों एवं विनियोजकों के हितों की रक्षा करना ।
9.व्यवसायिक नीतिशास्त्र का अनुपालन करना।
10. सरकार प्रशासन एवं सामाजिक संस्थाओं के प्रति उत्तरदायी होना तथा अपने उत्तरदायित्व को निभाना।

प्र 8. वर्ग व्यवस्था की विशेषताएं बताइए। ।

उत्तर-*1. एक वर्ग के लोगों की सामाजिक स्थिति समान होती है।
2. वर्ग के अंतर्गत प्रतिस्पर्धा के अवसर सदैव मौजूद होते हैं।
3. वर्ग के भीतर सदस्यों के बीच संबंध सहज बन जाते हैं।
4. वर्ग परिवर्तन सहज संभव है।
5. वर्ग के निर्धारण में जन्म का स्थान नहीं होता है।
6. वर्ग में वर्ग चेतना पाई जाती है।
7. वर्ग मुक्त होते हैं। कोई भी व्यक्ति एक वर्ग से दूसरे वर्ग में आ जा सकता है।
8. वर्ग की कोई कानूनी मान्यता नहीं होती और ना ही वे धर्म द्वारा पोषित होते हैं।
9. वर्ग की सदस्यता व्यक्ति अपनी योग्यता एवं उपलब्धि से अर्जित करता है।
10. वर्ग का निर्धारण कुछ वस्तुनिष्ठ आधारों पर किया जाता है जिनमें आय, शिक्षा मकान, मोहल्ला, जीवन जीने का तरीका आदि प्रमुख है

प्र 9. वर्ग तथा जाति में अंतर समझाइए। (120 शब्द)

उत्तर- 1. वर्ग की सदस्यता योग्यता पर निर्भर करती है, जाति की सदस्यता जन्म पर निर्भर करती है।
2. वर्ग मुक्त प्रकृति का है, जाति एक बंद व्यवस्था है।
3. वर्ग में हम एक दूसरे वर्ग में विवाह कर सकते हैं, जाति में हम दूसरी जाति में विवाह नहीं कर सकते हैं।
4. वर्ग में सामाजिक संबंधों तथा खाने-पीने पर कोई प्रतिबंध नहीं होता है जबकि जातियों में संबंधों तथा खाने-पीने संबंधी पाबंदिया होती है।
5. वर्ग में व्यक्ति कोई भी व्यवसाय अपना सकता है, जाति में व्यक्ति का पेशा उसके वंश या जाति के अनुसार होता है।
6. व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत योग्यता से अपना वर्ग बदल सकता है, जाति में व्यक्ति चाह कर भी जाति नहीं बदल सकता।
7. वर्ग के कई आधार जैसे कि धन, शिक्षा, व्यवसाय इत्यादि होते हैं लेकिन जाति का आधार केवल जन्म होता है। इसलिए इसकी प्रकृति बंद होती है।
8. वर्ग की कोई पंचायत नहीं होती, जाति की अपनी जाति पंचायत होती है।
9. वर्ग में व्यक्तिगत योग्यता की प्रधानता होती है जबकि जाति में व्यक्तिगत योग्यता का कोई मूल्य नहीं होता केवल आपके परिवार का जाति का महत्व होता है।

 

Specially thanks to Post and Quiz makers ( With Regards )

P K Nagauri, राजपाल जी यादव


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