व्यावसायिक प्रशासन - वित्तीय विवरण विश्लेषण की तकनीक, कार्यशील पूंजी प्रबंधन, जवाबदेही और सामाजिक लेखांकन
अतिलघुतरात्मक ( 15 से 20 शब्द )
प्र 1. कोष प्रवाह विवरण से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर- किसी संस्था के दो स्थिति विवरणों के बीच संस्था के कोषों में परिवर्तन के अध्ययन के लिए बनाया गया विवरण कोष प्रवाह विवरण कहलाता है।
प्र 2. कार्यशील पूंजी को परिभाषित कीजिए ?
उत्तर- व्यावसायिक गतिविधियों के सुचारू रूप से संचालन हेतु स्थायी पूंजी के अतिरिक्त व्यवसाय की सामयिक आवश्यकताओं के लिए जिस अस्थायी पूंजी की आवश्यकता होती है, उसे कार्यशील पूंजी कहा जाता है।
प्र 3. शुद्ध कार्यशील पूंजी से क्या अभिप्राय है
उत्तर- चालू संपत्तियों के चालू दायित्वों पर आधिक्य की राशि को शुद्ध कार्यशील पूंजी के नाम से जाना जाता है।
प्र 4. उत्तरदायित्व लेखांकन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- उत्तरदायित्व लेखांकन पद्धति के अंतर्गत संगठन को विभिन्न उत्तरदायित्व केंद्रो या इकाइयों में विभाजित करके उनकी योजनाओं, कार्यो, बजट, लागत तथा लाभ निर्धारित करके उनके ऊपर उत्तरदायित्व निर्धारित किए जाते हैं।
प्र 5. सामाजिक लेखांकन क्या है ?
उत्तर- सामाजिक लेखांकन में प्रतिष्ठान के सामाजिक निष्पत्ति का मापन किया जाता है अर्थात सामाजिक लेखांकन में संस्था की क्रियाओं से समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को मापा जाता है।
लघूतरात्मक ( 50 से 60 शब्द )
प्र 6. वित्तीय विवरण विश्लेषण की सम विच्छेद विशेषण तकनीक को समझाइए ।
उत्तर- सम विच्छेद विश्लेषण- सम विच्छेद विश्लेषण एक अल्पकालीन अवधारणा है। इसके अंतर्गत लागतों को स्थायी और परिवर्तनशील में विभक्त किया जाता है तथा लागत, लाभ व विक्रय के मध्य संबंध स्थापित किया जाता है।
सम विच्छेद बिन्दु उस विक्रय स्तर को कहते हैं जिस पर उत्पादक को न तोलाभ होता है न हानि। सम विच्छेद विश्लेषण में सूचनाओं को इस प्रकार प्रदर्शित किया जाता है जिससे संस्था के प्रबंधकों को लाभ नियोजन, लागत नियंत्रण तथा विभिन्न प्रबंधकीय निर्णयों में सहायता मिलती है।
इस तकनीक में लागत, लाभ एवं उत्पादन सूचनाओं का निर्वचन कर के प्रबंधक वस्तु के उत्पादन, मूल्य निर्धारण तथा लाभ नियोजन के संबंध में निर्णय ले सकते हैं।
प्र 7. सामाजिक लेखांकन एवं सामाजिक अंकेक्षण में क्या संबंध होता है ?
उत्तर- सामाजिक लेखांकन संगठन की गतिविधियों के प्रतिवेदन के इर्द-गिर्द घूमता है। जो सारे समाज पर प्रभाव डालते हैं लेकिन जिन को परंपरागत वित्तीय रिपोर्ट के द्वारा अनिवार्यतः दिखाया नहीं जाता। सामाजिक लेखांकन में ऐसी रचनाओं का समावेश होता है जिनको वार्षिक प्रतिवेदन में प्रकट किया जाता है।
सामाजिक अंकेक्षण कंपनी की उन गतिविधियों का व्यवस्थित मूल्यांकन तथा प्रतिवेदन होता है जिनका सामाजिक प्रभाव होता है। वस्तुतः यह समाज के प्रति कंपनी के योगदान अर्थात देश की सामाजिक खुशहाली के निर्धारण हेतु अंजाम दिया गया अंकेक्षण होता है। सामाजिक लेखांकन में संस्था की क्रियाओं के समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को मापा जाता है और रिपोर्ट किया जाता है
जबकि सामाजिक अंकेक्षण में यह जांच की जाती है कि यह मापन और रिपोर्टिंग सही और उचित है अथवा नहीं। इस प्रकार जहां सामाजिक लेखांकन समाप्त होता है वहीं से सामाजिक अंकेक्षण शुरू होता है।
प्र 8. उत्तरदायित्व लेखांकन के क्या लाभ होते हैं? बताइए।(100 शब्द)
उत्तर- 1. लागत नियंत्रण- उत्तरदायित्व लेखांकन में प्रत्येक अधिकारी को उसके केंद्र की क्रियाओं और लागतों के लिए प्रत्यक्ष रूप से संबंधित कर संस्था में प्रभाव पूर्ण लागत नियंत्रण किया जाता है। लागत लेखांकन के दो आधारभूत उद्देश्य होते है- लागत नियंत्रण तथा वस्तु की लागत निश्चित करना। उत्तरदायित्व लेखांकन इन दोनों ही उद्देश्यों की पूर्ति करता है।
2. बजट प्रणाली की कुशलता - में वृद्धि संस्था की क्रियाओं को विभिन्न उत्तरदायित्व केंद्रों में वर्गीकृत करने से बजट प्रणाली के उपयोग में सुलभता रहती है। कोई भी बजट पद्धति जब तक पूर्ण रूप से प्रभावशाली नहीं हो सकती जब तक कि प्रत्येक उत्तरदायी अधिकारी यह न सोचने लगे कि बजट उसका बजट है, ना कि उस पर थोपी गई प्रबंध की योजना।
3. कर्मचारियों की कार्य क्षमता का मूल्यांकन करने की विधि - कुशल कर्मचारियों को पुरस्कृत करने व अकुशल कर्मचारियों को दंडित करने की व्यवस्था की जा सकती है। इससे संस्था की कार्य क्षमता व उत्पादकता में वृद्धि होती है।
4. अपवाद द्वारा प्रबंधन- विभागीय कार्यों से संबंधित प्रबंध को भेजे गए प्रतिवेदनों को अपवाद के सिद्धांत पर तैयार किए जाने से विभिन्न सामान्य समस्याओं के निवारण में प्रबंधकों का समय व्यर्थ नष्ट नहीं होता है।
5. व्यवसायिक नियोजन के लाभ- इसमें समस्त क्रियाओं के विधिवत नियोजन से कागजी कार्य कम हो जाता है तथा लालफीताशाही भी दूर की जा सकती है।
प्र 9. कार्यशील पूंजी प्रबंधन के बारे में चोरे समिति की सिफारिशें बताइए। (150 शब्द)
उत्तर - 1. बैंक साख की वर्तमान व्यवस्था को बनाए रखना- समिति ने बैंक साख की विद्यमान व्यवस्था जिस में नकद साख, ऋण एवं बिल है, के लाभों को देखते हुए इसे बनाए रखने की सिफारिश की। बैंक इस पद्धति को अधिक सरल बनाए और पहले से प्रचलित ऋण सीमाओं की साविधिक समीक्षा करें।
2. नकद साख खातों का विभाजन न किया जाए - इस समिति ने सिफारिश की कि नकद साख खातों का ऋण खातों तथा मांग ऋण खातों मेविभाजन ना करें।
3. शीर्ष स्तर तथा गैर शीर्ष स्तर आवश्यकताओं के लिए अलग सीमाओं का निर्धारण- बैंक शीर्ष स्तर तथा गैर शीर्ष स्तर के साख आवश्यकताओं की सीमाएं अलग-अलग निर्धारित करें तथा उन अवधियों को बताएं जिनके लिए यह प्रयुक्त की जाएगी।
4. बैंक ऋणों पर निर्भरता को कम करने की आवश्यकता- सार्वजनिक तथा निजी दोनों ही क्षेत्रों में मध्यम तथा बड़े उधारकर्ता द्वारा अपने उत्पादन विक्रय आवश्यकताओं के लिए बैंक साख पर निर्भर रहते है। अतः इसे कम किया जाए।
5. अधिकतम दी जाने वाली बैंक साख का निर्धारण टंडन समिति की द्वितीय विधि द्वारा किया जाए अर्थात कुल चालू सम्पत्तियों का 25% दीर्घकालीन कोषों द्वारा उधारकर्ता द्वारा वित्तीयन किया जाए।
6. सामग्री अथवा स्कंध मानकों में शीथिलता- सामग्री मानकों में शिथिलता तथा साख सीमा में अस्थाई बढोतरी सूक्ष्म जांच के बाद अपवादजन्य परिस्थितियों में ही की जानी चाहिए।
7. साख सीमाओं के निर्धारण में विलंब को रोका जाए- जहां उधारकर्ता अपने विगत निष्पादन तथा भावी प्रक्षेपण के लिए आवश्यक सूचना देकर सहयोग करते हैं वहां साख स्वीकार करने वाले विलम्ब को बैंकों द्वारा कम किया जाना चाहिए।
8. जहां आवश्यक हो वहां स्वीकृत सीमाओं से अधिक कोषों की आकस्मिकताओं के लिए स्वीकृति दी जाए। यह अनुमति अलग मांग ऋण खाते अथवा गैर परिचालित नकद साख खाते द्वारा दी जाए।
Specially thanks to Post and Quiz makers ( With Regards )
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